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#✒ गुलज़ार की शायरी 🖤
✒ गुलज़ार की शायरी 🖤 - वो सज़दाहीक्या जिसमे सरउठाने काहोश रहे  इज़हारे इश्क का मज़ा तो तब ह जबमे खामोश रहूँ औरतूबचेन रहे।  वो सज़दाहीक्या जिसमे सरउठाने काहोश रहे  इज़हारे इश्क का मज़ा तो तब ह जबमे खामोश रहूँ औरतूबचेन रहे। - ShareChat