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#❤️Love You ज़िंदगी ❤️
❤️Love You ज़िंदगी ❤️ - अपनों का आशियाना = भगवान मेरे सारे दुख दर्द December #ಣತನ೯ಾ#TT January से एक नई ज़िंदगी की शुरुआत करना चाहते हैं। अपनों का आशियाना = भगवान मेरे सारे दुख दर्द December #ಣತನ೯ಾ#TT January से एक नई ज़िंदगी की शुरुआत करना चाहते हैं। - ShareChat
##india #❤️Love You ज़िंदगी ❤️
#india - आशियाना अपनों का पढ़ना कभी बंद न करें क्योंकि पढ़ाई ही तो एक ऐसी इनवेस्टमेंट है जो पूरी जिंदगी आपको कुछ न कुछ रिटर्न देती रहेगी| आशियाना अपनों का पढ़ना कभी बंद न करें क्योंकि पढ़ाई ही तो एक ऐसी इनवेस्टमेंट है जो पूरी जिंदगी आपको कुछ न कुछ रिटर्न देती रहेगी| - ShareChat
#🛕मंदिर दर्शन🙏
🛕मंदिर दर्शन🙏 - 0/1/202 अपनों का आशियाना क्या हर जन्म में हमारी भक्ति साथ चलती है? हाँ। भक्ति कभी खत्म नहीं होती। पिछले जन्म में किया गया जप, ध्यान, सेवा-्सब अगले जन्म में वापस जाग उठते हैं। यही संस्कार हमें फिर भगवान की ओर खींचते हैं। जिसने कभी भक्ति की हो, वह किसी जन्म में भी खाली नहीं जाता। वही आगे बढ़कर जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होता है। भक्ति एकमात्र चीज है जो आत्मा के साथ हमेशा रहती है। 0/1/202 अपनों का आशियाना क्या हर जन्म में हमारी भक्ति साथ चलती है? हाँ। भक्ति कभी खत्म नहीं होती। पिछले जन्म में किया गया जप, ध्यान, सेवा-्सब अगले जन्म में वापस जाग उठते हैं। यही संस्कार हमें फिर भगवान की ओर खींचते हैं। जिसने कभी भक्ति की हो, वह किसी जन्म में भी खाली नहीं जाता। वही आगे बढ़कर जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होता है। भक्ति एकमात्र चीज है जो आत्मा के साथ हमेशा रहती है। - ShareChat
#🛕मंदिर दर्शन🙏
🛕मंदिर दर्शन🙏 - 0/1/202 अपनों का आशियाना गुरु क्यों जरूरी हैं? गुरु जीवन में वही देते हैं, जो कोई नहीं दे सकता - दिशा , भक्ति, और भीतर की जागृति। गुरु मिलते ही साधक की गति बदल जाती है, पिछले जन्म की साधना फिर से सक्रिय हो जाती है। गुरु के संग में भक्त का रूप, स्वभाव और मन सब बदल जाते हैं। जैसे दीपक से दीपक जलता है, वैसे ही गुरु से भक्ति की लौ जलती है और आत्मा का मार्ग साफ होता है। 0/1/202 अपनों का आशियाना गुरु क्यों जरूरी हैं? गुरु जीवन में वही देते हैं, जो कोई नहीं दे सकता - दिशा , भक्ति, और भीतर की जागृति। गुरु मिलते ही साधक की गति बदल जाती है, पिछले जन्म की साधना फिर से सक्रिय हो जाती है। गुरु के संग में भक्त का रूप, स्वभाव और मन सब बदल जाते हैं। जैसे दीपक से दीपक जलता है, वैसे ही गुरु से भक्ति की लौ जलती है और आत्मा का मार्ग साफ होता है। - ShareChat
#🛕मंदिर दर्शन🙏
