Sunil Das prajapati
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#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते समय अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।‘ जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - गीता सार का श्लोक अध्याय 11 32 अस्मि, लोकक्षयकृत्, प्रवृद्धः, लोकान्, समाहर्तुम्, इह, प्रवृत्तः | कालः, ऋते, अपि, त्वाम्, न, भविष्यन्ति, सर्वे, ये, अवस्थिताः, प्रत्यनीकेषु ,  योधाः । | जी सत समपाल तत्वदर्शी जगतगुरु अनुवादित | महाराज GRI লীকী  কা नाश   करने বালা der 531 কাল ৪ুঁ इस समय इन लोकों को नष्ट करने के लिये प्रकट हुआ हूँ। इसलिये जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित योद्धा लोग हैं, तेरे युद्ध न करने से भी इन নাংা ৪ী আফঠা सबका Sant Rampal Ji Maharaj মন যসপাল সী সচাহাস সী ম App Download कीजिये  य निःशुल्क " নিঃথুলক नामदीक्षा पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्न : +91 7496801823 Gou'le Pla SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARA गीता सार का श्लोक अध्याय 11 32 अस्मि, लोकक्षयकृत्, प्रवृद्धः, लोकान्, समाहर्तुम्, इह, प्रवृत्तः | कालः, ऋते, अपि, त्वाम्, न, भविष्यन्ति, सर्वे, ये, अवस्थिताः, प्रत्यनीकेषु ,  योधाः । | जी सत समपाल तत्वदर्शी जगतगुरु अनुवादित | महाराज GRI লীকী  কা नाश   करने বালা der 531 কাল ৪ুঁ इस समय इन लोकों को नष्ट करने के लिये प्रकट हुआ हूँ। इसलिये जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित योद्धा लोग हैं, तेरे युद्ध न करने से भी इन নাংা ৪ী আফঠা सबका Sant Rampal Ji Maharaj মন যসপাল সী সচাহাস সী ম App Download कीजिये  य निःशुल्क " নিঃথুলক नामदीक्षा पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्न : +91 7496801823 Gou'le Pla SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARA - ShareChat
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा अध्याय 11 श्लोक 21 व 46 में अर्जुन कह रहा है कि भगवन्! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं, कुछ आपके मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँ। श्री कृष्ण जी तो अर्जुन के साले थे। श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था। क्या व्यक्ति अपने साले को भी नहीं जानता? इससे सिद्ध है कि गीता का ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा, काल ब्रह्म ने बोला था। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज Sant RampalJi YT Channel
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - गीता जी का ज्ञान किसने बोला? தன#1848'': সমাতা:- 'গীনা ভান ৪ী அC்பI 11 ப H4 21 ४६ में अर्जुन कह रहा शीमखगयद्रीता  अध्याय ११ श्लोक २१ व 5-1=71 07- ப~4"7177 है कि भगवन ! आप तो ऋषियों देवताओं तथा   ಹul  Hi ಭ87 JMih 1211 सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान dm|_ n3ಬ ٢ /771+7777=107~1-711~1- |11~14 Ll1rAdulಸ ur पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा [4FH1 ಠ4rn ) N6ls '   {ಂA) Ml ^ ಒIIೊAILll  1307]7 | ಚn  nisal _T- ~= अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर #೦ll u F Ll+ hಠ  hd21 "2 1ಥ.4 a r*:a ms 278 ~ 121. रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं कुछ FeetF-4 Ra tಣdty4ಡ V೯ ೯೮೮೫ -~77 ಹV m೦lnೊೊluAJlm ಣuದ 711 777 # (নমা] ঐন (441 9+35ll mIn z Muh 64 4n NL41/ आप के मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् J=ப[ / याम आाषय /f== =7 பர்்-~ா 1~-= -01 Jadlau xrdaaau 1ಭ <1.l हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज Tail: ) mmanl ೩(R೫nನhಹeti [03 {ಞ <l ।