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✍️ साहित्य एवं शायरी - रूबरू होने की तो छोड़िये. लोग गुफ़्तगू से भी क़तराने लगे हैं... गुरूर ओढ़े हैं रिश्ते, अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं.. 44 रूबरू होने की तो छोड़िये. लोग गुफ़्तगू से भी क़तराने लगे हैं... गुरूर ओढ़े हैं रिश्ते, अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं.. 44 - ShareChat