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मीराबाई जी भारतीय इतिहास की एक अत्यंत प्रसिद्ध कृष्ण भक्त कवयित्री और संत थीं। उनका जीवन और उनकी भक्ति आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती है। यहाँ उनके बारे में कुछ मुख्य जानकारी दी गई है: मीराबाई जी का परिचय समय: मीराबाई 16वीं शताब्दी (लगभग 1498-1547 ई.) की थीं। जन्म और परिवार: उनका जन्म राजस्थान के मेड़ता के पास कुड़की गाँव में एक राजपूत राजपरिवार में हुआ था। उनके पिता रतन सिंह थे और वह राव दूदा जी की पोती थीं। विवाह: उनका विवाह मेवाड़ के राजकुमार भोजराज से हुआ था, जो महाराणा सांगा के पुत्र थे। गुरु: संत रैदास (रविदास) को उनका गुरु माना जाता है। भक्ति: मीराबाई श्री कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। वह कृष्ण को अपना पति, प्रियतम और आराध्य मानती थीं और उनके प्रति उनका प्रेम माधुर्य भाव का था। जीवन और संघर्ष वैधव्य: विवाह के कुछ समय बाद ही उनके पति भोजराज का देहांत हो गया। राजसी जीवन का त्याग: पति की मृत्यु के बाद, राजपरिवार के रीति-रिवाजों और सामाजिक बंधनों के बावजूद, मीरा की कृष्ण भक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। उन्होंने राजमहल के सुख-सुविधाओं का त्याग कर दिया और अपना अधिकांश समय कृष्ण के मंदिर में भजन-कीर्तन में बिताने लगीं। विरोध: उनके इस व्यवहार को राजपरिवार और समाज ने स्वीकार नहीं किया, और उन्हें अपने ससुराल पक्ष से बहुत विरोध और उत्पीड़न झेलना पड़ा। लोकप्रिय किंवदंतियाँ: उनकी भक्ति की परीक्षा लेने और उन्हें रोकने के कई प्रयास किए गए। किंवदंतियों के अनुसार, उन्हें विष का प्याला भेजा गया, जिसे उन्होंने कृष्ण का नाम लेकर पी लिया और वह अमृत बन गया। साहित्यिक योगदान और विरासत रचनाएँ: मीराबाई ने पद और भजन के रूप में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। उनके पद उनके गहन विरह (जुदाई) और प्रेम को दर्शाते हैं। भाषा: उनकी रचनाओं में मुख्य रूप से राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग मिलता है। भक्ति आंदोलन: वह मध्यकालीन भारत के भक्ति आंदोलन की एक महत्वपूर्ण संत-कवयित्री थीं, जिन्होंने प्रेम और भक्ति को ईश्वर से जुड़ने का मार्ग बताया। अंतिम समय: माना जाता है कि अपने जीवन के अंतिम वर्षों में वह वृंदावन और फिर द्वारका चली गईं, जहाँ वह कृष्ण की भक्ति में लीन रहीं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, वह द्वारका में कृष्ण की मूर्ति में विलीन हो गईं। मीराबाई का जीवन अटूट प्रेम, साहस और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। उनकी रचनाएँ आज भी भारतीय संगीत और साहित्य का एक अमूल्य हिस्सा हैं। #मीराबाई जी #मीराबाई जी #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #🗞breaking news🗞 #aaj ki taaja khabar
मीराबाई जी - भगति देखि राजी हुई जगत देखि रोई, W IMllul' दासी मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही Il भक्ति और प्रेम का उच्चतम आदर्श प्रस्तुत करने वाली , श्री कृष्ण की अनन्य भक्त भगवान விபபநீ5ி की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन भगति देखि राजी हुई जगत देखि रोई, W IMllul' दासी मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही Il भक्ति और प्रेम का उच्चतम आदर्श प्रस्तुत करने वाली , श्री कृष्ण की अनन्य भक्त भगवान விபபநீ5ி की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन - ShareChat