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#poem ##poem #bachpan wali Poem😊😀😊💃
poem - की सीख प्रकृति 4[[8{ 8 पर्वत कहता शीश उठाकर तुम भी ऊँचे बन जाओ सागर कहता है लहराकर मन में गहराई लाओ | समझ रहे हा क्या कहती है उठ उठ गिर गिर तरल तरंग | भर लो॰ भर लो अपने मन में॰ मीठी मीठी मृदुल उमंग | कहती॰ धैर्य न छोड़ो, पृथ्वी কিননা ৪ী ভা মিং ৭ং সাং | नभ कहता है॰ फैलो इतना, ढक लो तुम सारा संसार।| सोहन लाल कविता की पंक्तियाँ हाव-भाव के साथ बच्चों को सकत = सुनाएँ तत्पश्चात् बच्चों से भी सुनें | बच्चों को कविता का अर्थ समझाएँ तथा कठिन शब्दों के अर्थःभी बताएँ की सीख प्रकृति 4[[8{ 8 पर्वत कहता शीश उठाकर तुम भी ऊँचे बन जाओ सागर कहता है लहराकर मन में गहराई लाओ | समझ रहे हा क्या कहती है उठ उठ गिर गिर तरल तरंग | भर लो॰ भर लो अपने मन में॰ मीठी मीठी मृदुल उमंग | कहती॰ धैर्य न छोड़ो, पृथ्वी কিননা ৪ী ভা মিং ৭ং সাং | नभ कहता है॰ फैलो इतना, ढक लो तुम सारा संसार।| सोहन लाल कविता की पंक्तियाँ हाव-भाव के साथ बच्चों को सकत = सुनाएँ तत्पश्चात् बच्चों से भी सुनें | बच्चों को कविता का अर्थ समझाएँ तथा कठिन शब्दों के अर्थःभी बताएँ - ShareChat