Shree Mukh
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#काशी के #84_घाटों में चर्चित एक घाट का नाम है #मणिकर्णिका इस घाट के बारे में कहा जाता है कि यहां दाह संस्कार होने पर व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण अधिकतर लोग अपने अंतिम समय में इसी घाट पर आना चाहते हैं। यहां पर शिवजी और मां दुर्गा का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जिसका निर्माण मगध के राजा ने करवाया था... हिंदुओं के लिए इस घाट को अंतिम संस्कार के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। बताया जाता है कि मणिकर्णिका घाट को भगवान शिव ने अनंत शांति का वरदान दिया है। इस घाट पर पहुंचकर ही जीवन की असलियत के बारे में पता चलता है। इस घाट की विशेषता है कि यहां चिता की आग कभी शांत नहीं होती है, यानी यहां हर समय किसी ना किसी का शवदाह हो रहा होता है। हर रोज यहां 200 से 300 शव का अंतिम संस्कार किया जाता है... जनश्रुतियों के अनुसार, भगवान विष्णु ने भी हजारों वर्ष तक इसी घाट पर भगवान शिव की आराधना की थी। विष्णुजी ने शिवजी से वरदान मांगा कि सृष्टि के विनाश के समय भी काशी को नष्ट न किया जाए। भगवान शिव और माता पार्वती विष्णुजी की प्रार्थना से प्रसन्न होकर यहां आए थे। तभी से मान्यता है कि यहां मोक्ष की प्राप्ति होती है.... * मान्यता यह है कि भगवान शिव और माता पार्वती के स्नान के लिए यहां भगवान विष्णु ने कुंड का निर्माण किया था, जिसे लोग अब मणिकर्णिका कुंड के नाम से जानते हैं। स्नान के दौरान माता पार्वती का कर्ण फूल कुंड में गिर गया, जिसे महादेव ने ढूंढ कर निकाला देवी पार्वती के कर्णफूल के नाम पर इस घाट का नाम मणिकर्णिका हुआ था.... * इस घाट की एक और मान्यता यह है कि भगवान शंकरजी द्वारा माता सती के पार्थिव शरीर का अग्नि संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया गया था जिस कारण से इसे #महाश्मशान भी कहते हैं। मोक्ष की चाह रखने वाला इंसान जीवन के अंतिम पड़ाव में यहां आने की कामना करता है... * जलते मुर्दों के बीच साल में एक बार मणिकर्णिका घाट पर महोत्सव भी होता है। यह महोत्सव चैत्र नवरात्र की सप्तमी की रात में होता है। इस महोत्सव में पैरों में घुघंरू बांधी हुई नगर वधुओं (सेक्‍स वर्कर) हिस्सा लेती हैं। महाश्‍मशान पर अनूठी साधना की परंपरा श्‍मशान नाथ महोत्‍सव का हिस्‍सा है। मौत के मातम के बीच वे नाचती-गाती हैं। नाचते हुए वे ईश्वर से प्रार्थना करती हैं कि उनको अगले जन्म में ऐसा जीवन ना मिले। मान्‍यता है कि जलती चिताओं के सामने नटराज को साक्षी मानकर वे यहां नाचेंगी तो अगले जन्‍म में नगरवधू का कलंक नहीं झेलना पड़ेगा। यह परंपरा अकबर काल में आमेर के राजा सवाई मान सिंह के समय से शुरू होकर अब तक चली आ रही है। मान सिंह ने ही 1585 में मणिकर्णिका घाट पर मंदिर का निर्माण करवाया था। श्‍मशान नाथ उत्‍सव में महाश्‍मशान की वजह से जब कोई कलाकार संगीत का कार्यक्रम प्रस्‍तुत करने के लिए तैयार नहीं हुआ तो मानसिंह ने नगर वधुओं को आमंत्रण भेजकर बुलवाया। वे इसे स्‍वीकार कर पूरी रात महाश्‍मशान पर नृत्‍य करती रहीं। तब से यह उत्‍सव काशी की परंपरा का हिस्‍सा बन गया। 🚩 🔱 || हर हर महादेव || #🙏चारधाम यात्रा🛕 #🙏चारधाम यात्रा🛕 #🎵 राधा-कृष्ण भजन 🙏 #🙏कर्म क्या है❓ #🙏कर्म क्या है❓ #🤗जया किशोरी जी🕉️ #🤗जया किशोरी जी🕉️ #🙏गीता ज्ञान🛕
