🅕𝐊𝐢𝐫𝐭𝐢 𝐓𝐫𝐢𝐩𝐚𝐭𝐡𝐢✨
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#✍मेरे पसंदीदा लेखक #💔 हार्ट ब्रेक स्टेटस #🙌 Never Give Up #sad #❤️सैड व्हाट्सएप स्टेटस
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#✍मेरे पसंदीदा लेखक #📚कविता-कहानी संग्रह #📗प्रेरक पुस्तकें📘 #💔 हार्ट ब्रेक स्टेटस #🥰Express Emotion
✍मेरे पसंदीदा लेखक - पारिस्थितिकी तंत्र को ४जैसे ज़िंदा रखने के लिए fr होते हैं, ज़रूरी वैसे ही संघर्ष से  सफलता  के सफ़र में तक गिद्धों का होना भी कुछ ज़रूरी होता है- जो गिरने का इंतज़ार ताकि तुम्हारा उठना दुनिज़ा देझरते हैं देख सके।" @ पारिस्थितिकी तंत्र को ४जैसे ज़िंदा रखने के लिए fr होते हैं, ज़रूरी वैसे ही संघर्ष से  सफलता  के सफ़र में तक गिद्धों का होना भी कुछ ज़रूरी होता है- जो गिरने का इंतज़ार ताकि तुम्हारा उठना दुनिज़ा देझरते हैं देख सके।" @ - ShareChat
#✍मेरे पसंदीदा लेखक #🙌 Never Give Up #🥰Express Emotion #❤️सैड व्हाट्सएप स्टेटस #🙏गीता ज्ञान🛕
✍मेरे पसंदीदा लेखक - अधूरे ही हैं... कुछ शब्द आज भी ख़्वाहिशें प्रेम ళాో शक्ति रहस्य त्याग संघर्ष 784 समर्पण सम्मान साक्ष्य और श्री-्कृष्ण... अधूरे ही हैं... कुछ शब्द आज भी ख़्वाहिशें प्रेम ళాో शक्ति रहस्य त्याग संघर्ष 784 समर्पण सम्मान साक्ष्य और श्री-्कृष्ण... - ShareChat
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#✍मेरे पसंदीदा लेखक#माँ #maa
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"किसान की हकीकत"#kisan diwas #📚कविता-कहानी संग्रह #✍मेरे पसंदीदा लेखक #🙌 Never Give Up
📚कविता-कहानी संग्रह - "किसान की हकीकत" किसान टूट गया, हो गया बेगाना, क़्विंटल पे क्विंटल, टन पे टन उगाया दाना। लेकिन साल के अंत में घर में न बचा एक भी दाना, बस कर्ज़, थकान और आँखों का वीराना। एमएसपी , लोन, सब्सिडी के नाम पर सपने Rerg, काग़ज़ों में अमीरी , हकीकत में आँसू बहाए। जिस अन्न से अमीर और अमीर हो गए, उसी अन्नदाता के बच्चे भूख से रो गए। कभी सोचा था बनेगा अपना एक आशियाना , पर हर साल गिरवी रखना पड़ा खेत और ठिकाना। লীন ব্রুব্ধা ` न पाया, मुआवज़ा मिला नहीं , सब्सिडी के खेल को कोई समझा नहीं | टीवी पर नेता मुस्कराए, भाषणों में वादे आए, पर खेत में पसीने संग बस धोखे ही उग आए। सोचा " फसल बोऊँ या उम्मीद बोऊँ नई?" बर्बादी ही सही। पर हर बार परिणाम आया आख़िरी में जब आस टूट गई, फाँसी की रस्सी ही साथी छूट गई। किसान टूट गया और हो गया बेगाना, मिट्टी से रिश्ता निभाया, पर अपनों से बेगाना @kirtitripathi "किसान की हकीकत" किसान टूट गया, हो गया बेगाना, क़्विंटल पे क्विंटल, टन पे टन उगाया दाना। लेकिन साल के अंत में घर में न बचा एक भी दाना, बस कर्ज़, थकान और आँखों का वीराना। एमएसपी , लोन, सब्सिडी के नाम पर सपने Rerg, काग़ज़ों में अमीरी , हकीकत में आँसू बहाए। जिस अन्न से अमीर और अमीर हो गए, उसी अन्नदाता के बच्चे भूख से रो गए। कभी सोचा था बनेगा अपना एक आशियाना , पर हर साल गिरवी रखना पड़ा खेत और ठिकाना। লীন ব্রুব্ধা ` न पाया, मुआवज़ा मिला नहीं , सब्सिडी के खेल को कोई समझा नहीं | टीवी पर नेता मुस्कराए, भाषणों में वादे आए, पर खेत में पसीने संग बस धोखे ही उग आए। सोचा " फसल बोऊँ या उम्मीद बोऊँ नई?" बर्बादी ही सही। पर हर बार परिणाम आया आख़िरी में जब आस टूट गई, फाँसी की रस्सी ही साथी छूट गई। किसान टूट गया और हो गया बेगाना, मिट्टी से रिश्ता निभाया, पर अपनों से बेगाना @kirtitripathi - ShareChat
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✍मेरे पसंदीदा लेखक - अब माँ नहीं अबला नारी अब माँ नहीं अबला नारी, बन गई वो चिंगारी। लखपति दीदी, ड्रोन दीदी, और बनी व्यापारी। अब माँ नहीं बेचारी, बन गई वो चिंगारी। IIT' प्रधानमंत्री बनी,  बनी, राष्ट्रपति I और बनी स्वावलंबी नारी। अब माँ नहीं बेचारी, घर चलाए, ऑफिस चलाए, और निभाए सब रिश्तेदारी। अब माँ नहीं बेचारी, बन गई वो चिंगारी। बस चलाए जहाज चलाए और चलाए रेलगाड़ी| अब माँ नहीं बेचारी बन गई वो चिंगारी। दुर्गा कहलाए, काली कहलाए, और कहलाए संस्कारी। अब माँ नहीं बेचारी, बन गई वो चिंगारी | चंद्रयान से अंतरिक्षयान तक, उठाए हर मिशन की ज़िम्मेदारी। अब माँ नहीं बेचारी, बन गई वो चिंगारी।  पैराशूट  सूट पहने, पहने, और पहने वो सारी। अब माँ नहीं बेचारी, 41saf I क्रिकेट खेले, टेनिस खेले, और खेले सब पारी। अब माँ नहीं बेचारी, बन गई वो चिंगारी। पर्यावरण बचाए, बेटी बचाए, प्रकृति सारी। और बचाए श्रृंगार करे, नरसंहार करे, और न करे बिन गलती वार। अब माँ नहीं बेचारी, न ही अबला नारी - हाँ, बन गई वो चिंगारी अब माँ नहीं अबला नारी अब माँ नहीं अबला नारी, बन गई वो चिंगारी। लखपति दीदी, ड्रोन दीदी, और बनी व्यापारी। अब माँ नहीं बेचारी, बन गई वो चिंगारी। IIT' प्रधानमंत्री बनी,  बनी, राष्ट्रपति I और बनी स्वावलंबी नारी। अब माँ नहीं बेचारी, घर चलाए, ऑफिस चलाए, और निभाए सब रिश्तेदारी। अब माँ नहीं बेचारी, बन गई वो चिंगारी। बस चलाए जहाज चलाए और चलाए रेलगाड़ी| अब माँ नहीं बेचारी बन गई वो चिंगारी। दुर्गा कहलाए, काली कहलाए, और कहलाए संस्कारी। अब माँ नहीं बेचारी, बन गई वो चिंगारी | चंद्रयान से अंतरिक्षयान तक, उठाए हर मिशन की ज़िम्मेदारी। अब माँ नहीं बेचारी, बन गई वो चिंगारी।  पैराशूट  सूट पहने, पहने, और पहने वो सारी। अब माँ नहीं बेचारी, 41saf I क्रिकेट खेले, टेनिस खेले, और खेले सब पारी। अब माँ नहीं बेचारी, बन गई वो चिंगारी। पर्यावरण बचाए, बेटी बचाए, प्रकृति सारी। और बचाए श्रृंगार करे, नरसंहार करे, और न करे बिन गलती वार। अब माँ नहीं बेचारी, न ही अबला नारी - हाँ, बन गई वो चिंगारी - ShareChat
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