Swati Jambhul
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Parmpita Parmatma Kabir Bhagvan🙇‍♀️🙏
Kabir is god...🙏🙇‍♀️ #🙏गुरु महिमा😇
🙏गुरु महिमा😇 - 50 सावधान औ शीलता, सदा प्रफुल्लित गात निर्विकार गंभीर मत , धीरज दया बरसात 11 कबीर साहेब जी कहते हैं कि साधु- संत सदा ही सचेत और सावधान रहते हैं तथा शील (विनम्र ) स्वभाव में रहते हुए, सर्वदा शरीर से प्रसन्न होते हैं।वे सभी विकारों से रहित, सिंह की भांति गहन गंभीर मत वाले होते हैं | उनके हृदय में धैर्य, साहस और दया (करूणा ) आदि सद्गुण सदैव ही रहते हैं। जगतगुरूत तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज Satlok Ashram Indore] SatlokIndore WWW Jagatgururampalji org 50 सावधान औ शीलता, सदा प्रफुल्लित गात निर्विकार गंभीर मत , धीरज दया बरसात 11 कबीर साहेब जी कहते हैं कि साधु- संत सदा ही सचेत और सावधान रहते हैं तथा शील (विनम्र ) स्वभाव में रहते हुए, सर्वदा शरीर से प्रसन्न होते हैं।वे सभी विकारों से रहित, सिंह की भांति गहन गंभीर मत वाले होते हैं | उनके हृदय में धैर्य, साहस और दया (करूणा ) आदि सद्गुण सदैव ही रहते हैं। जगतगुरूत तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज Satlok Ashram Indore] SatlokIndore WWW Jagatgururampalji org - ShareChat
#🙏गुरु महिमा😇
🙏गुरु महिमा😇 - महम चौबीसी पर ऐतिहासिक HI संत रामपाल जी महाराज अन्नपूर्णा मुहिम ম্লাযা जरूरतमंद परिवारों के मकान हजारों ch dd बनाए जा गए जो बेसहारा थे उन्हें संत रामपाल जो ने सहारा दिया है। संत रामपाल जी को उनके इन्हीं अभूतपूर्व सेवा कार्य के लिए १२ अक्टूबर को महम चौबीसी खाप पंचायत द्वारा ऐतिहासिक चौबीसी चबूतरा, महम रामफल राठी, जनरल सेक्रेटरी ( महम चौबीसी सर्वखाप) ( रोहतक ) में सम्मानित किया जाएगा | देखें सीधा प्रसारण (Live on): Sa News Channel १२ अक्टूबर सुबह 1२:०० बजे महम चौबीसी पर ऐतिहासिक HI संत रामपाल जी महाराज अन्नपूर्णा मुहिम ম্লাযা जरूरतमंद परिवारों के मकान हजारों ch dd बनाए जा गए जो बेसहारा थे उन्हें संत रामपाल जो ने सहारा दिया है। संत रामपाल जी को उनके इन्हीं अभूतपूर्व सेवा कार्य के लिए १२ अक्टूबर को महम चौबीसी खाप पंचायत द्वारा ऐतिहासिक चौबीसी चबूतरा, महम रामफल राठी, जनरल सेक्रेटरी ( महम चौबीसी सर्वखाप) ( रोहतक ) में सम्मानित किया जाएगा | देखें सीधा प्रसारण (Live on): Sa News Channel १२ अक्टूबर सुबह 1२:०० बजे - ShareChat
#🙏गुरु महिमा😇
🙏गुरु महिमा😇 - मानव जीवन प्राप्त प्राणी को चाहिए कि सांसारिक कर्तव्य कर्म करते करते आत्म कल्याण का कार्य भी करे। जिस कारण से परिवार से आने वाली पूर्व पाप की मार भी टलेगी, परिवार खुशहाल रहेगा| अन्यथा शुभ अशुभ दोनों कर्मो का फल भोगने से कभी सुख तथा कभी दुःख का कहर भी झेलना पड़ता है। जगद्गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज Satlok Ashram Betull @SatlokBetul @Saflok_Ashram Beful मानव जीवन प्राप्त प्राणी को चाहिए कि सांसारिक कर्तव्य कर्म करते करते आत्म कल्याण का कार्य भी करे। जिस कारण से परिवार से आने वाली पूर्व पाप की मार भी टलेगी, परिवार खुशहाल रहेगा| अन्यथा शुभ अशुभ दोनों कर्मो का फल भोगने से कभी सुख तथा कभी दुःख का कहर भी झेलना पड़ता है। जगद्गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज Satlok Ashram Betull @SatlokBetul @Saflok_Ashram Beful - ShareChat
Whose spoke the Gita Knowledge.... #🙏गुरु महिमा😇
