Meenu Sharma
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https://youtube.com/watch?v=HM0LmZWt1yA&si=fXw7RuW8uX32c9ac #भक्ति भावनाएं #ईश्वर आस्था #आध्यात्मिक ज्ञान #हिंदी साहित्य #शिक्षा एवं अन्य सेवाएं
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ईश्वर आस्था - गीता का S किशने @IT? काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्लोक ३२ है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर में व्यक्त(मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री झाल , अस्गि लोकक्षयकृत प्रवृर , लोफान समाहतुम इ६ प्रवृत्तः , ऋते, अपि त्वाम न भविष्यन्ति, सर्वे, ये, अचस्थिता , प्रत्यनीकेपु योधा ] १३२ १ ] कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीवेदों का सार) कहा, परन्तु युद्ध करवाने के लिए भी भगवान उवाच  बाजी में कसर नहीं छोड़़ी | अनुवादः अटकल (लौकक्षयकृत ) लौकों का नाश करने বালা (সবৃব্ত:) বনা বসা (কাল:) কাল (গম্মি) টুঁ तत्वदर्शी जगतगु२ (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) हुआ हू इसलिये (ये) जो ( प्रत्यनीकेष ) प्रकट प्रतिपक्षियों की सेना में ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हें॰ (ते ) वै (सर्वे ) सव (त्वाम) संत रामपाल जी महाराज जी से तेरे ( ऋते ) बिना ( अपि ) भी (न ) नही च निःशुल्क নিঃথুল্ক नामदीक्षा (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात् तेरे युद्ध पुस्तक प्राप्त कसे के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 न करने से भी इन सबका नाश हो जायगा। ( ३२ ) SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI 0 SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ गीता का S किशने @IT? काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्लोक ३२ है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर में व्यक्त(मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री झाल , अस्गि लोकक्षयकृत प्रवृर , लोफान समाहतुम इ६ प्रवृत्तः , ऋते, अपि त्वाम न भविष्यन्ति, सर्वे, ये, अचस्थिता , प्रत्यनीकेपु योधा ] १३२ १ ] कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीवेदों का सार) कहा, परन्तु युद्ध करवाने के लिए भी भगवान उवाच  बाजी में कसर नहीं छोड़़ी | अनुवादः अटकल (लौकक्षयकृत ) लौकों का नाश करने বালা (সবৃব্ত:) বনা বসা (কাল:) কাল (গম্মি) টুঁ तत्वदर्शी जगतगु२ (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) हुआ हू इसलिये (ये) जो ( प्रत्यनीकेष ) प्रकट प्रतिपक्षियों की सेना में ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हें॰ (ते ) वै (सर्वे ) सव (त्वाम) संत रामपाल जी महाराज जी से तेरे ( ऋते ) बिना ( अपि ) भी (न ) नही च निःशुल्क নিঃথুল্ক नामदीक्षा (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात् तेरे युद्ध पुस्तक प्राप्त कसे के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 न करने से भी इन सबका नाश हो जायगा। ( ३२ ) SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI 0 SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat
#हिंदी साहित्य #भक्ति भावनाएं #आध्यात्मिक ज्ञान #ईश्वर आस्था #reincarnation #meditation #lordkrishna #kaal #brahm #om #dailygita #sanatandharma #SantRampalJiMaharaj 📙गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा अध्याय 11 श्लोक 21 व 46 में अर्जुन कह रहा है कि भगवन्! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं, कुछ आपके मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँ। श्री कृष्ण जी तो अर्जुन के साले थे। श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था। क्या व्यक्ति अपने साले को भी नहीं जानता? इससे सिद्ध है कि गीता का ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा, काल ब्रह्म ने बोला था। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
हिंदी साहित्य - गीता जी का ज्ञान किसने बोला? कृष्ण ने नहीं कहा": সমাতা:- 'শীনা নান ৪ী -THTப11-7-2- সলীমভ্রাননালা   में अर्जुन कह रहा 318411411 &ilh 21 d 46 | শনী ?ি বরান ব্বুমেণা এ্রিuনি ঈন্দি নীবা:1  -1- -711151 है कि भगवन ! आप तो ऋषियों , देवताओं तथा সমগমিজনেতা: ಞlalxH೦il V21l सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान भनुवादः आ]चरी।सससपा रि। देयनाओके खगृद  ావయాగా ఊ4 Tా ! ా  19 ా వౌ रप चोरे(ग -|7100 -71  पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा णाना ऋष्या्य पफसा्ासणः | माता গন মিয মমভায [Fষ ঊ ஏ- =1H [Ta) Sdd  IVamn )ara a (56/3) ` ಒH-.<ೆr अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर ٢ H कित्यारनत गादनम - --= -11ப  1057141|711 +=5:5#7-1 -பu- ~= रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं कुछ ಒ,v11 vluraHTun --4---5575~1 বিদরকুী114511 +55-5 - 017170 आप के मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् Aa" 4: @amA(nl) ' IC) 'Fಭan 74-11= =IEF JTIபY =I ப11 (क्निटिनग् गुक्ट नरण किप ६९ नया ( गदिनग  মড বনী লাম মা यर तावम।ता +EFI 77 ಧ हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज (ಔಾಾಣಗ[ಿದಕಪಕಾಣಳದಿಗತೆ [ಿನಾ)ಿತನೆ" ಹ .=="ர 151-[=7=ப1461 रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को [ಇl 44 # .6e 777ன7 तिदे दए देखना बाठता { 7 विश्वस्परूप 77 देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँl RT,r_alನaaal जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज সানন ব লিঙ গনংয এ৯ # निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें अपना नाम ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ गीता जी का ज्ञान किसने बोला? कृष्ण ने नहीं कहा": সমাতা:- 'শীনা নান ৪ী -THTப11-7-2- সলীমভ্রাননালা   में अर्जुन कह रहा 318411411 &ilh 21 d 46 | শনী ?ি বরান ব্বুমেণা এ্রিuনি ঈন্দি নীবা:1  -1- -711151 है कि भगवन ! आप तो ऋषियों , देवताओं तथा সমগমিজনেতা: ಞlalxH೦il V21l सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान भनुवादः आ]चरी।सससपा रि। देयनाओके खगृद  ావయాగా ఊ4 Tా ! ా  19 ా వౌ रप चोरे(ग -|7100 -71  पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा णाना ऋष्या्य पफसा्ासणः | माता গন মিয মমভায [Fষ ঊ ஏ- =1H [Ta) Sdd  IVamn )ara a (56/3) ` ಒH-.<ೆr अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर ٢ H कित्यारनत गादनम - --= -11ப  1057141|711 +=5:5#7-1 -பu- ~= रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं कुछ ಒ,v11 vluraHTun --4---5575~1 বিদরকুী114511 +55-5 - 017170 आप के मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् Aa" 4: @amA(nl) ' IC) 'Fಭan 74-11= =IEF JTIபY =I ப11 (क्निटिनग् गुक्ट नरण किप ६९ नया ( गदिनग  মড বনী লাম মা यर तावम।ता +EFI 77 ಧ हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज (ಔಾಾಣಗ[ಿದಕಪಕಾಣಳದಿಗತೆ [ಿನಾ)ಿತನೆ" ಹ .=="ர 151-[=7=ப1461 रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को [ಇl 44 # .6e 777ன7 तिदे दए देखना बाठता { 7 विश्वस्परूप 77 देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँl RT,r_alನaaal जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज সানন ব লিঙ গনংয এ৯ # निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें अपना नाम ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