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“संयुक्त परिवार को तोड़कर उपभोक्ता बनाया गया भारत: एक खतरनाक साजिश की सच्चाई* *🌍 “जब परिवार टूटते हैं, तभी बाजार फलते हैं” — ये सिर्फ विचार नहीं, पूरी रणनीति है l* *✊🏻भारत की सबसे मजबूत चीज क्या थी?* *भारत पर मुग़ल आए, अंग्रेज़ आए, और कई हमलावर आए — लेकिन एक चीज़ कभी नहीं टूटी:-* *👉 हमारा संयुक्त परिवार।* ******* 🔅3 पीढ़ियाँ एक छत के नीचे 🔅 बुज़ुर्गों का अनुभव 🔅बच्चों में संस्कार 🔅खर्च में सामूहिकता 🔅त्यौहारों में गर्माहट *यह हमारी असली “Social Security” थी। कोई पेंशन की ज़रूरत नहीं थी, कोई अकेलापन नहीं, कोई Mental Health Crisis नहीं।* *💣 पश्चिम को यह चीज़ क्यों खटकने लगी?* *पश्चिमी देश उपनिवेशवादी रहे हैं — उनके लिए बाज़ार सबसे बड़ा धर्म है।* *लेकिन भारत जैसा देश, जहाँ लोग साझा करते हैं, कम खर्च करते हैं, और सामूहिक सोच रखते हैं — वहां वे अपने उत्पाद बेच ही नहीं पा रहे थे।* *❇️इसलिए एक शातिर रणनीति बनाई गई:-* *“इनके परिवार ही तोड़ दो, हर कोई अकेला हो जाएगा, और हर कोई ग्राहक बन जाएगा।”* *🚩कैसे हुआ ये हमला?* *📺 1. मीडिया के ज़रिए* *संयुक्त परिवार को “झगड़ों का अड्डा”, “बोझ” और “रुकावट” के रूप में दिखाया गया।* *न्यूक्लियर परिवार को “फ्रीडम”, “मॉर्डन”, “Self-made” बताकर ग्लैमराइज किया गया।* *याद कीजिए: टीवी पर कितने शो हैं जहां बहू-सास की लड़ाई दिखती है, और सॉल्यूशन होता है – “अलग हो जाओ!”* *🛍️ 2. उपभोक्तावाद के ज़रिए* *जब हर जोड़ा अलग रहने लगा:-* 🔅 *1 परिवार = अब 4 घर* 🔅 *1 टीवी = अब 4 टीवी* 🔅 *1 रसोई = अब 4 किचन सेट* 🔅 *1 कार = अब 4 स्कूटर + 2 कार* *बाजार में बूम आ गया – और समाज में टूटन।* *भारत में क्या हुआ इस “सोचलेवा हमले” के बाद?* *📉 सामाजिक पतन:-* *🔹बुज़ुर्ग अब बोझ हैं* *🔹बच्चे अकेले हैं (और स्क्रीन में गुम)* *🔹 रिश्तेदार “उपलब्ध नहीं” हैं* *🔹संस्कारों की जगह “Influencers” ने ले ली* *🤯 मानसिक स्वास्थ्य संकट:-* *🔹पहले जो बात नानी-दादी से होती थी, अब काउंसलर से होती है* *🔹अकेलापन अब इलाज़ मांगता है, पहले प्यार से दूर होता था* *📦 बाजार का फायदे:-* 🔅 *हर समस्या का एक उत्पाद* 🔅 *हर भावना का एक ऐप* 🔅 *हर उत्सव का एक* “ *ऑनलाइन ऑर्डर* ”* *“संस्कार की जगह सब्सक्रिप्शन ने ले ली है”* *🚩आज का सवाल — हम क्या बनते जा रहे हैं?* *हमने “आधुनिकता” की दौड़ में:-* *🔸संयुक्तता को “Outdated” कहा* *🔸माता-पिता को “Obstacles” कहा* *🔸परिवार को “फालतू भावना” कहा* *🔸रिश्तों को “Unfollow” कर दिया* *🚩लेकिन क्या आपने सोचा?* *🤔Amazon का फायदा तभी है जब आप Diwali पर अकेले हों — और Shopping करें, परिवार के साथ न बैठें।* *🤔Zomato तभी कमाता है जब कोई माँ का खाना नहीं खा रहा।* *🤔Netflix तभी देखेगा जब कोई दादी की कहानी नहीं सुन रहा।* *🧭 समाधान: हम अभी भी वापसी कर सकते हैं* *✔️संयुक्त परिवार को पुनः “संपत्ति” मानें, बोझ नहीं।* *✔️बच्चों को उपभोक्ता नहीं, संस्कारी इंसान बनाएं।* *✔️बुज़ुर्गों को घर से बाहर न करें — उनके अनुभव हर Google Search से ऊपर हैं।* *✔️ त्यौहार मनाएं, सामान नहीं।* *✔️अकेलापन कम करने के लिए App नहीं, अपनापन बढ़ाइए।* *🔚 निष्कर्ष:-* *“पश्चिम ने व्यापार के लिए परिवार तोड़े,और हम ‘आधुनिक’ बनने के लिए अपना वजूद बेच आए।”* *अब समय है रुकने का, सोचने का, और अपने संस्कारों को फिर से अपनाने का — नहीं तो अगली पीढ़ी को ‘संयुक्त परिवार’ शब्द का अर्थ बताने के लिए भी शायद Google की ज़रूरत पड़ेगी l #BusinessAnnouncement #winterweather #🌐 अंतर्राष्ट्रीय अपडेट #🎞️आज के वायरल अपडेट्स #✍️ जीवन में बदलाव #🙏 प्रेरणादायक विचार #📢24 नवंबर के अपडेट 🗞️
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स्नान का मतलब है : हमारे शरीर में साढ़े तीन करोड़ रोम छिद्र है जब नारायण से पूछा गया : ये साढ़े तीन करोड़ रोम छिद्र कर्मों के दिए गए हैं तो नारायण ने कहा : जब मनुष्य साढ़े तीन करोड़ बार भगवान का नाम ले लेता है तब जीवन में एक बार उसका स्नान हो पाता है “। ‘स्नान‘ और नहाने’ में बहुत अंतर है कृपया एक बार अवश्य पढ़िए🙏 क्या आप जानते हैं कि स्नान और नहाने में क्या अन्तर है :- एक बार देवी सत्यभामा ने देवी रुक्मणि से पूछा कि दीदी क्या आपको मालुम है कि श्री कृष्ण जी बार बार द्रोपदी से मिलने क्यो जाते है। कोई अपनी