🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक - 12 नवम्बर 2025*
🌤️ *दिन - बुधवार*
🌤️ *विक्रम संवत 2082*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - हेमंत ॠतु*
🌤️ *मास - मार्गशीर्ष (गुजरात-महाराष्ट्र कार्तिक)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - अष्टमी रात्रि 10:58 तक तत्पश्चात नवमी*
🌤️ *नक्षत्र - अश्लेशा शाम 06:35 तक तत्पश्चात मघा*
🌤️ *योग - शुक्ल सुबह 08:02 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
🌤️ *राहुकाल - दोपहर 12:23 से दोपहर 01:47 तक*
🌤️ *सूर्योदय - 06:48*
🌤️ *सूर्यास्त - 05:56*
👉 *दिशाशूल - उत्तर दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण- बुधवारी अष्टमी ( सूर्योदय से रात्रि 10:58 तक)*
💥 *विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है (ब्रह्मवैवर्त पुराण ब्रह्म खण्ड: 27,29,34)*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞
🌷 *परिवार में सुख- शांति के लिए उपाय* 🌷
👨👨👧👦 *परिवार के सदस्यों में वाद-विवाद होता रहता है, लेकिन जब ये रोज होने लगे तो घर के वातावरण में अशांति फैल जाती है। कभी-कभी ये विवाद कोई बड़ी घटना का रूप भी ले लेते है। इस समस्या से निपटने के लिए नीचे लिखा उपाय करें-*
🌷 *उपाय*
*प्रतिदिन सुबह सूर्योदय के समय घर के उस मटके या बर्तन में से एक लोटा जल लें जिसमें से घर के सभी सदस्य पानी पीते हों और उस जल को अपने घर के प्रत्येक कमरे में, घर की छत पर तथा हर स्थान पर छिड़कें। इस दौरान किसी से कोई भी बात नहीं करें एवं मन ही मन ॐ शांति ॐ मंत्र बोलते रहें। कुछ ही समय में आपकी यह समस्या दूर हो जाएगी।*
🌞 ~ *वैदिक पंचांग* ~ 🌞
🌷 *नारी कल्याण पाक* 🌷
👩🏻 *यह पाक युवतियों, गर्भिणी, नवप्रसूता माताएँ तथा महिलाएँ – सभी के लिए लाभदायी है |*
➡ *लाभ : यह बल व रक्तवर्धक, प्रजनन – अंगों को सशक्त बनानेवाला, गर्भपोषक, गर्भस्थापक (गर्भ को स्थिर – पुष्ट करनेवाला), श्रमहारक (श्रम से होनेवाली थकावट को मिटानेवाला) व उत्तम पित्तनाशक है | एक – दो माह तक इसका सेवन करने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया, अत्यधिक मासिक रक्तस्राव व उसके कारण होनेवाले कमरदर्द, रक्त की कमी, कमजोरी , निस्तेजता आदि दूर होकर शक्ति व स्फूर्ति आती है | जिन माताओं को बार-बार गर्भपात होता हो उनके लिए यह विशेष हितकर है | सगर्भावस्था में छठे महिने से पाक का सेवन शुरू करने से बालक हृष्ट-पुष्ट होता है, दूध भी खुलकर आता है |*
💪🏻 *धातु की दुर्बलता में पुरुष भी इसका उपयोग कर सकते हैं |*
👉🏻 *सामग्री : सिंघाड़े का आटा, गेंहू का आटा व देशी घी प्रत्येक २00 ग्राम, खजूर १०० ग्राम, बबूल का पिसा हुआ गोंद १०० ग्राम, पिसी मिश्री ५०० ग्राम |*
➡ *विधि : घी को गर्म कर गोंद को घी में भून लें | फिर उसमें सिंघाड़े व गेंहू का आटा मिलाकर धीमी आँच पर सेंके | जब मंद सुगंध आने लगे तब पिसा हुआ खजूर व मिश्री मिला दें | पाक बनने पर थाली में फैलाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर रखें |*
🍜 *सेवन-विधि : २ टुकड़े ( लगभग २० ग्राम ) सुबह शाम खायें | ऊपर से दूध पी सकते हैं |*
💥 *सावधानी : खट्टे, मिर्च-मसालेदार व तेल में तले हुए तथा ब्रेड-बिस्कुट आदि बासी पदार्थ न खाये |*
🙏🏻 *- ऋषिप्रसाद - Nov' 2012*
📖 *वैदिक पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *वैदिक पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
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