सर गंगा राम (Sir Ganga Ram) ब्रिटिश राज के दौरान एक प्रसिद्ध भारतीय परोपकारी, सिविल इंजीनियर और राजनेता थे. उन्हें मुख्य रूप से पंजाब में बुनियादी ढांचे के विकास में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है, जिसमें नहरों, रेलवे और सड़कों का निर्माण शामिल है.
प्रमुख योगदान और उपलब्धियाँ
"आधुनिक लाहौर के जनक": उन्हें अक्सर "आधुनिक लाहौर के जनक" के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने लाहौर के शहरी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
इंजीनियरिंग चमत्कार: उन्होंने कई प्रतिष्ठित इमारतों और संरचनाओं का डिजाइन और निर्माण किया, जिनमें लाहौर संग्रहालय, ऐचिसन कॉलेज, मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स (अब नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स), लाहौर जनरल पोस्ट ऑफिस, और मॉडल टाउन जैसे प्रसिद्ध आवासीय क्षेत्र शामिल हैं.
कृषि विकास: उन्होंने मोंटगोमेरी जिले में 50,000 एकड़ बंजर भूमि को पट्टे पर लिया और जलविद्युत संयंत्र और हजारों मील की सिंचाई नहरों का निर्माण करके इसे उपजाऊ खेतों में बदल दिया. यह अपनी तरह का सबसे बड़ा निजी उद्यम था.
परोपकारी कार्य: सर गंगा राम अपनी दानशीलता के लिए जाने जाते थे. उन्होंने अपनी लाखों की कमाई का अधिकांश हिस्सा दान कर दिया. उन्होंने विधवाओं के लिए 'विडोज़ मैरिज एसोसिएशन' की स्थापना की और 'हिंदू विडोज़ होम' भी स्थापित किया.
अस्पताल: उन्होंने 1921 में लाहौर में प्रसिद्ध सर गंगा राम अस्पताल की स्थापना की. भारत के विभाजन के बाद, 1951 में नई दिल्ली में भी उनकी स्मृति में एक और सर गंगा राम अस्पताल बनाया गया, जो आज भी लाखों लोगों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करता है.
सर गंगा राम का जन्म 13 अप्रैल 1851 को मंगतानवाला, पंजाब प्रांत (जो अब पाकिस्तान में है) के एक गाँव में हुआ था. उन्होंने थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग (अब IIT रुड़की) से सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की थी और उन्हें 1873 में स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था. उनकी मृत्यु 10 जुलाई 1927 को लंदन में हुई थी. उनके कार्य और परोपकार ने भारत और पाकिस्तान दोनों में एक स्थायी विरासत छोड़ी है.
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