बहन के घर बार बार मिलने थोड़ी ना जाता है, मुझे तो लगता है कुछ गड़बड़ है, ऐसा क्या है ? जो बार बार द्रोपदी के घर जाते है । तो देवी रुक्मणि ने कहा : बेकार की बातें मत करो ये बहन भाई का पवित्र सम्बन्ध है जाओ जाकर अपना काम करो। ठाकुर जी सब समझ ग्ए । और कहीं जाने लगे तो देवी सत्यभामा ने पूछा कि प्रभु आप कहां जा रहे हो ठाकुर जी ने कहा कि मैं द्रोपदी के घर जा रहा हूं । अब तो सत्यभामा जी और बेचैन हो गई और तुरन्त देवी रुक्मणि से बोली, 'देखो दीदी फिर वही द्रोपदी के घर जा रहे हैं ‘। कृष्ण जी ने कहा कि क्या तुम भी हमारे साथ चलोगी तो सत्यभामा जी फौरन तैयार हो गई और देवी रुक्मणि से बोली कि दीदी आप भी मेरे साथ चलो और द्रोपदी को ऐसा मज़ा चखा के आएंगे कि वो जीवन भर याद रखेगी। देवी रुक्मणि भी तैयार हो गई। जब दोनों देवियां द्रोपदी के घर पहुंची तो देखा कि द्रोपदी अपने केश संवार रही थी जब द्रोपदी केश संवार रही थी तो भगवान श्री कृष्ण ने पूछा : द्रोपदी क्या कर रही हो तो द्रोपदी बोली : भैया केश संवार के अभी आई तो भगवान बोले तुम काहे को केश संवार रही हो, तुम्हारी तो दो दो भाभी आई है ये तुम्हारे केश संवारेगी फिर कृष्ण जी ने देवी सत्यभामा से कहा कि तुम जाओ और द्रोपदी के सिर में तेल लगाओ और देवी रूक्मिणी तुम जाकर द्रोपदी की चोटी करो। सत्याभाम जी ने रुक्मणि जी से कहा बड़ा अच्छा मौका मिला है ऐसा तेल लगाऊंगी कि इसकी खोपड़ी के एक - एक बाल तोड़ के रख दूंगी। और जैसे ही सत्यभामा जी ने द्रोपदी के सिर में तेल लगाना शुरु किया और एक बाल को तोड़ा तो बाल तोड़ते ही आवाज आई : “हे कृष्ण” फिर दूसरा बाल तोड़ा फिर आवाज आई : “हे कृष्ण” फिर तीसरा बाल तोड़ा तो फिर आवाज आई : “हे कृष्ण ”सत्यभामा जी को समझ नहीं आया और देवी रुक्मणि से पूछा, “दीदी आखिर ऐसी क्या बात है द्रोपदी के मस्तक से जो भी बाल तोड़ती हूं तो कृष्ण का नाम क्यों निकल कर आता है,”रुक्मणि जी बोली ,” मैं तो नहीं जानती “, पीछे से भगवान बोले : ”देवी सत्यभामा तुम देवी रुक्मणि से पूछ रही थी कि मैं दौड़ – दौड़ कर इस द्रोपदी के घर क्यो जाता हूं“, क्योंकि पूरे भूमण्डल पर, पूरी पृथ्वी पर कोई सन्त, कोई साधु, कोई संन्यासी, कोई तपस्वी, कोई साधक, कोई उपासक ऐसा नहीं हुआ जिसने एक दिन में साढ़े तीन करोड़ बार मेरा नाम लिया हो और द्रोपदी केवल ऐसी है जो एक दिन में साढ़े तीन करोड़ बार मेरा नाम लेती है। प्रति दिन स्नान करती है इसलिए उसके हर रोम में कृष्ण नजर आता है और इसलिए मैं रोज इसके पास आता हूं ।” इसे कहते हैं ‘स्नान‘ जो देवी द्रोपदी प्रतिदिन किया करती थी हम जो हर रोज साबुन, शैम्पू और तेल लगा कर अपने तन को स्वच्छ कर लिया, इसको केवल‘ नहाना ‘कहा गया है । स्नान का मतलब है : हमारे शरीर में साढ़े तीन करोड़ रोम छिद्र है जब नारायण से पूछा गया : ये साढ़े तीन करोड़ रोम छिद्र कर्मों के दिए गए हैं तो नारायण ने कहा : जब मनुष्य साढ़े तीन करोड़ बार भगवान का नाम ले लेता है तब जीवन में एक बार उसका स्नान हो पाता है “। “इसको कहते हैं स्नान” श्री कृष्ण का नाम तब तक जपते रहिए जब तक साढ़े तीन करोड़ बार भगवान का नाम ना जाप लें। हरे कृष्ण हरे कृष्ण। कृष्ण कृष्ण हरे हरे।। हरे राम हरे राम । राम राम हरे हरे।। #🙏गीता ज्ञान🛕 #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #💫ध्यान के मंत्र🧘‍♂️ #🕉️सनातन धर्म🚩 #🤗जया किशोरी जी🕉️
