ShareChat
click to see wallet page
search
#राजनितिक अखाड़ा ##राजनितिक चर्चा #राजनितिक व्यंग का अड्डा
राजनितिक अखाड़ा - **" गांधी चो हैं जिन्हें हमने पढ़कर समझा , मोदी का दौर यह है कि सवाल पूछो तो लोकतंत्र नहीं , व्यक्तित्व-्पूजा का साम्राज्य देशद्रोही कहलाओ। [ हमें जबरदस्ती पढ़ाया  और मोदी वो हैं खडा किया जा रहा है। 5776771"** गांधी कहते थे- गांधी इसलिए महान बने क्योंकि उनके विचार गांधी इसलिए इतिहास बने, क्योंकि उन्होंने "डरो मत, सत्ता से लड़ो।" किताबों में नहीं , हमारी चेतना ्में बसते हैं। देश को आज़ाद किया। आज कहा जाता है- उन्होंने खुद को नहीं थोपने दिया - देश ने उन्हें "डरो, वरना मोदी इसलिए " इतिहास" बनाए जा रहे हैं, अपनाया| आ जाएगा।" बुलडोजर क्योंकि देश की आज़ादी को सीमित किया जा लेकिन आज हाल देखिए- गांधी जनता के नेता थे, मोदी जनता के सामने रहा है। 1ಶ್ಕ' स्कूल की किताबों ठूँसा जा रहा है, नेता नहीं - परदे के पीछे की प्रचार मशीन के टीवी पर दिननरात एक ही चेहरा टाँग  नायक हैं। दिया गया है गांधी सत्य की ताक़त थे। इतिहास में से महापुरुष हटाए जा रहे हैं, मोदी - प्रचार की ताक़त पर खड़े हैं। और नेताओं को भगवान बनाने की गांधी को पढ़ना हमारी पसंद थी, कोशिश की जा रही है। मोदी को पढ़ना हमारी मजबूरी बना दी गई है। क्योंकि यदि मीडिया, किताबें , पाठ्यक्रम , गांधी को हम पढ़ना चाहते हैं। ঐ মম্সান নমী- तानाशाही की शुरुआत का पहला लक्षण है। इतिहास, टीवी - मोदी को हमें पढ़वाया जा रहा है। सब एक व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमता हो, तो का काम ये था कि वे सत्ता से सवाल  गांधी  यही फर्क है नेता और प्रचार के बीच।.. समझ लीजिए कि पूछना सिखात थे। **" गांधी चो हैं जिन्हें हमने पढ़कर समझा , मोदी का दौर यह है कि सवाल पूछो तो लोकतंत्र नहीं , व्यक्तित्व-्पूजा का साम्राज्य देशद्रोही कहलाओ। [ हमें जबरदस्ती पढ़ाया  और मोदी वो हैं खडा किया जा रहा है। 5776771"** गांधी कहते थे- गांधी इसलिए महान बने क्योंकि उनके विचार गांधी इसलिए इतिहास बने, क्योंकि उन्होंने "डरो मत, सत्ता से लड़ो।" किताबों में नहीं , हमारी चेतना ्में बसते हैं। देश को आज़ाद किया। आज कहा जाता है- उन्होंने खुद को नहीं थोपने दिया - देश ने उन्हें "डरो, वरना मोदी इसलिए " इतिहास" बनाए जा रहे हैं, अपनाया| आ जाएगा।" बुलडोजर क्योंकि देश की आज़ादी को सीमित किया जा लेकिन आज हाल देखिए- गांधी जनता के नेता थे, मोदी जनता के सामने रहा है। 1ಶ್ಕ' स्कूल की किताबों ठूँसा जा रहा है, नेता नहीं - परदे के पीछे की प्रचार मशीन के टीवी पर दिननरात एक ही चेहरा टाँग  नायक हैं। दिया गया है गांधी सत्य की ताक़त थे। इतिहास में से महापुरुष हटाए जा रहे हैं, मोदी - प्रचार की ताक़त पर खड़े हैं। और नेताओं को भगवान बनाने की गांधी को पढ़ना हमारी पसंद थी, कोशिश की जा रही है। मोदी को पढ़ना हमारी मजबूरी बना दी गई है। क्योंकि यदि मीडिया, किताबें , पाठ्यक्रम , गांधी को हम पढ़ना चाहते हैं। ঐ মম্সান নমী- तानाशाही की शुरुआत का पहला लक्षण है। इतिहास, टीवी - मोदी को हमें पढ़वाया जा रहा है। सब एक व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमता हो, तो का काम ये था कि वे सत्ता से सवाल  गांधी  यही फर्क है नेता और प्रचार के बीच।.. समझ लीजिए कि पूछना सिखात थे। - ShareChat