Meenu Sharma
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#भक्ति भावनाएं #ईश्वर आस्था #आध्यात्मिक ज्ञान #गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #SantRampalJiMaharaj 📙 गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा:- जब कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते समय अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।‘ जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
भक्ति भावनाएं - जीता अध्याय ११ के श्षौक ३२ मैं गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं।   कौन है वह काल? निःशुल्क पायें पवित्र पुरतक  पूरा पता गेजे  ज्ञान गगा अपनागाम  +91 7496801823 fe SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD.ORG SAINT KAMPAL J MAHARN जीता अध्याय ११ के श्षौक ३२ मैं गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं।   कौन है वह काल? निःशुल्क पायें पवित्र पुरतक  पूरा पता गेजे  ज्ञान गगा अपनागाम  +91 7496801823 fe SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD.ORG SAINT KAMPAL J MAHARN - ShareChat
#ईश्वर आस्था #आध्यात्मिक ज्ञान #भक्ति भावनाएं #हिंदी साहित्य #गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #SantRampalJiMaharajYouTubeChannel #bhagavadgita #gita #krishna #arjuna #bhagawadgita #consciousness #vedanta 📙गीता अध्याय 18 श्लोक 43 में गीता ज्ञान दाता ने क्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘‘युद्ध से न भागना’’ आदि-2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं क्षत्री होते हुए कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता। न उसकी राय श्रोता को ठीक जचेगी। वह उपहास का पात्र बनेगा। यह गीता ज्ञान ब्रह्म(काल) ने प्रेतवत् श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके बोला था। भगवान श्री कृष्ण रूप में स्वयं श्री विष्णु जी ही अवतार धार कर आए थे।
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