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सोना कभी जंग क्यों नहीं खाता? विज्ञान का सबसे चमकदार रहस्य! सोना दुनिया की सबसे कीमती धातुओं में से एक है, लेकिन इसे खास बनाती है इसकी अद्भुत स्थिरता। जहाँ लोहा जंग खा जाता है, चांदी काली पड़ जाती है, तांबा हरा हो जाता है वहीं सोना सालों नहीं, सदियों तक जस का तस रहता है। असल सवाल यह है सोना बदलता क्यों नहीं? सबसे बड़ी वजह है सोना एक Noble Metal है। ऐसी धातुएँ हवा, पानी, नमी, धूल, या पसीने से भी प्रतिक्रिया नहीं करतीं। यानी Gold का स्वभाव ही “Stable” है, इसलिए यह किसी गैस के साथ आसानी से जुड़ता नही। लोहे की तरह सोना ऑक्सीजन से नहीं मिलता, इसलिए Rust नहीं बनता। चांदी सल्फर से मिलकर काली पड़ जाती है, लेकिन सोना किसी भी Common Gas से प्रतिक्रिया करने से इनकार कर देता है। यहाँ तक कि आग में भी सोना जलता नहीं सिर्फ़ पिघलता है और फिर से चमक उठता है। इसीलिए राजा-महाराजा सोने के सिक्के गाड़ देते थे, आज भी वे ज़मीन से निकलते ही पहले दिन जैसे चमकते है। सोना सिर्फ़ कीमती नहीं यह प्रकृति की सबसे अमर धातु है। अगर चाहें तो अगला गोल्ड आर्टिकल बनाऊँ धरती पर सोना कैसे बना? इसका जन्म कहाँ हुआ? #🙄फैक्ट्स✍ #👩‍🌾खान सर मोटिवेशन💡 #👩‍🌾खान सर मोटिवेशन💡 #📰GK & करेंट अफेयर्स Students💡 #📰GK & करेंट अफेयर्स Students💡
🙄फैक्ट्स✍ - सोना कभी जंग क्यों नहीं खाता विज्ञान का सबसे चमकदार रहस्य! सोना कभी जंग क्यों नहीं खाता विज्ञान का सबसे चमकदार रहस्य! - ShareChat
#📢24 नवंबर के अपडेट 🗞️ #रात्रिस्वप्न #स्वप्नशास्त्र अगर स्वप्न ब्रह्म मुहूर्त सुबह (3 बजे से 5:30 मिनट)तक आते हैं तो वह स्वप्न आने वाले १ महीने में सत्य होते हैं। बाक़ी के सपने सच होने में विलंब होता है ।आज हम जानकारी लेंगे स्वप्न तथा उनसे प्राप्त होने वाले संभावित फल के बारे मैं:- 1- सांप दिखाई देना- धन लाभ 2- नदी देखना- सौभाग्य में वृद्धि 3- नाच-गाना देखना- अशुभ समाचार मिलने के योग 4- नीलगाय देखना- भौतिक सुखों की प्राप्ति 5- नेवला देखना- शत्रुभय से मुक्ति 6- पगड़ी देखना- मान-सम्मान में वृद्धि 7- पूजा होते हुए देखना- किसी योजना का लाभ मिलना 8- फकीर को देखना- अत्यधिक शुभ फल 9- गाय का बछड़ा देखना- कोई अच्छी घटना होना 10- वसंत ऋतु देखना- सौभाग्य में वृद्धि 11- स्वयं की बहन को देखना- परिजनों में प्रेम बढऩा 12- बिल्वपत्र देखना- धन-धान्य में वृद्धि 13- भाई को देखना- नए मित्र बनना 14- भीख मांगना- धन हानि होना 15- शहद देखना- जीवन में अनुकूलता 16- स्वयं की मृत्यु देखना- भयंकर रोग से मुक्ति 17- रुद्राक्ष देखना- शुभ समाचार मिलना 18- पैसा दिखाई- देना धन लाभ 19- स्वर्ग देखना- भौतिक सुखों में वृद्धि 20- पत्नी को देखना- दांपत्य में प्रेम बढ़ना 21- स्वस्तिक दिखाई देना- धन लाभ होना 22- हथकड़ी दिखाई देना- भविष्य में भारी संकट 23- मां सरस्वती के दर्शन- बुद्धि में वृद्धि 24- कबूतर दिखाई देना- रोग से छुटकारा 25- कोयल देखना- उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति 26- अजगर दिखाई देना- व्यापार में हानि 27- कौआ दिखाई देना- बुरी सूचना मिलना 28- छिपकली दिखाई देना- घर में चोरी होना 29- चिडिय़ा दिखाई देना- नौकरी में पदोन्नति 30- तोता दिखाई देना- सौभाग्य में वृद्धि 31- भोजन की थाली देखना- धनहानि के योग 32- इलाइची देखना- मान-सम्मान की प्राप्ति 33- खाली थाली देखना- धन प्राप्ति के योग 34- गुड़ खाते हुए देखना- अच्छा समय आने के संकेत 35- शेर दिखाई देना- शत्रुओं पर विजय 36- हाथी दिखाई देना- ऐेश्वर्य की प्राप्ति 37- कन्या को घर में आते देखना- मां लक्ष्मी की कृपा मिलना 38- सफेद बिल्ली देखना- धन की हानि 39- दूध देती भैंस देखना- उत्तम अन्न लाभ के योग 40- चोंच वाला पक्षी देखना- व्यवसाय में लाभ 41- स्वयं को दिवालिया घोषित करना- व्यवसाय चौपट होना 42- चिडिय़ा को रोते देखता- धन-संपत्ति नष्ट होना 43- चावल देखना- किसी से शत्रुता समाप्त होना 44- चांदी देखना- धन लाभ होना 45- दलदल देखना- चिंताएं बढऩा 46- कैंची देखना- घर में कलह होना 47- सुपारी देखना- रोग से मुक्ति 48- लाठी देखना- यश बढऩा 49- खाली बैलगाड़ी देखना- नुकसान होना 50- खेत में पके गेहूं देखना- धन लाभ होना 51- किसी रिश्तेदार को देखना- उत्तम समय की शुरुआत 52- तारामंडल देखना- सौभाग्य की वृद्धि 53- ताश देखना- समस्या में वृद्धि 