#🔯ज्योतिष 🚩 ज्योतिष का परम सत्य: राम और हनुमान सिखाते हैं
—ग्रह दुश्मन नहीं, वे सहयोगी हैं!
आज, ज्योतिष का गूढ़ ज्ञान तोता ज्ञान और अंधविश्वास फैलाने वाले डर के धंधे का शिकार हो चुका है। हमारे ऋषियों ने जो ज्ञान दिया, उसका उद्देश्य हमें सशक्त करना था, भयभीत करना नहीं।
अगर आप भी इस ज्ञान की गहराई जानना चाहते हैं, तो इन चार क्रमिक सत्यों को समझें:
1. पहला सत्य: वास्तु की दिशाएँ दुश्मन नहीं, ऊर्जा संतुलन केंद्र हैं
हमारे जीवन का आधार हमारा वातावरण है, जिसे वास्तु शास्त्र समझाता है।
भ्रम: अक्सर कहा जाता है कि कुछ दिशाएँ अशुभ होती हैं या वे एक-दूसरे की दुश्मन हैं।
सत्य: कोई भी दिशा बुरी या दुश्मन नहीं होती। हर दिशा केवल एक ऊर्जा का केंद्र बिंदु है, जो विशिष्ट तत्वों और ग्रहों द्वारा शासित होती है। वास्तु का आपके पिछले या आने वाले जन्मों से कोई संबंध नहीं है। यह केवल उस वातावरण (घर/वातावरण) का प्रभाव है जिसमें आप रहते हैं।
वास्तु का मौलिक सिद्धांत: जब हम किसी दिशा के मूल तत्व के विपरीत कार्य करते हैं, तो यह दिशा की दुश्मनी नहीं, बल्कि ऊर्जा का असंतुलन है।
वैज्ञानिक तर्क (उदाहरण):
नॉर्थ-ईस्ट (उत्तर-पूर्व): इस दिशा से सुबह की सीधी धूप आती है। इसलिए इसे खुला और साफ रखने को कहा जाता है ताकि सूर्य की किरणें (धूप) घर में प्रवेश कर सकें, जीवाणु-मुक्त वातावरण बनाए और मन को शांत रखे।
साउथ-वेस्ट (दक्षिण-पश्चिम): इसे भारी रखने या ऊँचा रखने को इसलिए कहा जाता है ताकि दोपहर की प्रचंड गर्मी और ऊष्ण हवा घर के अंदर प्रवेश न कर सके, जिससे घर ठंडा और व्यवस्थित बना रहे।
🚨 मित्रों, सबसे बड़ा सत्य यहाँ समझें!
वहम (अंधविश्वास) ना करें! अगर आपका नॉर्थ ईस्ट खुला नहीं है और वहाँ बेडरूम है, तो किसी भी तरह का वहम ना करें। केवल बेडरूम की खिड़की सुबह-सुबह खोल दें, ताकि ऊर्जा का आवश्यक प्रवाह हो सके।
सरल नियम: अगर आपको अपने घर में शांति महसूस होती है, घर का वातावरण साफ-सुथरा है, और आपको अच्छी नींद आती है, तो किसी भी तरह का वहम करने की जरूरत नहीं है!
झंडा लगा देने का अंधविश्वास तोड़ें:
कुछ लोग साउथ-वेस्ट (दक्षिण-पश्चिम) दिशा को ऊंचा दिखाने के लिए वहां ऊंचा झंडा (ध्वज) लगवा देते हैं। यह तर्कहीन है! हमारे ऋषियों ने साउथ-वेस्ट को ऊंचा रखने को इसलिए कहा था ताकि गर्मियों में गर्म हवा और लू को घर में प्रवेश करने से रोका जा सके। प्राचीन समय में इसके लिए दीवारों को मोटा और थोड़ा ऊंचा बनाया जाता था ताकि ऊष्मा का प्रवेश न हो। एक झंडा लगा देने से न तो दीवारें मोटी हो जाएंगी, और न ही प्रचंड गर्मी रुक जाएगी। यह केवल बिना तर्क-बुद्धि के किए गए उपाय हैं जिनका भौतिक विज्ञान (Physics) या वास्तु के मूल सिद्धांत से कोई लेना-देना नहीं है।
यह परम सत्य है कि वास्तु की दिशाएँ न तो घन देती हैं, न कर्ज देती हैं, न करजा उतारती हैं, और न ही धन छीनती हैं। इस सत्य को अच्छी तरह समझ लें, तभी आप वहमों और डर के जाल से निकल पाओगे।
2. दूसरा सत्य: ग्रह विरोधी नहीं, पूरक शक्तियाँ हैं
जैसे वास्तु में दिशाओं को संतुलित करते हैं, वैसे ही हमारे भीतर ग्रहों की शक्तियों को एकीकृत करना होता है।
अ. बुध (तर्क) vs. मंगल (शक्ति): राम और हनुमान का प्रमाण
भ्रम: बुध (तर्क) और मंगल (बल) में दुश्मनी है।
सत्य (सहयोग):
बुध (भगवान विष्णु के अवतार राम/बुद्धि और तर्क) को मंगल (शक्ति, पराक्रम, और मेष राशि का कारकत्व रखने वाले हनुमान/बल) की सहायता लेनी पड़ी।
मंगल मेष राशिओर वृश्चिक राशि का स्वामी है, जिसका तत्व अग्नि है, जो शक्ति और ऊर्जा को दर्शाता है।
बुध मिथुन राशि का स्वामी है जिसका तत्व वायु है (बातचीत/संचार) और कन्या राशि का स्वामी है जिसका तत्व पृथ्वी है (विश्लेषण/ठोस तर्क)।
यह सिद्ध करता है कि शक्ति (मंगल/अग्नि) तभी सफल होती है जब उसे बुद्धि (बुध/वायु-पृथ्वी) का मार्गदर्शन मिलता है। यह शत्रुता नहीं, बल्कि सहयोग और आवश्यक निर्भरता है!
