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#संत श्री चिन्ध्याजी सरकार चूड़िया नगरी के राजा #🌺संत श्री सिंगाजी महाराज🌺 #🤟 सुपर स्टेटस #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🕉️सनातन धर्म🚩
संत श्री चिन्ध्याजी सरकार चूड़िया नगरी के राजा - ShareChat
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#🌺संत श्री सिंगाजी महाराज🌺 #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🤟 सुपर स्टेटस #🕉️सनातन धर्म🚩
🌺संत श्री सिंगाजी महाराज🌺 - J 1/11/25 মরহনি आरती सध्या श्री संत सिंगाजी महाराज जय ठी सतरिगाजीमहर Mahooi a Prad 2025,18.37  " sh న J 1/11/25 মরহনি आरती सध्या श्री संत सिंगाजी महाराज जय ठी सतरिगाजीमहर Mahooi a Prad 2025,18.37  sh న - ShareChat
#🪔देवउठनी एकादशी📿 #🤟 सुपर स्टेटस #👏भगवान विष्णु की अद्भुत लीला😇 #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🕉️सनातन धर्म🚩
🪔देवउठनी एकादशी📿 - आज का देव उठनी एकादशी त्यौहार कार्तिक शुक्ल एकादशी वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी होती है, क्योँकि इस दिन चातुर्मास का समापन होता है और विष्णु ' के विश्राम के बाद पुनः धरती का महीने भगवान aR कार्यभार संभालने के लिए जाग उठते हैं। BhaktiSarovarin आज का देव उठनी एकादशी त्यौहार कार्तिक शुक्ल एकादशी वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी होती है, क्योँकि इस दिन चातुर्मास का समापन होता है और विष्णु ' के विश्राम के बाद पुनः धरती का महीने भगवान aR कार्यभार संभालने के लिए जाग उठते हैं। BhaktiSarovarin - ShareChat
#🪔देवउठनी एकादशी📿 #👏भगवान विष्णु की अद्भुत लीला😇 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🌺खाटू श्याम बाबा का जन्मोत्सव 🙏 #🤟 सुपर स्टेटस
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00:10
#🌺खाटू श्याम बाबा का जन्मोत्सव 🙏 #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #👏भगवान विष्णु की अद्भुत लीला😇 #🚩जय श्री खाटूश्याम 🙏 #🪔देवउठनी एकादशी📿
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#🌞छठ पूजा की शुभकामनाएं🫂🤗 #🪔छठ पूजा Status⏳ #🪔छठ पूजा सॉन्ग्स🎶 #🌞छठ घाट🪔📿 #🌞जय छठी मैया🌺
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00:19
#🪔छठ पूजा Status⏳ #🌞जय छठी मैया🌺 #☀ जय सूर्यदेव #🌞छठ पूजा लुक💄🥻 #🌞छठ घाट🪔📿
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#🌞जय छठी मैया🌺 #🌞छठ पूजा लुक💄🥻 #🪔छठ पूजा सॉन्ग्स🎶 #🪔छठ पूजा Status⏳ #☀ जय सूर्यदेव
🌞जय छठी मैया🌺 - Bhaktira T 9 नक्तिसासोवर क्या आप जानते हैं ? छठ पूजा को सनातन धर्म के अति प्राचीन पर्वों में से एक माना है, इस पर्व का उल्लेख ऋग्वेद की एक ऋचा में भी मिलता है जिसमें ٦٢ छठ पर्व की विधियों के समान ही सूर्य पूजा का वर्णन है। यह पूजा सूर्य देवता और छठी मां (षष्ठी मां या उषा) को समर्पित है। इस त्यौहार के द्वारा लोग सूर्य देवता, देवी मां उषा ` सुबह की पहली किरण ' और प्रत्युषा ` संध्या की अंतिम किरण' के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं। छठ एक ऐसा त्यौहार है जिसके नियमों का बड़ी सख्ती के साथ पालन किया जाता है। रामायण और महाभारत दोनों ही ग्रंथों में यह उल्लेख है कि छठ पूजा देवी सीता 'श्रीराम के अयोध्या लौटने पर' और द्रोपदी जी दोनों के द्वारा मनायी गई थी। Bhaktira T 9 नक्तिसासोवर क्या आप जानते हैं ? छठ पूजा को सनातन धर्म के अति प्राचीन पर्वों में से एक माना है, इस पर्व का उल्लेख ऋग्वेद की एक ऋचा में भी मिलता है जिसमें ٦٢ छठ पर्व की विधियों के समान ही सूर्य पूजा का वर्णन है। यह पूजा सूर्य देवता और छठी मां (षष्ठी मां या उषा) को समर्पित है। इस त्यौहार के द्वारा लोग सूर्य देवता, देवी मां उषा ` सुबह की पहली किरण ' और प्रत्युषा ` संध्या की अंतिम किरण' के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं। छठ एक ऐसा त्यौहार है जिसके नियमों का बड़ी सख्ती के साथ पालन किया जाता है। रामायण और महाभारत दोनों ही ग्रंथों में यह उल्लेख है कि छठ पूजा देवी सीता 'श्रीराम के अयोध्या लौटने पर' और द्रोपदी जी दोनों के द्वारा मनायी गई थी। - ShareChat
