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*काछन गादी - बस्तर पावन परंपरा*
बस्तर दशहरे की विभिन्न परंपराओं में से एक है काछन गादी. इसमें एक स्थानीय जनजातीय कन्या को काछन देवी मानकर प्रतिष्ठित किया जाता है.
कन्या को देवी स्वरूप मानकर राजपरिवार और मांझियों के सम्मुख सजाकर, देवी का प्रतिनिधि बनाकर उनसे रथयात्रा व अनुष्ठानों की अनुमति ली जाती है.
यह विधान बीते 6 शताब्दियों से चला आ रहा राजकीय-लोक अनुरोध है, जहाँ जनमानस और राजपरिवार मिलकर शक्ति का अनुमोदन पाते हैं.
काछन गादी का महत्व यह है कि यह नारी-शक्ति और आदिशक्ति माँ दंतेश्वरी की निरंतर उपस्थिति का प्रतीक है.
यह परंपरा स्त्री की महिमा और देवी शक्ति की सर्वोच्चता को दर्शाती है.
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