🙏गुरु महिमा😇 - WIIG SPOKE THE KNOWLEDGE OFTHE GITA? Kaal Bhagwan, the lord of twenty-one CHAPTER 1 VERSE 32 universes; has vowed that he will not appear before everyone in a gross physical form (in his true form resembling ahuman] He created KaalH asmi lokakshaykrt prvrddhH lokaan smaahrtum subtle body and entered the body of prvrttH Rit e, api; tvaam; na, bhavishyanti same; ye, avasthitah; Shri Krishna like a ghost and gave prtyaneekeshu yodhaH ||32|| the knowledge of the sacred Gita Ithe essence of the Vedasl However (Bhagwan uvaach) he also left no stone unturned in Translation gambling to instigate war (Lokakshaykrt) destroyer of the  worlds (prvrddhH) enlarged (kaall) Kaal (asmi) am (ih) this time (lakaan) these worlds JAGATGURU TATTVADARSHI (smaahrtum ) to destroy (prvrttH) Ihave  oppeored , therelore (Ye) those who' 5AITIAMIALTIMAIAIAT (prtyneekeshu) in the opposite army (avasthital) situated (yodhal) warriors (te) they (sorve) oll (tvoom) Your (rite) without ' To receive free Initiation (opi) oven (no) not (bhovishyonti) will ' and spiritual books by survive ie.even il You do not fght they oll Sant Kampal ]i Malaraj ]i; will be destroyed. (32) +91 7496801823 Iessdge us on1 WhatsApp: SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI (5 SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ WIIG SPOKE THE KNOWLEDGE OFTHE GITA? Kaal Bhagwan, the lord of twenty-one CHAPTER 1 VERSE 32 universes; has vowed that he will not appear before everyone in a gross physical form (in his true form resembling ahuman] He created KaalH asmi lokakshaykrt prvrddhH lokaan smaahrtum subtle body and entered the body of prvrttH Rit e, api; tvaam; na, bhavishyanti same; ye, avasthitah; Shri Krishna like a ghost and gave prtyaneekeshu yodhaH ||32|| the knowledge of the sacred Gita Ithe essence of the Vedasl However (Bhagwan uvaach) he also left no stone unturned in Translation gambling to instigate war (Lokakshaykrt) destroyer of the  worlds (prvrddhH) enlarged (kaall) Kaal (asmi) am (ih) this time (lakaan) these worlds JAGATGURU TATTVADARSHI (smaahrtum ) to destroy (prvrttH) Ihave  oppeored , therelore (Ye) those who' 5AITIAMIALTIMAIAIAT (prtyneekeshu) in the opposite army (avasthital) situated (yodhal) warriors (te) they (sorve) oll (tvoom) Your (rite) without ' To receive free Initiation (opi) oven (no) not (bhovishyonti) will ' and spiritual books by survive ie.even il You do not fght they oll Sant Kampal ]i Malaraj ]i; will be destroyed. (32) +91 7496801823 Iessdge us on1 WhatsApp: SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI (5 SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat
Whose Say gita Gyan.... #🙏गुरु महिमा😇
🙏गुरु महिमा😇 - WHO SPOKE THE KINOWLEDGE OFTHE GITA? In Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 46, श्रीम द्धगवद्ीता  Arjun is saying that wish to see you as before, adorned with a crown, holding a mace and discus in hand 'O one with the universal form! Thousand armed! Please appear again in that four-armed form With this, it is proved that the giver of the knowledge of Gita has thousand arms. The one with four arms can make] two arms, but not a thousand. The one with a thousand arms can make