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✴️ नॉमिनी को देरी से मिली रकम तो मोटा जुर्माना देंगे बैंक, 2026 से नियम होंगे लागू ▶️ आरबीआई ने नया नियम बनाया है कि 2026 से अगर बैंक किसी ग्राहक की मौत के बाद 15 दिनों के भीतर नामिनी को जमा राशि या लॉकर की चीजें नहीं देगा, तो बैंक पर जुर्माना लगेगा। - जमा राशि में देरी होने पर बैंक को रेपो रेट + 4% ब्याज देना होगा। - लॉकर का दावा देर से निपटाने पर बैंक को लॉकरहोल्डर के वारिस को ₹5,000 प्रतिदिन का जुर्माना देना होगा। - क्लेम प्रक्रिया में जरूरी दस्तावेज़ मिलते ही बैंक को तुरंत भुगतान/सामान देना होगा। ✅ यदि नामिनी है, तो प्रक्रिया सरल होगी; अगर नामिनी नहीं है, तो 15 लाख रुपये तक का क्लेम हलफनामा और आवश्यक दस्तावेज़ से मिल सकेगा। 🔸 _15 लाख से अधिक राशि पर उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र ज़रूरी होगा।_ . #FINANCE #investment #bank #rbi #🆕 ताजा अपडेट
FINANCE - नॉमिनी को देरी से मिली रकम तो मोटा जुर्माना देंगे बैंक, २०२६ से नियम् होेंगे लागू क्लेम की प्रक्रिया आरबीआइ: १५ दिन के INSURANCE कैसी होगी ? भीतर क्लेम देने की CLAIM 0 अगर मृत व्यक्ति ने अपने खा प्रक्रिया पूरी करनी होगी ম কিমী কী নাসিল কিমা E যা पत्रिका न्यूज नेटवर्क खाता किसी और के साथ संयुक्त (ज्वाइंट अकाउंट) है तो दावे रक Datrika coin अगर किसा बैक ग्राहक का সল : प्रक्रिया बहुत आसान हो जाती है तो बैंक पर जुर्माना हा जाता हे ओर उसके परिवार ऐसे में दावेदार को सिर्फ तीन वाले बेक से पेसे या लॉकर की चीजों चीजें देनी होंगी- मृत्यु प्रमाण पत्र डिपोजिट ( जमा राशि) पर यदि देरी के लिए क्लेम करते हॅ॰ तो बेक को क्लेम फॉर्म और पहचान पत्र तो बैँक रेट+ ४% ब्याज देना होगा। सभी दस्तावेज मिलने के १५ दिन के कि आधार कार्ड पैन कार्ड आदि [ಹಹಾಕ ಹ್ಶ [ಸ್ತ್್ಗ ಣ5 ಐ0೧ भीतर इसको प्रक्रिया पूरी करनी होगी। कोई अन्य कानूनी दस्तावेज लॉकरहोल्ड अगर चॅक देर करेगा, तोउसे मोटा को 5००० मांगा जाएगा । प्रतिदिन का जुर्माना देना होगा। देना होगा | आरबीआइ का यह जुर्माना अगर नामित व्यक्ति नहों है बैंकलॉकर केनियम ? जनवरी २०२६ से लागू होगा | नियम १५ लाख रुपए तक की राशि के देश के बॅकों नें बड़ी मात्रा में ऐसी जमा लिए वारिसों का घोषणा पत्र अन् नामित व्यक्ति या संयुक्तधारक राशि पड़ी हुई हे़, जिस पर कोई दावा वारिसों की एनओसी ( अनापत्ति को लॉकर की पहुंच तुरंत गिलेगी। नही किया गया हे।