मल मल धोए शरीर को, धोए न मन का मैल।
नहाए गंगा गोमती, रहे बैल के बैल।।
अर्थ :- यह कबीरदास जी का प्रसिद्ध दोहा है। इसका अर्थ है कि लोग शारीरिक मैल को धोकर साफ करते हैं, लेकिन मन का मैल साफ नहीं करते। वे गंगा और गोमती जैसी पवित्र नदियों में स्नान करके खुद को शुद्ध मानते हैं, लेकिन वे वास्तव में बुद्धिहीन होते हैं। #kabir das #Kabir Tulsi das ram charitra manas #कबीर दास दोहा #🖋️ कबीर दास जी के दोहे #hindi ke pramukh lekhak or kvi....
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