टपनन र्पन गतालिरूप /7/71741/40` रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को R51; ೩ 421 সবকীনব্ত দানয্ে বি্য চ7 বদ্া গডা 2v1ಭೊR 4v' ४luम Iतम देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँl 0 051071~ப41' जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज जानने के लिए अवश्य पढ़ें # নি:যুল্ধা পাম  पवित्र पुस्तक  अपना नॉम , पूरा पता भेजें ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER X @SAINTRAMPALJIM SANT RAMPAL JI SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ गीता जी का ज्ञान किसने बोला? தன#1848'': সমাতা:- 'গীনা ভান ৪ী அC்பI 11 ப H4 21 ४६ में अर्जुन कह रहा शीमखगयद्रीता  अध्याय ११ श्लोक २१ व 5-1=71 07- ப~4"7177 है कि भगवन ! आप तो ऋषियों देवताओं तथा   ಹul  Hi ಭ87 JMih 1211 सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान dm|_ n3ಬ ٢ /771+7777=107~1-711~1- |11~14 Ll1rAdulಸ ur पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा [4FH1 ಠ4rn ) N6ls '   {ಂA) Ml ^ ಒIIೊAILll  1307]7 | ಚn  nisal _T- ~= अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर #೦ll u F Ll+ hಠ  hd21 "2 1ಥ.4 a r*:a ms 278 ~ 121. रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं कुछ FeetF-4 Ra tಣdty4ಡ V೯ ೯೮೮೫ -~77 ಹV m೦lnೊೊluAJlm ಣuದ 711 777 # (নমা] ঐন (441 9+35ll mIn z Muh 64 4n NL41/ आप के मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् J=ப[ / याम आाषय /f== =7 பர்்-~ா 1~-= -01 Jadlau xrdaaau 1ಭ <1.l हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज Tail: ) mmanl ೩(R೫nನhಹeti [03 {ಞ <l ।टपनन र्पन गतालिरूप /7/71741/40` रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को R51; ೩ 421 সবকীনব্ত দানয্ে বি্য চ7 বদ্া গডা 2v1ಭೊR 4v' ४luम Iतम देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँl 0 051071~ப41' जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज जानने के लिए अवश्य पढ़ें # নি:যুল্ধা পাম  पवित्र पुस्तक  अपना नॉम , पूरा पता भेजें ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER X @SAINTRAMPALJIM SANT RAMPAL JI SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते समय अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।‘ जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - गीता ಹr (([ किशने बोला ? काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्वोक ३२ की है कि मैं स्थूल शरीर है॰ उसने प्रतिज्ञा में व्यक्त(मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री कालः अस्नि लौकक्षयकृत प्रवृद् , लौकान समाहतुम डह, प्रवृत्तः ऋतै, अपि त्वाम न भविष्यच्ति सर्वै, ये अचस्थिताः , प्रत्यनीकैपु यौधाः] १२२१ ] कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीवेदों का सार) भगवान उवाच  परन्तु युद्घ करवाने के लिए भी कहा अटकल बाजी में कसर नहीं छोड़़ी | अनवादः (लोकक्षयकृत ) लोकों का नाश करने  ताला ( प्रवृद्धः ) वढा हुआ ( कालः ) काल (अस्मि ) हू। जगतगु२ तत्वदर्शी (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) हुआ हू इसलिये (ये) जो (प्रत्यनीकेषु) JOC प्रतिपक्षियों की सेना मे ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हें॰ (ते) वे (सर्वे ) सव (त्वाम ) संत रामपाल जी महाराज जी से a 32 (70) (अपि) भी (न ) नही च निःशुल्क ಗ:ಶಿ@ THaET ' (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात तेरे यद्ध पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +917496801823 करने से भी इन सबका नाश हो जायेगा। ( ३२ ) SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl X @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ गीता ಹr (([ किशने बोला ? काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्वोक ३२ की है कि मैं स्थूल शरीर है॰ उसने प्रतिज्ञा में व्यक्त(मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री कालः अस्नि लौकक्षयकृत प्रवृद् , लौकान समाहतुम डह, प्रवृत्तः ऋतै, अपि त्वाम न भविष्यच्ति सर्वै, ये अचस्थिताः , प्रत्यनीकैपु यौधाः] १२२१ ] कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीवेदों का सार) भगवान उवाच  परन्तु युद्घ करवाने के लिए भी कहा अटकल बाजी