Sudha Rawat
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#🙏कर्म क्या है❓
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01:29
#🙏कर्म क्या है❓
🙏कर्म क्या है❓ - अध्याय 4 का श्लोक 9 जन्म कर्म च मे॰ दिव्यम एवम् यः वेत्ति तत्त्वतः  त्यक्त्वा देहम् पुनः जन्म न एति माम् एति सः, अर्जुन।।  911 अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन! (मे) मेरे (जन्म) जन्म (च) (दिव्यम्) दिव्य अर्थात् अलौकिक है और (कर्म) कर्म (एवम्) इस प्रकार (यः ) जो मनुष्य (तत्त्वतः ) तत्वसे (वेत्ति) जान लेता है (सः ) वह (देहम् ) शरीरको (त्यक्त्वा ) त्यागकर किंतु (पुनः) फिर (जन्म) जन्मको (न एति) प्राप्त नहीं होता जो मुझ काल को तत्व से नहीं जानते (माम् ) मुझे ही (एति) प्राप्त होता है। (९) हिन्दीः हे अर्जुन। मेरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात् अलौकिक हैं इस प्रकार जो मनुष्य तत्वसे जान लेता है वह शरीरको त्यागकर फिर जन्मको प्राप्त नहीं होता किंतु जो मुझ काल को तत्व से नहीं जानते मुझे ही प्राप्त होता है। गीता जी का ज्ञान किसने बोला ? गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश নিম্স $ करके कार्य करता है जैसे श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं महाभारत के युद्ध में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नही उठाऊँगा श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए। उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ద్దే निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक =] अपना नॉम , पूरा पता भेजें गचा ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER [ SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD ORG SAINT RAMPAL Ji MAHARAJ अध्याय 4 का श्लोक 9 जन्म कर्म च मे॰ दिव्यम एवम् यः वेत्ति तत्त्वतः  त्यक्त्वा देहम् पुनः जन्म न एति माम् एति सः, अर्जुन।।  911 अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन! (मे) मेरे (जन्म) जन्म (च) (दिव्यम्) दिव्य अर्थात् अलौकिक है और (कर्म) कर्म (एवम्) इस प्रकार (यः ) जो मनुष्य (तत्त्वतः ) तत्वसे (वेत्ति) जान लेता है (सः ) वह (देहम् ) शरीरको (त्यक्त्वा ) त्यागकर किंतु (पुनः) फिर (जन्म) जन्मको (न एति) प्राप्त नहीं होता जो मुझ काल को तत्व से नहीं जानते (माम् ) मुझे ही (एति) प्राप्त होता है। (९) हिन्दीः हे अर्जुन। मेरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात् अलौकिक हैं इस प्रकार जो मनुष्य तत्वसे जान लेता है वह शरीरको त्यागकर फिर जन्मको प्राप्त नहीं होता किंतु जो मुझ काल को तत्व से नहीं जानते मुझे ही प्राप्त होता है। गीता जी का ज्ञान किसने बोला ? गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश নিম্স $ करके कार्य करता है जैसे श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं महाभारत के युद्ध में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नही उठाऊँगा श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए। उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ద్దే निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक =] अपना नॉम , पूरा पता भेजें गचा ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER [ SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD ORG SAINT RAMPAL Ji MAHARAJ - ShareChat
#🙏कर्म क्या है❓