four-arms, two-arms. JagatGuru Tattvadarshi Sant Rampal Ji Maharaj ٣ Get Free Book. To know more, Oyad read sacred Book Send Name, Address to  Gang  Gyan Ganga +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ WHO SPOKE THE KINOWLEDGE OFTHE GITA? In Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 46, श्रीम द्धगवद्ीता  Arjun is saying that wish to see you as before, adorned with a crown, holding a mace and discus in hand 'O one with the universal form! Thousand armed! Please appear again in that four-armed form With this, it is proved that the giver of the knowledge of Gita has thousand arms. The one with four arms can make] two arms, but not a thousand. The one with a thousand arms can make four-arms, two-arms. JagatGuru Tattvadarshi Sant Rampal Ji Maharaj ٣ Get Free Book. To know more, Oyad read sacred Book Send Name, Address to  Gang  Gyan Ganga +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat
Gita ka gyan kisne bola... #🙏गुरु महिमा😇
🙏गुरु महिमा😇 - गीता सार का श्लोक अध्याय 11 32 अस्मि, लोकक्षयकृत्, प्रवृद्धः, लोकान्, समाहर्तुम्, इह, प्रवृत्तः | कालः, न, भविष्यन्ति, सर्वे, ये, अवस्थिताः, ऋते , अपि, त्वाम्, %4479, 474[: 1/ जी सत समपाल तत्वदर्शी ಕಾ[ಾ अनुवादित | महाराज GRI লীকী  কা नाश   करने বালা der 531 কাল ৪ুঁঁ इस समय इन लोकों को नष्ट करने के लिये प्रकट हुआ हूँ। इसलिये जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित योद्धा लोग हैं, तेरे नाश होजायेगा युद्ध न करने से भी इन सबका Sant Rampal Ji Maharaj संत रामपाल जी महाराज जी से App Download कीजिये  যর নিঃথললক  নিঃথুলক नामदीक्षा पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सून्न : +91 7496801823 Gou'le Pla SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARA गीता सार का श्लोक अध्याय 11 32 अस्मि, लोकक्षयकृत्, प्रवृद्धः, लोकान्, समाहर्तुम्, इह, प्रवृत्तः | कालः, न, भविष्यन्ति, सर्वे, ये, अवस्थिताः, ऋते , अपि, त्वाम्, %4479, 474[: 1/ जी सत समपाल तत्वदर्शी ಕಾ[ಾ अनुवादित | महाराज GRI লীকী  কা नाश   करने বালা der 531 কাল ৪ুঁঁ इस समय इन लोकों को नष्ट करने के लिये प्रकट हुआ हूँ। इसलिये जो प्रतिपक्षियों की सेना में स्थित योद्धा लोग हैं, तेरे नाश होजायेगा युद्ध न करने से भी इन सबका Sant Rampal Ji Maharaj संत रामपाल जी महाराज जी से App Download कीजिये  যর নিঃথললক  নিঃথুলক नामदीक्षा पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सून्न : +91 7496801823 Gou'le Pla SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARA - ShareChat
Gita ka gyan kisne bola...... #🙏गुरु महिमा😇
🙏गुरु महिमा😇 - गीता जी का ज्ञान किसने बोला? कृष्ण ने नहीं कहा": সমাতা:- 'ীনা ভান সী आष्याय ७२का फनाफ २७  में अर्जुन कह रहा श्रीमद्भगवदीता  31841411 gilh 21 & 46 | =# F = ==IT Ff , 54 =1 uI aaTೊ l:Hಫ.l.  है कि भगवन ! आप तो ऋषियों , देवताओं तथा H Hr ul: #Fe . Tariia:II2I   फावीन सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान থনুরমান: [শন] 4 টা !