में कसर नहीं छोड़़ी | अनवादः (लोकक्षयकृत ) लोकों का नाश करने  ताला ( प्रवृद्धः ) वढा हुआ ( कालः ) काल (अस्मि ) हू। जगतगु२ तत्वदर्शी (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) हुआ हू इसलिये (ये) जो (प्रत्यनीकेषु) JOC प्रतिपक्षियों की सेना मे ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हें॰ (ते) वे (सर्वे ) सव (त्वाम ) संत रामपाल जी महाराज जी से a 32 (70) (अपि) भी (न ) नही च निःशुल्क ಗ:ಶಿ@ THaET ' (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात तेरे यद्ध पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +917496801823 करने से भी इन सबका नाश हो जायेगा। ( ३२ ) SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl X @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा:- जब कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते समय अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।‘ जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज Sant RampalJi YT Channel
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान किसने कह्या? श्रीमद्गवदीता  ॰गीता ज्ञान शश्री कृष्ण प्रमाण নী নর্ভী কম্ভা' [ कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान अध्याय ११ का श्वोक ३२ जब सुनाते समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में पवित्र गीता +4-1" =ப~` Lq M ' ೊea ಣ 0mಧm,lhy KILAI बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट LL ulou. పరా 4T  हुआ हूँ। ' जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही বালা (সনট:] বনসো (কাল:] কাল [সমল] ` ।ढ। डटा सनय (लोकान) दनलोको को श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के [নলচেবল] লদ্ব বনে কাননিত্র (সমবব ] प्रतिप्ककोया की रैालिएे  च।च) जत। प्रत्यनतीकय  [Ed (ೊul) ` ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं ಊಖTape (a)a(ಹa) m (ar) ನ೩ ( Fd) Bar(aR) <1(a) afe कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। Lಖuoledm0e ন চ_লম#াদল মবকা নাহ ঢ লা9শ]] [12]  जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महयाराज जानने के लिए अवश्य पढ़ें # निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक  अपना नॉम , पूरा पता भेजें  ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARA] पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान किसने कह्या? श्रीमद्गवदीता  ॰गीता ज्ञान शश्री कृष्ण प्रमाण নী নর্ভী কম্ভা' [ कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान अध्याय ११ का श्वोक ३२ जब सुनाते समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में पवित्र गीता +4-1" =ப~` Lq M ' ೊea ಣ 0mಧm,lhy KILAI बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट LL ulou. పరా 4T  हुआ हूँ। ' जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही বালা (সনট:] বনসো (কাল:] কাল [সমল] ` ।ढ। डटा सनय (लोकान) दनलोको को श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के [নলচেবল] লদ্ব বনে কাননিত্র (সমবব ] प्रतिप्ककोया की रैालिएे  च।च) जत। प्रत्यनतीकय  [Ed (ೊul) ` ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं ಊಖTape (a)a(ಹa) m (ar) ನ೩ ( Fd) Bar(aR) <1(a) afe कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। Lಖuoledm0e ন চ_লম#াদল মবকা নাহ ঢ লা9শ]] [12]  जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महयाराज जानने के लिए अवश्य पढ़ें # निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक  अपना नॉम , पूरा पता भेजें  ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARA] - ShareChat
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा:- जब कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते समय अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।‘ जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज Sant RampalJi YT Channel
