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#☺ જીવનની વાસ્તવિક્તા
☺ જીવનની વાસ્તવિક્તા - कभी पत्थर बनकर सबकुछ झेल लेती हूं मैं, कभी किसी के ज़रा से रूखेपन से फूल सी मुरझा जाती हूं मैं. कभी पत्थर बनकर सबकुछ झेल लेती हूं मैं, कभी किसी के ज़रा से रूखेपन से फूल सी मुरझा जाती हूं मैं. - ShareChat