नोबेल प्राइज डायलॉग 2025 से पहले, जब पुरस्कार विजेता और वैश्विक विचारक #TheFutureWeWant पर बात करने की तैयारी कर रहे थे, तब भारत के सैकड़ों बच्चों ने अपने सपनों को तस्वीरों में उतारा।
पैराग आर्ट वॉल—जो कि टाटा ट्रस्ट्स द्वारा समर्थित पैराग की एक पहल है—के ज़रिए कोप्पल के एक गाँव, बेंगलुरु और मुंबई की एक झुग्गी के बच्चों ने मिलकर दो बातें सोचीं: “मैं अपने लिए कैसा भविष्य चाहता/चाहती हूँ?” और “मैं अपने देश का भविष्य कैसा देखना चाहता/चाहती हूँ?”
उनके सपने यूनिकॉर्न, ऊँची इमारतों, नए घरों, पेड़ों, किताबों और… दयालुता के रूप में सामने आए। उनकी बनाई कला भारत भर से होते हुए बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस पहुँची, जहाँ उसने संवाद के मंच को रंगीन पृष्ठभूमि दी—और हमें याद दिलाया कि #TheFutureWeWant मिलकर बनाया जाता है।
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