মূনেনা টি] উননাচজি নদুর  ఛాగా uా 1 171117 51= 7 -70~0- 07 70 पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा +151 HI ~n 94/ '. ~7H  1541 (ನನ 45il 841 ` 9  151'114=1--:1--74-771= 1=15114:  -515717---_ अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर +7/HI1.I'MI Ids H30i'1 < m71 17 HT 7 पकललाम उयाम ल्याम ढषन ப| 511  1 511 4=11711 रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं, कुछ् "సగా - --- ---- - 1,೯T೯La  urta  Hn irl ' 4raMlr |aHuaaua<xu F,7 5 5=F -- ---1-  आप के मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् Sಫnz: ನl ,lr #nnlಧa বদাম-রন +গভ্রায়া মাণণ ঊযয এ্দা Hয ম (किचटिनग्। गकट पच्ण फिपै दिए नपा (गदिनग  ಭ೦<l 4.( বকবনস দা + ব বক্ষমাণয নিণ ঢয ভরচন] দনা हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज T#@ಔಾಗಳಗಾೆಗ7 [ಳನಾಾತಣ್ೆ7್' মননারন फाभये= रूपेए] पच्भनरूपसे प्रवट [भन। तोट्य (d६  रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को Lml ನ HLನ तिय द्रा देखना नाढग @ऐ विश्वसारुया  {a देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँl +517I ~ப 11HT जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज সানন ব লিঙ গলংয এ৯ N್ಲ निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें अपना नाम   ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL J @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ गीता जी का ज्ञान किसने बोला? कृष्ण ने नहीं कहा": সমাতা:- 'ীনা ভান সী आष्याय ७२का फनाफ २७  में अर्जुन कह रहा श्रीमद्भगवदीता  31841411 gilh 21 & 46 | =# F = ==IT Ff , 54 =1 uI aaTೊ l:Hಫ.l.  है कि भगवन ! आप तो ऋषियों , देवताओं तथा H Hr ul: #Fe . Tariia:II2I   फावीन सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान থনুরমান: [শন] 4 টা !মূনেনা টি] উননাচজি নদুর  ఛాగా uా 1 171117 51= 7 -70~0- 07 70 पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा +151 HI ~n 94/ '. ~7H  1541 (ನನ 45il 841 ` 9  151'114=1--:1--74-771= 1=15114:  -515717---_ अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर +7/HI1.I'MI Ids H30i'1 < m71 17 HT 7 पकललाम उयाम ल्याम ढषन ப| 511  1 511 4=11711 रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं, कुछ् "సగా - --- ---- - 1,೯T೯La  urta  Hn irl ' 4raMlr |aHuaaua<xu F,7 5 5=F -- ---1-  आप के मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् Sಫnz: ನl ,lr #nnlಧa বদাম-রন +গভ্রায়া মাণণ ঊযয এ্দা Hয ম (किचटिनग्। गकट पच्ण फिपै दिए नपा (गदिनग  ಭ೦<l 4.( বকবনস দা + ব বক্ষমাণয নিণ ঢয ভরচন] দনা हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज T#@ಔಾಗಳಗಾೆಗ7 [ಳನಾಾತಣ್ೆ7್' মননারন फाभये= रूपेए] पच्भनरूपसे प्रवट [भन। तोट्य (d६  रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को Lml ನ HLನ तिय द्रा देखना नाढग @ऐ विश्वसारुया  {a देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँl +517I ~ப 11HT जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज সানন ব লিঙ গলংয এ৯ N್ಲ निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें अपना नाम   ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL J @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
gita Ka Gayn kisne bola......... #🙏गुरु महिमा😇
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Hotya Ka Gayn kise bola........ #🙏गुरु महिमा😇
