महावीर दास सिशवाला तिवाला
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महावीर दास सिशवाला तिवाला
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#गूढ़_रहस्य_गीता_का गीता अध्याय 7 श्लोक 24-25 में गीता ज्ञान दाता प्रभु ने कहा है कि बुद्धिहीन जन समुदाय मेरे उस घटिया (अनुत्तम) अटल विधान को नहीं जानते कि मैं कभी भी मनुष्य की तरह किसी के सामने प्रकट नहीं होता। मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। Sant Rampal Ji Explains Gita #👳🏼‍♂️हरियाणवी विरासत #🎤हरियाणवी संस्कृति #🚙 गज़ब के वाहन 🚴‍♀️ #😎छोरों का फैशन #💪 जिम की फोटू
👳🏼‍♂️हरियाणवी विरासत - गीता जी का ज्ञान किसने बोला? गीता अध्याय 7 श्लोक २४ २५ में गीता ज्ञान दाता प्रभु ने कहा है कि बुद्धिहीन जन समुदाय मेरे उस घटिया (अनुत्तम) अटल विधान को नहीं जानते कि मैं कभी भी मनुष्य की तरह किसी के सामने प्रकट नहीं होता। मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। अध्याय 7 का श्लोक २४ अध्याय 7 का श्लोक २५ अव्यक्तम व्यक्तिम आपन्नम मन्यन्ते न अहम प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः|  माम अबुद्धयः मूढः अयम न अभिजानाति लोकः माम अजम परम भावम अजानन्तः मम अव्ययम अनुत्तमम्। ।२४१| সন্বস /251| अनुवादः ( अबुद्धयः ) बुद्धिहीन लोग (मम ) मेरे ( अनुत्तमम्) अनुवादः ( अहम ) मै (योगमाया समावृतः ) योगमायास अश्रेष्ठ ( अव्ययम् ) अटल (परम् ) परम ( भावम् ) भावको छिपा हुआ ( सर्वस्य) सबके (प्रकाशः ) प्रत्यक्ष (न ) नहीं होता  (अजानन्तः ) न जानते हुए ( अव्यक्तम ) छिपे हुए अर्थात्  अर्थात् अदृश्य रहता हूँ इसलिये( माम् ) मुझ (अजम् ) जन्म न  परोक्ष (माम् ) मुझ कालको (व्यक्तिम् ) मनुष्य की तरह लेने वाले ( अव्ययम ) अविनाशी अटल भावको (अयम) यह आकार में कृष्ण अवतार (आपन्नम् ) प्राप्त हुआ ( मन्यन्ते) (मूढः ) अज्ञानी (लोकः ) जनसमुदाय संसार (न) नहीं मानते है अर्थात् मैं कृष्ण नहीं हूँ। (२४) (अभिजानाति) जानता अर्थात् अवतार रूप में मुझको केवल हिन्दी अनुवादः बुद्धिहीन लोग मेरे अश्रेष्ठ अटल  आया समझता है। क्योकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से अपने परम भावको न जानते हुए छिपे हुए अर्थात् परोक्ष मुझ  का पति हे इसलिए इस  नाना रूप बना लेता हे यह दुर्गा  कालको मनुष्य की तरह आकार में कृष्ण अवतार प्राप्त श्लोक में कह रहा है कि मैं श्री कृष्ण आदि की तरह  sfa हुआ मानते हैं अर्थात् मैं कृष्ण नहीं हूँ। (२४) जन्म नही लेता। (२५) केवल हिन्दी अनुवादः मैं योगमायार छिपा हुआ सबके  गीता ज्ञान दाता श्री कृष्ण जी नहीं है प्रत्यक्ष नहीं होता अर्थात् अदृश्य रहता हूँ इसलिये मुझ जन्म  क्योंकि श्री कृष्ण जी तो सर्व के समक्ष न लेने वाले अविनाशी अटल भावको यह अज्ञानी साक्षात् थे। श्री कृष्ण नहीं कहते कि मैं जनसमुदाय संसार नहीं जानता अर्थात् अवतार रूप मुझको  में आया समझता है। क्योंकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से अपनी योगमाया से छिपा रहता इसलिए ٤١ अपने नाना रूप बना लेता हे॰ यह दुर्गा का पति हे इसलिए गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी के अन्दर इस श्लोक में कह रहा है कि मैं श्री कृष्ण आदि की तरह  प्रेतवत प्रवेश करके काल ने बोला था। दुर्गा से जन्म नही लेता। (२५) 7 নি:যুল্ধে পাম पवित्र पुस्तक  अपना नाम , पूरा पता भेजें নান