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✍️ साहित्य एवं शायरी - इबादत वो है जिसमें जरूरतों का ज़िक्र ना हो. 0000 सिर्फ उसकी रहमतों का शुक्र हो...!! इबादत वो है जिसमें जरूरतों का ज़िक्र ना हो. 0000 सिर्फ उसकी रहमतों का शुक्र हो...!! - ShareChat