🛕मंदिर दर्शन🙏 - 0/1/202 अपनों का आशियाना चेहरा मरने के बाद हमारा कैसा बनता है? मरने के बाद रूप शरीर का नहीं, मन और कर्मों का होता है। जैसा मन, वैसा चेहरा। सा़फ और शुभ मन- सुंदर रूप देता है। क्रोध, लालच और बुरे कर्म -्कठोर और कुरूप रूप बनाते हैं। सूक्ष्म शरीर हमारे अंदर की असली पहचान दिखाता है। इसलिए मन को शांत रखना , अच्छे कर्म करना और भक्ति में रहना सबसे बड़ा पुण्य है। 0/1/202 अपनों का आशियाना चेहरा मरने के बाद हमारा कैसा बनता है? मरने के बाद रूप शरीर का नहीं, मन और कर्मों का होता है। जैसा मन, वैसा चेहरा। सा़फ और शुभ मन- सुंदर रूप देता है। क्रोध, लालच और बुरे कर्म -्कठोर और कुरूप रूप बनाते हैं। सूक्ष्म शरीर हमारे अंदर की असली पहचान दिखाता है। इसलिए मन को शांत रखना , अच्छे कर्म करना और भक्ति में रहना सबसे बड़ा पुण्य है। - ShareChat
#🛕मंदिर दर्शन🙏
🛕मंदिर दर्शन🙏 - 0/1/202 अपनों का आशियाना मौत के बाद इंसान का असली सफ़र कैसे शुरू होता है? बाद हमारा स्थूल शरीर नहीं चलता , सिर्फ मृत्यु के सूक्ष्म शरीर आगे बढ़ता है, जो हमारे कर्मों का पूरा रिकॉर्ड लेकर चलता है। अच्छे कर्म सुंदर गति देते हैं, बुरे कर्म कठिन रूप देते हैं। भक्ति और गुरु से मिला मार्ग ही उस यात्रा को रोशन करता है। आत्मा वही पाती है जो उसने चाहा , किया और सोचा | असली सुख सिर्फ भगवान के नाम में है। 0/1/202 अपनों का आशियाना मौत के बाद इंसान का असली सफ़र कैसे शुरू होता है? बाद हमारा स्थूल शरीर नहीं चलता , सिर्फ मृत्यु के सूक्ष्म शरीर आगे बढ़ता है, जो हमारे कर्मों का पूरा रिकॉर्ड लेकर चलता है। अच्छे कर्म सुंदर गति देते हैं, बुरे कर्म कठिन रूप देते हैं। भक्ति और गुरु से मिला मार्ग ही उस यात्रा को रोशन करता है। आत्मा वही पाती है जो उसने चाहा , किया और सोचा | असली सुख सिर्फ भगवान के नाम में है। - ShareChat
#🛕मंदिर दर्शन🙏
🛕मंदिर दर्शन🙏 - 12/2025 08 अपनों का आशियाना मोक्ष का सबसे सरल और सच्चा मार्ग क्या है? मोक्ष किसी कठिन तप या बड़ी पूजा से नहीं मिलता , बल्कि मन को भगवान में टिका देने से मिलता है। जब भोग , क्रोध, अहंकार और इच्छाओं से हटकर गुरु मन और भगवान के नाम में स्थिर हो जाए - तभी मोक्ष का नामनजप, सत्संग , अच्छे कर्म और गुरु द्वार खुलता है की शरण में चलना ही सबसे सरल और सीधा मार्ग है, जो जन्मनमरण के चक्र को खत्म कर देता है। 12/2025 08 अपनों का आशियाना मोक्ष का सबसे सरल और सच्चा मार्ग क्या है? मोक्ष किसी कठिन तप या बड़ी पूजा से नहीं मिलता , बल्कि मन को भगवान में टिका देने से मिलता है। जब भोग , क्रोध, अहंकार और इच्छाओं से हटकर गुरु मन और भगवान के नाम में स्थिर हो जाए - तभी मोक्ष का नामनजप, सत्संग , अच्छे कर्म और गुरु द्वार खुलता है की शरण में चलना ही सबसे सरल और सीधा मार्ग है, जो जन्मनमरण के चक्र को खत्म कर देता है। - ShareChat