54- तीर दिखाई- देना लक्ष्य की ओर बढऩा 55- सूखी घास देखना- जीवन में समस्या 56- भगवान शिव को देखना- विपत्तियों का नाश 57- त्रिशूल देखना- शत्रुओं से मुक्ति 58- दंपत्ति को देखना- दांपत्य जीवन में अनुकूलता 59- शत्रु देखना- उत्तम धनलाभ 60- दूध देखना- आर्थिक उन्नति 61- धनवान व्यक्ति देखना- धन प्राप्ति के योग 62- दियासलाई जलाना- धन की प्राप्ति 63- सूखा जंगल देखना- परेशानी होना 64- मुर्दा देखना- बीमारी दूर होना 65- आभूषण देखना- कोई कार्य पूर्ण होना 66- जामुन खाना- कोई समस्या दूर होना 67- जुआ खेलना- व्यापार में लाभ 68- धन उधार देना- अत्यधिक धन की प्राप्ति 69- चंद्रमा देखना- सम्मान मिलना 70- चील देखना- शत्रुओं से हानि 71- फल-फूल खाना- धन लाभ होना 72- सोना मिलना- धन हानि होना 73- शरीर का कोई अंग कटा हुआ देखना- किसी परिजन की मृत्यु के योग 74- कौआ देखना- किसी की मृत्यु का समाचार मिलना 75- धुआं देखना- व्यापार में हानि 76- चश्मा लगाना- ज्ञान में बढ़ोत्तरी 77- भूकंप देखना- संतान को कष्ट 78- रोटी खाना- धन लाभ और राजयोग 79- पेड़ से गिरता हुआ देखना किसी रोग से मृत्यु होना 80- श्मशान में शराब पीना- शीघ्र मृत्यु होना 81- रुई देखना- निरोग होने के योग 82- कुत्ता देखना- पुराने मित्र से मिलन 83- सफेद फूल देखना- किसी समस्या से छुटकारा 84- उल्लू देखना- धन हानि होना 85- सफेद सांप काटना- धन प्राप्ति 86- लाल फूल देखना- भाग्य चमकना 87- नदी का पानी पीना- सरकार से लाभ 88- धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना- यश में वृद्धि व पदोन्नति 89- कोयला देखना- व्यर्थ विवाद में फंसना 90- जमीन पर बिस्तर लगाना- दीर्घायु और सुख में वृद्धि 91- घर बनाना- प्रसिद्धि मिलना 92- घोड़ा देखना- संकट दूर होना 93- घास का मैदान देखना- धन लाभ के योग 94- दीवार में कील ठोकना- किसी बुजुर्ग व्यक्ति से लाभ 95- दीवार देखना- सम्मान बढऩा 96- बाजार देखना- दरिद्रता दूर होना 97- मृत व्यक्ति को पुकारना- विपत्ति एवं दुख मिलना 98- मृत व्यक्ति से बात करना- मनचाही इच्छा पूरी होना 99- मोती देखना- पुत्री प्राप्ति 100- लोमड़ी देखना- किसी घनिष्ट व्यक्ति से धोखा मिलना 101- गुरु दिखाई देना- सफलता मिलना 102- गोबर देखना- पशुओं के व्यापार में लाभ 103- देवी के दर्शन करना- रोग से मुक्ति 104- चाबुक दिखाई देना- झगड़ा होना 105- चुनरी दिखाई देना- सौभाग्य की प्राप्ति 106- छुरी दिखना- संकट से मुक्ति 107- बालक दिखाई देना- संतान की वृद्धि 108- बाढ़ देखना- व्यापार में हानि 109- जाल देखना- मुकद्में में हानि 110- जेब काटना- व्यापार में घाटा 111- चेक लिखकर देना- विरासत में धन मिलना 112- कुएं में पानी देखना- धन लाभ 113- आकाश देखना- पुत्र प्राप्ति 114- अस्त्र-शस्त्र देखना- मुकद्में में हार 115- इंद्रधनुष देखना- उत्तम स्वास्थ्य 116- कब्रिस्तान देखना- समाज में प्रतिष्ठा 117- कमल का फूल देखना- रोग से छुटकारा 118- सुंदर स्त्री देखना- प्रेम में सफलता 119- चूड़ी देखना- सौभाग्य में वृद्धि 120- कुआं देखना- सम्मान बढऩा 121- अनार देखना- धन प्राप्ति के योग 122- गड़ा धन दिखाना- अचानक धन लाभ 123- सूखा अन्न खाना- परेशानी बढऩा 124- अर्थी देखना- बीमारी से छुटकारा 125- झरना देखना- दु:खों का अंत होना 126- बिजली गिरना- संकट में फंसना 127- चादर देखना- बदनामी के योग 128- जलता हुआ दीया देखना- आयु में वृद्धि 129- धूप देखना- पदोन्नति और धनलाभ 130- रत्न देखना- व्यय एवं दु:ख 131- चंदन देखना- शुभ समाचार मिलना 132- जटाधारी साधु देखना- अच्छे समय की शुरुआत 133- स्वयं की मां को देखना- सम्मान की प्राप्ति 134- फूलमाला दिखाई देना- निंदा होना 135- जुगनू देखना- बुरे समय की शुरुआत 136- टिड्डी दल देखना- व्यापार में हानि 137- डाकघर देखना- व्यापार में उन्नति 138- डॉक्टर को देखना- स्वास्थ्य संबंधी समस्या 139- ढोल दिखाई देना- किसी दुर्घटना की आशंका 140- मंदिर देखना- धार्मिक कार्य में सहयोग करना 141- तपस्वी दिखाई- देना दान करना 142- तर्पण करते हुए देखना- परिवार में किसी बुर्जुग की मृत्यु 143- डाकिया देखना- दूर के रिश्तेदार से मिलना 144- तमाचा मारना- शत्रु पर विजय 145- उत्सव मनाते हुए देखना- शोक होना 146- दवात दिखाई देना- धन आगमन 147- नक्शा देखना- किसी योजना में सफलता 148- नमक देखना- स्वास्थ्य में लाभ 149- कोर्ट-कचहरी देखना- विवाद में पडऩा 150- पगडंडी देखना- समस्याओं का निराकरण 151- सीना या आंख खुजाना- धन लाभ
