માયાજાળ
ShareChat
click to see wallet page
@mayajaal__
mayajaal__
માયાજાળ
@mayajaal__
I love ShareChat
#🌊વિશ્વ નદીઓ દિવસ
🌊વિશ્વ નદીઓ દિવસ - Vau LnU  ] 1 a 1 5 Vau LnU  ] 1 a 1 5 - ShareChat
#🌊વિશ્વ નદીઓ દિવસ
🌊વિશ્વ નદીઓ દિવસ - Vau LnU  ] 1 a 1 5 Vau LnU  ] 1 a 1 5 - ShareChat
#🍰રણબીર કપૂર બર્થડે સ્પેશિયલ
🍰રણબીર કપૂર બર્થડે સ્પેશિયલ - ShareChat
#🍰રણબીર કપૂર બર્થડે સ્પેશિયલ
🍰રણબીર કપૂર બર્થડે સ્પેશિયલ - ShareChat
#🙏લતા મંગેશકરની જન્મજયંતિ
🙏લતા મંગેશકરની જન્મજયંતિ - ShareChat
#😱ટીમ ઈન્ડિયાને લાગ્યો મોટો ઝટકો
😱ટીમ ઈન્ડિયાને લાગ્યો મોટો ઝટકો - SONY liv LIVE Icc 0 ENG 593-8 Ben Stokes: 14th Test hundred in 115 matches, Znd v India] Lead by 235 Overs १४53 0 SONY liv LIVE Icc 0 ENG 593-8 Ben Stokes: 14th Test hundred in 115 matches, Znd v India] Lead by 235 Overs १४53 0 - ShareChat
#😲ગરબામાં કર્યા અશ્લીલ કૃત્યો
😲ગરબામાં કર્યા અશ્લીલ કૃત્યો - जयपुर सिटी भास्कर 26-09-2025 শনিক HR अभिव्यक्ति... आदि शक्ति का स्पंदन संदेश दे रहा था कि॰स्त्री शक्ति ही सृष्टि को LPERENCE,;7 धुरी है। साथ ही बहुृत से लोग ऑपरेशन ஈசு अंशु हर्ष  धरती पर हरियाली जैसे सामाजिक सरोकारों  लेखिका वःप्लिशर संदेश अपने परिधान पर सजाये हुए थे।  अच्छा लगता है ये जानकार कि हर उम्न के ढोल की थाप पर जब लगे थिरकते कदम लोग उत्साह और शक्ति से गरबा सीखते हैं और रंग-बिरंगी पोशाकों में नर नारियों संग दीपक को लौ-सा झिलमिला रहा था मन फिर वहां आकर अपनी ऊर्जा शक्ति से ताल से ताल मिलाते हैं। चारों ओर रंगनबिरंगी पारंपरक भक्ति में डूबा था॰ उल्लास से भरा जीवन। avu | पारंपरिक संस्कृतिः नृत्य, गीत और संगीत  मेंसजे लोग। कहों   झिलमिलाते ने हमेशा मुझे अपनी ओर खींचा है। यही  घाघरा चोली की चमक थी॰ ता कहीं केसरिया  आकर्षण मुझे अभिव्यक्त गरबा को दुनिया में और नीलो पगड़ियों का आकर्षण। जब सुर- गूंजते हैं तो हर कदम अपने आप थिरकने ले आया। आश्विन मास की शाम में गोधूलि নাল बेला का अगला पहर जैसे ही अपनी छटा लगता हे। बिखेर रहा था मां जगदम्बा के जयघोष से गरबा को लय में जो आनंद मिले तेरी कृपा से ही वो भाव खिले। নানানতো যুনাঘমান #া ও8াI ওন নঁ ন সন में एक रोमांच जगा दिया। चारों ओर भक्त के अम्बा तू ही शक्ति तू ही आधार तेरे चरणों में है संसार का सार। साथ उल्लास का माहोल था। आरती का दृश्य तो मानो अलौकिक था विविध   राज्यों के व्यंजनों की खुशबू ஈ 5 (कानपुर   इंदौर, कच्छ मांड वृंदावन और जहां दीपों की ज्योति ओर ताल के झूम रही थीं। ज्योत से उँठता धुआं किसी  दक्षिण भारत के पकवान ) पांडाल में रचन्बस साथ जातो