🙏गुरु महिमा😇 - ofla| का ((6[ किशने बोला ? काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्लोक ३२ है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर में व्यक्त(मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री কাল; সমি লীকঃবকৃন সমৃভ: লাকান মসাচনুস; SE  সমূব:  ऋते, अपि त्वाम न भविष्यन्ति, सर्वे, ये, अचस्थिता , प्रत्यनीकेपु योधा ] १३२ १ ] कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीवेदों का सार) परन्तु युद्ध करवाने के लिए भी भगवान उवाच  कहा बाजी में कसर नहीं छोड़़ी | अनुवादः अटकल (लौकक्षयकृत ) लौकों का नाश करने वाला ( प्रवृद्धः ) बढ़ा हुआ ( कालः ) काल (अस्मि ) हूँ। तत्वदर्शी जगतगु२ (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) हुआ हू इसलिये (ये) जो ( प्रत्यनीकेष ) प्रकट प्रतिपक्षियों की सेना में ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हें॰ (ते ) वै (सर्वे ) सव (त्वाम ) संत रामपाल जी महाराज जी से तेरे ( ऋते ) बिना ( अपि ) भी (न ) नही च निःशुल्क নিঃথুল্ক नामदीक्षा (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात् तेरे युद्ध पुस्तक प्राप्त कसे के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 न करने से भी इन सबका नाश हो जायगा। (३२ ) SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI 0 SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ ofla| का ((6[ किशने बोला ? काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्लोक ३२ है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर में व्यक्त(मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री কাল; সমি লীকঃবকৃন সমৃভ: লাকান মসাচনুস; SE  সমূব:  ऋते, अपि त्वाम न भविष्यन्ति, सर्वे, ये, अचस्थिता , प्रत्यनीकेपु योधा ] १३२ १ ] कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीवेदों का सार) परन्तु युद्ध करवाने के लिए भी भगवान उवाच  कहा बाजी में कसर नहीं छोड़़ी | अनुवादः अटकल (लौकक्षयकृत ) लौकों का नाश करने वाला ( प्रवृद्धः ) बढ़ा हुआ ( कालः ) काल (अस्मि ) हूँ। तत्वदर्शी जगतगु२ (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) हुआ हू इसलिये (ये) जो ( प्रत्यनीकेष ) प्रकट प्रतिपक्षियों की सेना में ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हें॰ (ते ) वै (सर्वे ) सव (त्वाम ) संत रामपाल जी महाराज जी से तेरे ( ऋते ) बिना ( अपि ) भी (न ) नही च निःशुल्क নিঃথুল্ক नामदीक्षा (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात् तेरे युद्ध पुस्तक प्राप्त कसे के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 न करने से भी इन सबका नाश हो जायगा। (३२ ) SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI 0 SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat
#🙏गुरु महिमा😇
🙏गुरु महिमा😇 - गीता अध्याय न. 7 का श्लोक न॰ २४ अव्यक्तम्, व्यक्तिम्, आपन्नम्, मन्यन्ते, माम्, अबुद्धयः| परम्, भावम्, अजानन्तः, मम, अव्ययम्, अनुत्तमम्।।२४। | मेरे ( अनुतमम् ) अश्रेष्ठ (अव्ययम् ) अटल (परम्) बुद्धिहीन : लोग (मम् ) अनुवादः ( अबुद्धयः ) भावम् ) भावको ( अजानन्तः ) न जानते हुए ( अव्यक्तम् ) अदृश्यमान (माम् ) मुझ परम कालको (व्यक्तिम् ) आकार में कृष्ण अवतार ( आपन्नम् ) प्राप्त हुआ ( मन्यन्ते ) मानते हैं। पाय पचित्र पुरतक  निःशुल्क 0स0   57 777 +91 7496801823 UIILON US 0  0 ౌUEI 50 गीता अध्याय न. 7 का श्लोक न॰ २४ अव्यक्तम्, व्यक्तिम्, आपन्नम्, मन्यन्ते, माम्, अबुद्धयः| परम्, भावम्, अजानन्तः, मम, अव्ययम्, अनुत्तमम्।।२४। | मेरे ( अनुतमम् ) अश्रेष्ठ (अव्ययम् ) अटल (परम्) बुद्धिहीन : लोग (मम् ) अनुवादः ( अबुद्धयः ) भावम् ) भावको ( अजानन्तः ) न जानते हुए ( अव्यक्तम् ) अदृश्यमान (माम् ) मुझ परम कालको (व्यक्तिम् ) आकार में कृष्ण अवतार ( आपन्नम् ) प्राप्त हुआ ( मन्यन्ते ) मानते हैं। पाय पचित्र पुरतक  निःशुल्क 0स0   57 777 +91 7496801823 UIILON US 0  0 ౌUEI 50 - ShareChat