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - (@೨@ 32ಕj गiढ[ अध्याय ११ गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं।   कौन है वह काल? निःशुल्क पायें पवित्र पुरतक  पूरा पता गेजे  ज्ञान गगा अपनागाम  +91 7496801823 [ SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD.ORG SAINT KAMPAL J MAHARN (@೨@ 32ಕj गiढ[ अध्याय ११ गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं।   कौन है वह काल? निःशुल्क पायें पवित्र पुरतक  पूरा पता गेजे  ज्ञान गगा अपनागाम  +91 7496801823 [ SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD.ORG SAINT KAMPAL J MAHARN - ShareChat
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला गीता अध्याय 7 श्लोक 24-25 में गीता ज्ञान दाता प्रभु ने कहा है कि बुद्धिहीन जन समुदाय मेरे उस घटिया (अनुत्तम) अटल विधान को नहीं जानते कि मैं कभी भी मनुष्य की तरह किसी के सामने प्रकट नहीं होता। मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। गीता ज्ञान दाता श्री कृष्ण जी नहीं है क्योंकि श्री कृष्ण जी तो सर्व समक्ष साक्षात् थे। श्री कृष्ण नहीं कहते कि मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। इसलिए गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी के अन्दर प्रेतवत् प्रवेश करके काल ने बोला था। Sant RampalJi YT Channel
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - क्या काल का रूप इतना भयंकर है कि जिसे देखकर अर्जुन जैसा योद्धा भी कांपने M| 8 Cl9' यही कारण है कि पवित्र गीता जी 7 अध्याय 7 श्लोक २५ के अनुसार काल সান  ने अव्यक्त रहने की प्रतिज्ञा की। गगा पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा| 31494 और जाने गूढ़ रहस्य। संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download wlfru निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क .51 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 Google Play SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji SUPREMEGOD ORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL JI MAHARAJ क्या काल का रूप इतना भयंकर है कि जिसे देखकर अर्जुन जैसा योद्धा भी कांपने M| 8 Cl9' यही कारण है कि पवित्र गीता जी 7 अध्याय 7 श्लोक २५ के अनुसार काल সান  ने अव्यक्त रहने की प्रतिज्ञा की। गगा पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा| 31494 और जाने गूढ़ रहस्य। संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download wlfru निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क .51 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 Google Play SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji SUPREMEGOD ORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन! मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं। भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके कार्य करता है। जैसे श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं महाभारत के युद्ध में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नहीं उठाऊँगा। श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला। पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए। प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज Sant RampalJi YT Channel
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - का श्लोक 9 अध्याय कर्मचमे दिव्यम एवम यः चेत्ति तत्वतः  +_` त्यक्त्मा, देहम पुनः जन्म न एति माम एति सः अर्जुन।।  अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन। (मे) मेरे (जन्म) जन्ग (च) ओर (कर्म) कर्म (दिव्यम) दिच्य अर्थान् अलोकिक ह (ित्ति) M t [েনেস] গ্রম  (42) ` (ಪrr:) নেন  पफान लता हे।सः ) बढ देढम शरारका (त्यकचा) त्यागकर (पुनः) फिर ( जन्म। जन्मको (नएति) प्राप्नत नहा होना किनु লী মুভা কাল ক্রী নন नर्ही जानते ।माम) नुडो ही।