ब. सूर्य (प्रकाश) vs. शनि (अंधेरा): प्रकृति का चक्र
सत्य (पूरकता): सूर्य और शनि प्रकृति के दो अनिवार्य पूरक हैं। जहाँ दिन है, वहीं रात है। सूर्य (प्रकाश) और शनि (छाया/अंधेरा) की शत्रुता भी प्रकृति के इस चक्र को दर्शाती है। शनि हमें सिखाता है कि सूर्य की ऊर्जा को अनुशासन और धैर्य के साथ कैसे इस्तेमाल करना है।
3. तीसरा सत्य: राहु vsसुर्य- चंद्र राहु कोई दानव नहीं, वह आपकी अपनी 'छाया' है
राहु वह ग्रह है जो सबसे अधिक भय पैदा करता है, जबकि उसका सत्य हमारे मन से जुड़ा है।
राहु 'छाया ग्रह' क्यों? यह ठीक आपकी परछाई (छाया) की तरह है—जो है भी (दिखाई देती है) और नहीं भी है (ठोस नहीं)।
उदाहरण: जब आप धूप में निकलते हैं, तो आपकी परछाई (राहु) दिखाई देती है। जितनी परछाई दिखती है, उतना ही उस क्षेत्र से प्रकाश (सूर्य) खत्म हो गया है और छाया दिखने लगी है। यही मायावी इच्छाएँ और अहंकार है, जो हमें भौतिक दुनिया की ओर खींचता है, पर हाथ नहीं आता।
निष्कर्ष: राहु हमें केवल क्षण भर के लिए अपनी छाया की शक्ति का एहसास कराता है, ताकि हम अपने आंतरिक प्रकाश (मन और आत्मा) को पहचान सकें। यही सिद्धांत चंद्रमा (मन) की रोशनी में भी लागू होता है।
4. चौथा सत्य: ग्रह केवल आईना हैं, कर्म ही नियंता है
ज्योतिष का अंतिम पाठ यही है कि ग्रह हमें पिछले कर्मों का लेखा-जोखा दिखाते हैं।
भ्रम: ग्रह हमारी किस्मत लिखते हैं, और हम असहाय हैं।
सत्य: ग्रह हमें केवल यह बताते हैं कि जीवन के किस क्षेत्र में संतुलन और किसमें प्रयास की आवश्यकता है। आपकी स्वतंत्र इच्छा (Free Will) ही वह शक्ति है जो ग्रह-दशाओं के परिणामों को बदल सकती है।
याद रखें: दशा (समय) ग्रह दिखाते हैं, लेकिन उस समय में दिशा आपको अपने कर्म और धर्म से तय करनी होती है।
🔥 अंतिम संदेश: डर नहीं, ज्ञान चुनें!
ग्रह, तत्व और दिशाएँ दुश्मन नहीं हैं। वे केवल हमारे व्यक्तित्व और वातावरण की विभिन्न ऊर्जाएँ हैं। जब आप बुद्धि (बुध) और शक्ति (मंगल) को एक साथ, राम और हनुमान की तरह चलाएँगे, और धर्म के मार्ग पर चलते हुए सही कर्म करेंगे, तो आपको किसी भी डर या अंधविश्वास की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
सच्चा ज्ञान आपको सशक्त बनाता है, डराता नहीं।
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