যযা +91 7496801823 गीता जी का ज्ञान किसने बोला? गीता अध्याय 7 श्लोक २४ २५ में गीता ज्ञान दाता प्रभु ने कहा है कि बुद्धिहीन जन समुदाय मेरे उस घटिया (अनुत्तम) अटल विधान को नहीं जानते कि मैं कभी भी मनुष्य की तरह किसी के सामने प्रकट नहीं होता। मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। अध्याय 7 का श्लोक २४ अध्याय 7 का श्लोक २५ अव्यक्तम व्यक्तिम आपन्नम मन्यन्ते न अहम प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः|  माम अबुद्धयः मूढः अयम न अभिजानाति लोकः माम अजम परम भावम अजानन्तः मम अव्ययम अनुत्तमम्। ।२४१| সন্বস /251| अनुवादः ( अबुद्धयः ) बुद्धिहीन लोग (मम ) मेरे ( अनुत्तमम्) अनुवादः ( अहम ) मै (योगमाया समावृतः ) योगमायास अश्रेष्ठ ( अव्ययम् ) अटल (परम् ) परम ( भावम् ) भावको छिपा हुआ ( सर्वस्य) सबके (प्रकाशः ) प्रत्यक्ष (न ) नहीं होता  (अजानन्तः ) न जानते हुए ( अव्यक्तम ) छिपे हुए अर्थात्  अर्थात् अदृश्य रहता हूँ इसलिये( माम् ) मुझ (अजम् ) जन्म न  परोक्ष (माम् ) मुझ कालको (व्यक्तिम् ) मनुष्य की तरह लेने वाले ( अव्ययम ) अविनाशी अटल भावको (अयम) यह आकार में कृष्ण अवतार (आपन्नम् ) प्राप्त हुआ ( मन्यन्ते) (मूढः ) अज्ञानी (लोकः ) जनसमुदाय संसार (न) नहीं मानते है अर्थात् मैं कृष्ण नहीं हूँ। (२४) (अभिजानाति) जानता अर्थात् अवतार रूप में मुझको केवल हिन्दी अनुवादः बुद्धिहीन लोग मेरे अश्रेष्ठ अटल  आया समझता है। क्योकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से अपने परम भावको न जानते हुए छिपे हुए अर्थात् परोक्ष मुझ  का पति हे इसलिए इस  नाना रूप बना लेता हे यह दुर्गा  कालको मनुष्य की तरह आकार में कृष्ण अवतार प्राप्त श्लोक में कह रहा है कि मैं श्री कृष्ण आदि की तरह  sfa हुआ मानते हैं अर्थात् मैं कृष्ण नहीं हूँ। (२४) जन्म नही लेता। (२५) केवल हिन्दी अनुवादः मैं योगमायार छिपा हुआ सबके  गीता ज्ञान दाता श्री कृष्ण जी नहीं है प्रत्यक्ष नहीं होता अर्थात् अदृश्य रहता हूँ इसलिये मुझ जन्म  क्योंकि श्री कृष्ण जी तो सर्व के समक्ष न लेने वाले अविनाशी अटल भावको यह अज्ञानी साक्षात् थे। श्री कृष्ण नहीं कहते कि मैं जनसमुदाय संसार नहीं जानता अर्थात् अवतार रूप मुझको  में आया समझता है। क्योंकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से अपनी योगमाया से छिपा रहता इसलिए ٤١ अपने नाना रूप बना लेता हे॰ यह दुर्गा का पति हे इसलिए गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी के अन्दर इस श्लोक में कह रहा है कि मैं श्री कृष्ण आदि की तरह  प्रेतवत प्रवेश करके काल ने बोला था। दुर्गा से जन्म नही लेता। (२५) 7 নি:যুল্ধে পাম पवित्र पुस्तक  अपना नाम , पूरा पता भेजें নান যযা +91 7496801823 - ShareChat
#गूढ़_रहस्य_गीता_का क्या काल का रूप इतना भयंकर है कि जिसे देखकर अर्जुन जैसा योद्धा भी कांपने लगा। क्या यही कारण है कि पवित्र गीता जी अध्याय 7 श्लोक 25 के अनुसार काल ने अव्यक्त रहने की प्रतिज्ञा की। अवश्य पढ़े पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा और जाने गूढ़ रहस्य। Sant Rampal Ji Explains Gita #👳🏼‍♂️हरियाणवी विरासत #🎤हरियाणवी संस्कृति #🤩प्यार के रंग #🥰सच्चा प्यार #💞ईमानदार साथी💏🏻