#ईश्वर आस्था #आध्यात्मिक ज्ञान #भक्ति भावनाएं #हिंदी साहित्य #गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #SantRampalJiMaharajYouTubeChannel #bhagavadgita #gita #krishna #arjuna #bhagawadgita #consciousness #vedanta 📙 गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा:- जब कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते समय अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।‘ जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
ईश्वर आस्था - गीता सार का श्लोक अध्याय 11 32 अस्मि, लोकक्षयकृत्, प्रवृद्धः, लोकान्, समाहर्तुम्, इह, प्रवृत्तः | कालः, न, भविष्यन्ति, सर्वे, ये, अवस्थिताः, ऋते , अपि, त्वाम्, प्रत्यनीकेषु ,  योधाः । | जी सत समपाल तत्वदर्शी ಕಾ[ಾ अनुवादित | महाराज GRI লীকী  কা नाश   करने বালা der 531 কাল ৪ুঁঁ इस समय इन लोकों को नष्ट करने के लिये प्रकट हुआ हूँ। इसलिये जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित योद्धा लोग हैं, तेरे युद्ध न करने से भी इन নাংা ৪ী আফঠা सबका Sant Rampal Ji Maharaj মন যসপাল সী সচাহাস সী ম App Download कीजिये  य निःशुल्क " নিঃথুলক नामदीक्षा पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सून्न : +91 7496801823 Gou'le Pla SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALIIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARA गीता सार का श्लोक अध्याय 11 32 अस्मि, लोकक्षयकृत्, प्रवृद्धः, लोकान्, समाहर्तुम्, इह, प्रवृत्तः | कालः, न, भविष्यन्ति, सर्वे, ये, अवस्थिताः, ऋते , अपि, त्वाम्, प्रत्यनीकेषु ,  योधाः । | जी सत समपाल तत्वदर्शी ಕಾ[ಾ अनुवादित | महाराज GRI লীকী  কা नाश   करने বালা der 531 কাল ৪ুঁঁ इस समय इन लोकों को नष्ट करने के लिये प्रकट हुआ हूँ। इसलिये जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित योद्धा लोग हैं, तेरे युद्ध न करने से भी इन নাংা ৪ী আফঠা सबका Sant Rampal Ji Maharaj মন যসপাল সী সচাহাস সী ম App Download कीजिये  य निःशुल्क " নিঃথুলক नामदीक्षा पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सून्न : +91 7496801823 Gou'le Pla SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALIIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARA - ShareChat
#हिंदी साहित्य #भक्ति भावनाएं #आध्यात्मिक ज्ञान #ईश्वर आस्था #reincarnation #meditation #lordkrishna #kaal #brahm #om #dailygita #sanatandharma #SantRampalJiMaharaj 📙गीता अध्याय 7 श्लोक 24-25 में गीता ज्ञान दाता प्रभु ने कहा है कि बुद्धिहीन जन समुदाय मेरे उस घटिया (अनुत्तम) अटल विधान को नहीं जानते कि मैं कभी भी मनुष्य की तरह किसी के सामने प्रकट नहीं होता। मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। गीता ज्ञान दाता श्री कृष्ण जी नहीं है क्योंकि श्री कृष्ण जी तो सर्व समक्ष साक्षात् थे। श्री कृष्ण नहीं कहते कि मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। इसलिए गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी के अन्दर प्रेतवत् प्रवेश करके काल ने बोला था।
हिंदी साहित्य - गीता जी का ज्ञान किसने बोला? कहा है कि गीता अध्याय 7 श्लोक २४ २५ में गीता ज्ञान दाता 737 समुदाय मेरे उस घटिया (अनुत्तम) अटल विधान को बुद्धिहीन जन नहीं जानते कि मैं कभी भी मनुष्य की तरह किसी के सामने प्रकट नहीं होता। मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। अध्याय 7 का श्लोक २४ अध्याय 7 का श्लोक २५ अव्यक्तम व्यक्तिम आपन्नम् मन्यन्ते माम् अबुद्धयः।  न अरम प्रकाशः, सर्वस्य योगमायासमायृतः| " परम भावम अजानन्तः मम अव्ययम अनुत्तमम्। २४१। मूढः अयम न अभेजानाति लोकः  माम अजम 31<0071/25// अनुवादः ( अबुद्धयः ) बुद्धिहीन लोग (मम ) मेरे ( अनुत्तमम्)  अनुवादः ( अहम्) र्मै (योगमाया समावृतः ) योगमायासे अश्रेष्ठ ( अव्ययम्) अटल (परम्) परम ( भावम् भावको  छिपा हुआ ( सर्वस्य) सबके ( प्रकाशः ) प्रत्यक्ष (न ) नहीं होता  (अजानन्तः ) न जानते हुए ( अव्यक्तम) छिपे हुए अर्थात् अर्थात् अदृश्य रहता हूँ इसलिये( माम्) मुझ ( अजम्) जन्म न परोक्ष (माम् ) मुझ कालको (व्यक्तिम्) मनुष्य की तरह  लेने वाले ( अव्ययम् ) अविनाशी अटल भावको ( अयम्) यह आकार म कृष्ण अवतार ( आपन्नम) प्राप्त हुआ ( मन्यन्ते  (मूढः ) अज्ञानी ( लोकः ) जनसमुदाय संसार  নমী  मानते हें अर्थात् म कृष्ण नहीं हूँ। (२४) ( अभिजानानि ) जानता अर्थान् मुझको अवतार रूप में हिन्दी अनुवादः बुद्धिहीन लोग मेरे अश्रेष्ठ अटल  केवल आया समझता ऐ। क्योंकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से अपने हुए अर्थात् परोक्ष मुझ परम भावको न जानते हुए छिपे " पति है इसलिए इस लेता है यह  दुर्गा का । नानारपचना कालको मनुष्य की तरह आकार र्मे कृष्ण अवतार प्राप्त श्लोक में कह रहा है कि मैं श्री कृष्ण आदि की तरह दुर्गा से  हुआ मानते हें अर्थात् मै कृष्ण नर्हीं हूँ। (२४) जन्म नही लेता। (२५) केचल रिन्दी अनुवादः में योगमायासे छिपा हुआ  सबक  गीता ज्ञान दाता श्री कृष्ण जी नहीं है प्रत्यक्ष नही होता अर्थात् अदृश्य रहता हू इसलिये मुझ जन्म क्योंकि श्री कृष्ण जी तो सर्व के समक्ष न लेने वाले अविनाशी अटल भावको यह अज्ञानी  साक्षात् थे। श्री कृष्ण नहीं कहते कि मैं जनसमुदाय संसार नर्ही जानता अर्थातू मुझको अवतार रूप अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। इसलिए र्में आया समझता र। क्योंकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से यह दुर्गां का पति है इसलिए  अपने नाना रूप बना लेता है॰ गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी के अन्दर इस श्लोक में कह रहा है कि रमै श्री कृष्ण आदि की तरह प्रेतवत प्रवेश करके काल ने बोला था। दुर्गा से जन्म नहीं लेता। (२५) निःशुल्क पायें पवित्र पुरतक  पूरा पता भेजें  अपना ज्ञान गगा +91 7496801823 गीता जी का ज्ञान किसने बोला? कहा है कि गीता अध्याय 7 श्लोक २४ २५ में गीता ज्ञान दाता 737 समुदाय मेरे उस घटिया (अनुत्तम) अटल विधान को बुद्धिहीन जन नहीं जानते कि मैं कभी भी मनुष्य की तरह किसी के सामने प्रकट नहीं होता। मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। अध्याय 7 का श्लोक २४ अध्याय 7 का श्लोक २५ अव्यक्तम व्यक्तिम आपन्नम् मन्यन्ते माम् अबुद्धयः।  न अरम प्रकाशः, सर्वस्य योगमायासमायृतः| " परम भावम अजानन्तः मम अव्ययम अनुत्तमम्। २४१। मूढः अयम न अभेजानाति लोकः  माम अजम 31<0071/25// अनुवादः ( अबुद्धयः ) बुद्धिहीन लोग (मम ) मेरे ( अनुत्तमम्)  अनुवादः ( अहम्) र्मै (योगमाया समावृतः ) योगमायासे अश्रेष्ठ ( अव्ययम्) अटल (परम्) परम ( भावम् भावको  छिपा हुआ ( सर्वस्य) सबके ( प्रकाशः ) प्रत्यक्ष (न ) नहीं होता  (अजानन्तः ) न जानते हुए ( अव्यक्तम) छिपे हुए अर्थात् अर्थात् अदृश्य रहता हूँ इसलिये( माम्) मुझ ( अजम्) जन्म न परोक्ष (माम् ) मुझ कालको (व्यक्तिम्) मनुष्य की तरह  