kuch.alfaz_fromheart
ShareChat
click to see wallet page
@alfaz_fromheart
alfaz_fromheart
kuch.alfaz_fromheart
@alfaz_fromheart
मुझे instagram पर भी फ़ॉलो करे❤️
#💓 मोहब्बत दिल से #💓 दिल के अल्फ़ाज़
💓 मोहब्बत दिल से - तमाशबिनो कि भीड़ बोहोत थी, मैंने ख़ामोश रह कर वो महफ़िल ही छोड़ दी। तमाशबिनो कि भीड़ बोहोत थी, मैंने ख़ामोश रह कर वो महफ़िल ही छोड़ दी। - ShareChat
#❤️जीवन की सीख
💓 मोहब्बत दिल से - मे हम खुद को खो बैठें, अपनों कि तलाश ना अपने मिले ना किसी मे अपनापन दिखा.. | मे हम खुद को खो बैठें, अपनों कि तलाश ना अपने मिले ना किसी मे अपनापन दिखा.. | - ShareChat
#💓 मोहब्बत दिल से #💓 दिल के अल्फ़ाज़ #❤️जीवन की सीख #👉 लोगों के लिए सीख👈
💓 मोहब्बत दिल से - इतनी समझदारी तों आ गयी हैं कि कोई किसी को याद नहीं रखता सबको कोई ना कोई मिल ही जाता हैं। इतनी समझदारी तों आ गयी हैं कि कोई किसी को याद नहीं रखता सबको कोई ना कोई मिल ही जाता हैं। - ShareChat
#💓 मोहब्बत दिल से #💓 दिल के अल्फ़ाज़ #❤️जीवन की सीख #👉 लोगों के लिए सीख👈
💓 मोहब्बत दिल से - कोई छोटा दिख रहा हो तों ख़याल रखना जरा , कहीं तुम उसे दूर से या ग़ुरूर से तों नहीं देख रहें.?? कोई छोटा दिख रहा हो तों ख़याल रखना जरा , कहीं तुम उसे दूर से या ग़ुरूर से तों नहीं देख रहें.?? - ShareChat
#💓 मोहब्बत दिल से #💓 दिल के अल्फ़ाज़
💓 मोहब्बत दिल से - मुकम्मल हो जाती हैँ हम सभी की जिंदगी जब ना कुछ खोने के लिए ना ही कुछ पाने के लिए बचता हैँ.... ! मुकम्मल हो जाती हैँ हम सभी की जिंदगी जब ना कुछ खोने के लिए ना ही कुछ पाने के लिए बचता हैँ.... ! - ShareChat
#💓 दिल के अल्फ़ाज़ #💓 मोहब्बत दिल से
💓 दिल के अल्फ़ाज़ - सच..कितने खुश नसीब है वो जिन्होंने बस अपना ही गम देखा है, देखिए ` तों सही इन्होने... कितना कम देखा है..!! सच..कितने खुश नसीब है वो जिन्होंने बस अपना ही गम देखा है, देखिए ` तों सही इन्होने... कितना कम देखा है..!! - ShareChat
#💓 मोहब्बत दिल से #❤️जीवन की सीख #💓 दिल के अल्फ़ाज़
💓 मोहब्बत दिल से - ज़िंदगी हमसे कभी-्कभी चुपचाप बहुत कुछ छीन लेती है, और हमें मुस्कुराना ऐसे सिखा देती है जैसे कुछ हुआ ही नहीं | ज़िंदगी हमसे कभी-्कभी चुपचाप बहुत कुछ छीन लेती है, और हमें मुस्कुराना ऐसे सिखा देती है जैसे कुछ हुआ ही नहीं | - ShareChat
#💓 दिल के अल्फ़ाज़ #💓 मोहब्बत दिल से #❤️जीवन की सीख
💓 दिल के अल्फ़ाज़ - बेइंतहा कौशिशे कि थी जुड़े रहने कि.. अब बिछड़े तों जाना यहीं बेहतर था जीने के लिए। बेइंतहा कौशिशे कि थी जुड़े रहने कि.. अब बिछड़े तों जाना यहीं बेहतर था जीने के लिए। - ShareChat