🙏कर्म क्या है❓ - गीता जी का ज्ञान 2 किसने बोला गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन! जन्म और कर्म दिव्य हैं। भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके कार्य करता है। जैसे श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं महाभारत के युद्ध में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नहीं उठाऊँगा | श्री कृष्ण में काल प्रवेश होकर रथ का पहिया उठाकर ब्रह्म ने अनेकों सैनिकों को मार डाला। पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए। प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज "್ಲ निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक ज्ञान अपना नामॅ पूरा पता भेजें गगा गगा 5| +91 7496801825 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG  SAINT RAMPAL JI MAHARAJ गीता जी का ज्ञान 2 किसने बोला गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन! जन्म और कर्म दिव्य हैं। भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके कार्य करता है। जैसे श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं महाभारत के युद्ध में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नहीं उठाऊँगा | श्री कृष्ण में काल प्रवेश होकर रथ का पहिया उठाकर ब्रह्म ने अनेकों सैनिकों को मार डाला। पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए। प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज "್ಲ निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक ज्ञान अपना नामॅ पूरा पता भेजें गगा गगा 5| +91 7496801825 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG  SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
#🙏कर्म क्या है❓
🙏कर्म क्या है❓ - गीता जी का ज्ञान किसने बोला? गीता अध्याय 7 श्लोक २४ २५ में गीता ज्ञान दाता प्रभु ने कहा है कि बुद्धिहीन जन समुदाय मेरे उस घटिया (अनुत्तम) अटल विधान को नहीं जानते कि मैं कभी भी मनुष्य की तरह किसी के सामने प्रकट नहीं होता। मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। अध्याय 7 का श्लोक २४ अध्याय 7 का श्लोक २५ व्यक्तिम् आपन्नम् मन्यन्ते माम् अबुद्धयः।  न अहम प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः अव्यक्तम मूढः, अयम् न अभिजानाति लोकः माम् अजम परम् भावम अजानन्तः मम अव्ययम अनुत्तमम्। ।२४।। 31a4II25I4 अनुवादः ( अबुद्धयः ) बुद्धिहीन लोग (मम ) मेरे (अनुत्तमम्) अनुवादः ( अहम्) मैं (योगमाया समावृतः ) योगमायासे अश्रेष्ठ ( अव्ययम् ) अटल (परम् ) परम ( भावम्) भावको  छिपा हुआ ( सर्वस्य) सबके (प्रकाशः ) प्रत्यक्ष (न) नहीं होता  (अजानन्तः ) न जानते हुए (अव्यक्तम् ) छिपे हुए अर्थात् अर्थात् अदृश्य रहता हूँ इसलिये( माम् ) मुझ ( अजम् ) जन्म न परोक्ष (माम् ) मुझ कालको (व्यक्तिम् ) मनुष्य की तरह  लेने वाले ( अव्ययम् ) अविनाशी अटल भावको ( अयम्) यह आकार में कृष्ण अवतार ( आपन्नम् ) प्राप्त हुआ (मन्यन्ते) (मूढः ) अज्ञानी ( लोकः ) जनसमुदाय संसार (न) नहीं मानते हैं अर्थात् मैं कृष्ण नहीं हूँ। (२४) (अभिजानाति) जानता अर्थात् अवतार रूप में मुझको केवल हिन्दी अनुवादः बुद्धिहीन लोग मेरे अश्रेष्ठ अटल  आया समझता है। क्योंकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से अपने fd g9 परम भावको न जानते हुए अर्थात् परोक्ष मुझ दुर्गा का पति है इसलिए इस  नाना रूप बना लेता हे यह कालको मनुष्य की तरह आकार में कृष्ण अवतार प्राप्त श्लोक में कह रहा है कि मैं श्री कृष्ण आदि की तरह दुर्गा से  हुआ मानते हैं अर्थात् मैं कृष्ण नहीं हूँ। (२४) नहीं लेता। (२५) ச केवल हिन्दी अनुवादः मैं योगमायासे छिपा हुआ सबके  दाता श्री कृष्ण जी नहीं है गीता ज्ञान हूँ इसलिये मुझ जन्म प्रत्यक्ष नहीं होता अर्थात् अदृश्य रहता क्योंकि श्री कृष्ण जी तो सर्व के समक्ष न लेने वाले अविनाशी अटल भावको यह अज्ञानी साक्षात् थे। श्री कृष्ण नहीं कहते कि मैं जनसमुदाय संसार नहीं जानता अर्थात् मुझको  अवतार रूप में आया समझता है। क्योंकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। इसलिए यह दुर्गा का पति है इसलिए অপন নানা ভপ ননা লনা ট; गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी के अन्दर इस श्लोक में कह रहा है कि मैं श्री कृष्ण आदि की तरह प्रेतवत प्रवेश करके काल ने बोला था। जन्म नहीं लेता। (२५) दुर्गा से  "್ಲ ಗ:ಶ೯ಾ' पायें पवित्र पुस्तक अपना नॉम, पूरा पता भेजें নান যযা +91 7496801823 गीता जी का ज्ञान किसने बोला? गीता अध्याय 7 श्लोक २४ २५ में गीता ज्ञान दाता प्रभु ने कहा है कि बुद्धिहीन जन समुदाय मेरे उस घटिया (अनुत्तम) अटल विधान को नहीं जानते कि मैं कभी भी मनुष्य की तरह किसी के सामने प्रकट नहीं होता। मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। अध्याय 7 का श्लोक २४ अध्याय 7 का श्लोक २५ व्यक्तिम् आपन्नम् मन्यन्ते माम् अबुद्धयः।  न अहम प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः अव्यक्तम मूढः, अयम् न अभिजानाति लोकः माम् अजम परम् भावम अजानन्तः मम अव्ययम अनुत्तमम्। ।२४।। 31a4II25I4 अनुवादः ( अबुद्धयः ) बुद्धिहीन लोग (मम ) मेरे (अनुत्तमम्) अनुवादः ( अहम्) मैं (योगमाया समावृतः ) योगमायासे अश्रेष्ठ ( अव्ययम् ) अटल (परम् ) परम ( भावम्) भावको  छिपा हुआ ( सर्वस्य) सबके (प्रकाशः ) प्रत्यक्ष (न) नहीं होता  (अजानन्तः ) न जानते हुए (अव्यक्तम् ) छिपे हुए अर्थात् अर्थात् अदृश्य रहता हूँ इसलिये( माम् ) मुझ ( अजम् ) जन्म न परोक्ष (माम् ) मुझ कालको (व्यक्तिम् ) मनुष्य की तरह  लेने वाले ( अव्ययम् ) अविनाशी अटल भावको ( अयम्) यह आकार में कृष्ण अवतार ( आपन्नम् ) प्राप्त हुआ (मन्यन्ते) (मूढः ) अज्ञानी ( लोकः ) जनसमुदाय संसार (न) नहीं मानते हैं अर्थात् मैं कृष्ण नहीं हूँ। (२४) (अभिजानाति) जानता अर्थात् अवतार रूप में मुझको केवल हिन्दी अनुवादः बुद्धिहीन लोग मेरे अश्रेष्ठ अटल  आया समझता है। क्योंकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से अपने fd g9 परम भावको न जानते हुए अर्थात् परोक्ष मुझ दुर्गा का पति है इसलिए इस  नाना रूप बना लेता हे यह कालको मनुष्य की तरह आकार में कृष्ण अवतार प्राप्त श्लोक में कह रहा है कि मैं श्री कृष्ण आदि की तरह दुर्गा से  हुआ मानते हैं अर्थात् मैं कृष्ण नहीं हूँ। (२४) नहीं लेता। (२५) ச केवल हिन्दी अनुवादः मैं योगमायासे छिपा हुआ सबके  दाता श्री कृष्ण जी नहीं है गीता ज्ञान हूँ इसलिये मुझ जन्म प्रत्यक्ष नहीं होता अर्थात् अदृश्य रहता क्योंकि श्री कृष्ण जी तो सर्व के समक्ष न लेने वाले अविनाशी अटल भावको यह अज्ञानी साक्षात् थे। श्री कृष्ण नहीं कहते कि मैं जनसमुदाय संसार नहीं जानता अर्थात् मुझको  अवतार रूप में आया समझता है। क्योंकि ब्रह्म अपनी शब्द शक्ति से अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। इसलिए यह दुर्गा का पति है इसलिए অপন নানা ভপ ননা লনা ট; गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी के अन्दर इस श्लोक में कह रहा है कि मैं श्री कृष्ण आदि की तरह प्रेतवत प्रवेश करके काल ने बोला था। जन्म नहीं लेता। (२५) दुर्गा से  "್ಲ ಗ:ಶ೯ಾ' पायें पवित्र पुस्तक अपना नॉम, पूरा पता भेजें নান যযা +91 7496801823 - ShareChat
#🙏कर्म क्या है❓
🙏कर्म क्या है❓ - शीता का ज्ञान किशने बोला काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्वोक ३२ है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर में व्यक्तमानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने अस्मि, लोकक्षयकृत, प्रवृद्ध , लोकान, समाहतुम, इह, प्रवृत्तः, सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री কালঃ ऋते, अपि त्वाम न भविष्यत्ति सर्वे ये, अवस्थिता , प्रत्यनीकेषु यौधाः] १३२१ १ कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीषवेदों का सार) (भगवान उवाच ) कहा, परन्तु युद्ध करवाने के लिए भी अटकल बाजी में कसर नहीं छोड़ी | अनवादः (लोकक्षयकृत ) लोकों का नाश करने वाला ( प्रवृद्धः ) बढा हुआ (कालः ) काल (अस्मि) हूँ। draడaff जगतगु२ (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) प्रकट