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krishna - गीता अध्याय १८ श्लोक ६४ में देखिए अत्यंत गोपनीय रहस्य अध्याय १८ का श्लोक ६४ सर्वगुह्यतमम् भूयः, श्रृणु मे॰ परमम् वचः इष्टः, असि, मे, दृढम् इति ततः, वक्ष्यामि ते {<711641/ अनुवादः (सर्वगुह्यतमम् ) गोपनीयोंसे सम्पूर्ण  अति गोपनीय (मे) मेरे (परमम्) परम रहस्ययुक्त (हितम्) हितकारक (वचः ) वचन (ते) तुझे (भूयः ) फिर ( वक्ष्यामि) कहूँगा (ततः ) इसे (श्रृणु) सुन (इति) यह पूर्ण ब्रह्म (मे) मेरा (दृढम् ) पक्का निश्चित (इष्टः ) इष्टदेव अर्थात् पूज्यदेव (असि) है। (६४) गोपनीयोंसे अति गोपनीय मेरे हिन्दीः सम्पूर्ण वचन तुझे फिर परम रहस्ययुक्त हितकारक कहूँगा इसे सुन यह पूर्ण ब्रह्म मेरा पक्का निश्चित इष्टदेव अर्थात प्रज्यदेव है। ಸ್ಲ निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें नाम अपना নান যযা +91 7496801823 गीता अध्याय १८ श्लोक ६४ में देखिए अत्यंत गोपनीय रहस्य अध्याय १८ का श्लोक ६४ सर्वगुह्यतमम् भूयः, श्रृणु मे॰ परमम् वचः इष्टः, असि, मे, दृढम् इति ततः, वक्ष्यामि ते {<711641/ अनुवादः (सर्वगुह्यतमम् ) गोपनीयोंसे सम्पूर्ण  अति गोपनीय (मे) मेरे (परमम्) परम रहस्ययुक्त (हितम्) हितकारक (वचः ) वचन (ते) तुझे (भूयः ) फिर ( वक्ष्यामि) कहूँगा (ततः ) इसे (श्रृणु) सुन (इति) यह पूर्ण ब्रह्म (मे) मेरा (दृढम् ) पक्का निश्चित (इष्टः ) इष्टदेव अर्थात् पूज्यदेव (असि) है। (६४) गोपनीयोंसे अति गोपनीय मेरे हिन्दीः सम्पूर्ण वचन तुझे फिर परम रहस्ययुक्त हितकारक कहूँगा इसे सुन यह पूर्ण ब्रह्म मेरा पक्का निश्चित इष्टदेव अर्थात प्रज्यदेव है। ಸ್ಲ निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें नाम अपना নান যযা +91 7496801823 - ShareChat