#हास्य जत्रा
एक बार एक गांव में एक बुजुर्ग काका बहुत बीमार हो गए और उन्हें शहर के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा ।
कुछ दिन बीत जाने के बाद गांव के लोगों ने आपस में ये तय किया कि सब मिलकर शहर चलते हैं औऱ काका का हाल चाल लेते हैं।
फ़िर सबके सामने समस्या ये उठ खड़ी हुई कि आखिर शहर चला कैसे जाए ???
बाद में सामुहिक रूप से ये तय किया गया कि सब मिलकर एक बड़ा टेंपू भाड़े पर लेते हैं और उसका किराया आपस में बांट लेंगें ।
भाड़े पर एक टेंपू ठीक किया गया जिसका चालक लालची किस्म का आदमी था और टेंम्पु पंद्रह लोगों के बैठने भर की जगह थी । साथ ही उसका किराया एक सौ रुपए प्रति व्यक्ति तय हुआ लेकिन अंत में कुल मिलाकर चौदह लोग ही शहर जाने के लिए तैयार हुए।
टेंपू चालक ने सब लोगों से से आग्रह किया औऱ कहा कि टेंपू में कुल पंद्रह सीट है , एक और व्यक्ति को जोड़ लो ताकि मेरी एक सीट खाली न हो , पर काफी प्रयास के बावजूद एक औऱ आदमी का इंतज़ाम न हो सका।
अब चौदह लोगों के साथ गाड़ी चलने ही वाली थी कि ऊपर पहाड़ी पर गांव का ऐक व्यक्ति गुड्डू पागलो कि तरह दौड़ता और आवाज़ देता और हाथ देता देखा गया।
गाड़ी के सभी यात्री चीख़ पड़े....चलो गाड़ी चलावो, इसे हरगिज़ साथ मत ले जाना, ये साला पनौती तुम्हारा भी कुछ नुक़सान करेगा। हमारा तो करेगा ही
लेकिन चालक ने जवाब दिया, पनौती वो क्या होता है , मेरे लिए तो सवारी ही भगवान है। हम लोग ऐसा सोचने लगे तो हमारा धंधा चल पड़ा ये सौ रुपये की सवारी है,मैं हर कीमत पर उसे लूँगा। और ये पनौती वनौती कुछ नहीं होता है। नाहक ही किसी को बदनाम कर रखा होगा। मुझे तो लगता है आप लोग ईसे न जाने क्यो जानबूझकर नहीं ले जाना चाहते।
लोग चालक को समझाने लगे। यह गांव का सबसे फालतू आदमी है कुछ काम धंधा भी नहीं करता तुम्हे कहा से सौ रूपये देगा। और उसे बताया कि ईसकी शुक्ल देखने से रोटी भी नसीब नही होती हे हम मजाक नहीं कर रहे हैं तुम गाडी़ आगे बढावो । उसके चक्कर में मत कुछ तो हाथ जोड़ कर विनती करने लगे कि अभी समय निकल लो । सभी के मन में सिर्फ़ यही भय था कि यदि गुड्डू उनके साथ गया तो जरुर कुछ न कुछ अनर्थ हो जाएगा।
लेकिन चालक अपनी ज़िद पर अड़ा रहा ।
लोग जानबूझ कर उसे डरा रहे हैं और सौ रुपए का नुक़सान वह फालतू में करने को तैयार न था।
मैं ऐसे ऐक नहीं सौ पनौतीयो को भी ले जाने को तैयार हूं वह चिढ़ कर बोला। आप लोग खामखां कहानीया गढ़ रहे हैं। वह बेचारा दोढ़ता हुवा आ रहा है और आप उसे छोढ़ कर जाना चाहते हैं ऐसा भी क्या किसी से जलना आप सब बडे़ अनोखे लोग हैं। चाहते हैं उसे छोढ़ दे ...हो सकता है वे बुजुर्गवार उसके बेहद करीबी हो उनके आखरी समय पास रहना चाहता हो।
यार तुम खामखां उसके हमदर्द मत बनो जब हम सब कह रहे हैं यहा से चलो तुम अपना ही राग अलाप रहे हो ...यह भंयकर किस्म का मनहूस आदमी है।
अब मैं ईसे ले कर ही जाऊगा और ये बात साबित कर दुगा कि आप सब लोग गल्त है। आपने फिजूल में ही किसी शरीफ आदमी को बदनाम कर रखा है। ईसके लिए आप सभी को शर्म आनी चाहिए क्या किसी आदमी के साथ ईस तरह का व्यवहार करना उचित है। आप सब मुझे पढे़ लिखे नजर आते हैं। फिर भी केसे जाहिलो जेसी बाते करते हो।
लो भयी ये तो हमें ही लेक्कचर ही देने लग गया। यह कह लोग खामोश हो गये ।
अब अन्य सवारों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं था और सभी अपने गांव के गुड्डू जैसे किसी अनचाहे व्यक्ति के आने के पहुंचने का इंतज़ार करने लगे।
तभी गुड्डू हांपते कांपते हुए पहुंच गया, सभी लोग सांस रोक कर भयभीत बैठे थे , अब ईसकी काली जुबान सै न जाने केसे शब्द भेदी बाण निकलेगे, दूसरी तरफ चालक ने दरवाज़ा खोला.... आईये सर आपके गांव के लोग भी अजीब है पता नहीं कयो आप जेसे अच्छे इंसान से जलते हैं। आप केसे दोढ़ भाग कर पहुचे है ये लोग तो आपको ले जाना ही नहीं चाहते थे।
जी बहुत धन्यवाद आपका गुड्डू हाफते हुवे बोला
आईये जनाब बाहर क्यो खडे़ है आप सबसे आगे बेठीये
अरे नहीं नहीं उसकी जरूरत नहीं है।
गुड्डू ने बाहर खड़े खड़े ही टूटी सांसों के साथ फिर उन चौदह लोगों से कहा " अरे आप लोगो को ऐक बात कहनी है ...
गुडू चुप हो जा खबरदार जो ऐक शब्द भी निकाला मैं तेरी जुबान खिंच लु़गा गांव के प्रधान जी घबरा कर बोले हमें पता है तेरी ऐक बात क्या होती है।
अरे मेरी बात तो सुनीये गुड्डू बोला
खबरदार चुप हो जा और चुपचाप गाडी़ में बैठ जा जब आ ही गया है। ऐक शब्द न बोलियो शहर आने तक।
में तुझे चेतावनी देता हूं वरना वही पर निचे उतार देगे।
अरे कमाल के लोग हैं आप ईन्हे अपनी बात कहने तो दीजिए ... ड्राइवर बीच में बोला।
बोलीये आप अपनी बात बोलिये ये लोग तो आपको दबा कर रखे हैं।
गुडू तुम पहले गाडी़ में बैठ जावो हम बाद मे आराम से तुम्हारी बात सुन लेगे प्रधान ने फिर कहा।
अरे बोलने दीजिए न उसे खामखां किसी शरीफ आदमी को डरा कर रखा है चालक ने लोगो की बात फिर काटते हुवे कहा।
चालक का प्रोत्साहन पा कर गुडू कू चेहरे पर निश्चल मुस्कान आ गई वह जोर से बोला काका रात को ही अस्पताल से घर आ गए हैं। सब गाडी से उतर जाओ, ख्वामखाह अस्पताल मत जाओ "। आप लोगो का टैम खराब हो जायेगा और पैसे भी ।
बाद में स्टेयरिंग से सर जोर से धुनने के कारण चालक के सर में गुमण हो गया है। ऐसा पनौती आदमी उसने जिंदगी में न देखा था।