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#दिल के अल्फाज़
दिल के अल्फाज़ - वो आया था और लौट गया किस बात का मलाल करूं हाथ पकडू , रोकूं उसे क्यूं उससे सवाल करूं होता मेरा तो जाता नहीं ये तसल्ली ठीक है मन बहलाने के लिए आख़िर उड़ते हुए परिंदों को क्यूं ख़ुद से बांध रखूं ठहरे हुए मुसाफ़िर को यूं अपना समझना ठीक है क्या. , भर के खुशी की ख़ातिर পল क्यूं जीना उसका मुहाल करूं. वो आया था और लौट गया किस बात का मलाल करूं हाथ पकडू , रोकूं उसे क्यूं उससे सवाल करूं होता मेरा तो जाता नहीं ये तसल्ली ठीक है मन बहलाने के लिए आख़िर उड़ते हुए परिंदों को क्यूं ख़ुद से बांध रखूं ठहरे हुए मुसाफ़िर को यूं अपना समझना ठीक है क्या. , भर के खुशी की ख़ातिर পল क्यूं जीना उसका मुहाल करूं. - ShareChat