हुआ हूँ इसलिये (ये) जो ( प्रत्यनीकेष् ) प्रतिपक्षियों की सेना में ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हैं॰ (ते) वे (सवे ) सव (त्वाम् ) संत रामपाल जी महाराज जी से ৯২ (ন্ধন) নিলা (সণি) afl (ল) লgী व निःशुल्क নিঃথুল্ক ; नामदीक्षा ' (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात् तेरे युद्ध संपर्क सूत्र : +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये करने से भी इन सबका नाश हो जायेगा। (३२ ) 0ౌ 1 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ शीता का ज्ञान किशने बोला काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्वोक ३२ है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर में व्यक्तमानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने अस्मि, लोकक्षयकृत, प्रवृद्ध , लोकान, समाहतुम, इह, प्रवृत्तः, सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री কালঃ ऋते, अपि त्वाम न भविष्यत्ति सर्वे ये, अवस्थिता , प्रत्यनीकेषु यौधाः] १३२१ १ कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीषवेदों का सार) (भगवान उवाच ) कहा, परन्तु युद्ध करवाने के लिए भी अटकल बाजी में कसर नहीं छोड़ी | अनवादः (लोकक्षयकृत ) लोकों का नाश करने वाला ( प्रवृद्धः ) बढा हुआ (कालः ) काल (अस्मि) हूँ। draడaff जगतगु२ (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) प्रकट हुआ हूँ इसलिये (ये) जो ( प्रत्यनीकेष् ) प्रतिपक्षियों की सेना में ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हैं॰ (ते) वे (सवे ) सव (त्वाम् ) संत रामपाल जी महाराज जी से ৯২ (ন্ধন) নিলা (সণি) afl (ল) লgী व निःशुल्क নিঃথুল্ক ; नामदीक्षा ' (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात् तेरे युद्ध संपर्क सूत्र : +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये करने से भी इन सबका नाश हो जायेगा। (३२ ) 0ౌ 1 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat
#🙏कर्म क्या है❓
🙏कर्म क्या है❓ - पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान किसने कह्ा? श्रीमद्भगवद्गीता 71 Ju 1 ॰गीता ज्ञान शश्री कृष्ण प्रमाण ने नर्ही कहा ' -  कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान अध्याय ११ का श्लोक ३२ जब समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में पवित्र गीता सुनाते : কাল; সমি লীককঃকৃণ সন#: লাককান মদাচবুদ SE; সমূরব:; प्रत्यनीफप  সব; সদি লাস ন সবিষ্মবি মর্ব ঐ সমথিনা: T`ul:l I,7I/ . बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि 'अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट (भगवान उताच ) अनवादः (लोकक्षयकृत ) लोकों का नाश  हुआ हूँ। ' जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही करने वाला (प्रवृद्धः ) चढ़ा हुआ (कालः ) काल (अस्मि ) हू। (इह ) डस समय ( लोकान ) डन लोकों को श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये ( प्रवृत्तः ) हैडनसालि टे(वो ्थित ( प्रत्य्थतकेयाध प्रतिप्रक्षयहॅकी प्रकट ক্রী (3dftIdT:) fald (uTaT:) ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं योद्धा लोग हैं॰ (ते ) वे (सरवे ) सव (त्वाम ) तेरे ( ऋते ) विना ( अपि ) भी (न ) नही (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात तेरे युद्ध कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँl करने से भी इन सबका नाश हो जायगा। (३२ ) जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज जानने के लिए अवश्य पढ़ें [ "್ಲ 06 निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक जञान अपना नॉम , पूरा पता भेजें गगा ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALIM SUPREMEG0D.ORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान किसने कह्ा? श्रीमद्भगवद्गीता 71 Ju 1 ॰गीता ज्ञान शश्री कृष्ण प्रमाण ने नर्ही कहा ' -  कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान अध्याय ११ का श्लोक ३२ जब समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में पवित्र गीता सुनाते : কাল; সমি লীককঃকৃণ সন#: লাককান মদাচবুদ SE; সমূরব:; प्रत्यनीफप  সব; সদি লাস ন সবিষ্মবি মর্ব ঐ সমথিনা: T`ul:l I,7I/ . बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि 'अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट (भगवान उताच ) अनवादः (लोकक्षयकृत ) लोकों का नाश  हुआ हूँ। ' जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही करने वाला (प्रवृद्धः ) चढ़ा हुआ (कालः ) काल (अस्मि ) हू। (इह ) डस समय ( लोकान ) डन लोकों को श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये ( प्रवृत्तः ) हैडनसालि टे(वो ्थित ( प्रत्य्थतकेयाध प्रतिप्रक्षयहॅकी प्रकट ক্রী (3dftIdT:) fald (uTaT:) ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं योद्धा लोग हैं॰ (ते ) वे (सरवे ) सव (त्वाम ) तेरे ( ऋते ) विना ( अपि ) भी (न ) नही (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात तेरे युद्ध कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँl करने से भी इन सबका नाश हो जायगा। (३२ ) जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज जानने के लिए अवश्य पढ़ें [ "್ಲ 06 निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक जञान अपना नॉम , पूरा पता भेजें गगा ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALIM SUPREMEG0D.ORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat
#🙏कर्म क्या है❓
🙏कर्म क्या है❓ - गीता जीका ज्ञान किसने बोला? সমাতা:- 'গীনা নান সী কৃষ্া ন নম্ী কমা": अध्याय ११का म्लोक २२ श्रीमद्धगवद्गीता  में अर्जुन कह रहा अध्याय ११ श्लवोक २१ व ४६ ক্রবিণ  पटा आावासकारगहन अमी॰ हि त्वाम सुरसंघा विशन्ति भीताः| ~ णन्ति स्वस्ति रति उक्त्वा  Mxurus. है कि भगवन् ! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा मुहुवरिसि द्घसामा स्तुतिभिः पुष्कलाभिः१२१११  स्तवन्ति  अनुवादः (अमी) चे ही ( सुरसंघा हि) देवताओंके समूह  सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान (त्वाम) आपर्में (विशन्ति) प्रवेश करते हे ओर (केचित्। कुछ (भीताः ) भयभीत होकर (प्राभजलयः ) हाथ जोड़ पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा (महर्षिसिद्धसंघाः ) महर्षि  उच्चारण करते हें तथा ्णन्ति। सिद्धोंके समुदाय ( स्वस्ति) कल्याण हो॰ (इति) ऐसा  Hh (उवत्वा) कहकर (पुष्कलाभिः ) उत्तम उत्तम ( स्तुतिभिः) अध्याय ११ का श्लोक ४६ अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर स्तोत्रोद्वारा (त्वाम् ) आपकी ( स्तुवन्ति) स्तुति करते हैं। फिर " किरीटिनम् गदिनम चक़्हस्तम इच्छामि त्वाम द्रष्टम भी आप उ्न्हे खा रहे हो। (२१) अहम रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं, कुछ हिन्दीः वे ही देवताओके समूर आपर्में प्रवेश करते हे ओर तथा एव तेन एव रूपेण चतु्भुजेन सहसबाहो भव कुछ भयभीत होकर  जोड़े उच्चारण करते रहै तथा हाथ  [440//4611 महर्षि ओर सिद्धोके समुदाय कल्याण हो ऐसा कहकर  आप के मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् उत्तम उत्तम रनोर्त्रोद्वारा आपकी स्नुति करते र्हे। फिर भी॰ अनुवादः ( अहम्) र्मै (तथा) वैरो (एव) ही (त्वाम्) आपको . (किरीटिनम्) मुकुट धारण किये हुए तथा ( गदिनम् " उन्हे खा रहे हो।  चकहस्तम) गदा और चक लिये हुए (द्रिष्टम) देखना " हाथम हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज (द्सनाह चाहसा हरँ तविश्ठमू ती घे तिश्नरकूएसी  रूपेण) चतुर्भुजरूपसे प्रकट  होडये।  (46) ( चतर्भजेन - [মণ]  रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को हिन्दीः मैं चेसे ही आपको मुकुट धारण किये हुए तथा गदा " लिये हुए देखना चाहता हूँ ओर चक विश्वरवरूप हाथर्म देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँ। हे सहस्स्रवाहो! आप उसी चतुर्भुजरूपसे प्रकट होडये।  जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज जनने के लिए अवश्य पढ़ें 8 निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक =161` अपना नॉम , पूरा पता भेजें Olor নান যযাা +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ गीता जीका ज्ञान किसने बोला? সমাতা:- 'গীনা নান সী কৃষ্া ন নম্ী কমা": अध्याय ११का म्लोक २२ श्रीमद्धगवद्गीता  में अर्जुन कह रहा अध्याय ११ श्लवोक २१ व ४६ ক্রবিণ  पटा आावासकारगहन अमी॰ हि त्वाम सुरसंघा विशन्ति भीताः| ~ णन्ति स्वस्ति रति उक्त्वा  Mxurus. है कि भगवन् ! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा मुहुवरिसि द्घसामा स्तुतिभिः पुष्कलाभिः१२१११  स्तवन्ति  अनुवादः (अमी) चे ही ( सुरसंघा हि) देवताओंके समूह  सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान (त्वाम) आपर्में (विशन्ति) प्रवेश करते हे ओर (केचित्। कुछ (भीताः ) भयभीत होकर (प्राभजलयः ) हाथ जोड़ पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा (महर्षिसिद्धसंघाः ) महर्षि  उच्चारण करते हें तथा ्णन्ति। सिद्धोंके समुदाय ( स्वस्ति) कल्याण हो॰ (इति) ऐसा  Hh (उवत्वा) कहकर (पुष्कलाभिः ) उत्तम उत्तम ( स्तुतिभिः) अध्याय ११ का श्लोक ४६ अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर स्तोत्रोद्वारा (त्वाम् ) आपकी ( स्तुवन्ति) स्तुति करते हैं। फिर " किरीटिनम् गदिनम चक़्हस्तम इच्छामि त्वाम द्रष्टम भी आप उ्न्हे खा रहे हो। (२१) अहम रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं, कुछ हिन्दीः वे ही देवताओके समूर आपर्में प्रवेश करते हे ओर तथा एव तेन एव रूपेण चतु्भुजेन सहसबाहो भव कुछ भयभीत होकर  जोड़े उच्चारण करते रहै तथा हाथ  [440//4611 महर्षि ओर सिद्धोके समुदाय कल्याण हो ऐसा कहकर  आप के मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् उत्तम उत्तम रनोर्त्रोद्वारा आपकी स्नुति करते र्हे। फिर भी॰ अनुवादः ( अहम्) र्मै (तथा) वैरो (एव) ही (त्वाम्) आपको . (किरीटिनम्) मुकुट धारण किये हुए तथा ( गदिनम् " उन्हे खा रहे हो।  चकहस्तम) गदा और चक लिये हुए (द्रिष्टम) देखना " हाथम हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज (द्सनाह चाहसा हरँ तविश्ठमू ती घे तिश्नरकूएसी  रूपेण) चतुर्भुजरूपसे प्रकट  होडये।  (46) ( चतर्भजेन - [মণ]  रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को हिन्दीः मैं चेसे ही आपको मुकुट धारण किये हुए तथा गदा " लिये हुए देखना चाहता हूँ ओर चक विश्वरवरूप हाथर्म देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँ। हे सहस्स्रवाहो! आप उसी चतुर्भुजरूपसे प्रकट होडये।  जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज जनने के लिए अवश्य पढ़ें 8 निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक =161` अपना नॉम , पूरा पता भेजें Olor নান যযাা +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat
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🙏कर्म क्या है❓ - रोहतक SANEWS उत्तरप्रदेश NEWS BREAKING ऐतिहासिक सम्मान खाप पंचायत की तरफ से जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी को महम चौबीसी खाप पंचायत द्वारा किया गया सम्मानित| SANews Channel Follow us Oni SA News UP SANBWSin रोहतक SANEWS उत्तरप्रदेश NEWS BREAKING ऐतिहासिक सम्मान खाप पंचायत की तरफ से जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी को महम चौबीसी खाप पंचायत द्वारा किया गया सम्मानित| SANews Channel Follow us Oni SA News UP SANBWSin - ShareChat