👳🏼‍♂️हरियाणवी विरासत - क्या काल का रूप इतना भयंकर है कि जिसे देखकर अर्जुन जैसा योद्धा भी कांपने MT| "್ಲ क्या यही कारण है कि पवित्र गीता जी अध्याय 7 श्लोक २५ के अनुसार काल SIT6 अव्यक्त रहने की प्रतिज्ञा की| गगा న 414444] " Frrs ر  अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा| और जानें गूढ़ रहस्य | মন যামপাল সী সমাহাস সী যী Sant Rampal Ji Maharaj App Download wlfె निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क GET ITON संपर्क सूत्र : Play पुस्तक प्राप्त करने के लिये ' Google +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD.ORG SAINT RAMPAL Ji MAHARAJ क्या काल का रूप इतना भयंकर है कि जिसे देखकर अर्जुन जैसा योद्धा भी कांपने MT| "್ಲ क्या यही कारण है कि पवित्र गीता जी अध्याय 7 श्लोक २५ के अनुसार काल SIT6 अव्यक्त रहने की प्रतिज्ञा की| गगा న 414444] Frrs ر  अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा| और जानें गूढ़ रहस्य | মন যামপাল সী সমাহাস সী যী Sant Rampal Ji Maharaj App Download wlfె निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क GET ITON संपर्क सूत्र : Play पुस्तक प्राप्त करने के लिये ' Google +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD.ORG SAINT RAMPAL Ji MAHARAJ - ShareChat
गीता अध्याय 11 के श्लोक 32 में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला "बढ़ा हुआ काल हूं।" कौन है वह काल.!? अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा" जिसमें दिखाए गए है सभी गूढ़ रहस्य। #गूढ़_रहस्य_गीता_का -Sant Rampal Ji Explains Gita #👨‍👩‍👦‍👦मेरा परिवार #🤳 मेरी सेल्फी #🎤मेरी कविता-शायरी #🤷‍♀️मैं इब्बै के करूँ हूँ? #😇मेरा गाम
👨‍👩‍👦‍👦मेरा परिवार - गीता अध्याय ११ के श्षलीक ३२ में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं।   कौन है वह काल? ? निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक  अपना नामः पराःपता भेज ज्ञान गगा +91 7496801823 fl SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL J @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARA गीता अध्याय ११ के श्षलीक ३२ में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं।   कौन है वह काल? ? निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक  अपना नामः पराःपता भेज ज्ञान गगा +91 7496801823 fl SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL J @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARA - ShareChat
गीता अध्याय 11 के श्लोक 32 में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला "बढ़ा हुआ काल हूं।" कौन है वह काल.!? अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा" जिसमें दिखाए गए है सभी गूढ़ रहस्य। #गूढ़_रहस्य_गीता_का -Sant Rampal Ji Explains Gita #🏃🏼‍♂️1600 मी. रेस फैन🏃🏼‍♂️ #I ❤️️ इंडियन आर्मी🪖 #🪖हरियाणवी फौजी #🇮🇳देशभक्ति स्टेटस #😄फ़ौजी-फ़ौजण चुटकुले
🏃🏼‍♂️1600 मी. रेस फैन🏃🏼‍♂️ - गीता अध्याय ११ के श्षलीक ३२ में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं।   कौन है वह काल? ? निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक  अपना नामः पराःपता भेज ज्ञान गगा +91 7496801823 fl SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL J @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARA गीता अध्याय ११ के श्षलीक ३२ में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं सभी लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ काल हूं।   कौन है वह काल? ? निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक  अपना नामः पराःपता भेज ज्ञान गगा +91 7496801823 fl SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL J @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARA - ShareChat
