31 अक्टूबर आधुनिक भारत के शिल्पी, लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्मजयंती है। भारत की रियासतों को एकसूत्र में बाँधकर राष्ट्र को अखण्ड स्वरूप देने वाले इस महापुरुष ने अपने अदम्य साहस, नीति और दूरदृष्टि से भारतीय एकता की अमर नींव रखी। उनके जीवन, संघर्ष और योगदान को जानिए इस विशेष आलेख में।
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*आंवला नवमी: भारतीय समाज में प्रकृति पूजन का पर्व*
> आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है, भारतीय समाज में प्रकृति पूजन की परंपरा का प्रतीक है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है, जो वैदिक काल से जीवन, आरोग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। ब्राह्मणों समाज से लेकर गोंड, उरांव, साहू, बैगा समाज तक, वृक्ष उपासना के कई पर्व हमारे सांस्कृतिक एकता और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता की भावना को दर्शाते है।
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आइए जानते है, कैसे पूरा भारतीय समाज में प्रकृति की उपासना की परंपरा हजारों सालों से विद्यमान है।
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कृष्ण की द्वारिका और पुरातात्विक तथ्य
यह लेख भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका नगरी के ऐतिहासिक प्रमाणों से जुड़े पुरातात्विक साक्ष्यों को उजागर करता है। इसमें बताया गया है कि कैसे द्वारिका का उल्लेख पुराणों में मिलता है, परंतु खुदाइयों और समुद्री अन्वेषणों ने इसके वास्तविक काल और अस्तित्व पर नई रोशनी डाली है।
क्या वास्तव में समुद्र में डूबी द्वारिका वही थी जिसे कृष्ण ने बसाया था? जानिए इस रोमांचक खोज की पूरी कहानी।
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भाई दूज और चित्रगुप्त जयंती के इस विशेष अवसर पर जानिए कैसे यह पर्व हमारे संस्कारों, रिश्तों और आस्था को जोड़ता है। जानिए इस दिन भगवान चित्रगुप्त की अद्भुत कथा और कायस्थ समाज द्वारा की जाने वाली चित्रगुप्त की पूजा का परंपरा एवं आध्यात्मिक महत्व।
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भारतीयता केवल भाषा या वेश-भूषा से नहीं बनती, वह बनती है मूल्यों से - सत्य, दया, परोपकार, कर्तव्य और धर्म से।
भारत ने सिखाया है कि सहिष्णुता कमजोरी नहीं, बल्कि संस्कृति की शक्ति है।
अन्याय के विरोध और मर्यादा के पालन में ही भारतीयता का सार है।
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वीरता और त्याग की प्रतीक: रानी दुर्गावती
यह आलेख रानी दुर्गावती की अदम्य वीरता, शौर्य, प्रजापालन और बलिदान की गाथा है। कालिंजर से लेकर गढ़ा-मण्डला तक उनके जीवन की हर घटना में साहस, आत्मसम्मान और मातृभूमि के लिए समर्पण झलकता है। पढ़िए वह कथा जिसने भारतीय इतिहास में उन्हें अमर बना दिया।
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