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#💰आर्थिक समस्याओं का समाधान🔯 🛑 'शनि' का मैग्नेटिक सच या पाखंड का डरावना मायाजाल? 🛑ऋषियों का 'खगोल' बनाम आज का 'पाखंड' (परिवर्तन की गहराई) ​प्राचीन काल में हमारे ऋषियों ने ग्रहों को 'पिंड' और उनकी गति को 'गणित' माना था। लेकिन समय के साथ, इस विज्ञान का स्वरूप कैसे बदला, इसे समझना आवश्यक है: ​ऋषियों का काल हमारे ऋषि 'दृक-गणित' (के ज्ञाता थे। उनके लिए शनि केवल एक पिंड था जो सूर्य की परिक्रमा 30 वर्षों में करता है। उन्होंने पाया कि जब यह विशाल चुंबकीय पिंड पृथ्वी के करीब आता है, तो मानव मस्तिष्क के 'न्यूरो-ट्रांसमिटर्स' और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में हलचल होती है। उन्होंने इसे 'अनुशासन' का समय कहा, न कि 'आतंक' का। ​मध्यकाल जब आम जनमानस को जटिल गणित समझ नहीं आया, तो इसे समझाने के लिए ग्रहों का 'मानवीकरण' किया गया। शनि को 'बूढ़ा', 'लंगड़ा' और 'धीमा' कहा गया ताकि लोग उसकी मंद गति (Slow Motion) को समझ सकें। ​आधुनिक काल आज इस मानवीकरण को 'ईश्वर' का दर्जा देकर डराने के व्यापार में बदल दिया गया है। ऋषियों ने 'दान' का विधान इसलिए किया था ताकि समाज में संसाधनों का पुनर्वितरण हो सके, लेकिन आज वह दान पाखंडियों की जेब भरने का जरिया बन गया है। ​आज जब हम 5G और अंतरिक्ष विज्ञान के युग में हैं, तब भी सदियों पुराने खगोल विज्ञान (Astronomy) को "डर के व्यापार" में बदला जा रहा है। आइए, अंधविश्वास की उन परतों को विज्ञान और तर्क की कसौटी पर कसते हैं। ​🌌 1. ग्रहों का प्रभाव: देवता नहीं, 'चुंबकीय तरंगें' ​ब्रह्मांड में मौजूद हर विशाल पिंड का अपना एक गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) होता है। शनि (Saturn) एक विशाल चुंबकीय शक्ति वाला ग्रह है। ऋषियों ने ग्रहों की इन विद्युत-चुंबकीय तरंगों के मानव मस्तिष्क पर पड़ने वाले सूक्ष्म प्रभाव को "दशा" कहा था। लेकिन आज इसे एक "क्रोधित देवता" बनाकर डराया जाता है, ताकि लोग तर्क छोड़कर अंधविश्वास की शरण में आ जाएं। ​🏛️ 2. 'प्राण-प्रतिष्ठा' और 'शनि दृष्टि' का विरोधाभास ​मंदिरों में दावा किया जाता है कि मूर्ति में 'प्राण-प्रतिष्ठा' करके उसे 'जागृत' कर दिया गया है। यहाँ एक तार्किक प्रश्न उठता है: ​प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि "शनि की सीधी दृष्टि और छाया कष्टकारी होती है।" ​यदि पुजारी की बात सच है और मूर्ति वाकई 'जागृत' है, तो फिर भक्तों को मूर्ति के बिल्कुल सामने खड़ा क्यों किया जाता है? क्या भक्त पर शनि की सीधी दृष्टि पड़कर उसे और कष्ट नहीं मिलना चाहिए? ​हकीकत यह है कि प्राचीन काल में शनि की 'शिला' (Natural Stone) होती थी, जिसकी कोई आँखें नहीं होती थीं। आज की डरावनी मूर्तियां केवल मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का जरिया हैं। ​🚫 3. कलर टेप और ज़मीन में दबाने का 'मूर्खतापूर्ण' खेल ​ज्योतिष और वास्तु के नाम पर आज एक नया धंधा शुरू हुआ है—कलर टेप बेचना और ज़मीन में सामान दबवाना। जरा तर्क लगाइए: ​ज़मीन में दबाने का पाखंड: ठग लोग आपको तांबा, कील या कोई पोटली ज़मीन में दबाने को कहते हैं, जिसके ऊपर आप पक्का फर्श, मार्बल या टाइल्स लगा देते हैं। ​तार्किक सवाल: अगर आपने कोई चीज़ ठोस फर्श के नीचे दबा दी, तो उसका 'असर' बाहर कैसे आएगा? क्या उस दबी हुई चीज़ के पास कोई ड्रिल मशीन है जो टाइल्स को छेदकर ऊपर आएगी? ​धरती के अंदर अरबों सालों से खनिज और धातुएं दबी पड़ी हैं, जब उनका असर फर्श फाड़कर ऊपर नहीं आता, तो एक छोटी सी पोटली आपकी किस्मत कैसे बदल देगी? ​🎓 4. पढ़े-लिखे लोगों की 'बौद्धिक गुलामी' ​हैरानी तब होती है जब डिग्रीधारी और पढ़े-लिखे लोग भी अपनी तर्क बुद्धि ताक पर रख देते हैं। वे यह नहीं सोचते कि: ​किसी के घर पर रंगीन टेप चिपकाने से ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रवाह कैसे बदल सकता है? ​क्या ग्रह इतने कमज़ोर हैं कि वे एक टेप या दबी हुई कील से हार