#🪔शुभ शनिवार🙏 #🚩सालासर बालाजी 🙏 #🙏🏻हनुमान जी के भजन #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🔊सुन्दर कांड🕉️
🪔शुभ शनिवार🙏 - Il ম্রীহা Il ஜிழ निज मनु मुकुरु  बरनऊं रघुबर बिमल जसु , जो दायकु फल चारि II चरन सरोज रज , सुधारि तनु जानिके , सुमिरौं पवन - कुमार  बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ।l बुद्धिहीन चौपाई II  I श्री जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर अंजनि - पुत्र पवनसुत नामा   ।। 2 অনুলিন  रामदूत बल धामा , हनुमान चालीसा   महाबीर बिकरम बजरंगी  নিনাং মুপনি ক মগী Il 3 कुमति कंचन बरन बिराज सुबेसा , कानन कुंडल कुंचित केसा ।। 4 हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै , कांधे मूंज जनेऊ साजै   Il 5 संकर सुवन केसरीनंदन , तेज प्रताप महा जग बन्दन   ।। 6 विद्यावान  गुनी अति चातुर , राम काज करिबे को आतुर   I१ 7 प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया , राम लखन सीता मन बसिया ।l 8 सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा , बिकट रूप धरि लंक जरावा ।l 9 भीम रूप धरि असुर संहारे , रामचंद्र के काज संवारे I। १० लाय सजीवन लखन जियाये , श्रीरघुबीर हरषि उर लाये   ।। ११ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई , तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई   Il १२ सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं  ।l १३ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा , नारद सारद सहित अहीसा   Il १४ ।l कुबेर दिगपाल जहां ते , कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।। १५ जम तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा , राम मिलाय राज पद दीन्हा ।। १६ तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना   ।l १७ Il ताहि मधुर फल जानू   ।l १८ जुग सहस्र जोजन पर भानू , लील्यो प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं , जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।l १९ 3 &, अनुग्रह तुम्हरे तेते   Il २० दुर्गम काज जगत  सुगम दुआरे तुम रखवारे , होत न आज्ञा बिनु पैसारे  Il २१ যাম सब सुख लहै तुम रक्षक काहू को डर ना  ।। २२ तुम्हारी सरना आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हांक तें कांपै ।l २३ भूत पिसाच निकट नहिं आवै महाबीर जब नाम  सुनावै  || 24 नासै रोग हरै सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा   ।l २५ संकट तें हनुमान छुड़ावै मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।l २६ सब पर राम तपस्वी राजा , तिन के काज सकल तुम साजा   ।l २७ और मनोरथ जो कोई लावै , सोइ अमित जीवन फल पावै  ।। २८ चारों जुग परताप तुम्हारा , है परसिद्ध जगत उजियारा   ।। २९ साधु - संत के तुम रखवारे , असुर निकंदन राम दुलारे  ।। ३० नौ निधि के दाता , अस बर दीन जानकी माता   I। ३१ अष्ट सिद्धि राम रसायन तुम्हरे पासा , सदा रहो रघुपति के दासा  ।। ३२ जनम - जनम के दुख बिसरावै  Il ३३ तुम्हरे भजन राम को पावै रघुबर पुर जाई , जहां जन्म हरि-भक्त कहाई   Il ३४ अन्फाल और देवता चित्त न धरई , हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।l ३५ संकट कटै मिटै सब पीरा , जो सुमिरै हनुमत बलबीरा   II ३६ जै जै जै हनुमान गोसाई , कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।१ ३७ जो सत बार पाठ कर कोई , छूटहि बंदि महा सुख होई ।