#🛕मंदिर दर्शन🙏
🛕मंदिर दर्शन🙏 - 0/1/202 अपनों का आशियाना अपने आप क्या नामन्जप चल सकता है? हाँ, इसे " अजपा जाप" कहते हैं-जहाँ जप बिना बोले बहुत दुर्लभ अवस्था है भी भीतर चलता रहता है। यह और साधना के कई जन्म लग जाते हैं। जब यह जाग जाता है तो साधक हमेशा भगवान के नाम में रहता है। उसका मन, उसकी गति, उसके कर्म-्सब दिव्य दिशा में मुड़ जाते हैं। यही वास्तविक भक्ति है, जो मृत्यु के बाद आत्मा को रोशन रखती है। 0/1/202 अपनों का आशियाना अपने आप क्या नामन्जप चल सकता है? हाँ, इसे " अजपा जाप" कहते हैं-जहाँ जप बिना बोले बहुत दुर्लभ अवस्था है भी भीतर चलता रहता है। यह और साधना के कई जन्म लग जाते हैं। जब यह जाग जाता है तो साधक हमेशा भगवान के नाम में रहता है। उसका मन, उसकी गति, उसके कर्म-्सब दिव्य दिशा में मुड़ जाते हैं। यही वास्तविक भक्ति है, जो मृत्यु के बाद आत्मा को रोशन रखती है। - ShareChat
#🛕मंदिर दर्शन🙏
🛕मंदिर दर्शन🙏 - 0/1/202 अपनों का आशियाना आत्मा बार-बार जन्म क्यों लेती है? इच्छाएँ, भोग और अपूर्ण काम आत्मा को बाँधकर रखते हैं। जब मन कुछ पाना चाहता है, शरीर बदलकर भी उसे पाने दौड़ता है। यही जन्मन्मरण का चक्र है। मन शांत हो जाए, इच्छाएँ कम हों और भक्ति स्थिर हो-्तो यह चक्र टूटना शुरू हो जाता है। मोक्ष वहीं से शुरू होता है जहाँ मन रुकता है। 0/1/202 अपनों का आशियाना आत्मा बार-बार जन्म क्यों लेती है? इच्छाएँ, भोग और अपूर्ण काम आत्मा को बाँधकर रखते हैं। जब मन कुछ पाना चाहता है, शरीर बदलकर भी उसे पाने दौड़ता है। यही जन्मन्मरण का चक्र है। मन शांत हो जाए, इच्छाएँ कम हों और भक्ति स्थिर हो-्तो यह चक्र टूटना शुरू हो जाता है। मोक्ष वहीं से शुरू होता है जहाँ मन रुकता है। - ShareChat
#🛕मंदिर दर्शन🙏
🛕मंदिर दर्शन🙏 - 08/12| 2025 अपनों का आशियाना असली सुख कहाँ है? सुख शरीर में नहीं, आत्मा में है। और आत्मा को शांति मिलती है भक्ति, नाम-जप और गुरु के संग से। भोग , पैसा और वस्तुएँ शरीर के साथ खत्म हो जाती हैं; पर भक्ति के संस्कार कई जन्मों तक चलने वाली पूँजी हैं। जिसने अंदर शांति पा ली, उसे कोई हिला नहीं सकता | असली धन वही है जो आत्मा के साथ जाए-्बाकी सब नश्वर है। 08/12| 2025 अपनों का आशियाना असली सुख कहाँ है? सुख शरीर में नहीं, आत्मा में है। और आत्मा को शांति मिलती है भक्ति, नाम-जप और गुरु के संग से। भोग , पैसा और वस्तुएँ शरीर के साथ खत्म हो जाती हैं; पर भक्ति के संस्कार कई जन्मों तक चलने वाली पूँजी हैं। जिसने अंदर शांति पा ली, उसे कोई हिला नहीं सकता | असली धन वही है जो आत्मा के साथ जाए-्बाकी सब नश्वर है। - ShareChat