जाएंगे? पढ़े-लिखे लोग भी डरे हुए हैं और इसी डर का फायदा पाखंडी उठा रहे हैं। जब इंसान अपनी बुद्धि का इस्तेमाल बंद कर देता है, तभी पाखंड का जन्म होता है। ​✅ निष्कर्ष ​NASA की वेबसाइट पर जाकर ग्रहों की भौतिक स्थिति देखें। जागृत पत्थर को नहीं, बल्कि अपनी 'चेतना' (Consciousness) को करना है। अगर आपका 'मंगल' अशांत है, तो डर नहीं, शारीरिक मेहनत करें। अगर 'शनि' का प्रभाव है, तो आलस्य त्यागकर न्यायपूर्ण जीवन जिएं। सच्चा ज्ञान डराता नहीं, बल्कि आपको तर्क और सत्य की राह दिखाता है। ​अंधविश्वास की बेड़ियाँ तोड़ें, अपनी तर्क बुद्धि को जाग्रत करें! आचार्य राजेश ​#JyotishScience #SaturnTruth #ScientificAstrology #ExposingHypocrisy #LogicOverFear #HariDesh #VaastuMyth #💫राशि के अनुसार भविष्यवाणी #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 #🙏गुरु महिमा😇 #🙏कर्म क्या है❓
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#🆕 ताजा अपडेट जीवन एक रंगमंच: 'मैं कौन हूँ' और 'मैं कैसा दिखता हूँ' के बीच संतुलन ​क्या आप वास्तव में वही हैं जो आप दिखते हैं? ​यह पूरी दुनिया वास्तव में एक रंगमंच है, और हम सब यहाँ पर एक किरदार निभा रहे हैं। हर पल, हम एक दोहरा जीवन जी रहे हैं: ​वास्तविक 'स्व' (Real Self): हमारा आंतरिक, मौलिक स्वरूप—हमारी सच्ची भावनाएँ, विचार, इच्छाएँ, और क्षमताएँ। ​आदर्श 'स्व' (Ideal Self): वह छवि जो हम दुनिया को दिखाते हैं, जो समाज की अपेक्षाओं, दबावों और हमारे अपने 'होने चाहिए' वाले विचारों से बनी है। ​⚖️ व्यक्तित्व में सामंजस्य (Congruence): आंतरिक शांति का रहस्य ​जब हमारा वास्तविक स्वरूप और हमारा आदर्श स्वरूप एक-दूसरे के करीब होते हैं, जब हम बिना किसी मुखौटे के खुद को व्यक्त कर पाते हैं, तो हमारे व्यक्तित्व में एक अद्भुत सामंजस्य (Congruence) स्थापित होता है। ​परिणाम: यह सामंजस्य ही आत्म-स्वीकृति (Self-Acceptance) को जन्म देता है, जिससे हमें स्थायी मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य प्राप्त होता है। हम शांत, संतुलित और भीतर से मजबूत महसूस करते हैं। ​💡 यही वह स्थिति है जहाँ हम अपनी ऊर्जा, 'दिखावे' की जगह, 'होने' पर केंद्रित कर पाते हैं। ​💥 व्यक्तित्व में असंगति (Incongruence): अंदरूनी संघर्ष की जड़ ​लेकिन जब हमारे वास्तविक रूप और आदर्श रूप के बीच एक गहरा अंतर होता है, तो व्यक्तित्व में असंगति (Incongruence) पैदा होती है। ​दोषपूर्ण नींव: यह असंगति तब होती है जब हम लगातार ऐसे काम करते हैं जो हमारे आंतरिक मूल्यों से मेल नहीं खाते, केवल इसलिए कि हमें लगता है कि हमें ऐसा करना चाहिए (समाज के लिए, बॉस के लिए, या किसी और के लिए)। ​परिणाम: यह असंगति अंदरूनी संघर्ष, संकोच, चिंता, और गहरे असंतोष को जन्म देती है। यह 'दिखावे' का बोझ इतना भारी हो जाता है कि हम अपनी मौलिकता और खुशी खो देते हैं। ​🚀 आत्म-बोध (Self-Actualization) का मार्ग ​जीवन में विकास और आत्म-बोध की ओर बढ़ने के लिए इन दोनों रूपों में सामंजस्य होना अत्यंत आवश्यक है। यह केवल एक दार्शनिक विचार नहीं है, बल्कि मानसिक स्वतंत्रता की कुंजी है। ​आत्म-बोध (वह स्थिति जहाँ हम अपनी पूर्ण क्षमता को प्राप्त करते हैं) तभी संभव है जब हम 'वास्तविक मैं' को स्वीकार करें और उसे दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का साहस रखें। ​🤔 आत्म-बोध के लिए स्वयं से पूछें: ​सत्यनिष्ठा (Authenticity): मैं आज जो कुछ भी कर रहा हूँ, क्या वह मेरे सच्चे मूल्यों के साथ मेल खाता है? ​मालिक कौन?: क्या मैं अपना जीवन दूसरों की उम्मीदों के हिसाब से जी रहा हूँ, या अपनी इच्छा से? ​भीतरी आवाज़: क्या मैं अपनी भीतरी आवाज़ को सुन रहा हूँ या केवल उस शोर को जो दुनिया मेरे लिए पैदा कर रही है? ​याद रखें, आपके जीवन के नाटक का सबसे शक्तिशाली निर्देशक आप स्वयं हैं। अपने वास्तविक स्वरूप को गले लगाएँ, मुखौटे को उतार फेंकें, और सामंजस्य में जीना शुरू करें। #🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय #✋हस्तरेखा शास्त्र🌌 #💫राशि के अनुसार भविष्यवाणी #✡️ज्योतिष समाधान 🌟
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#🔯ज्योतिष 🚩 ज्योतिष का परम सत्य: राम और हनुमान सिखाते हैं ​—ग्रह दुश्मन नहीं, वे सहयोगी हैं! ​आज, ज्योतिष का गूढ़ ज्ञान तोता ज्ञान और अंधविश्वास फैलाने वाले डर के धंधे का शिकार हो चुका है। हमारे ऋषियों ने जो ज्ञान दिया, उसका उद्देश्य हमें सशक्त करना था, भयभीत करना नहीं। ​अगर आप भी इस ज्ञान की गहराई जानना चाहते हैं, तो इन चार क्रमिक सत्यों को समझें: ​1. पहला सत्य: वास्तु की दिशाएँ दुश्मन नहीं, ऊर्जा संतुलन केंद्र हैं ​हमारे जीवन का आधार हमारा वातावरण है, जिसे वास्तु शास्त्र समझाता है। ​भ्रम: अक्सर कहा जाता है कि कुछ दिशाएँ अशुभ होती हैं या वे एक-दूसरे की दुश्मन हैं। ​सत्य: कोई भी दिशा बुरी या दुश्मन नहीं होती। हर दिशा केवल एक ऊर्जा का केंद्र बिंदु है, जो विशिष्ट तत्वों और ग्रहों द्वारा शासित होती है। वास्तु का आपके पिछले या आने वाले जन्मों से कोई संबंध नहीं है। यह केवल उस वातावरण (घर/वातावरण) का प्रभाव है जिसमें आप रहते हैं। ​वास्तु का मौलिक सिद्धांत: जब हम किसी दिशा के मूल तत्व के विपरीत कार्य करते हैं, तो यह दिशा की दुश्मनी नहीं, बल्कि ऊर्जा का असंतुलन है। ​वैज्ञानिक तर्क (उदाहरण): ​नॉर्थ-ईस्ट (उत्तर-पूर्व): इस दिशा से सुबह की सीधी धूप आती है। इसलिए इसे खुला और साफ रखने को कहा जाता है ताकि सूर्य की किरणें (धूप) घर में प्रवेश कर सकें, जीवाणु-मुक्त वातावरण बनाए और मन को शांत रखे। ​साउथ-वेस्ट (दक्षिण-पश्चिम): इसे भारी रखने या ऊँचा रखने को इसलिए कहा जाता है ताकि दोपहर की प्रचंड गर्मी और ऊष्ण हवा घर के अंदर प्रवेश न कर सके, जिससे घर ठंडा और व्यवस्थित बना रहे। ​🚨 मित्रों, सबसे बड़ा सत्य यहाँ समझें! ​वहम (अंधविश्वास) ना करें! अगर आपका नॉर्थ ईस्ट खुला नहीं है और वहाँ बेडरूम है, तो किसी भी तरह का वहम ना करें। केवल बेडरूम की खिड़की सुबह-सुबह खोल दें, ताकि ऊर्जा का आवश्यक प्रवाह हो सके। ​सरल नियम: अगर आपको अपने घर में शांति महसूस होती है, घर का वातावरण साफ-सुथरा है, और आपको अच्छी नींद आती है, तो किसी भी तरह का वहम करने की जरूरत नहीं है! ​झंडा लगा देने का अंधविश्वास तोड़ें: कुछ लोग साउथ-वेस्ट (दक्षिण-पश्चिम) दिशा को ऊंचा दिखाने के लिए वहां ऊंचा झंडा (ध्वज) लगवा देते हैं। यह तर्कहीन है! हमारे ऋषियों ने साउथ-वेस्ट को ऊंचा रखने को इसलिए कहा था ताकि गर्मियों में गर्म हवा और लू को घर में प्रवेश करने से रोका जा सके। प्राचीन समय में इसके लिए दीवारों को मोटा और थोड़ा ऊंचा बनाया जाता था ताकि ऊष्मा का प्रवेश न हो। एक झंडा लगा देने से न तो दीवारें मोटी हो जाएंगी, और न ही प्रचंड गर्मी रुक जाएगी। यह केवल बिना तर्क-बुद्धि के किए गए उपाय हैं जिनका भौतिक विज्ञान (Physics) या वास्तु के मूल सिद्धांत से कोई लेना-देना नहीं है। ​यह परम सत्य है कि वास्तु की दिशाएँ न तो घन देती हैं, न कर्ज देती हैं, न करजा उतारती हैं, और न ही धन छीनती हैं। इस सत्य को अच्छी तरह समझ लें, तभी आप वहमों और डर के जाल से निकल पाओगे। ​2. दूसरा सत्य: ग्रह विरोधी नहीं, पूरक शक्तियाँ हैं ​जैसे वास्तु में दिशाओं को संतुलित करते हैं, वैसे ही हमारे भीतर ग्रहों की शक्तियों को एकीकृत करना होता है। ​अ. बुध (तर्क) vs. मंगल (शक्ति): राम और हनुमान का प्रमाण ​भ्रम: बुध (तर्क) और मंगल (बल) में दुश्मनी है। ​सत्य (सहयोग): ​बुध (भगवान विष्णु के अवतार राम/बुद्धि और तर्क) को मंगल (शक्ति, पराक्रम, और मेष राशि का कारकत्व रखने वाले हनुमान/बल) की सहायता लेनी पड़ी। ​मंगल मेष राशिओर वृश्चिक राशि का स्वामी है, जिसका तत्व अग्नि है, जो शक्ति और ऊर्जा को दर्शाता है। ​बुध मिथुन राशि का स्वामी है जिसका तत्व वायु है (बातचीत/संचार) और कन्या राशि का स्वामी है जिसका तत्व पृथ्वी है (विश्लेषण/ठोस तर्क)। ​यह सिद्ध करता है कि शक्ति (मंगल/अग्नि) तभी सफल होती है जब उसे बुद्धि (बुध/वायु-पृथ्वी) का मार्गदर्शन मिलता है। यह शत्रुता नहीं, बल्कि सहयोग और आवश्यक निर्भरता है! ​ब. सूर्य (प्रकाश) vs. शनि (अंधेरा): प्रकृति का चक्र ​सत्य (पूरकता): सूर्य और शनि प्रकृति के दो अनिवार्य पूरक हैं। जहाँ दिन है, वहीं रात है। सूर्य (प्रकाश) और शनि (छाया/अंधेरा) की शत्रुता भी प्रकृति के इस चक्र को दर्शाती है। शनि हमें सिखाता है कि सूर्य की ऊर्जा को अनुशासन और धैर्य के साथ कैसे इस्तेमाल करना है। ​3. तीसरा सत्य: राहु vsसुर्य- चंद्र राहु कोई दानव नहीं, वह आपकी अपनी 'छाया' है ​राहु वह ग्रह है जो सबसे अधिक भय पैदा करता है, जबकि उसका सत्य हमारे मन से जुड़ा है। ​राहु 'छाया ग्रह' क्यों? यह ठीक आपकी परछाई (छाया) की तरह है—जो है भी (दिखाई देती है) और नहीं भी है (ठोस नहीं)। ​उदाहरण: जब आप धूप में निकलते हैं, तो आपकी परछाई (राहु) दिखाई देती है। जितनी परछाई दिखती है, उतना ही उस क्षेत्र से प्रकाश (सूर्य) खत्म हो गया है और छाया दिखने लगी है। यही मायावी इच्छाएँ और अहंकार है, जो हमें भौतिक दुनिया की ओर खींचता है, पर हाथ नहीं आता। ​निष्कर्ष: राहु हमें केवल क्षण भर के लिए अपनी छाया की शक्ति का एहसास कराता है, ताकि हम अपने आंतरिक प्रकाश (मन और आत्मा) को पहचान सकें। यही सिद्धांत चंद्रमा (मन) की रोशनी में भी लागू होता है। ​4. चौथा सत्य: ग्रह केवल आईना हैं, कर्म ही नियंता है ​ज्योतिष का अंतिम पाठ यही है कि ग्रह हमें पिछले कर्मों का लेखा-जोखा दिखाते हैं। ​भ्रम: ग्रह हमारी किस्मत लिखते हैं, और हम असहाय हैं। ​सत्य: ग्रह हमें केवल यह बताते हैं कि जीवन के किस क्षेत्र में संतुलन और किसमें प्रयास की आवश्यकता है। आपकी स्वतंत्र इच्छा (Free Will) ही वह शक्ति है जो ग्रह-दशाओं के परिणामों को बदल सकती है। ​याद रखें: दशा (समय) ग्रह दिखाते हैं, लेकिन उस समय में दिशा आपको अपने कर्म और धर्म से तय करनी होती है। ​🔥 अंतिम संदेश: डर नहीं, ज्ञान चुनें! ​ग्रह, तत्व और दिशाएँ दुश्मन नहीं हैं। वे केवल हमारे व्यक्तित्व और वातावरण की विभिन्न ऊर्जाएँ हैं। जब आप बुद्धि (बुध) और शक्ति (मंगल) को एक साथ, राम और हनुमान की तरह चलाएँगे, और धर्म के मार्ग पर चलते हुए सही कर्म करेंगे, तो आपको किसी भी डर या अंधविश्वास की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। ​सच्चा ज्ञान आपको सशक्त बनाता है, डराता नहीं। ​#ज्योतिष_का_परम_सत्य #ग्रह_पूरक_हैं #राम_हनुमान_संबंध #भ्रम_तोड़ो ​🙏 इस लेख को साझा करें और सच्चे ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाएँ। #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 #💫राशि के अनुसार भविष्यवाणी #✋हस्तरेखा शास्त्र🌌 #🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय
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#🔯वास्तु दोष उपाय 🔥 नॉर्थ-ईस्ट बेडरूम का झूठ और विज्ञान: वास्तु का असली तर्क क्या है? (इसे शेयर जरूर करें!) -----------------++------ आजकल वास्तु (Vastu) के नाम पर खूब डर और भ्रम फैलाया जाता है। इस डर का सबसे बड़ा केंद्र है नॉर्थ-ईस्ट (ईशान कोण)। "नॉर्थ-ईस्ट (ईशान कोण) में बेडरूम हुआ तो स्वास्थ्य बिगड़ जाएगा, क्योंकि चुंबकीय ऊर्जा खराब हो जाएगी!" सच क्या है? आइए, इस डर और अंधविश्वास को विज्ञान और शुद्ध तर्क की कसौटी पर परखते हैं। ❌ 1. भ्रामक दावे का खंडन (Fake Vastu Advice Exposed) 'चुंबकीय ऊर्जा खराब' होने का दावा पूरी तरह भ्रामक और अवैज्ञानिक है। > दावा: "मैग्नेटिक एनर्जी खराब होती है।" > उपाय: "पीला रंग करो, नमक रखो, क्रिस्टल लगाओ।" > हमारा तर्क: हमारी नींद की गुणवत्ता बेडरूम की दिशा से नहीं, बल्कि आपके आनुवंशिकता, अच्छी जीवनशैली, और उचित मेडिकल केयर पर निर्भर करती है। ये 'उपाय' सिर्फ एक भ्रम हैं, जो आपको वास्तविक समस्या (जैसे खराब वेंटिलेशन या जीवनशैली) से भटकाते हैं। पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) बेडरूम की दिशा से स्वास्थ्य को बिगाड़ने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं देता। यह सिर्फ डर बेचकर पैसा कमाने का तरीका है। ✅ 2. नॉर्थ-ईस्ट का असली विज्ञान (The Real Vastu Logic) वास्तु का ज्ञान डर पर नहीं, बल्कि सदियों पुराने तर्क, स्वास्थ्य और प्रकृति के तालमेल पर आधारित है। नॉर्थ-ईस्ट में बेडरूम न बनाने का कारण 'डर' नहीं, बल्कि शुद्ध हवा, प्रकाश और स्वास्थ्य का सिद्धांत है। ☀️ तर्क 1: सुबह की धूप और कीटाणुनाशक गुण नॉर्थ-ईस्ट वह दिशा है जो सुबह की पहली सूर्य की किरणें (Early Morning Sun Rays) प्राप्त करती है। * विटामिन D और स्वास्थ्य: सुबह की धूप विटामिन D का भंडार होती है, जो हड्डियों और प्रतिरक्षा (Immunity) के लिए आवश्यक है। * प्राकृतिक कीटाणुनाशक: सुबह की धूप में मौजूद पराबैंगनी (UV) किरणें कमरे से नमी, फफूंदी (Mold) और धूल के हानिकारक कणों (Dust Mites) को खत्म करती हैं, जो एलर्जी और श्वसन संबंधी समस्याओं का मूल कारण हैं। बेडरूम, जो अक्सर नमी वाला होता है, उसे शुद्ध धूप से वंचित रखना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए घर के इस कोने को खुला या अध्ययन/पूजा के लिए रखना तार्किक था। 🌬️ तर्क 2: क्रॉस-वेंटिलेशन का सिद्धांत यह सिद्धांत आपके घर की वायु गुणवत्ता (Indoor Air Quality) से जुड़ा है। * ईशान कोण की भूमिका: उत्तरी गोलार्ध में, नॉर्थ-ईस्ट को खुला रखने पर जोर इसलिए दिया जाता था क्योंकि यह घर में ठंडी, ताज़ी और शुद्ध हवा के प्रवेश का मुख्य द्वार होता था। * हवा का संचार (Air Circulation): अगर यह हिस्सा खुला रखा जाए, तो घर में हवा का प्रवाह (क्रॉस-वेंटिलेशन) बेहतर होता है। * बंद नॉर्थ-ईस्ट बेडरूम की समस्या: एक बंद बेडरूम इस प्राकृतिक हवा के प्रवाह को बाधित करता है, जिससे हवा स्थिर (Stagnant) और अशुद्ध हो जाती है, जो आपके फेफड़ों के लिए ठीक नहीं है। 🙏 तर्क 3: शांति और एकाग्रता परंपरागत रूप से, यह दिशा ध्यान, पूजा और मन की शांति के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इसका कारण आध्यात्मिक से अधिक सुबह की शांत, शुद्ध ऊर्जा है जो एकाग्रता के लिए सहायक होती है। 💡 नॉर्थ-ईस्ट बेडरूम है तो क्या करें? (देखभाल और वैज्ञानिक समाधान) यदि आपका बेडरूम नॉर्थ-ईस्ट में है, तो घबराएँ नहीं। वास्तु के वास्तविक तर्क (स्वच्छता, प्रकाश, और हवा) को अपनाकर आप इसके संभावित नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं: * पर्याप्त प्रकाश और वेंटिलेशन (Light and Air): * खिड़कियाँ खोलें: सुनिश्चित करें कि सुबह के समय (जब धूप आती है) कमरे की खिड़कियाँ कम से कम 30 मिनट के लिए खुली रहें ताकि ताज़ी हवा का प्रवेश हो और नमी दूर हो। * पर्दे हल्के रखें: गहरे रंग के मोटे पर्दे के बजाय हल्के रंग के पारदर्शी पर्दे का उपयोग करें ताकि सुबह की धूप कमरे के अंदर आ सके और कीटाणुओं को खत्म कर सके। * एग्जॉस्ट फैन: अगर वेंटिलेशन कम है, तो एयर प्यूरीफायर या एग्जॉस्ट फैन का प्रयोग करें ताकि कमरे की स्थिर हवा बाहर निकल सके। * कमरा हल्का और व्यवस्थित रखें * कम सामान: इस कोने को शांत और खुला रखने के तर्क का पालन करें। बेडरूम में अनावश्यक भारी फर्नीचर, कबाड़ या बहुत सारा सामान न रखें। इसे जितना हो सके, खुला-खुला रखें। * सफाई: नियमित सफाई पर विशेष ध्यान दें ताकि फफूंदी (Mold) और धूल के कण (Dust Mites) जमा न हों। * शांति का केंद्र बनाएँ * इलेक्ट्रॉनिक्स कम करें: यहाँ TV, कंप्यूटर जैसे बहुत अधिक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स न रखें, खासकर बेड के पास। ये शांति और नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। * शांत रंग: दीवारों के लिए हल्के, शांत रंग (जैसे हल्का नीला, हरा या क्रीम) का उपयोग करें, जो शांति और एकाग्रता को बढ़ावा देते हैं। 