𝙳𝚒𝚗𝚊𝚗𝚊𝚝𝚑 Sitaram 𝚅𝚒𝚜𝚑𝚠𝚊𝚔𝚊𝚛𝚖𝚊
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@dina51
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जियो जिंदगी👌 सबसे बडा रोग, क्या कहेंगे लोग👌
#☝अनमोल ज्ञान #🙏 प्रेरणादायक विचार #❤️जीवन की सीख #🌸 सत्य वचन #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख
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#🙏भगवान राम से सीख 🚩 🌺 *राम जी की अंगूठी और हनुमान की अग्नि-सी भक्ति* 🌺 जब रामावतार का उद्देश्य पूर्ण हुआ, तब *श्रीराम को अपने मानव-शरीर का त्याग करना था।* परंतु एक समस्या थी— जहाँ राम हैं, वहाँ हनुमान भी होते हैं… और _जहाँ हनुमान हैं, वहाँ यमराज आने का साहस भी नहीं कर सकते।_ *श्रीराम मुस्कुराए।* उन्हें पता था— *हनुमान का प्रेम इतना निर्मल, इतना निष्कपट है कि वह मृत्यु को भी रोक सकता है।* इसलिए उन्होंने पृथ्वी की एक दरार में अपनी अंगूठी गिरा दी और बोले— *“हनुमान, इसे खोज कर ले आओ।”* हनुमान जी उसी क्षण निकल पड़े। धरती की परतों को पार करते हुए वे नागलोक पहुँचे। वहाँ के राजा ने अंगूठी दिखाते हुए कहा— *“इस संसार में ऐसी अंगूठियाँ असंख्य हैं। हर बार एक राम आते हैं, एक लीला करते हैं…* और एक हनुमान उनकी अंगूठी खोजने यहाँ पहुँच जाते हैं।” *यह सुनते ही हनुमान जी समझ गए—* ये सब रामजी का प्रेम था, उनकी लीला थी… ताकि मैं दूर रहूँ और यमराज अपना कार्य कर सकें। *उनके नेत्र भर आए।* _लेकिन अगले ही क्षण वे मुस्कुराए क्योंकि हनुमान जानते थे—राम शरीर त्याग सकते हैं, लेकिन राम नाम… और राम का प्रेम… कभी नहीं जाता।_ वे वापस लौटे, लेकिन उनके हृदय में अब कोई विरह नहीं था। केवल एक सत्य था— *राम और हनुमान का बंधन किसी जन्म, किसी मृत्यु, किसी काल से बंधा नहीं है। यह प्रेम अनंत है—सनातन है।*
🙏भगवान राम से सीख 🚩 - जब राम अवतार का प्रयोजन सिद्ध हो गया तब राम जी को किसी साधारण मनुष्य की तरह ही अपना शरीर त्यागना था। लेकिन उनके परम भक्त हनुमान के होते यमराज के लिए राम जी तक पहुंचना संभव नहीं था। इसलिए राम जी ने जमीन में पड़ी एक दरार से अपनी अंगूठी गिरा दी और हनुमान से उसे लाने के लिए कहा। हनुमान जी उसे खोजते खोजते नाग लोक पहुँच गए और वहां के राजा से राम जी की अंगूठी के बारे में पूछा। तब राजा ने बताया कि राम जी ने ऐसा उनका ध्यान भटकाने के लिए किया है ताकि यमराज राम जी को लेे जा सकें| जब राम अवतार का प्रयोजन सिद्ध हो गया तब राम जी को किसी साधारण मनुष्य की तरह ही अपना शरीर त्यागना था। लेकिन उनके परम भक्त हनुमान के होते यमराज के लिए राम जी तक पहुंचना संभव नहीं था। इसलिए राम जी ने जमीन में पड़ी एक दरार से अपनी अंगूठी गिरा दी और हनुमान से उसे लाने के लिए कहा। हनुमान जी उसे खोजते खोजते नाग लोक पहुँच गए और वहां के राजा से राम जी की अंगूठी के बारे में पूछा। तब राजा ने बताया कि राम जी ने ऐसा उनका ध्यान भटकाने के लिए किया है ताकि यमराज राम जी को लेे जा सकें| - ShareChat