है। यह खुशबू केवल स्वाद का अहसास अदृश्य रागिनी की तरह ऊपर उठता जा रहा जैसे वह समृद्धि और मंगल कामना का नहीं कराती, बल्कि अनेकता में एकता का संदेश e भी देती है। यह गरबा की धुन के साथ दिल में संदेश बनकर सोध आकाश सेनात कर रहा उतरती चली जाती है। यह आयोजन सांस्कृतिक  होे। उस पल ऐसा लगा मानो पूरा वातावरण मा को महिमा का साक्षातू उत्सव बन गया हो। जहां उत्सव है॰जो २० बरसों से अभिव्यक्त की जयपुर को धड़कन और भास्कर  हर धड़कन, हर स्वर. हर लय मां के चरणों में परंपरा हे। यह समर्पित था। गरबा में बीच में गर्भ दीप हमें ये को साधना का जीवत प्रतीक भी हे। जयपुर सिटी भास्कर 26-09-2025 শনিক HR अभिव्यक्ति... आदि शक्ति का स्पंदन संदेश दे रहा था कि॰स्त्री शक्ति ही सृष्टि को LPERENCE,;7 धुरी है। साथ ही बहुृत से लोग ऑपरेशन ஈசு अंशु हर्ष  धरती पर हरियाली जैसे सामाजिक सरोकारों  लेखिका वःप्लिशर संदेश अपने परिधान पर सजाये हुए थे।  अच्छा लगता है ये जानकार कि हर उम्न के ढोल की थाप पर जब लगे थिरकते कदम लोग उत्साह और शक्ति से गरबा सीखते हैं और रंग-बिरंगी पोशाकों में नर नारियों संग दीपक को लौ-सा झिलमिला रहा था मन फिर वहां आकर अपनी ऊर्जा शक्ति से ताल से ताल मिलाते हैं। चारों ओर रंगनबिरंगी पारंपरक भक्ति में डूबा था॰ उल्लास से भरा जीवन। avu | पारंपरिक संस्कृतिः नृत्य, गीत और संगीत  मेंसजे लोग। कहों   झिलमिलाते ने हमेशा मुझे अपनी ओर खींचा है। यही  घाघरा चोली की चमक थी॰ ता कहीं केसरिया  आकर्षण मुझे अभिव्यक्त गरबा को दुनिया में और नीलो पगड़ियों का आकर्षण। जब सुर- गूंजते हैं तो हर कदम अपने आप थिरकने ले आया। आश्विन मास की शाम में गोधूलि নাল बेला का अगला पहर जैसे ही अपनी छटा लगता हे। बिखेर रहा था मां जगदम्बा के जयघोष से गरबा को लय में जो आनंद मिले तेरी कृपा से ही वो भाव खिले। নানানতো যুনাঘমান #া ও8াI ওন নঁ ন সন में एक रोमांच जगा दिया। चारों ओर भक्त के अम्बा तू ही शक्ति तू ही आधार तेरे चरणों में है संसार का सार। साथ उल्लास का माहोल था। आरती का दृश्य तो मानो अलौकिक था विविध   राज्यों के व्यंजनों की खुशबू ஈ 5 (कानपुर   इंदौर, कच्छ मांड वृंदावन और जहां दीपों की ज्योति ओर ताल के झूम रही थीं। ज्योत से उँठता धुआं किसी  दक्षिण भारत के पकवान ) पांडाल में रचन्बस साथ जातो है। यह खुशबू केवल स्वाद का अहसास अदृश्य रागिनी की तरह ऊपर उठता जा रहा जैसे वह समृद्धि और मंगल कामना का नहीं कराती, बल्कि अनेकता में एकता का संदेश e भी देती है। यह गरबा की धुन के साथ दिल में संदेश बनकर सोध आकाश सेनात कर रहा उतरती चली जाती है। यह आयोजन सांस्कृतिक  होे। उस पल ऐसा लगा मानो पूरा वातावरण मा को महिमा का साक्षातू उत्सव बन गया हो। जहां उत्सव है॰जो २० बरसों से अभिव्यक्त की जयपुर को धड़कन और भास्कर  हर धड़कन, हर स्वर. हर लय मां के चरणों में परंपरा हे। यह समर्पित था। गरबा में बीच में गर्भ दीप हमें ये को साधना का जीवत प्रतीक भी हे। - ShareChat
#😲ગરબામાં કર્યા અશ્લીલ કૃત્યો
😲ગરબામાં કર્યા અશ્લીલ કૃત્યો - जयपुर सिटी भास्कर 26-09-2025 শনিক HR अभिव्यक्ति... आदि शक्ति का स्पंदन संदेश दे रहा था कि॰स्त्री शक्ति ही सृष्टि को LPERENCE,;7 धुरी है। साथ ही बहुृत से लोग ऑपरेशन ஈசு अंशु हर्ष  धरती पर हरियाली जैसे सामाजिक सरोकारों  लेखिका वःप्लिशर संदेश अपने परिधान पर सजाये हुए थे।  अच्छा लगता है ये जानकार कि हर उम्न के ढोल की थाप पर जब लगे थिरकते कदम लोग उत्साह और शक्ति से गरबा सीखते हैं और रंग-बिरंगी पोशाकों में नर नारियों संग दीपक को लौ-सा झिलमिला रहा था मन फिर वहां आकर अपनी ऊर्जा शक्ति से ताल से ताल मिलाते हैं। चारों ओर रंगनबिरंगी पारंपरक भक्ति में डूबा था॰ उल्लास से भरा जीवन। avu | पारंपरिक संस्कृतिः नृत्य, गीत और संगीत  मेंसजे लोग। कहों   झिलमिलाते ने हमेशा मुझे अपनी ओर खींचा है। यही  घाघरा चोली की चमक थी॰ ता कहीं केसरिया  आकर्षण मुझे अभिव्यक्त गरबा को दुनिया में और नीलो पगड़ियों का आकर्षण। जब सुर- गूंजते हैं तो हर कदम अपने आप थिरकने ले आया। आश्विन मास की शाम में गोधूलि নাল बेला का अगला पहर जैसे ही अपनी छटा लगता हे। बिखेर रहा था मां जगदम्बा के जयघोष से गरबा को लय में जो आनंद मिले तेरी कृपा से ही वो भाव खिले। নানানতো যুনাঘমান #া ও8াI ওন নঁ ন সন में एक रोमांच जगा दिया। चारों ओर भक्त के अम्बा तू ही शक्ति तू ही आधार तेरे चरणों में है संसार का सार। साथ उल्लास का माहोल था। आरती का दृश्य तो मानो अलौकिक था विविध   राज्यों के व्यंजनों की खुशबू ஈ 5 (कानपुर   इंदौर, कच्छ मांड वृंदावन और जहां दीपों की ज्योति ओर ताल के झूम रही थीं। ज्योत से उँठता धुआं किसी  दक्षिण भारत के पकवान ) पांडाल में रचन्बस साथ जातो है। यह खुशबू केवल स्वाद का अहसास अदृश्य रागिनी की तरह ऊपर उठता जा रहा जैसे वह समृद्धि और मंगल कामना का नहीं कराती, बल्कि अनेकता में एकता का संदेश e भी देती है। यह गरबा की धुन के साथ दिल में संदेश बनकर सोध आकाश सेनात कर रहा उतरती चली जाती है। यह आयोजन सांस्कृतिक  होे। उस पल ऐसा लगा मानो पूरा वातावरण मा को महिमा का साक्षातू उत्सव बन गया हो। जहां उत्सव है॰जो २० बरसों से अभिव्यक्त की जयपुर को धड़कन और भास्कर  हर धड़कन, हर स्वर. हर लय मां के चरणों में परंपरा हे। यह समर्पित था। गरबा में बीच में गर्भ दीप हमें ये को साधना का जीवत प्रतीक भी हे। जयपुर सिटी भास्कर 26-09-2025 শনিক HR अभिव्यक्ति... आदि शक्ति का स्पंदन संदेश दे रहा था कि॰स्त्री शक्ति ही सृष्टि को LPERENCE,;7 धुरी है। साथ ही बहुृत से लोग ऑपरेशन ஈசு अंशु हर्ष  धरती पर हरियाली जैसे सामाजिक सरोकारों  लेखिका वःप्लिशर संदेश अपने परिधान पर सजाये हुए थे।  