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#जयश्रीकृष्णा🙏🌹
जयश्रीकृष्णा🙏🌹 - Il महारास एक चिंतन || महारास अर्थात एक ऐसा महोत्सव जिसमें स्वयं ब्रह्म द्वारा जीव को अपने ब्रह्म रस में लगाने का परम सौभाग्यशाली अवसर डुबकी श्रीकृष्ण स्वयं प्रदान किया जाता है। भगवान पूर्ण ब्रह्म हैं तो असंख्य गोपियाँ वो साधक हैं जिन्होंने अपने सर्वस्व का त्याग कर केवल उन पूर्ण ब्रह्म का वरण किया है। शास्त्रों में कहा गया है कि "रसो वै सः" अर्थात स्वरूप हैं अथवा जो चराचर रस परमात्मा जगत में रस तत्व है, वही परमात्मा है। श्रीकृष्ण द्वारा उसी आनंद रूप रस भगवान का असंख्य गोपिकाओं के मध्य वितरण ही तो रास है। जीवन के अन्य सभी सांसारिक रसों का त्याग कर जीव द्वारा ब्रह्म के সাথ ब्रह्मानन्द के आस्वादन का सौभाग्य ही महारास है। तक जीव को सताता है जब तक 79 काम जीव जगत में रहे। जगदीश की शरण लेते ही उसका कामभाव स्वतः तिरोहित हो जाता है। श्रीमद् भागवत जी ने कहा कि जीव का जो साधन , काम को मिटाकर राम से मिला दे, वही महारास है। महारास महामहोत्सव आप पूर्णिमा शरद लिए सभी के शुभ एवं मंगलमय हो। Il महारास एक चिंतन || महारास अर्थात एक ऐसा महोत्सव जिसमें स्वयं ब्रह्म द्वारा जीव को अपने ब्रह्म रस में लगाने का परम सौभाग्यशाली अवसर डुबकी श्रीकृष्ण स्वयं प्रदान किया जाता है। भगवान पूर्ण ब्रह्म हैं तो असंख्य गोपियाँ वो साधक हैं जिन्होंने अपने सर्वस्व का त्याग कर केवल उन पूर्ण ब्रह्म का वरण किया है। शास्त्रों में कहा गया है कि "रसो वै सः" अर्थात स्वरूप हैं अथवा जो चराचर रस परमात्मा जगत में रस तत्व है, वही परमात्मा है। श्रीकृष्ण द्वारा उसी आनंद रूप रस भगवान का असंख्य गोपिकाओं के मध्य वितरण ही तो रास है। जीवन के अन्य सभी सांसारिक रसों का त्याग कर जीव द्वारा ब्रह्म के সাথ ब्रह्मानन्द के आस्वादन का सौभाग्य ही महारास है। तक जीव को सताता है जब तक 79 काम जीव जगत में रहे। जगदीश की शरण लेते ही उसका कामभाव स्वतः तिरोहित हो जाता है। श्रीमद् भागवत जी ने कहा कि जीव का जो साधन , काम को मिटाकर राम से मिला दे, वही महारास है। महारास महामहोत्सव आप पूर्णिमा शरद लिए सभी के शुभ एवं मंगलमय हो। - ShareChat