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#और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का
और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का - और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का। सुबह का होना दूभर कर दें रस्ता रोक सितारों का। झूठे सिक्कों में भी उठा देते हैं अक्सर सच्चा माल, शक्लें देख के सौदा करना काम है इन बंजारों का अपनी ज़रुबां से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़  लोग तुम से तो इतना हो सकता है पूछो हाल बेचारों का। एक ज़़रा सी बात थी जिस का चर्चा पहुंचा गली गली हम गुमनामों ने फिर भी एहसान न माना यारों का। दर्द का कहना चीख उठो दिल का तक़ाज़ा बज़ अ निभाओ सब कुछ सहना चुप चुप रहना काम है इजाज़त दारों का और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का। सुबह का होना दूभर कर दें रस्ता रोक सितारों का। झूठे सिक्कों में भी उठा देते हैं अक्सर सच्चा माल, शक्लें देख के सौदा करना काम है इन बंजारों का अपनी ज़रुबां से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़  लोग तुम से तो इतना हो सकता है पूछो हाल बेचारों का। एक ज़़रा सी बात थी जिस का चर्चा पहुंचा गली गली हम गुमनामों ने फिर भी एहसान न माना यारों का। दर्द का कहना चीख उठो दिल का तक़ाज़ा बज़ अ निभाओ सब कुछ सहना चुप चुप रहना काम है इजाज़त दारों का - ShareChat