📢24 नवंबर के अपडेट 🗞️ - सातः फेरे तो बस दो लोगों को बांधने का सौदा है सच्चे जीवनसाथी तो मन के फेरो से ही बंधते है.. सातः फेरे तो बस दो लोगों को बांधने का सौदा है सच्चे जीवनसाथी तो मन के फेरो से ही बंधते है.. - ShareChat
#❤️जीवन की सीख खुले बाल , शोक और अशुद्दि की निशानी 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 आजकल माताये बहने फैशन के चलते कैसा अनर्थ कर रही है पुरा पढें रामायण में बताया गया है, जब देवी सीता का श्रीराम से विवाह होने वाला था, उस समय उनकी माता सुनयना ने उनके बाल बांधते हुए उनसे कहा था, विवाह उपरांत सदा अपने केश बांध कर रखना। बंधे हुए लंबे बाल आभूषण सिंगार होने के साथ साथ संस्कार व मर्यादा में रहना सिखाते हैं। ये सौभाग्य की निशानी है , एकांत में केवळ अपने पति के लिए इन्हें खोलना। हजारो लाखो वर्ष पूर्व हमारे ऋषि मुनियो ने शोध कर यह अनुभव किया कि सिर के काले बाल को पिरामिड नुमा बनाकर सिर के उपरी ओर या शिखा के उपर रखने से वह सूर्य से निकली किरणो को अवशोषित करके शरीर को ऊर्जा प्रदान करते है। जिससे चेहरे की आभा चमकदार , शरीर सुडौल व बलवान होता है। यही कारण है कि गुरुनानक देव व अन्य सिक्ख गुरूओ ने बाल रक्षा के असाधारण महत्त्व को समझकर धर्म का एक अंग ही बना लिया। लेकिन वे कभी भी बाल को खोलकर नही रखे , ऋषी मुनियो व साध्वीयो ने हमेशा बाल को बांध कर ही रखा। भारतीय आचार्यो ने बाल रक्षा का प्रयोग , साधना काल में ही किया इसलिय आज भी किसी लंबे अनुष्ठान , नवरात्री पर्व , श्रावण मास , तथा श्राद्ध पर्व आदि में नियम पूर्वक बाल रक्षा कर शक्ति अर्जन किया जाता है। महिलाओं के लिए केश सवांरना अत्यंत आवश्यक है उलझे एवं बिखरे हुए बाळ अमंगलकारी कहे गए है। - कैकेई का कोपभवन में बिखरे बालों में रुदन करना और अयोध्या का अमंगल होना। पति से वियुक्त तथा शोक में डुबी हुई स्त्री ही बाल खुले रखती है --- जैसे अशोक वाटिका में सीता रजस्वला स्त्री , खुले बाल रखती है ,जैसे --- चीर हरण से पूर्व द्रोपदी , उस वक्त द्रोपदी रजस्वला थी ,जब दुःशासन खींचकर लाया तब द्रोपदी ने प्रतीज्ञा की थी कि-- मैं अपने बाल तब बाँधुंगी जब दुःसासन के रक्त से धोऊँगी --- जब रावण देवी सीता का हरण करता है तो उन्हें केशों से पकड़ कर अपने पुष्पक विमान में ले जाता है। अत: उसका और उसके वंश का नाश हो गया। महाभारत युद्ध से पूर्व कौरवों ने द्रौपदी के बालों पर हाथ डाला था, उनका कोई भी अंश जीवित न रहा। कंस ने देवकी की आठवीं संतान को जब बालों से पटक कर मारना चाहा तो वह उसके हाथों से निकल कर महामाया के रूप में अवतरित हुई। कंस ने भी अबला के बालों पर हाथ डाला तो उसके भी संपूर्ण राज-कुल का नाश हो गया।। सौभाग्यवती स्त्री के बालों को सम्मान की निशानी कही गयी है। दक्षिण भारतीय की कुछ महिलाएं मनन्त - संकल्प आदि के चलते बाळा जी में केश मुंडन करवा लेती हैं । लेकिन भारत के अन्य क्षेत्रो में ऐसी कोई प्रथा नहीं है । कोई महिला जब विधवा हो जाती हैं तभी उनके बाल छोटे करवा दिए जाते हैं। या जो विधवा महिलाये अपने पति के अस्थि विसर्जन को तीर्थ जाती है। वे ही बाल मुंडन करवाती है । अर्थात विधवा ही मुण्डन करवाती हैं , सौभाग्यवती नहीं। गरुड पुराण के अनुसार बालों में काम का वास रहता है | बालों का बार बार स्पर्श करना