#गूढ़_रहस्य_गीता_का क्या आप जानते हैं कि गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत करने को मना किया गया है। अधिक जानकारी के लिए देखें Factful Debates YouTube Channel -Sant Rampal Ji Explains Gita #👨‍👩‍👦‍👦मेरा परिवार #🤷‍♀️मैं इब्बै के करूँ हूँ? #😇मेरा गाम #🎤मेरी कविता-शायरी #🤳 मेरी सेल्फी
👨‍👩‍👦‍👦मेरा परिवार - खूल गया राच् गीता का कुरुक्षेत्र के मैदान में हुई तगडी़ बहस क्या आप जानते हैं कि गीता अध्याय 6 श्लोक १६ में व्रत करने को मना किया गया है। अधिक जानकारी के लिए देखें vonube खास वीडियो Factful Debates Foeoates  YouTube चैनल पर। SUBSCRIBE हिन्दू Tgml I0MHLIAI 000 Mom साहेबान! नहींसमझे PDFuIL SUBSCRIBE চিডযাান] गीता वेद. पुराण ಈಚರ ಹೆ TLIe -777` 6  fTOmAPARAJ DowloadPDFfrom Factful Debates Youlube 7496801822 SANTRAMPAL Channel खूल गया राच् गीता का कुरुक्षेत्र के मैदान में हुई तगडी़ बहस क्या आप जानते हैं कि गीता अध्याय 6 श्लोक १६ में व्रत करने को मना किया गया है। अधिक जानकारी के लिए देखें vonube खास वीडियो Factful Debates Foeoates  YouTube चैनल पर। SUBSCRIBE हिन्दू Tgml I0MHLIAI 000 Mom साहेबान! नहींसमझे PDFuIL SUBSCRIBE চিডযাান] गीता वेद. पुराण ಈಚರ ಹೆ TLIe -777` 6  fTOmAPARAJ DowloadPDFfrom Factful Debates Youlube 7496801822 SANTRAMPAL Channel - ShareChat
#गूढ़_रहस्य_गीता_का गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा’ अध्याय 11 श्लोक 21 व 46 में अर्जुन कह रहा है कि भगवन्! आप तो ऋषियों,देवताओं तथा सिद्धों को भी खा रहे हो,जो आप का ही गुणगान पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर रहे .... #😎छोरों का फैशन #🚙 गज़ब के वाहन 🚴‍♀️ #⌚छोरों की घड़ियाँ #💪 जिम की फोटू #👳🏼‍♂️हरियाणवी विरासत
😎छोरों का फैशन - गीता जी का ज्ञान किसने बोला? प्रमाणः- ' गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा" : எப11==ச21 সীসভ্রয়নন্বীলা में अर्जुन कह रहा अध्याय ११ श्लोक २१ व ४६ अमी ।ित्याम सरसपा विरन्ति केचित भीतात  णन्ति स्वस्त इति उकचा  ٥٢« ٥٢٢٥ है कि भगवन् ! आप तो ऋषियों , देवताओं तथा मार्वीिमि ख्सामा स्ुतिमि् पुष्कलाभिह्ना२११  सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान अनुवादः ( मा) वेती ( सरसपा ढि) देवता ओके समूत (nr JIvi (aaH) mamradaಠ ( hnr {u' (भीता ) भपभीत तोकर (पारलतपः ) ताप जोदे ( पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा तपा (महपिमिदसणा ) मतयि णन्त करत  n मर सिद्वोक समुदाप (स्पस्नि) फत्पाण ठो ।नि) एमा ।