एति) प्राप्त तोता हे। (९)  =1: अर्जुन। मैरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात् अलीकिक  डस प्रकारजो मनुष्प तत्वसे जान लता ह बह शरीरको त्यागकर फिर जन्मको पराप्त नती ठोता कितु जो मुझ काल को तत्व स नही जानत गुझ ही प्राप्त होता ह गीता जी का ज्ञान किसने बोला ? श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म गीता अध्याय दिव्य हैं भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके श्री कृष्ण " कार्य करता है जैसे जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी के युद्ध कि मैं महाभारत में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नही उठाऊँगा | श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया श्री कृष्ण " जी के जिम्मे कर दिए उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला पाप प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। संत रामपाल जी महाराज तत्वदर्शी जगतगुरु निःशुल्क  ப4 पवित्र पुस्तक अपना नाम, पूरा पता भेजें  5777 +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ का श्लोक 9 अध्याय कर्मचमे दिव्यम एवम यः चेत्ति तत्वतः  +_` त्यक्त्मा, देहम पुनः जन्म न एति माम एति सः अर्जुन।।  अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन। (मे) मेरे (जन्म) जन्ग (च) ओर (कर्म) कर्म (दिव्यम) दिच्य अर्थान् अलोकिक ह (ित्ति) M t [েনেস] গ্রম  (42) ` (ಪrr:) নেন  पफान लता हे।सः ) बढ देढम शरारका (त्यकचा) त्यागकर (पुनः) फिर ( जन्म। जन्मको (नएति) प्राप्नत नहा होना किनु লী মুভা কাল ক্রী নন नर्ही जानते ।माम) नुडो ही।एति) प्राप्त तोता हे। (९)  =1: अर्जुन। मैरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात् अलीकिक  डस प्रकारजो मनुष्प तत्वसे जान लता ह बह शरीरको त्यागकर फिर जन्मको पराप्त नती ठोता कितु जो मुझ काल को तत्व स नही जानत गुझ ही प्राप्त होता ह गीता जी का ज्ञान किसने बोला ? श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म गीता अध्याय दिव्य हैं भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके श्री कृष्ण " कार्य करता है जैसे जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी के युद्ध कि मैं महाभारत में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नही उठाऊँगा | श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया श्री कृष्ण " जी के जिम्मे कर दिए उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला पाप प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। संत रामपाल जी महाराज तत्वदर्शी जगतगुरु निःशुल्क  ப4 पवित्र पुस्तक अपना नाम, पूरा पता भेजें  5777 +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला गीता अध्याय 18 श्लोक 43 में गीता ज्ञान दाता ने क्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘‘युद्ध से न भागना’’ आदि-2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं क्षत्री होते हुए कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता। न उसकी राय श्रोता को ठीक जचेगी। वह उपहास का पात्र बनेगा। यह गीता ज्ञान ब्रह्म(काल) ने प्रेतवत् श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके बोला था। भगवान श्री कृष्ण रूप में स्वयं श्री विष्णु जी ही अवतार धार कर आए थे। Sant RampalJi YT Channel
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - 4 बोला? ण का किसने  নান गीता अध्याय १८ श्लोक ४३ में गीता ज्ञान दाता ने क्षत्री अध्याय १८ का श्लोक ४३ के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि शोर्पम तेजः धृतिः दाक्ष्यम सुद्धे च अमि अपलायनम  टानम इश्वरभात   பT 1 =715FU4311 युद्ध से न भागना' आदि 2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। अनुवादः ( शोर्पम) शूर्वीरता (तेज ) तेज (्ृतिः ) पर्म  दाक्ष्यम चतुरता (च) ओर (सुद्घे) मुद्धगे (अपि) इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ননা (ব) আায अमलायनम शागना ( दानम) दान रूचि स्वागिभाव  राद के (ईश्वरभावः ) पूर्ण परगात्माम  ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं क्षत्री होते हुए राय ही (क्षानाम) क्षन्रियके ( रवभावजम) सवाभाविक  कमी कर्म ह। (४३)  कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं ओर पुद्धमैं भी न ;িনী: থ-বৌনো নত্ ঐয ববুনো किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता| न उसकी भागना दान देना ओर पूर्ण परमात्मामटे रूचि स्वामिभाव ये  रायके सद ही क्षन्रियके स्वाभाचिक कर्म रह। राय श्रोता को ठीक जचेगी| वह उपहास का बनेगा | 4I जी में प्रवेश करके बोला था। श्री कृष्ण यह गीता ज्ञान ब्रह्म(काल) ने प्रेतवत् विष्णु भगवान श्री कृष्ण रूप में स्वयं श्री जी ही अवतार धार कर आए थे। जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये व निःशुल्क निःशुल्क नामदीक्षा " +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Googe flay 4 बोला? ण का किसने  নান गीता अध्याय १८ श्लोक ४३ में गीता ज्ञान दाता ने क्षत्री अध्याय १८ का श्लोक ४३ के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि शोर्पम तेजः धृतिः दाक्ष्यम सुद्धे च अमि अपलायनम  टानम इश्वरभात   பT 1 =715FU4311 युद्ध से न भागना' आदि 2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। अनुवादः ( शोर्पम) शूर्वीरता (तेज ) तेज (्ृतिः ) पर्म  दाक्ष्यम चतुरता (च) ओर (सुद्घे) मुद्धगे (अपि) इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ননা (ব) আায अमलायनम शागना ( दानम) दान रूचि स्वागिभाव  राद के (ईश्वरभावः ) पूर्ण परगात्माम  ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं क्षत्री होते हुए राय ही (क्षानाम) क्षन्रियके ( रवभावजम) सवाभाविक  कमी कर्म ह। (४३)  कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं ओर पुद्धमैं भी न ;িনী: থ-বৌনো নত্ ঐয ববুনো किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता| न उसकी भागना दान देना ओर पूर्ण परमात्मामटे रूचि स्वामिभाव ये  रायके सद ही क्षन्रियके स्वाभाचिक कर्म रह। राय श्रोता को ठीक जचेगी| वह उपहास का बनेगा | 4I जी में प्रवेश करके बोला था। श्री कृष्ण यह गीता ज्ञान ब्रह्म(काल) ने प्रेतवत् विष्णु भगवान श्री कृष्ण रूप में स्वयं श्री जी ही अवतार धार कर आए थे। जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये व निःशुल्क निःशुल्क नामदीक्षा " +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Googe flay - ShareChat
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला अध्याय 11 श्लोक 47 में पवित्र गीता जी को बोलने वाले प्रभु काल ने कहा है कि ‘हे अर्जुन! यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था।‘ सिद्ध हुआ कि कौरवों की सभा में विराट रूप श्री कृष्ण जी ने दिखाया था तथा कुरूक्षेत्र में युद्ध के मैदान में विराट रूप काल ने दिखाया था। नहीं तो यह नहीं कहता कि यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है। क्योंकि श्री कृष्ण जी अपना विराट रूप कौरवों की सभा में पहले ही दिखा चुके थे जो अनेकों ने देखा था। Sant RampalJi YT Channel
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - अध्याय ११ का श्लोक ४७ (भगयान उवाच मया, प्रसननेन नव अर्जुन इदम रूपम परम दर्शितम  आत्मयोगातू तेजोमयम विश्वम अनन्तम आद्यम यत् मे त्वदन्येन न {ైETaTTII471 / अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन। ( प्रसननेन) अनुग्रहपूर्वक (मया ) र्मैने ( आत्मयोगान) अपनी योगशक्तिके प्रभावसे (इदम्) यह मेरा (परम् ) परम (तेजोमयम ) तेजोमय ( आद्यम) FT सबका आदि ओर ( अनन्तम) सीमारहित ( विश्वम (रूपम) रूप (नव) नुझको ( दर्शितम) दिखलाया है (यन्) जिसे (त्वदन्येन ) तेरे अतिरिक्त दूसरे किसीने (न दृष्टपूर्वम पहले नहीं देखा था। (४७ ) हिन्दीः हे अर्जुन। अनुग्रहपूर्वक र्मैने अपनी योगशक्तिके " प्रभावसे यह मेरा परम तेजोमय सबका आदि ओर तुझ्को दिखलाया है जिसे तेरे  Fr सीमारहित  Fப गीता जीका : अतिरिक्त दूसरे किसीने पहले नहीं देखा था। ज्ञान किसने बोला? ४७ में पवित्र गीता जी को बोलने वाले प्रभु काल ने कहा है कि 'हे अर्जुन! সংযায 11 হলীকক किसी ने नहीं देखा था। ' यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त " पहले सिद्ध हुआ कि कौरवों की सभा में विराट रूप श्री कृष्ण जी ने दिखाया था तथा कुरूक्षेत्र में युद्ध के मैदान में विराट रूप काल ने दिखाया था। नहीं तो यह नहीं कहता कि यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है। क्योंकि श्री कृष्ण जी अपना विराट रूप कौरवों की सभा में पहले ही दिखा चुके थे जो अनेकों ने देखा था। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज নিঃযু্কে पवित्र पस्तक ப अपना नाम, परा पता मेजे নান যযা +91 7496801825 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI 0 @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ अध्याय ११ का श्लोक ४७ (भगयान उवाच मया, प्रसननेन नव अर्जुन इदम रूपम परम दर्शितम  आत्मयोगातू तेजोमयम विश्वम अनन्तम आद्यम यत् मे त्वदन्येन न {ైETaTTII471 / अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन। ( प्रसननेन) अनुग्रहपूर्वक (मया ) र्मैने ( आत्मयोगान) अपनी योगशक्तिके प्रभावसे (इदम्) यह मेरा (परम् ) परम (तेजोमयम ) तेजोमय ( आद्यम) FT सबका आदि ओर ( अनन्तम) सीमारहित ( विश्वम (रूपम) रूप (नव) नुझको ( दर्शितम) दिखलाया है (यन्) जिसे (त्वदन्येन ) तेरे अतिरिक्त दूसरे किसीने (न दृष्टपूर्वम पहले नहीं देखा था। (४७ ) हिन्दीः हे अर्जुन। अनुग्रहपूर्वक र्मैने अपनी योगशक्तिके " प्रभावसे यह मेरा परम तेजोमय सबका आदि ओर तुझ्को दिखलाया है जिसे तेरे  Fr सीमारहित  Fப गीता जीका : अतिरिक्त दूसरे किसीने पहले नहीं देखा था। ज्ञान किसने बोला? ४७ में पवित्र गीता जी को बोलने वाले प्रभु काल ने कहा है कि 'हे अर्जुन! সংযায 11 হলীকক किसी ने नहीं देखा था। ' यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त " पहले सिद्ध हुआ कि कौरवों की सभा में विराट रूप श्री कृष्ण जी ने दिखाया था तथा कुरूक्षेत्र में युद्ध के मैदान में विराट रूप काल ने दिखाया था। नहीं तो यह नहीं कहता कि यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है। क्योंकि श्री कृष्ण जी अपना विराट रूप कौरवों की सभा में पहले ही दिखा चुके थे जो अनेकों ने देखा था। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज নিঃযু্কে पवित्र पस्तक ப अपना नाम, परा पता मेजे নান যযা +91 7496801825 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI 0 @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला पवित्र गीता जी को बोलने वाला काल (ब्रह्म-ज्योति निरंजन) है, न कि श्री कृष्ण जी। क्योंकि श्री कृष्ण जी ने पहले कभी नहीं कहा कि मैं काल हूँ तथा बाद में कभी नहीं कहा कि मैं काल हूँ। श्री कृष्ण जी काल नहीं हो सकते। उनके दर्शन मात्र को तो दूर-दूर क्षेत्र के स्त्री तथा पुरुष तड़फा करते थे। पशु-पक्षी भी उनको प्यार करते थे। Sant RampalJi YT Channel
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - गीता ज्ञान गीता जीका ज्ञान किसने बोला पवित्र गीता जी को बोलने वाला काल (ब्रह्म-ज्योति निरंजन ) है न कि श्री कृष्ण जी। क्योंकि श्री कृष्ण जी ने पहले कभी नहीं कहा कि मैं काल हूँ तथा बाद में कभी नहीं থী কৃম্ণা ; कहा कि मैं काल हूँ । जी काल नहीं हो सकते। उनके दर्शन मात्र को तो दूर दूर क्षेत्र के स्त्री तथा पुरुष तड़फा करते थे। भी उनको प्यार करते थे। पशु-पक्षी : # पवित्र पुस्तक  निःशुल्क पायें अपना नॉम , पूरा पता भेजें 57 111 +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ गीता ज्ञान गीता जीका ज्ञान किसने बोला पवित्र गीता जी को बोलने वाला काल (ब्रह्म-ज्योति निरंजन ) है न कि श्री कृष्ण जी। क्योंकि श्री कृष्ण जी ने पहले कभी नहीं कहा कि मैं काल हूँ तथा बाद में कभी नहीं থী কৃম্ণা ; कहा कि मैं काल हूँ । जी काल नहीं हो सकते। उनके दर्शन मात्र को तो दूर दूर क्षेत्र के स्त्री तथा पुरुष तड़फा करते थे। भी उनको प्यार करते थे। पशु-पक्षी : # पवित्र पुस्तक  निःशुल्क पायें अपना नॉम , पूरा पता भेजें 57 111 +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat