Diksha Sharma
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Diksha Sharma
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Ceke murder 23 jun
#बुद्ध ज्ञान #आज का सुविचार
बुद्ध ज्ञान - 1எ २७ सिर्तबर यदिमनुष्य शुद्ध जीवन जीते हैं तो कोईभी चीज उसे नष्ट नहोीं कर सकती Diksha Sharmal 1எ २७ सिर्तबर यदिमनुष्य शुद्ध जीवन जीते हैं तो कोईभी चीज उसे नष्ट नहोीं कर सकती Diksha Sharmal - ShareChat
#जय श्री राम
जय श्री राम - Iಈಶ ಚ TTl "कोई बाल ना बांका कर सके॰ ना मिटा सके HI जिसकी रक्षा कर <6 61... श्री पवनपुत्र हनुमान -/0 Oikshothamo Iಈಶ ಚ TTl "कोई बाल ना बांका कर सके॰ ना मिटा सके HI जिसकी रक्षा कर <6 61... श्री पवनपुत्र हनुमान -/0 Oikshothamo - ShareChat
#जय बजरंगबली #सुविचार
जय बजरंगबली - 'ತತಗಾರನೆ कौन कहता है कि इंसान खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है! वास्तव में इंसान भाग्य लेकर आता है और कर्म लेकर जाता है। ٍ ৬১ @ 1 ரி Diksha Shaa   'ತತಗಾರನೆ कौन कहता है कि इंसान खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है! वास्तव में इंसान भाग्य लेकर आता है और कर्म लेकर जाता है। ٍ ৬১ @ 1 ரி Diksha Shaa - ShareChat
#जीवन की सच्चाई
जीवन की सच्चाई - {EREGIK वो पिंजरा है जहां इंसान आजाद होकर भी कैद है Diksha Sharma {EREGIK वो पिंजरा है जहां इंसान आजाद होकर भी कैद है Diksha Sharma - ShareChat
#📖 गीता उपदेश 💐
📖 गीता उपदेश 💐 - गीता उपदेश २५ सितंबर क्रोधसेभ्रमपैदाहोताहै औरम्रमरेद्रुद्धिनष्टहोती है Diksha Sharma गीता उपदेश २५ सितंबर क्रोधसेभ्रमपैदाहोताहै औरम्रमरेद्रुद्धिनष्टहोती है Diksha Sharma - ShareChat
#चाणक्य नीति
चाणक्य नीति - २५ सितंबर पीठ पीछे नुकसान पहुँचाने वाले और सामने मीठी बातें करने वाले व्यक्तिसे दूर रहुना चाहिए विहविषकेघड़ेजैसा है जो बाहुर से दूधजैसा दिखता है लिकिन अंदर विषभरा होताहै टचापक्यनीति Diksha Sharma २५ सितंबर पीठ पीछे नुकसान पहुँचाने वाले और सामने मीठी बातें करने वाले व्यक्तिसे दूर रहुना चाहिए विहविषकेघड़ेजैसा है जो बाहुर से दूधजैसा दिखता है लिकिन अंदर विषभरा होताहै टचापक्यनीति Diksha Sharma - ShareChat
#🙏📖 वाल्मीकि रामायण ✍️📕
🙏📖 वाल्मीकि रामायण ✍️📕 - २५ सितंबर यदा चिरित किल्याणी ! शुर्भ वा यदि वाङशुभम् 0 तिदेव लभते भद्रे ! कर्ता कर्मजमात्मनः।| 32 मनुष्य जैसा भी अच्छा या बुरा कर्म करता है उसे वैसा ही फल मिलता है कर्त्ता को अपने कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है वाल्मीकि रामायण Diksha Sharma २५ सितंबर यदा चिरित किल्याणी ! शुर्भ वा यदि वाङशुभम् 0 तिदेव लभते भद्रे ! कर्ता कर्मजमात्मनः।| 32 मनुष्य जैसा भी अच्छा या बुरा कर्म करता है उसे वैसा ही फल मिलता है कर्त्ता को अपने कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है वाल्मीकि रामायण Diksha Sharma - ShareChat
#चाणक्य नीति
चाणक्य नीति - २४ सितंबर मन्देडप्यमन्दतामेति संसर्गेण विपश्चितa पङ्कच्छिदः फलस्येव निकषेणाविलं पयन्ना] अर्थात बुद्धिमानों के साथ से मति मंद व्यक्ति भी बुद्धि प्राप्त कर लेते हैं जैसे रीठे के फल से उपचारित गन्दा पानी भी स्वच्छ हो जाता है चाणक्य नीति Diksha Sharma २४ सितंबर मन्देडप्यमन्दतामेति संसर्गेण विपश्चितa पङ्कच्छिदः फलस्येव निकषेणाविलं पयन्ना] अर्थात बुद्धिमानों के साथ से मति मंद व्यक्ति भी बुद्धि प्राप्त कर लेते हैं जैसे रीठे के फल से उपचारित गन्दा पानी भी स्वच्छ हो जाता है चाणक्य नीति Diksha Sharma - ShareChat