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वो चाहता है.... उसका जैसा मन करे, ज़ब मन करे, जितना मन करे वो मेरा दिल दुखाये! बदले में मैं उससे जरा भी शिकायत ना करूं! माना कि सहने की छमता मुझमें उससे अधिक है इसका मतलब ये तो नहीं..... कि मैं उफ़ तक ना करूं !! #विजय पाल #📓 हिंदी साहित्य #📗प्रेरक पुस्तकें📘 #💔दर्द भरी कहानियां #✍️ साहित्य एवं शायरी
विजय पाल - वो तुम्हें तुम्हारी मनः स्थिति के साथ संभाल नहीं पाएंगे ये कमी उनमें है ये बात भी वो मान नहीं पाएंगे सारी कमियों के साथ हर वक़्त तुम ही गलत हो तुम ऐसी तुम वैसी कहकर और तुम्हारी तरफ 1 ऊँगली हमेशा ही अपनी तरफ 4 बड़ी घमंड के साथ वो उठाए रखेंगे ! ! प्रियांशी वो तुम्हें तुम्हारी मनः स्थिति के साथ संभाल नहीं पाएंगे ये कमी उनमें है ये बात भी वो मान नहीं पाएंगे सारी कमियों के साथ हर वक़्त तुम ही गलत हो तुम ऐसी तुम वैसी कहकर और तुम्हारी तरफ 1 ऊँगली हमेशा ही अपनी तरफ 4 बड़ी घमंड के साथ वो उठाए रखेंगे ! ! प्रियांशी - ShareChat