Ashok Dass90
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अशोक दास बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की
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00:32
परमात्मा के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम....🙏 अनंत कोटि ब्रह्मांड के मालिक पूर्ण परमात्मा पूर्ण परमेश्वर सतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल महाराज के चरणों में कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम हे मालिक हे परमेश्वर दया करना प्रभु सतगुरु देव की जय हो #SpirtualLeader #satlok aashram #satlok
SpirtualLeader - शीमदगयदीता  ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम् वेदवित् ।।  छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, TL d, सः यः (ऊर्ध्वमूलम्) ऊपर को पूर्ण परमात्मा க" 7 பக 5   TII TI 7H 7T I7 आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला (अधःशाखम् ) नीचे को तीनों गुण अर्थात् নিস্য रजगुण ब्रह्मा, सतगुण व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला ( अव्ययम्) M [ अविनाशी ( अश्वत्थम् ) विस्तारित पीपल {(up का वृक्ष है, (यस्य ) जिसके ( छन्दांसि ) క్షే జ్ఞి 1 மரா ] +07 lerayea जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष 4 के भी विभाग छोटे छोटे हिस्से टहनियाँ व (पर्णानि ) पत्ते (प्राहुः ) कहे हैं (तम् ) उस संसाररूप वृक्षको (यः ) जो (वेद ) इसे विस्तार से जानता है (सः ) वह (वेदवित्) 770 Ta पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी है। SVARNAYUGA Follow @SVARNAYUGA SUPREMEGODORG ٧5 0 शीमदगयदीता  ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम् वेदवित् ।।  छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, TL d, सः यः (ऊर्ध्वमूलम्) ऊपर को पूर्ण परमात्मा க" 7 பக 5   TII TI 7H 7T I7 आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला (अधःशाखम् ) नीचे को तीनों गुण अर्थात् নিস্য रजगुण ब्रह्मा, सतगुण व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला ( अव्ययम्) M [ अविनाशी ( अश्वत्थम् ) विस्तारित पीपल {(up का वृक्ष है, (यस्य ) जिसके ( छन्दांसि ) క్షే జ్ఞి 1 மரா ] +07 lerayea जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष 4 के भी विभाग छोटे छोटे हिस्से टहनियाँ व (पर्णानि ) पत्ते (प्राहुः ) कहे हैं (तम् ) उस संसाररूप वृक्षको (यः ) जो (वेद ) इसे विस्तार से जानता है (सः ) वह (वेदवित्) 770 Ta पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी है। SVARNAYUGA Follow @SVARNAYUGA SUPREMEGODORG ٧5 0 - ShareChat
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SpirtualLeader - खार अध्याय 7 का श्लोक ११ बहूनाम जन्मनाम् अन्ते ज्ञानवान माम quur' वासुदेवः सर्वम् इति सः महात्मा  :|1191| सुदुर्लभः।  সনুনাৎ: (নচুনাম) নচুন (নন্সনাম) অন্সীক্ (গলী)  अन्तके जन्ममें ( ज्ञानवान ) तत्वज्ञानको प्राप्त (माम्) गीता अध्याय 7 श्लोक १९ में (प्रपद्यते ) भजता है (वासुदेवः ) वासुदेव अर्थात् मुझको कहा गया है कि यह बताने वाला सर्वव्यापक पूर्ण ब्रह्म ही (सर्वम्) सब कुछ है (इति) इस  प्रकार जो यह जानता हे (सः) वह (महात्मा ) महात्मा है कि केवल महात्मा तो बहुत दुर्लभ (सुदुर्लभः ) अत्यन्त दुर्लभ है। (१९) श्री मदभागवत् के " वासुदेव अर्थात् सर्वगतम् ब्रह्म (पूर्ण श्री कृष्ण  दशवें स्कंद के ५१ वें अध्याय में स्वय ने कहा है कि श्री वासुदेव का पुत्र होने के कारण मुझे वासुदेव  ब्रह्म) ही सब कुछ है। उस दुर्लभ कहते हें॰ न की सर्व का मालिक या सर्व व्यापक होने के महात्मा यानि पूर्णगुरु के विषय में कारण अर्थात् वासुदेव पूर्ण परमात्मा है। जानने के लिए देखिए Sant Rampal Ji Maharaj यूट्यूब चैनल संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क  Ct (e +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Google Play खार अध्याय 7 का श्लोक ११ बहूनाम जन्मनाम् अन्ते ज्ञानवान माम quur' वासुदेवः सर्वम् इति सः महात्मा  :|1191| सुदुर्लभः।  