दोष कारक बताया गया है। क्योकि बालों को अशुध्दी माना गया है इसलिय कोई भी जप अनुष्ठान ,चूड़ाकरण , यज्ञोपवीत, आदि-२ शुभाशुभ कृत्यों में क्षौर कर्म कराया जाता है | तथा शिखाबन्धन कर पश्चात हस्त प्रक्षालन कर शुद्ध किया जाता है। दैनिक दिनचर्या में भी स्नान पश्चात बालों में तेल लगाने के बाद उसी हाथ से शरीर के किसी भी अंग में तेल न लगाएं हाथों को धो लें। भोजन आदि में बाल आ जाय तो उस भोजन को ही हटा दिया जाता है। मुण्डन या बाळ कटाने के बाद शुद्ध स्नान आवश्यक बताया गया है। बडे यज्ञ अनुष्ठान आदि में मुंडन तथा हर शुद्धिकर्म में सभी बालो (शिरस्, मुख और कक्ष) के मुण्डन का विधान हैं । बालों के द्वारा बहुत सा तन्त्र क्रिया होती है जैसे वशीकरण यदि कोई स्त्री खुले बाल करके निर्जन स्थान या... ऐसा स्थान जहाँ पर किसी की अकाल मृत्यु हुई है.. ऐसे स्थान से गुजरती है तो अवश्य ही प्रेत बाधा का योग बन जायेगा.।। वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से महिलाये खुले बाल करके रहना चाहते हैं, और जब बाल खुले होगें तो आचरण भी स्वछंद ही होगा। अनेक वैज्ञानिको जैसे इंग्लैंड के डॉ स्टैनले हैल , अमेरिका के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ गिलार्ड थॉमस आदि ने पश्चिम देश के महिलाओ की बडी संख्या पर निरीक्षण के आधार पर लिखा कि केवल 4 प्रतिशत महिलाय ही शारीरिक रूप से पत्नी व माँ बनने के योग्य है शेष 96 प्रतिशत स्त्रिया , बाल कटाने के कारण पुरुष भाव को ग्रहण कर लेने के कारण माँ बनने के लिये अयोग्य है भारतीय महिलाओ में भी इस फैशन रुपी कुप्रथा का प्रवाह शुरु हो चुका है। 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 अभार देव शर्मा
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#🤗 अच्छी सेहत का राज *घूमना क्यों ज़रूरी है* *निम्नलिखित को पढ़ें* *लिपिड प्रोफाइल क्या है* ? एक प्रसिद्ध डॉक्टर ने *लिपिड प्रोफाइल को बहुत ही बेहतरीन ढंग से समझाया* और अनोखे तरीके से समझाने वाली एक खूबसूरत *कहानी साझा की*। `कल्पना कीजिए कि हमारा शरीर एक छोटा-सा कस्बा है। इस कस्बे में सबसे बड़े उपद्रवी हैं -` *कोलेस्ट्रॉल।* `इनके कुछ साथी भी हैं। इनका मुख्य अपराध में भागीदार है -` *ट्राइग्लिसराइड।* इनका काम है - *गलियों में घूमते रहना, अफरा-तफरी मचाना और रास्तों को ब्लॉक करना*। *दिल* इस कस्बे का *सिटी सेंटर* है। सारी सड़कें दिल की ओर जाती हैं। जब ये *उपद्रवी बढ़ने* लगते हैं तो आप समझ ही सकते हैं क्या होता है। *ये दिल के काम में रुकावट डालने की कोशिश करते हैं*। लेकिन हमारे शरीर-कस्बे के पास एक *पुलिस बल* भी तैनात है - *HDL* वो अच्छा पुलिसवाला इन उपद्रवियों को पकड़कर जेल *(लिवर)* में डाल देता है। फिर लिवर इनको शरीर से बाहर निकाल देता है – *हमारे ड्रेनेज सिस्टम के ज़रिए*। लेकिन एक बुरा पुलिसवाला भी है - *LDL* जो सत्ता का भूखा है। LDL इन *उपद्रवियों को जेल से निकालकर फिर से सड़कों पर छोड़ देता है*। जब अच्छा पुलिसवाला *HDL* कम हो जाता है तो *पूरा कस्बा अस्त-व्यस्त हो जाता है*। ऐसे कस्बे में कौन रहना चाहेगा? क्या आप इन *उपद्रवियों को कम करना और अच्छे पुलिसवालों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं*? *चलना* *शुरू कीजिए*! हर *कदम के साथ HDL* बढ़ेगा, और *कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड* और *LDL* जैसे *उपद्रवी कम होंगे*। आपका *शरीर (कस्बा) फिर से जीवंत हो उठेगा*। आपका दिल – *सिटी सेंटर – उपद्रवियों की ब्लॉकेज *(हार्ट ब्लॉक)* से सुरक्षित रहेगा। और *जब दिल स्वस्थ होगा तो आप भी स्वस्थ रहेंगे*। इसलिए जब भी मौका मिले – चलना शुरू कीजिए! *स्वस्थ रहें...* और *अच्छे स्वास्थ्य* की कामना *यह लेख HDL (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) बढ़ाने और LDL (खराब कोलेस्ट्रॉल) कम करने का बेहतरीन तरीका बताता है यानी चलना।