📢 एक आवश्यक संदेश: > यह सब उपाय करने के बाद आपको इस बेडरूम से और आपके घर से कोई भी वास्तु अनुसार प्रॉब्लम नहीं आएगी। वास्तु का मतलब होता है वातावरण। घर के मुखिया को यहां कैंसर हो जाएगा, यहां वह हो जाएगा, वो हो जाएगा, सब बातें बकवास हैं, जिनको वास्तु के बारे में नॉलेज नहीं होती वह ऐसी बातें करते हैं। घर के वातावरण को नहीं पता होता कि घर का मुखिया कौन है घर का बच्चा कौन है वास्तु घर में रहने वालों के लिए सभी के लिए एक समान होता है। > 🎯 अंतिम संदेश: तर्क को हमेशा प्राथमिकता दें किसी भी वास्तु या ज्योतिषीय सलाह को स्वीकार करने से पहले, खुद से पूछें: > "क्या यह बात तार्किक है? क्या यह प्रकृति के नियमों के अनुकूल है? क्या यह मेरे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का सरल तरीका है?" > जो विशेषज्ञ आपको सिर्फ डराकर महंगे उपाय बताते हैं, उनसे बचें। असली ज्ञान वही है जो सरल, वैज्ञानिक और आपके जीवन को बेहतर बनाने वाला हो। वास्तु डराता नहीं है, यह हमें स्वस्थ और तार्किक तरीके से जीवन जीना सिखाता है। #VastuTruth #VastuLogic #तर्कसंगतवास्तु #नॉर्थईस्ट #RealVastu #🙏जय माता दी📿 #🙏गुरु महिमा😇 #🎶हैप्पी रोमांटिक स्टेटस #😘रोमांटिक सॉन्ग
🔯वास्तु दोष उपाय - ShareChat
#☕ सुबह की चाय #😘रोमांटिक सॉन्ग #🎶हैप्पी रोमांटिक स्टेटस #🙏गुरु महिमा😇 #🙏जय माता दी📿
☕ सुबह की चाय - सुनारे नेयम आम सममान के 8 यह अघहार नहीं , येह आपकी बाइगी खरर्त है! सोदे मना करो बुलाया नहीं? मत जाो. तुतत गाब्व जओ नंज़रअन्डाज़ किया? छोदे दो इंतचार करवाया? दिभिभिता नहीं? सवाल हो अयो रिश्ता तोदे दो से तुलहा? दुसोरो  सिर्फू मलल पर मोसब? ওনং মন নী यावरखेंः आमसममान अघहार नहीं , बलकी ೯Rಾಗ ೯! बुान्ड़ागी  सुनारे नेयम आम सममान के 8 यह अघहार नहीं , येह आपकी बाइगी खरर्त है! सोदे मना करो बुलाया नहीं? मत जाो. तुतत गाब्व जओ नंज़रअन्डाज़ किया? छोदे दो इंतचार करवाया? दिभिभिता नहीं? सवाल हो अयो रिश्ता तोदे दो से तुलहा? दुसोरो  सिर्फू मलल पर मोसब? ওনং মন নী यावरखेंः आमसममान अघहार नहीं , बलकी ೯Rಾಗ ೯! बुान्ड़ागी - ShareChat
🏡 व्यावहारिक सुख ही असली वास्तु: घर की सकारात्मक ऊर्जा का वैज्ञानिक आधार! ✨ हम अक्सर अपने घरों को वास्तु दोषों के चश्मे से देखते हैं—दीवार का रंग कैसा हो, प्रवेश द्वार कहाँ हो, आदि। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि असल में एक सुखद, स्वस्थ और सकारात्मक घर क्या होता है? मेरी व्यक्तिगत मान्यता है कि घर की बनावट या दिशा चाहे कोई भी हो, अगर हम कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखें, तो तथाकथित 'वास्तु दोष' अपने आप बेअसर हो जाते हैं। असली दोष ईंट-पत्थर में नहीं, बल्कि हमारी लापरवाही में छिपा है! 🌟 ये हैं घर की 'सकारात्मक ऊर्जा' के असली स्तंभ (Practical Pillars): * 1. निर्मल सफाई और दुर्गंध-मुक्त वातावरण: * घर में कहीं भी किसी भी तरह की गंदी बदबू या सीलन न हो। एक स्वच्छ घर अपने आप में शांति और समृद्धि का प्रतीक है। * तर्क: गंध और सीलन नकारात्मकता (बैक्टीरिया/फफूंदी) को जन्म देती है, जो सीधा स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, जबकि ताज़गी मन को प्रफुल्लित करती है और काम में मन लगता है। * 2. उत्तम वेंटिलेशन और शुद्ध हवा: * घर में हवा का उचित आवागमन (Proper Ventilation) होना सबसे ज़रूरी है। * तर्क: खुली खिड़कियां और दरवाज़े न सिर्फ़ हवा को शुद्ध करते हैं, बल्कि रुकी हुई (Stale) ऊर्जा और कार्बन डाइऑक्साइड को भी बाहर निकालते हैं। ताज़ी हवा शारीरिक और मानसिक ऊर्जा के लिए अत्यंत आवश्यक है। * 3. प्राकृतिक रोशनी और धूप का प्रवेश: * आपके घर में पर्याप्त रोशनी और धूप आनी चाहिए। * तर्क: धूप हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करती है, विटामिन डी देती है, मूड को बेहतर बनाती है और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाती है। जिस घर में धूप और रोशनी नहीं होती, वहाँ अक्सर उदासी, सुस्ती और बीमारियाँ घर कर लेती हैं। * 4. छत और बाथरूम की स्वच्छता (Zero Stagnation): * छत: यह घर का 'मुकुट' है। छत को साफ और क्लीन रखना, पानी जमा न होने देना, घर के ताप संतुलन के लिए ज़रूरी है। * बाथरूम/रसोई: खासकर टॉयलेट-बाथरूम में पानी का जमाव बिल्कुल नहीं होना चाहिए। पानी की निकासी सही हो और सफाई बनी रहे, क्योंकि ये स्थान सबसे ज़्यादा नमी और कीटाणु पैदा करते हैं। 