সনুনাৎ: (নচুনাম) নচুন (নন্সনাম) অন্সীক্ (গলী)  अन्तके जन्ममें ( ज्ञानवान ) तत्वज्ञानको प्राप्त (माम्) गीता अध्याय 7 श्लोक १९ में (प्रपद्यते ) भजता है (वासुदेवः ) वासुदेव अर्थात् मुझको कहा गया है कि यह बताने वाला सर्वव्यापक पूर्ण ब्रह्म ही (सर्वम्) सब कुछ है (इति) इस  प्रकार जो यह जानता हे (सः) वह (महात्मा ) महात्मा है कि केवल महात्मा तो बहुत दुर्लभ (सुदुर्लभः ) अत्यन्त दुर्लभ है। (१९) श्री मदभागवत् के " वासुदेव अर्थात् सर्वगतम् ब्रह्म (पूर्ण श्री कृष्ण  दशवें स्कंद के ५१ वें अध्याय में स्वय ने कहा है कि श्री वासुदेव का पुत्र होने के कारण मुझे वासुदेव  ब्रह्म) ही सब कुछ है। उस दुर्लभ कहते हें॰ न की सर्व का मालिक या सर्व व्यापक होने के महात्मा यानि पूर्णगुरु के विषय में कारण अर्थात् वासुदेव पूर्ण परमात्मा है। जानने के लिए देखिए Sant Rampal Ji Maharaj यूट्यूब चैनल संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क  Ct (e +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Google Play - ShareChat
मूल दीक्षा #satlok aashram #SpirtualLeader #satlok
satlok aashram - SALOKASHRAN HNpkA aa Ta सत्य सुकृत की रहनो रहे, अजर अमर गहै सत्यनाम मूल दोक्षा सत्य [सार) शब्द प्रवान | ] कहे कबोर सत्यनाम तथा सार शब्द की महिमा बताई है भावार्थः परमात्मा कबीर साहेब जी इसमें में रहकर  शुभ कर्म करे और मोक्ष करने के मंत्र अजर अमर करते हैं । ने कहा है कि मर्यादा वे सत्यनाम तथा सार शब्द मूल दीक्षा यानि मुख्य दीक्षा है FOLLOW US ON SATLOK ASHRAM MUNDKA OFFICIAL SAMUNDKADELHI SADELHIMUNDKA SALOKASHRAN HNpkA aa Ta सत्य सुकृत की रहनो रहे, अजर अमर गहै सत्यनाम मूल दोक्षा सत्य [सार) शब्द प्रवान | ] कहे कबोर सत्यनाम तथा सार शब्द की महिमा बताई है भावार्थः परमात्मा कबीर साहेब जी इसमें में रहकर  शुभ कर्म करे और मोक्ष करने के मंत्र अजर अमर करते हैं । ने कहा है कि मर्यादा वे सत्यनाम तथा सार शब्द मूल दीक्षा यानि मुख्य दीक्षा है FOLLOW US ON SATLOK ASHRAM MUNDKA OFFICIAL SAMUNDKADELHI SADELHIMUNDKA - ShareChat
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satlok - % নলং সন হামপাল जगतगरु महाराज नकली संत कहते है कि परमात्मा निराकार ह्ै। या तो हर्मे प्रमाण दिखाएं इसका या सर्रेडर कर दे। क्योंकि ऋग्वेद मण्डल १ सूक्त १५, मंत्र I-S के अनुसार परमात्मा दर्शनीय है और साकार व मानव सदृश है। वह राजा के समान सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है। उसका नाम कविर्देव (कबीर साहेब) है। fಿಡ್ಡ' फ्रो बुक PDF पाएं, 70000 साहेबान ! नहींसमझे SUBSCRIBE ا गीता चेद पुरण मैेसेज करं Download PDF fToMAPRRA] Factful Debates You ube 7496801822 SANT RAMPAL , Charuet f SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ % নলং সন হামপাল जगतगरु महाराज नकली संत कहते है कि परमात्मा निराकार ह्ै। या तो हर्मे प्रमाण दिखाएं इसका या सर्रेडर कर दे। क्योंकि ऋग्वेद मण्डल १ सूक्त १५, मंत्र I-S के अनुसार परमात्मा दर्शनीय है और साकार व मानव सदृश है। वह राजा के समान सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है। उसका नाम कविर्देव (कबीर साहेब) है। fಿಡ್ಡ' फ्रो बुक PDF पाएं, 70000 साहेबान ! नहींसमझे SUBSCRIBE ا गीता चेद पुरण मैेसेज करं Download PDF fToMAPRRA] Factful Debates You ube 7496801822 SANT RAMPAL , Charuet f SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