पुकताभि ) उत्तम उत्तम (्तुतिभि) /4711] 474 JTun 11 రా "T గిరీ  अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर स्तोन्नोद्वारा (लाम) आपकी  स्तृति करते त। फिर सदान्त किरीटिनम " गदिनम चक़रस्तम उच्ामि त्वाम दष्टम  Mlamma7 m7m1(21) . வ रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं कुछ तिन्दीः वेही देवताओके समूह आपर्म प्रवेश करते 6 भार तथा एनतेन एव रपेण नतभजन सहतवाही भव कुर भपभीत तोकर ताप जोडे उच्चारण करते ते तमा  নিষদুন  14611 महर्पि ओर सिद्धोके समुदाय कत्पाण हो ऐसा कहकर आप के मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् मनुवादः (अहम) # (नuा) देसे (एa) हो (त्याम मापको  स्तोर्पोद्वाय आपकी स्तृति करतेह। फिर झी -- (किरीटिनम मुकुट पारण किन्मे दए तपा (गटिनम JTTT నౌగ 717 గ7 বক্কবলমূ] গভা আব বব্ধ ভাএম নির্দর ভ্রব (ভঞ্ভন] উত্তনা  हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज (िदसनीह न हसा हर् (विद्वमळीपे तिन एकउर्सी  (यत भुणन ~पण) पतभजरप्ने पकेट (भव) होडचे। (४६)  रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को तिन्दीः न चेसेठी आपक पारण किपे दुए तपा गदा  तिपे एप चाहता दहे विश्वस्वरूपा  ٥   दचना 7 देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँ। 17|+1171179 311571 "71 जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज जानने के लिए अवश्य पढ़ें చ్లే निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक नान अपना नॉम , पूरा पता भेजें  Opn ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl SUPREMEGODORG  @SAINTRAMPALJIM MAHARAJ SAINT RAMPAL Ji गीता जी का ज्ञान किसने बोला? प्रमाणः- ' गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा" : எப11==ச21 সীসভ্রয়নন্বীলা में अर्जुन कह रहा अध्याय ११ श्लोक २१ व ४६ अमी ।ित्याम सरसपा विरन्ति केचित भीतात  णन्ति स्वस्त इति उकचा  ٥٢« ٥٢٢٥ है कि भगवन् ! आप तो ऋषियों , देवताओं तथा मार्वीिमि ख्सामा स्ुतिमि् पुष्कलाभिह्ना२११  सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान अनुवादः ( मा) वेती ( सरसपा ढि) देवता ओके समूत (nr JIvi (aaH) mamradaಠ ( hnr {u' (भीता ) भपभीत तोकर (पारलतपः ) ताप जोदे ( पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा तपा (महपिमिदसणा ) मतयि णन्त करत  n मर सिद्वोक समुदाप (स्पस्नि) फत्पाण ठो ।नि) एमा ।पुकताभि ) उत्तम उत्तम (्तुतिभि) /4711] 474 JTun 11 రా "T గిరీ  अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर स्तोन्नोद्वारा (लाम) आपकी  स्तृति करते त। फिर सदान्त किरीटिनम " गदिनम चक़रस्तम उच्ामि त्वाम दष्टम  Mlamma7 m7m1(21) . வ रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं कुछ तिन्दीः वेही देवताओके समूह आपर्म प्रवेश करते 6 भार तथा एनतेन एव रपेण नतभजन सहतवाही भव कुर भपभीत तोकर ताप जोडे उच्चारण करते ते तमा  নিষদুন  14611 महर्पि ओर सिद्धोके समुदाय कत्पाण हो ऐसा कहकर आप के मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् मनुवादः (अहम) # (नuा) देसे (एa) हो (त्याम मापको  स्तोर्पोद्वाय आपकी स्तृति करतेह। फिर झी -- (किरीटिनम मुकुट पारण किन्मे दए तपा (गटिनम JTTT నౌగ 717 గ7 বক্কবলমূ] গভা আব বব্ধ ভাএম নির্দর ভ্রব (ভঞ্ভন] উত্তনা  हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज (िदसनीह न हसा हर् (विद्वमळीपे तिन एकउर्सी  (यत भुणन ~पण) पतभजरप्ने पकेट (भव) होडचे। (४६)  रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को तिन्दीः न चेसेठी आपक पारण किपे दुए तपा गदा  तिपे एप चाहता दहे विश्वस्वरूपा  ٥   दचना 7 देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँ। 17|+1171179 311571 "71 जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज जानने के लिए अवश्य पढ़ें చ్లే निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक नान अपना नॉम , पूरा पता भेजें  Opn ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl SUPREMEGODORG  @SAINTRAMPALJIM MAHARAJ SAINT RAMPAL Ji - ShareChat