🛑 अंधविश्वासों को तर्क की कसौटी पर परखें: वास्तविक 'दोष' क्या है? आइए, उन भ्रांतियों पर बात करें जिन्हें हम अक्सर दुर्भाग्य या 'नकारात्मक शक्ति' मान लेते हैं, जबकि उनका आधार सिर्फ़ लापरवाही और तर्क का अभाव होता है: | तथाकथित 'वास्तु दोष' (भ्रांति) | तर्कसंगत वास्तविकता (वैज्ञानिक/मनोवैज्ञानिक आधार) | |---|---| | टूटे हुए शीशे/बर्तन 'बुरा भाग्य' लाते हैं।इसके पिछे भी मनोविज्ञान काम करता है| टूटी हुई चीज़ें चोट और दुर्घटना का खतरा लाती हैं। कबाड़ और अव्यवस्था (Clutter) सिर्फ़ मानसिक तनाव पैदा करती है, जिससे ध्यान भटकता है। | | घर में शोर-शराबा 'अशुभ' होता है। | शोर-शराबा या कलह से घर में तनावपूर्ण माहौल बनता है, जिससे रिश्तों में दरार आती है। यह सीधा मनोवैज्ञानिक प्रभाव है, न कि किसी 'अशुभ' शक्ति का खेल। | | कुछ दिशाओं में सोना या बैठना 'धनहानि' करता है। | सोने या बैठने की गलत पोजीशन से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं (गर्दन/पीठ दर्द) हो सकती हैं, जिससे काम पर असर पड़ता है और उत्पादकता घटती है। इसी को लोग 'धनहानि' से जोड़ देते हैं। | | कोई विशेष पेड़ या पौधा घर में 'समृद्धि' लाता है। | हरियाली और पेड़-पौधे हवा को शुद्ध करते हैं और आँखों को सुकून देते हैं। यदि पौधा सूख रहा है, तो वह हवा को शुद्ध नहीं कर पाएगा, इसलिए उसे हटाना ज़रूरी है—यह पर्यावरण विज्ञान है, न कि कोई जादुई टोटका। | 💡 मेरा निष्कर्ष और चुनौती: मेरे लिए, एक ऐसा घर जो रहने वाले को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस कराए—वही घर वास्तु दोष से मुक्त और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर है। याद रखें: असली 'वास्तु दोष' घर की बनावट में नहीं, बल्कि हमारी लापरवाही में है। यदि आप अपने घर की उपेक्षा कर रहे हैं, गंदगी जमा कर रहे हैं, और वेंटिलेशन बंद कर रहे हैं, तो आप स्वयं ही अपने घर में नकारात्मकता को आमंत्रित कर रहे हैं। एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन के लिए अपने विचारों को सकारात्मक रखें और अपने घर को साफ़ रखें। बाकी सब अपने आप ठीक हो जाएगा। अगर आपकी सोच भी मेरी जैसी है, तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करें और बताएं कि आपके लिए एक खुशहाल घर की असली परिभाषा क्या है! #सकारात्मकसोच #घरकीसच्चाई #व्यावहारिकवास्तु #अंधविश्वासदूरकरें #🙏जय माता दी📿 #🙏गुरु महिमा😇 #🚀SC बूस्ट के साथ Views को सुपरचार्ज करें #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 #💫राशि के अनुसार भविष्यवाणी
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🆕 ताजा अपडेट - ٢ تزت तीन बजे जागे सुयोगी , चार बजे जागे सुसंत। पांच बजे जागे सो महात्मा , छह बजे जागे सो भगत | बाकी सब ठगत Il इस कहावत :- में बताया गया है कि योगी पुरुष तीन संत पुरुष चार बजे बिस्तर त्यागा बजे जग जाते है देते है , महात्मा लोग पांच बजे जग जाते है भक्तजनछ१K छ बजे जग जाते है ।शेष लोग जो छह बजे बाद जागते है , वे स्वयं को ठग रहे होते है , अर्थात अपने( स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे होते है | 53 ٢ تزت तीन बजे जागे सुयोगी , चार बजे जागे सुसंत। पांच बजे जागे सो महात्मा , छह बजे जागे सो भगत | बाकी सब ठगत Il इस कहावत :- में बताया गया है कि योगी पुरुष तीन संत पुरुष चार बजे बिस्तर त्यागा बजे जग जाते है देते है , महात्मा लोग पांच बजे जग जाते है भक्तजनछ१K छ बजे जग जाते है ।शेष लोग जो छह बजे बाद जागते है , वे स्वयं को ठग रहे होते है , अर्थात अपने( स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे होते है | 53 - ShareChat