जव किसी व्यक्ति वर्ही अगर ऐसे व्यक्ति नहीं हे॰ तो प्रमाण पत्न) और बुनियादी की मोत हा जाती हे॰ ता उसंक परिजनों कानूनी वारिसों को दस्तावेज देखने दस्तावेज ही काफो होंगे। को बेक सेपेसा लॉकर की वस्तुए लेने के बाद पहुंच मिलेगी। १५ लाख से ज्यादा राशि के के लिए लंवी प्रक़िया ओर कठिनाइयों लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बैंक अधिकारी और गवाहों के का सामना करना पडता हेॅ। आरबीआइ एफिडेविट और गारंटी देने वाला की सख्तो से बेक ऐसे मामलों में सामने लॉकर खोला जाएगा और उसका विवरण लिखा जाएगा।  च्यक्ति जरूरी होगा | टालमटोल नही कर सकेंगे । नॉमिनी को देरी से मिली रकम तो मोटा जुर्माना देंगे बैंक, २०२६ से नियम् होेंगे लागू क्लेम की प्रक्रिया आरबीआइ: १५ दिन के INSURANCE कैसी होगी ? भीतर क्लेम देने की CLAIM 0 अगर मृत व्यक्ति ने अपने खा प्रक्रिया पूरी करनी होगी ম কিমী কী নাসিল কিমা E যা पत्रिका न्यूज नेटवर्क खाता किसी और के साथ संयुक्त (ज्वाइंट अकाउंट) है तो दावे रक Datrika coin अगर किसा बैक ग्राहक का সল : प्रक्रिया बहुत आसान हो जाती है तो बैंक पर जुर्माना हा जाता हे ओर उसके परिवार ऐसे में दावेदार को सिर्फ तीन वाले बेक से पेसे या लॉकर की चीजों चीजें देनी होंगी- मृत्यु प्रमाण पत्र डिपोजिट ( जमा राशि) पर यदि देरी के लिए क्लेम करते हॅ॰ तो बेक को क्लेम फॉर्म और पहचान पत्र तो बैँक रेट+ ४% ब्याज देना होगा। सभी दस्तावेज मिलने के १५ दिन के कि आधार कार्ड पैन कार्ड आदि [ಹಹಾಕ ಹ್ಶ [ಸ್ತ್್ಗ ಣ5 ಐ0೧ भीतर इसको प्रक्रिया पूरी करनी होगी। कोई अन्य कानूनी दस्तावेज लॉकरहोल्ड अगर चॅक देर करेगा, तोउसे मोटा को 5००० मांगा जाएगा । प्रतिदिन का जुर्माना देना होगा। देना होगा | आरबीआइ का यह जुर्माना अगर नामित व्यक्ति नहों है बैंकलॉकर केनियम ? जनवरी २०२६ से लागू होगा | नियम १५ लाख रुपए तक की राशि के देश के बॅकों नें बड़ी मात्रा में ऐसी जमा लिए वारिसों का घोषणा पत्र अन् नामित व्यक्ति या संयुक्तधारक राशि पड़ी हुई हे़, जिस पर कोई दावा वारिसों की एनओसी ( अनापत्ति को लॉकर की पहुंच तुरंत गिलेगी। नही किया गया हे।जव किसी व्यक्ति वर्ही अगर ऐसे व्यक्ति नहीं हे॰ तो प्रमाण पत्न) और बुनियादी की मोत हा जाती हे॰ ता उसंक परिजनों कानूनी वारिसों को दस्तावेज देखने दस्तावेज ही काफो होंगे। को बेक सेपेसा लॉकर की वस्तुए लेने के बाद पहुंच मिलेगी। १५ लाख से ज्यादा राशि के के लिए लंवी प्रक़िया ओर कठिनाइयों लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बैंक अधिकारी और गवाहों के का सामना करना पडता हेॅ। आरबीआइ एफिडेविट और गारंटी देने वाला की सख्तो से बेक ऐसे मामलों में सामने लॉकर खोला जाएगा और उसका विवरण लिखा जाएगा।  च्यक्ति जरूरी होगा | टालमटोल नही कर सकेंगे । - ShareChat