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#जीवन प्रवास #स्त्री जीवन #जीवन प्रवास #स्त्री जीवन #सत्य् विचार 💬
जीवन प्रवास - 7( अब खुद से बातें करना सीख ली है मैंने , शिकायतें तो रहीं नहीं किसी से अब= खामोशी है, बस एक जिसमें मैं खुद से हर रोज़ मिलती हूँ। के साथ लोग दूर होते गए, वक़्त पर मैं खुद के और करीब आती गई। मन के हर कोने में मेरी ही आवाज़ गूंजती है, जैसे दिल ने अपना कोई दोस्त पा लिया हो। ना कोई सवाल, ना कोई जवाब बाकी है,  में ही ढूंढ लिया है मैंने। सबकुछ खुद आंसुओं की भाषा अब समझ में आती है, और मुस्कान भी सुकून देने लगी है। खुद से बातें करना अब आदत नहीं , एक नई दुनिया बन गई है- जहाँ मैं हूँ॰ मेरे ख्याल हैं, और एक अनकहा अपनापन है..!! 7( अब खुद से बातें करना सीख ली है मैंने , शिकायतें तो रहीं नहीं किसी से अब= खामोशी है, बस एक जिसमें मैं खुद से हर रोज़ मिलती हूँ। के साथ लोग दूर होते गए, वक़्त पर मैं खुद के और करीब आती गई। मन के हर कोने में मेरी ही आवाज़ गूंजती है, जैसे दिल ने अपना कोई दोस्त पा लिया हो। ना कोई सवाल, ना कोई जवाब बाकी है,  में ही ढूंढ लिया है मैंने। सबकुछ खुद आंसुओं की भाषा अब समझ में आती है, और मुस्कान भी सुकून देने लगी है। खुद से बातें करना अब आदत नहीं , एक नई दुनिया बन गई है- जहाँ मैं हूँ॰ मेरे ख्याल हैं, और एक अनकहा अपनापन है..!! - ShareChat