अच्छा लगता है ये जानकार कि हर उम्न के ढोल की थाप पर जब लगे थिरकते कदम लोग उत्साह और शक्ति से गरबा सीखते हैं और रंग-बिरंगी पोशाकों में नर नारियों संग दीपक को लौ-सा झिलमिला रहा था मन फिर वहां आकर अपनी ऊर्जा शक्ति से ताल से ताल मिलाते हैं। चारों ओर रंगनबिरंगी पारंपरक भक्ति में डूबा था॰ उल्लास से भरा जीवन। avu | पारंपरिक संस्कृतिः नृत्य, गीत और संगीत  मेंसजे लोग। कहों   झिलमिलाते ने हमेशा मुझे अपनी ओर खींचा है। यही  घाघरा चोली की चमक थी॰ ता कहीं केसरिया  आकर्षण मुझे अभिव्यक्त गरबा को दुनिया में और नीलो पगड़ियों का आकर्षण। जब सुर- गूंजते हैं तो हर कदम अपने आप थिरकने ले आया। आश्विन मास की शाम में गोधूलि নাল बेला का अगला पहर जैसे ही अपनी छटा लगता हे। बिखेर रहा था मां जगदम्बा के जयघोष से गरबा को लय में जो आनंद मिले तेरी कृपा से ही वो भाव खिले। নানানতো যুনাঘমান #া ও8াI ওন নঁ ন সন में एक रोमांच जगा दिया। चारों ओर भक्त के अम्बा तू ही शक्ति तू ही आधार तेरे चरणों में है संसार का सार। साथ उल्लास का माहोल था। आरती का दृश्य तो मानो अलौकिक था विविध   राज्यों के व्यंजनों की खुशबू ஈ 5 (कानपुर   इंदौर, कच्छ मांड वृंदावन और जहां दीपों की ज्योति ओर ताल के झूम रही थीं। ज्योत से उँठता धुआं किसी  दक्षिण भारत के पकवान ) पांडाल में रचन्बस साथ जातो है। यह खुशबू केवल स्वाद का अहसास अदृश्य रागिनी की तरह ऊपर उठता जा रहा जैसे वह समृद्धि और मंगल कामना का नहीं कराती, बल्कि अनेकता में एकता का संदेश e भी देती है। यह गरबा की धुन के साथ दिल में संदेश बनकर सोध आकाश सेनात कर रहा उतरती चली जाती है। यह आयोजन सांस्कृतिक  होे। उस पल ऐसा लगा मानो पूरा वातावरण मा को महिमा का साक्षातू उत्सव बन गया हो। जहां उत्सव है॰जो २० बरसों से अभिव्यक्त की जयपुर को धड़कन और भास्कर  हर धड़कन, हर स्वर. हर लय मां के चरणों में परंपरा हे। यह समर्पित था। गरबा में बीच में गर्भ दीप हमें ये को साधना का जीवत प्रतीक भी हे। - ShareChat
#😲ઇન્દ્રનીલ રાજ્યગુરુ VHP વચ્ચે બબાલ
😲ઇન્દ્રનીલ રાજ્યગુરુ VHP વચ્ચે બબાલ - ShareChat
01:45
#⛈️નવરાત્રીમાં મેઘરાજાની બઘડાટી
⛈️નવરાત્રીમાં મેઘરાજાની બઘડાટી - निर्भेये NEWS goeldui थागाभी 5 हिवश @I? 022Eo ] थेतवधी निर्भेये NEWS goeldui थागाभी 5 हिवश @I? 022Eo ] थेतवधी - ShareChat