लेने वाले ( अव्ययम् ) अविनाशी अटल भावको ( अयम्) यह आकार म कृष्ण अवतार ( आपन्नम) प्राप्त हुआ ( मन्यन्ते  (मूढः ) अज्ञानी ( लोकः ) जनसमुदाय संसार  নমী  मानते हें अर्थात् म कृष्ण नहीं हूँ। (२४) ( अभिजानानि ) जानता अर्थान् मुझको अवतार रूप में हिन्दी अनुवादः बुद्धिहीन लोग मेरे अश्रेष्ठ अटल  केवल आया समझता ऐ। क्योंकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से अपने हुए अर्थात् परोक्ष मुझ परम भावको न जानते हुए छिपे " पति है इसलिए इस लेता है यह  दुर्गा का । नानारपचना कालको मनुष्य की तरह आकार र्मे कृष्ण अवतार प्राप्त श्लोक में कह रहा है कि मैं श्री कृष्ण आदि की तरह दुर्गा से  हुआ मानते हें अर्थात् मै कृष्ण नर्हीं हूँ। (२४) जन्म नही लेता। (२५) केचल रिन्दी अनुवादः में योगमायासे छिपा हुआ  सबक  गीता ज्ञान दाता श्री कृष्ण जी नहीं है प्रत्यक्ष नही होता अर्थात् अदृश्य रहता हू इसलिये मुझ जन्म क्योंकि श्री कृष्ण जी तो सर्व के समक्ष न लेने वाले अविनाशी अटल भावको यह अज्ञानी  साक्षात् थे। श्री कृष्ण नहीं कहते कि मैं जनसमुदाय संसार नर्ही जानता अर्थातू मुझको अवतार रूप अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। इसलिए र्में आया समझता र। क्योंकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से यह दुर्गां का पति है इसलिए  अपने नाना रूप बना लेता है॰ गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी के अन्दर इस श्लोक में कह रहा है कि रमै श्री कृष्ण आदि की तरह प्रेतवत प्रवेश करके काल ने बोला था। दुर्गा से जन्म नहीं लेता। (२५) निःशुल्क पायें पवित्र पुरतक  पूरा पता भेजें  अपना ज्ञान गगा +91 7496801823 - ShareChat
#ईश्वर आस्था #आध्यात्मिक ज्ञान #भक्ति भावनाएं #हिंदी साहित्य #गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #SantRampalJiMaharajYouTubeChannel #bhagavadgita #gita #krishna #arjuna #bhagawadgita #consciousness #vedanta 📙गीता अध्याय 18 श्लोक 43 में गीता ज्ञान दाता ने क्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘‘युद्ध से न भागना’’ आदि-2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं क्षत्री होते हुए कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता। न उसकी राय श्रोता को ठीक जचेगी। वह उपहास का पात्र बनेगा। यह गीता ज्ञान ब्रह्म(काल) ने प्रेतवत् श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके बोला था। भगवान श्री कृष्ण रूप में स्वयं श्री विष्णु जी ही अवतार धार कर आए थे।
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#भक्ति भावनाएं #आध्यात्मिक ज्ञान #ईश्वर आस्था #हिंदी साहित्य #गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #SantRampalJiMaharajYouTubeChannel #bhagavadgita #gita #krishna #arjuna #bhagawadgita #consciousness #vedanta 📙 गीता वाला काल कौन है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा। #reincarnation #meditation #lordkrishna #kaal #brahm #om #dailygita #sanatandharma #SantRampalJiMaharaj
भक्ति भावनाएं - पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान किसने कहा -3 1ಅ িe जानने के अवश्य ज्ञान पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा [ गगा =5777#7=1 -===-#-07` पयर छन मा SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान किसने कहा -3 1ಅ িe जानने के अवश्य ज्ञान पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा [ गगा =5777#7=1 -===-#-07` पयर छन मा SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat