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gk gs - चंद्रगुप्त द्वितीय *विक्रमदित्य  ४१२ ईस्वी) (380 5 इस वंश का सबसे महान शासक हुआ  भारतीय इतिहास का प्रथम शासक था जिसने अपने दरबार में नवरत्न रखे थे | चन्द्रगुप्त के नवरत्न :- TಾR೯ यह एक महान कवि थे | यह एक महान कवि थे | न्वंतरि रिषेण यह एक महान कवि थे | ालिदास यह भी एक महान कवि और नाटककार थे | ये महान ज्योतिष शास्त्री थे। पणक ঐ বব্ধ महान स्थापत्यकार थे ক্ত - ये एक महान जादूगर थे ताल भट्ट राहमिहिर यह एक खगोलशास्त्री थे ঐ বব্ধ विद्वान संस्कृत का महान  ररुचि था | न्द्रगुप्त द्वित्य ने रुद्रसेन तृतीय की हत्या की थी | सके बाद इसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी | में एक चीनी यात्री फाह्यान भारत आया था और वह भारत में २५ वर्ष तक ९९ ईस्वी न्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में ही हिन्दू धर्म का सर्वाधिक विकास हुआ इस ।गवत की उपाधि धारण की थी चंद्रगुप्त द्वितीय *विक्रमदित्य  ४१२ ईस्वी) (380 5 इस वंश का सबसे महान शासक हुआ  भारतीय इतिहास का प्रथम शासक था जिसने अपने दरबार में नवरत्न रखे थे | चन्द्रगुप्त के नवरत्न :- TಾR೯ यह एक महान कवि थे | यह एक महान कवि थे | न्वंतरि रिषेण यह एक महान कवि थे | ालिदास यह भी एक महान कवि और नाटककार थे | ये महान ज्योतिष शास्त्री थे। पणक ঐ বব্ধ महान स्थापत्यकार थे ক্ত - ये एक महान जादूगर थे ताल भट्ट राहमिहिर यह एक खगोलशास्त्री थे ঐ বব্ধ विद्वान संस्कृत का महान  ररुचि था | न्द्रगुप्त द्वित्य ने रुद्रसेन तृतीय की हत्या की थी | सके बाद इसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी | में एक चीनी यात्री फाह्यान भारत आया था और वह भारत में २५ वर्ष तक ९९ ईस्वी न्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में ही हिन्दू धर्म का सर्वाधिक विकास हुआ इस ।गवत की उपाधि धारण की थी - ShareChat