* *हर कदम HDL को बढ़ाता है*। इसलिए – *चलो, चलो और चलते रहो।* `यह चीजें कम करें:-` 1. *नमक* 2. *चीनी* 3. *ब्लीच किया हुआ मैदा* 4. *डेयरी उत्पाद* 5. *प्रोसेस्ड फूड्स* *यह सब रोज खाएं:-* 1. *सब्जियां* 2. *दालें* 3. *बीन्स* 4. *मेवे* 5. *कोल्ड प्रेस्ड तेल* 6. *फल* *तीन चीजें जिन्हें भूलने की कोशिश करें:* 1. अपनी उम्र 2. अपना अतीत 3. अपनी शिकायतें *चार जरूरी चीजें जिन्हें अपनाएं:* 1. *अपना परिवार* 2. *अपने दोस्त* 3. *सकारात्मक सोच* 4. *स्वच्छ और स्वागत भरा घर* *तीन मूलभूत बातें जिन्हें अपनाना चाहिए:* 1. *हमेशा मुस्कराएं* 2. अपनी गति से नियमित शारीरिक गतिविधि करें 3. अपने वजन की जांच और नियंत्रण करें *छः आवश्यक जीवन-शैली जो आपको अपनानी चाहिए:* 1. पानी पीने के लिए तब तक *प्रतीक्षा न करें* जब तक आप प्यासे न हों। 2. आराम करने के लिए तब तक *प्रतीक्षा न करें* जब तक आप थके नहीं। 3. चिकित्सीय परीक्षणों के लिए तब तक *प्रतीक्षा न करें* जब तक आप बीमार न हों। 4. चमत्कारों की प्रतीक्षा न करें, *भगवान पर भरोसा रखें*। 5. कभी भी अपने आप पर से *विश्वास न खोएं*। 6. *सकारात्मक रहें* और हमेशा एक *बेहतर कल की आशा रखें*। यदि आपके मित्र हैं इस आयु सीमा में *(45-80 वर्ष)* कृपया उन्हें यह भेजें। *इस जीवन शैली को अपनाकर और स्वस्थ, हरदम मुस्कुराते रहें*🌹🤗
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#🙏 प्रेरणादायक विचार #☝ मेरे विचार #👌 अच्छी सोच👍 #🌸पॉजिटिव मंत्र #✍️ जीवन में बदलाव
🙏 प्रेरणादायक विचार - 81 t1Hi1117|541 महायुद्ध जीवन '761 81 साधारण 3114 और श्रेष्ठ 454 साधना बनाए। OGrok 81 t1Hi1117|541 महायुद्ध जीवन '761 81 साधारण 3114 और श्रेष्ठ 454 साधना बनाए। OGrok - ShareChat
॥ चन्द्र स्तोत्रम् ॥ जिन्हें मन शान्ति चाहिए, वे इसे ज़रूर पढ़ें श्वेताम्बरोज्ज्वलतनुं सितमाल्यगन्धं श्वेताश्वयुक्तरथगं सुरसेविताङ्घ्रिम्। दोर्भ्यां धृताभयगदं वरदं सुधांशुं श्रीवत्समौक्तिकधरं प्रणमामि चन्द्रम्॥१॥ कलानिधिं कान्तरूपं केयूरमकुटोज्ज्वलम्। वरदं वन्द्यचरणं वासुदेवस्य लोचनम्॥२॥ वसुधाह्लादनकरं विधुं तं प्रणमाम्यहम्। श्वेतमाल्याम्बरधरं श्वेतगन्धानुलेपनम्॥३॥ श्वेतछत्रोल्लसन्मौलिं शशिनं प्रणमाम्यहम्। सर्वं जगज्जीवयसि सुधारसमयैः करैः॥४॥ सोम देहि ममारोग्यं सुधापूरितमण्डलम्। राजा त्वं ब्राह्मणानां च रमाया अपि सोदरः॥५॥ राजा नाथश्चौषधीनां रक्ष मां रजनीकर। शङ्करस्य शिरोरत्नं शार्ङ्गिणश्च विलोचनम्॥६॥ तारकाणामधीशस्त्वं तारयाऽस्मान्महापदः। कल्याणमूर्ते वरद करुणारसवारिधे॥७॥ कलशोदधिसञ्जात कलानाथ कृपां कुरु। क्षीरार्णवसमुद्भूत चिन्तामणिसहोद्भव॥८॥ कामितार्थान् प्रदेहि त्वं कल्पद्रुमसहोदर। श्वेताम्बरः श्वेतविभूषणाढ्यो गदाधरः॥९॥ श्वेतरुचिर्द्विबाहुः चन्द्रः सुधात्मा वरदः किरीटी। श्रेयांसि मह्यं प्रददातु देवः॥१०॥ #🌸 सत्य वचन #🚩जय श्री खाटूश्याम 🙏 #🙏चारधाम यात्रा🛕 #✋भगवान भैरव🌸 #🚩सालासर बालाजी 🙏
🌸 सत्य वचन - ३ँ चंद्र देवाय नमः शचार्य अनत शंक्ल सोम देहि ममारोग्य सुधापूरितमण्डलम्। राजा त्वं ब्राह्मणानां च रमाया अपि सोदरः ।l ३ँ चंद्र देवाय नमः शचार्य अनत शंक्ल सोम देहि ममारोग्य सुधापूरितमण्डलम्। राजा त्वं ब्राह्मणानां च रमाया अपि सोदरः ।l - ShareChat
#🪔सोम प्रदोष व्रत✡️ #🌞सुप्रभात सन्देश #💕 प्यार भरी शुभकामनाएं #🌞 Good Morning🌞 #🌅 सूर्योदय शुभकामनाएं
🪔सोम प्रदोष व्रत✡️ - &्हर हर महादैव ७०8 8০@/ @IuIlNU 3 ٦٩: ١ "सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकर्न्दं हतपापवृन्दम्। वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनार्थ शरणं   प्रपद्ये।।" &्हर हर महादैव ७०8 8০@/ @IuIlNU 3 ٦٩: ١ "सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकर्न्दं हतपापवृन्दम्। वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनार्थ शरणं   प्रपद्ये।।" - ShareChat