l ३८ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा , होय सिद्धि साखी गौरीसा Il ३९ तुलसीदास सदा हरि चेरा , कीजै नाथ हृदय मंह डेरा   ।। ४० Il ন্রীষা Il Il राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप  II पवन तनय संकट हरन , मंगल मूरति रूप Il ম্রীহা Il ஜிழ निज मनु मुकुरु  बरनऊं रघुबर बिमल जसु , जो दायकु फल चारि II चरन सरोज रज , सुधारि तनु जानिके , सुमिरौं पवन - कुमार  बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ।l बुद्धिहीन चौपाई II  I श्री जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर अंजनि - पुत्र पवनसुत नामा   ।। 2 অনুলিন  रामदूत बल धामा , हनुमान चालीसा   महाबीर बिकरम बजरंगी  নিনাং মুপনি ক মগী Il 3 कुमति कंचन बरन बिराज सुबेसा , कानन कुंडल कुंचित केसा ।। 4 हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै , कांधे मूंज जनेऊ साजै   Il 5 संकर सुवन केसरीनंदन , तेज प्रताप महा जग बन्दन   ।। 6 विद्यावान  गुनी अति चातुर , राम काज करिबे को आतुर   I१ 7 प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया , राम लखन सीता मन बसिया ।l 8 सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा , बिकट रूप धरि लंक जरावा ।l 9 भीम रूप धरि असुर संहारे , रामचंद्र के काज संवारे I। १० लाय सजीवन लखन जियाये , श्रीरघुबीर हरषि उर लाये   ।। ११ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई , तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई   Il १२ सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं  ।l १३ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा , नारद सारद सहित अहीसा   Il १४ ।l कुबेर दिगपाल जहां ते , कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।। १५ जम तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा , राम मिलाय राज पद दीन्हा ।। १६ तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना   ।l १७ Il ताहि मधुर फल जानू   ।l १८ जुग सहस्र जोजन पर भानू , लील्यो प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं , जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।l १९ 3 &, अनुग्रह तुम्हरे तेते   Il २० दुर्गम काज जगत  सुगम दुआरे तुम रखवारे , होत न आज्ञा बिनु पैसारे  Il २१ যাম सब सुख लहै तुम रक्षक काहू को डर ना  ।। २२ तुम्हारी सरना आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हांक तें कांपै ।l २३ भूत पिसाच निकट नहिं आवै महाबीर जब नाम  सुनावै  || 24 नासै रोग हरै सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा   ।l २५ संकट तें हनुमान छुड़ावै मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।l २६ सब पर राम तपस्वी राजा , तिन के काज सकल तुम साजा   ।l २७ और मनोरथ जो कोई लावै , सोइ अमित जीवन फल पावै  ।। २८ चारों जुग परताप तुम्हारा , है परसिद्ध जगत उजियारा   ।। २९ साधु - संत के तुम रखवारे , असुर निकंदन राम दुलारे  ।। ३० नौ निधि के दाता , अस बर दीन जानकी माता   I। ३१ अष्ट सिद्धि राम रसायन तुम्हरे पासा , सदा रहो रघुपति के दासा  ।। ३२ जनम - जनम के दुख बिसरावै  Il ३३ तुम्हरे भजन राम को पावै रघुबर पुर जाई , जहां जन्म हरि-भक्त कहाई   Il ३४ अन्फाल और देवता चित्त न धरई , हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।l ३५ संकट कटै मिटै सब पीरा , जो सुमिरै हनुमत बलबीरा   II ३६ जै जै जै हनुमान गोसाई , कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।१ ३७ जो सत बार पाठ कर कोई , छूटहि बंदि महा सुख होई ।l ३८ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा , होय सिद्धि साखी गौरीसा Il ३९ तुलसीदास सदा हरि चेरा , कीजै नाथ हृदय मंह डेरा   ।। ४० Il ন্রীষা Il Il राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप  II पवन तनय संकट हरन , मंगल मूरति रूप - ShareChat