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satlok aashram - गीता का गूढ़ रहस्य प्रश्नः- काल भगवान अर्थातू ब्रह्म अविनाशी है या जन्मता =्सरता है? उत्तरः - जन्मता-मरता है। अध्याय 4 का श्लोक 5 प्रमाण के लिए देखें - (भगवान उवाच) बहूनि, मे, व्यतीतानि जन्मानि तव च, अर्जुन श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 2 श्लोक १२, तानि, अहम् वेद, सर्वाणि न त्वम वेत्थ परन्तप।।५१ गीता अध्याय 4 श्लोक 5, अनुवादः ( परन्तप) हे परन्तप (अर्जुन) अर्जुन!  (जन्मानि) मेरे (च) और (तव) तेरे (बहूनि) बहुत से गीता अध्याय १० श्लोक 2 (व्यतीतानि) हो चुके हैं। (तानि) उन ( सर्वाणि) U1  किंतु  सबको (त्वम् ) तू (न) नहीं (वेत्थ) जानता में गीता ज्ञान दाता स्वयं स्वीकार करता है कि (अहम् ) मैं (वेद ) जानता हूँ। (५)  मृत्यु होती है, मैं अविनाशी नहीं हूँ! मेरी भी जन्म व हिन्दीः हे परन्तप अर्जुन! मेरे ओर तेरे बहुत से जन्म  हो चुके हैं। उन सबको  किंतु में जानता  तू नर्हीं जानता ೯ संत रामपाल जी महाराज द्वारा ख्वुलासा # निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक अपना नॉम , पूरा पता भेजें ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji 5 SUPREMEGOD.ORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL JI MAHARAJ गीता का गूढ़ रहस्य प्रश्नः- काल भगवान अर्थातू ब्रह्म अविनाशी है या जन्मता =्सरता है? उत्तरः - जन्मता-मरता है। अध्याय 4 का श्लोक 5 प्रमाण के लिए देखें - (भगवान उवाच) बहूनि, मे, व्यतीतानि जन्मानि तव च, अर्जुन श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 2 श्लोक १२, तानि, अहम् वेद, सर्वाणि न त्वम वेत्थ परन्तप।।५१ गीता अध्याय 4 श्लोक 5, अनुवादः ( परन्तप) हे परन्तप (अर्जुन) अर्जुन!  (जन्मानि) मेरे (च) और (तव) तेरे (बहूनि) बहुत से गीता अध्याय १० श्लोक 2 (व्यतीतानि) हो चुके हैं। (तानि) उन ( सर्वाणि) U1  किंतु  सबको (त्वम् ) तू (न) नहीं (वेत्थ) जानता में गीता ज्ञान दाता स्वयं स्वीकार करता है कि (अहम् ) मैं (वेद ) जानता हूँ। (५)  मृत्यु होती है, मैं अविनाशी नहीं हूँ! मेरी भी जन्म व हिन्दीः हे परन्तप अर्जुन! मेरे ओर तेरे बहुत से जन्म  हो चुके हैं। उन सबको  किंतु में जानता  तू नर्हीं जानता ೯ संत रामपाल जी महाराज द्वारा ख्वुलासा # निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक अपना नॉम , पूरा पता भेजें ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji 5 SUPREMEGOD.ORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
https://youtube.com/watch?v=NxrqaRoqfAM&si=grv0caBlrnr6bGOM #SpirtualLeader #satlok aashram
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satlok - ४गीता 7 5எ कृष्ण ने नहीं कहा" :- कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान মুনান q समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व  कह रहा है कि लिए प्रकट हुआ हूँ। ९ लोकों को खाने के जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रा्मपाल जी महाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download dlbru निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क पुस्तक पाप्त करे के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 Goog-Pay ४गीता 7 5எ कृष्ण ने नहीं कहा" :- कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान মুনান q समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व  कह रहा है कि लिए प्रकट हुआ हूँ। ९ लोकों को खाने के जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रा्मपाल जी महाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download dlbru निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क पुस्तक पाप्त करे के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 Goog-Pay - ShareChat