#गूढ़_रहस्य_गीता_का गीता अध्याय 18 श्लोक 43 में गीता ज्ञान दाता ने क्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘‘युद्ध से न भागना’’ आदि-2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। Sant Rampal Ji Explains Gita #👨‍👩‍👦‍👦मेरा परिवार #🤳 मेरी सेल्फी #🤷‍♀️मैं इब्बै के करूँ हूँ? #😇मेरा गाम #🎤मेरी कविता-शायरी
👨‍👩‍👦‍👦मेरा परिवार - गीता जी का ज्ञान किसने बोला? अध्याय २८ का म्लोक ४३ शौर्पम तेजः धृतिः दाक्ष्यम पुद्धेच अपि अपलापनम " दानम ईश्वरभायः शषात्राम कर्म स्वभावजम्।  ४३१|  अनुवादः ( शोर्पम) शूर्चीरता (तेज ) तेज (धृतिः ) चैर्य  (दाक्ष्यम ) चतुरता (च) और (पुद्धे) युद्ध्मे ( अपि) भी॰ (अपलायनम) न भागना (दानम ) दान देना (च) ओर  (ईश्वरभावः ) पूर्ण परमात्माम ` रूचि स्वामिभाव ये सब के सयती (क्षान्नाम क्षन्रियके (स्वभावजम) स्वाभाविक (कर्म) कर्म हे। (४३) हिन्दीः शूर्चीरता तेज चैर्य चतुरता ओर पुद्घर्मे भी न  भागना दान देना और पूर्ण परमात्मामत रूचि स्वामिभाव ये सब के सवही क्षत्रियके स्वाभाविक कर्म हे। गीता अध्याय १८ श्लोक ४३ में गीता ज्ञान दाता ने श्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि " युद्ध से न भागना ' आदि- 2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं | इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं श्षत्री होते हुए कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता। न उसकी राय श्रोता को ठीक जचेगी | वह उपहास का पात्र बनेगा | यह गीता ज्ञान ब्रह्म (काल) ने प्रेतवत् श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके बोला था। भगवान श्री कृष्ण विष्णु 7 रूप में स्वयं श्री जी ही अवतार धार कर आए थे। -जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ನ್ಲ निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें नाम अपना +91 7496801825 f SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM MAHARAJ SAINT RAMPAL Jl गीता जी का ज्ञान किसने बोला? अध्याय २८ का म्लोक ४३ शौर्पम तेजः धृतिः दाक्ष्यम पुद्धेच अपि अपलापनम " दानम ईश्वरभायः शषात्राम कर्म स्वभावजम्।  ४३१|  अनुवादः ( शोर्पम) शूर्चीरता (तेज ) तेज (धृतिः ) चैर्य  (दाक्ष्यम ) चतुरता (च) और (पुद्धे) युद्ध्मे ( अपि) भी॰ (अपलायनम) न भागना (दानम ) दान देना (च) ओर  (ईश्वरभावः ) पूर्ण परमात्माम ` रूचि स्वामिभाव ये सब के सयती (क्षान्नाम क्षन्रियके (स्वभावजम) स्वाभाविक (कर्म) कर्म हे। (४३) हिन्दीः शूर्चीरता तेज चैर्य चतुरता ओर पुद्घर्मे भी न  भागना दान देना और पूर्ण परमात्मामत रूचि स्वामिभाव ये सब के सवही क्षत्रियके स्वाभाविक कर्म हे। गीता अध्याय १८ श्लोक ४३ में गीता ज्ञान दाता ने श्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि " युद्ध से न भागना ' आदि- 2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं | इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं श्षत्री होते