#🔯वास्तु दोष उपाय ​🛑 वास्तु का सबसे बड़ा रहस्य: कम्पास और डिग्री से ही क्यों तय होता है आपके प्लॉट का भाग्य? (The Vastu Secret) ​क्या आप भी सूर्य को देखकर अपने प्लॉट की पूर्व दिशा तय करते हैं? सावधान! वास्तु की दुनिया में यह सबसे बड़ी गलती है। ​आपका प्लॉट कितना भी "पूर्व मुखी" क्यों न हो, यदि वह थोड़ा सा भी घुमा हुआ (Skewed) है, तो आपके घर का पूरा वास्तु ज़ोन बदल जाता है। यह जानने के लिए हमें वैज्ञानिक और तार्किक विधि का सहारा लेना होगा। ​यहाँ जानिए वास्तु की सटीकता का मूल आधार— कम्पास, डिग्री और 81 पद का विज्ञान। ​1. 🌅 सूर्योदय एक भ्रम है, डिग्री ही सत्य! ​बहुत से लोग सुबह सूर्य को देखकर कहते हैं, "यही हमारी पूर्व दिशा है।" पर यह एक बहुत बड़ा भ्रम है। ​तर्क 1: सूर्य की गति (उत्तरायण-दक्षिणायन): सूर्य पूरे वर्ष, खासकर उत्तरायण से दक्षिणायन होने तक, रोज लगभग एक डिग्री अपनी उदय की स्थिति बदलता रहता है। यानी, आज जो पूर्व है, वह 6 महीने बाद 'सटीक पूर्व' नहीं रहेगा। ​तर्क 2: चुंबकीय ध्रुव: कम्पास पृथ्वी के स्थिर चुंबकीय उत्तर (Magnetic North) पर काम करता है और सभी 360 डिग्री पर सटीक दिशा बताता है। ​निष्कर्ष: हमें यह जानना है कि हमारा प्लॉट उस स्थिर 'सटीक पूर्व' (90 डिग्री) से कितना डिग्री हटकर (उदाहरण के लिए 95 डिग्री) स्थित है। यह घुमाव केवल कम्पास ही बता सकता है। ​याद रखें: कम्पास के बिना, आप अपने प्लॉट का सटीक घुमाव नहीं जान सकते। 5 डिग्री का अंतर भी आपके जीवन के लिए बने वास्तु ज़ोन को पूरी तरह बदल सकता है! ​2. 📐 एक डिग्री का घुमाव, कोनों में महाविनाश! ​जब प्लॉट घूमता है, तो आपके घर के सबसे महत्वपूर्ण वास्तु कोण (Vastu Angles) अपनी जगह से हट जाते हैं: ​ईशान कोण (NE): यदि प्लॉट 10 डिग्री भी घुमा, तो आपका ईशान कोण, जो ज्ञान, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक है, दीवार के कोने की जगह बीच में या गलत ज़ोन में आ सकता है। ​अग्नेय कोण (SE): रसोई (आग्नेय) अगर एक डिग्री भी हट गई, तो अग्नि का ज़ोन ऊर्जा के ज़ोन (पूर्व) में मिल सकता है, जिससे ऊर्जा और अग्नि के बीच असंतुलन पैदा हो सकता है। ​डिग्री ही बताती है: यह डिग्री ही तय करती है कि आपका ईशान कोण दीवार के सेंटर में आ रहा है, या दीवार की लंबाई के एक-तिहाई हिस्से में। इसके बिना वास्तु करना सिर्फ अंदाज़ा लगाना है। ​3. 🗺️ 9 भाग और 81 पद: देवताओं का सटीक पता ​डिग्री चेक करने के बाद, वास्तु को सही ढंग से लागू करने के लिए हम प्लॉट को 9 ज़ोन (भाग) और 81 छोटे पदों (Padas) में विभाजित करते हैं। ​9 भाग (Zones) की उपयोगिता: पूरे प्लॉट को 8 दिशाओं और 1 केंद्र में बांटना। यह जानने के लिए कि 'धन का ज़ोन' (उत्तर) कितने फुट चौड़ा है, और 'स्वास्थ्य का ज़ोन' (पूर्व) कितने फुट पर शुरू हो रहा है। ​81 पद का रहस्य: यह वास्तु पुरुष मंडल का ग्रिड है। हर पद पर एक विशिष्ट देवता (जैसे पर्जन्य, इंद्र, अग्नि) का वास होता है। ​कम्पास + पद = सटीकता: ​पहले कम्पास से प्लॉट की घुमावदार डिग्री नोट की जाती है। ​फिर उसी डिग्री के अनुसार पूरे प्लॉट पर 81 पदों का घूमता हुआ ग्रिड बनाया जाता है। ​इससे यह सुनिश्चित होता है कि प्लॉट कितना भी घुमा हो, दरवाजा सही देवता (पद) पर ही बन रहा है, न कि पड़ोसी देवता पर। ​गहन बात: कम्पास की डिग्री के बिना, 81 पदों को गलत दिशा में बनाने से पूरी वास्तु योजना विफल हो जाएगी। आपका पूजा घर सही देवता की जगह किसी शत्रु देवता के पद पर भी बन सकता है! ​🌟 अंतिम निष्कर्ष ​वास्तु केवल दिशाएँ नहीं, बल्कि डिग्री और गणित है। ​यदि आप अपने घर में सही ऊर्जा, समृद्धि और स्वास्थ्य चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने प्लॉट का सटीक घुमाव कम्पास की डिग्री से जानें, और फिर उस डिग्री के अनुरूप 81 पदों का मंडल बनाएं। ​कम्पास और पद, ये दोनों वास्तु की नींव हैं! ​आप क्या सोचते हैं? क्या आपने कभी सूर्योदय को देखकर दिशा तय की है? नीचे कमेंट में बताएं! 👇 ​#वास्तुशास्त्र #कम्पास #वास्तुज्ञान #फेसबुकपोस्ट #vastutips #🚀SC बूस्ट के साथ Views को सुपरचार्ज करें #🙏गुरु महिमा😇 #🙏जय माता दी📿 #🤗जया किशोरी जी🕉️