हुए कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता। न उसकी राय श्रोता को ठीक जचेगी | वह उपहास का पात्र बनेगा | यह गीता ज्ञान ब्रह्म (काल) ने प्रेतवत् श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके बोला था। भगवान श्री कृष्ण विष्णु 7 रूप में स्वयं श्री जी ही अवतार धार कर आए थे। -जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ನ್ಲ निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें नाम अपना +91 7496801825 f SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM MAHARAJ SAINT RAMPAL Jl - ShareChat
#गूढ़_रहस्य_गीता_का गीता अध्याय 18 श्लोक 43 में गीता ज्ञान दाता ने क्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘‘युद्ध से न भागना’’ आदि-2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। Sant Rampal Ji Explains Gita #🧆समोसा-कचोरी #🍧 कुछ मीठा हो जाए #🥣 टेस्टी खाणे की विधि #🥞पराठे #🍎 फल -फ्रूट 🍇
🧆समोसा-कचोरी - गीता जी का ज्ञान किसने बोला? अध्याय २८ का म्लोक ४३ शौर्पम तेजः धृतिः दाक्ष्यम पुद्धेच अपि अपलापनम " दानम ईश्वरभायः शषात्राम कर्म स्वभावजम्।  ४३१|  अनुवादः ( शोर्पम) शूर्चीरता (तेज ) तेज (धृतिः ) चैर्य  (दाक्ष्यम ) चतुरता (च) और (पुद्धे) युद्ध्मे ( अपि) भी॰ (अपलायनम) न भागना (दानम ) दान देना (च) ओर  (ईश्वरभावः ) पूर्ण परमात्माम ` रूचि स्वामिभाव ये सब के सयती (क्षान्नाम क्षन्रियके (स्वभावजम) स्वाभाविक (कर्म) कर्म हे। (४३) हिन्दीः शूर्चीरता तेज चैर्य चतुरता ओर पुद्घर्मे भी न  भागना दान देना और पूर्ण परमात्मामत रूचि स्वामिभाव ये सब के सवही क्षत्रियके स्वाभाविक कर्म हे। गीता अध्याय १८ श्लोक ४३ में गीता ज्ञान दाता ने श्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि " युद्ध से न भागना ' आदि- 2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं | इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं श्षत्री होते हुए कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता। न उसकी राय श्रोता को ठीक जचेगी | वह उपहास का पात्र बनेगा | यह गीता ज्ञान ब्रह्म (काल) ने प्रेतवत् श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके बोला था। भगवान श्री कृष्ण विष्णु 7 रूप में स्वयं श्री जी ही अवतार धार कर आए थे। -जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ನ್ಲ निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें नाम अपना +91 7496801825 f SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM MAHARAJ SAINT RAMPAL Jl गीता जी का ज्ञान किसने बोला? अध्याय २८ का म्लोक ४३ शौर्पम तेजः धृतिः दाक्ष्यम पुद्धेच अपि अपलापनम " दानम ईश्वरभायः शषात्राम कर्म स्वभावजम्।  ४३१|  अनुवादः ( शोर्पम) शूर्चीरता (तेज ) तेज (धृतिः ) चैर्य  (दाक्ष्यम ) चतुरता (च) और (पुद्धे) युद्ध्मे ( अपि) भी॰ (अपलायनम) न भागना (दानम ) दान देना (च) ओर  (ईश्वरभावः ) पूर्ण परमात्माम ` रूचि स्वामिभाव ये सब के सयती (क्षान्नाम क्षन्रियके (स्वभावजम) स्वाभाविक (कर्म) कर्म हे। (४३) हिन्दीः शूर्चीरता तेज चैर्य चतुरता ओर पुद्घर्मे भी न  भागना दान देना और पूर्ण परमात्मामत रूचि स्वामिभाव ये सब के सवही क्षत्रियके स्वाभाविक कर्म हे। गीता अध्याय १८ श्लोक ४३ में गीता ज्ञान दाता ने श्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि " युद्ध से न भागना ' आदि- 2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं | इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं श्षत्री होते हुए कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता। न उसकी राय श्रोता को ठीक जचेगी | वह उपहास का पात्र बनेगा | यह गीता ज्ञान ब्रह्म (काल) ने प्रेतवत् श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके बोला था। भगवान श्री कृष्ण विष्णु 7 रूप में स्वयं श्री जी ही अवतार धार कर आए थे। -जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ನ್ಲ निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें नाम अपना +91 7496801825 f SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM MAHARAJ SAINT RAMPAL Jl - ShareChat
#गूढ़_रहस्य_गीता_का Jayoti Niranjan (Kaal) Never Appears in his original Form In Bhagavad Gita Chapter 7 Verse 24, God Brahm is saying that the fools do not not know my bad permanent nature (Kaal-form). #I ❤️️ इंडियन आर्मी🪖 #🏃🏼‍♂️1600 मी. रेस फैन🏃🏼‍♂️ #😄फ़ौजी-फ़ौजण चुटकुले #🪖हरियाणवी फौजी #🇮🇳देशभक्ति स्टेटस
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#गूढ़_रहस्य_गीता_का In Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 46, Arjun is saying that I wish to see you as before, adomed with a crown, holding a mace and discus in hand. 'O one with the universal from! Thousand-armed! Please appear again in that four-armed form. #🍎 फल -फ्रूट 🍇 #🍧 कुछ मीठा हो जाए #🧆समोसा-कचोरी #💞ईमानदार साथी💏🏻 #🥰सच्चा प्यार
🍎 फल -फ्रूट 🍇 - WHO SPOKE THE KNOWLEDGE OF THE GITA?| 46, In Bhagavad Gita Chapter 11 Verse श्रीमद्धगवद्नीता  Arjun is saying that wish to see you as before, adorned with a crown, holding a mace and discus in hand '೦ one with the universal form! Thousand-armed! Please appear again in that four-armed form. With this, it is proved that the giver of the knowledge of Gita has thousand arms. The one with four arms can make two arms, but not a thousand. The one with a thousand arms can make four-arms, two-arms. ~JagatGuru Tattvadarshi Sant Rampal Ji Maharaj 8 Get Free Book. To know more, Gyan read sacred Book Send Name Address to Ganga Gyan Ganga +91 7496801823 {5 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ WHO SPOKE THE KNOWLEDGE OF THE GITA?| 46, In Bhagavad Gita Chapter 11 Verse श्रीमद्धगवद्नीता  Arjun is saying that wish to see you as before, adorned with a crown, holding a mace and discus in hand '೦ one with the universal form! Thousand-armed! Please appear again in that four-armed form. With this, it is proved that the giver of the knowledge of Gita has thousand arms. The one with four arms can make two arms, but not a thousand. The one with a thousand arms can make four-arms, two-arms. ~JagatGuru Tattvadarshi Sant Rampal Ji Maharaj 8 Get Free Book. To know more, Gyan read sacred Book Send Name Address to Ganga Gyan Ganga +91 7496801823 {5 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat