pradeep dau
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राग बिहाग #PstudioOrai #melody राग बिहाग #pstudioorai #music #indianmusic #rag #melody #बिहाग #bihag
PstudioOrai - बिहाग राग .fed बिलावल आरोह में अल्प तीव्र म IC स्वर ०जाति : ओढव=्संपूर्ण ५/७  "ಫಾನಾ : 31 1೯ ? 8 संवादी निषाद (न) ॰वादी गंधार (ग) ०साम्प्रकृति रागः यमन कल्याण  रात्रि का प्रथम प्रहर ०समय " आरोह-.नि सा ग म' प नि सां। अवरोह- सां नि ध प, म' प ग म॰ ग रे सा। p_studio_orai पकड पम' ग सा। ম য,২ विशेषता {గాగె में तीव्र म विवादी स्वर है, बिहाग राग अब इसका पयोग बहुत बढ़ गया है। आरोह में रे ध स्वर वर्ज्य हैं और अवरोह में अल्प जैसे- नि धप और ग रेसा। मन्द्र नि से राग की चलन शुरू की जाती है। यह का राग नहीं है। ठुमरी इसमें बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल व मसीतखानी रजाखानी गतें गाई बजाई जाती हैं। चलन तीनों सप्तकों में अच्छी శ a तरह होती है। बिहाग राग .fed बिलावल आरोह में अल्प तीव्र म IC स्वर ०जाति : ओढव=्संपूर्ण ५/७  "ಫಾನಾ : 31 1೯ ? 8 संवादी निषाद (न) ॰वादी गंधार (ग) ०साम्प्रकृति रागः यमन कल्याण  रात्रि का प्रथम प्रहर ०समय आरोह-.नि सा ग म' प नि सां। अवरोह- सां नि ध प, म' प ग म॰ ग रे सा। p_studio_orai पकड पम' ग सा। ম য,২ विशेषता {గాగె में तीव्र म विवादी स्वर है, बिहाग राग अब इसका पयोग बहुत बढ़ गया है। आरोह में रे ध स्वर वर्ज्य हैं और अवरोह में अल्प जैसे- नि धप और ग रेसा। मन्द्र नि से राग की चलन शुरू की जाती है। यह का राग नहीं है। ठुमरी इसमें बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल व मसीतखानी रजाखानी गतें गाई बजाई जाती हैं। चलन तीनों सप्तकों में अच्छी శ a तरह होती है। - ShareChat
#melody #PstudioOrai just enjoy 😘
melody - 9)(@|10 KK SINGI MUSICIAN 9)(@|10 KK SINGI MUSICIAN - ShareChat
#PstudioOrai #melody Rag bhupali
PstudioOrai - பளி राग रविकृत स्वर कोई नहीं कल्याण IC -जाति : औडव = औडव ५/५ ॰वर्ज्य स्वर : म नि মনাতী daa (e) ॰वादी : गंधार (ग) समप्रकृति राग : देशकार -समय : रात्रि का प्रथम प्रहर a आरोह- सा,रे ২,য,৭,ং ध,सां अवरोह- सां,ध,प,ग,रे,सा p_studio_orai पकड़-  पग, रेग, सारे ध.सा, विशेषता इस राग को कल्याण थाट में रक्खा गया है। राग देशकार # নিল্কল  यही स्वर लगते हैं, किन्तु उसे बिलावल थाट में रक्खा गया है, क्योंकि दोनों का स्वरूप एक 17 दूसरे का राग नहीं है। / 46 ठुमरी n பளி राग रविकृत स्वर कोई नहीं कल्याण IC -जाति : औडव = औडव ५/५ ॰वर्ज्य स्वर : म नि মনাতী daa (e) ॰वादी : गंधार (ग) समप्रकृति राग : देशकार -समय : रात्रि का प्रथम प्रहर a आरोह- सा,रे ২,য,৭,ং ध,सां अवरोह- सां,ध,प,ग,रे,सा p_studio_orai पकड़-  पग, रेग, सारे ध.सा, विशेषता इस राग को कल्याण थाट में रक्खा गया है। राग देशकार # নিল্কল  यही स्वर लगते हैं, किन्तु उसे बिलावल थाट में रक्खा गया है, क्योंकि दोनों का स्वरूप एक 17 दूसरे का राग नहीं है। / 46 ठुमरी n - ShareChat
#PstudioOrai #melody Rag bhairav
PstudioOrai - राग भैरव रविकृत स्वर भैरव रे, ध कोमल IC संपूर्ण=्संपूर्ण ७/७  कोई नहीं ouIf : ॰वर्ज्य स्वर ॰संवादी ऋषभ (रे ) धैवत (ध ) ॰वादी समप्रकृति राग : कलिंगड़ा  -समय : दिन का प्रथम प्रहर a सा,रे_ , आरोह- ग,म॰प,ध_ ,नि,सां। ,4,#,7,?_,= अवरोह- सां,नि, ೮; p_studio_orai पकड़़- ग म ध _ 5 ध_ प, ग म रे_ 5 रे_ सा। विशेषता यह अपने थाट का आश्रय राग है। इस राग में ऋषभ और धैवत आंदोलित होते हैं, जैसे ग म ध 5 ध 5 प और ग म रे 5 रे 5 सा। इसे संधिप्रकाश राग भी कहते हैं क्योंकि इसे प्रातः काल 4 से 7 प्रकृति का राग है। इसमें बजे के अन्दर गाया जाता है। यह गंभीर भैरव और कालिंगड़ा दोनों के स्वर नहीं गाईन्बजाई जाती ठुमरी एक ही हैं, किन्तु चलन में भेद है। @७ राग भैरव रविकृत स्वर भैरव रे, ध कोमल IC संपूर्ण=्संपूर्ण ७/७  कोई नहीं ouIf : ॰वर्ज्य स्वर ॰संवादी ऋषभ (रे ) धैवत (ध ) ॰वादी समप्रकृति राग : कलिंगड़ा  -समय : दिन का प्रथम प्रहर a सा,रे_ , आरोह- ग,म॰प,ध_ ,नि,सां। ,4,#,7,?_,= अवरोह- सां,नि, ೮; p_studio_orai पकड़़- ग म ध _ 5 ध_ प, ग म रे_ 5 रे_ सा। विशेषता यह अपने थाट का आश्रय राग है। इस राग में ऋषभ और धैवत आंदोलित होते हैं, जैसे ग म ध 5 ध 5 प और ग म रे 5 रे 5 सा। इसे संधिप्रकाश राग भी कहते हैं क्योंकि इसे प्रातः काल 4 से 7 प्रकृति का राग है। इसमें बजे के अन्दर गाया जाता है। यह गंभीर भैरव और कालिंगड़ा दोनों के स्वर नहीं गाईन्बजाई जाती ठुमरी एक ही हैं, किन्तु चलन में भेद है। @७ - ShareChat
#melody #PstudioOrai Rag bhairavi
melody - राग भैरवी নিক্ূন भैरवी ग,ध,नि कोमल स्वर : रे IC -जाति : संपूर्ण=्संपूर्ण ७७ कोई नहीं ॰वर्ज्य स्वर মাতী ०वादी षड्ज (सा) मध्यम (म) समप्रकृति राग समय a A; आरोह- सा, रे_,ग_,म॰,प,ध_,f ,सां| সাঁ,নি_,৭ ೩; अवरोह- ,৭,ম,য_,` ध I ) p_studio_orai म॰ ग रे ग सा रे सा, धु नि सा। पकड़- विशेषता किन्तु भैरवी राग का गायन ्समय प्रातःकाल माना गया है, आजकल इसे हर समय गाते बजाते हैं। प्रत्येक महफिल अधिकतर इसी राग से समाप्त होती है। यह ठुमरी का राग चपल है। राग की सुन्दरता बढ़ाने के है। इसकी प्रकृति लिये अन्य स्वर भी प्रयोग कर लिये जाते हैं। चंचल प्रकृति होने के कारण इसमें मसीतखानी गत तो बजाई का राग जाती है, किन्तु बड़ा ख्याल नहीं गाया जाता।  राग भैरवी নিক্ূন भैरवी ग,ध,नि कोमल स्वर : रे IC -जाति : संपूर्ण=्संपूर्ण ७७ कोई नहीं ॰वर्ज्य स्वर মাতী ०वादी षड्ज (सा) मध्यम (म) समप्रकृति राग समय a A; आरोह- सा, रे_,ग_,म॰,प,ध_,f ,सां| সাঁ,নি_,৭ ೩; अवरोह- ,৭,ম,য_,` ध I ) p_studio_orai म॰ ग रे ग सा रे सा, धु नि सा। पकड़- विशेषता किन्तु भैरवी राग का गायन ्समय प्रातःकाल माना गया है, आजकल इसे हर समय गाते बजाते हैं। प्रत्येक महफिल अधिकतर इसी राग से समाप्त होती है। यह ठुमरी का राग चपल है। राग की सुन्दरता बढ़ाने के है। इसकी प्रकृति लिये अन्य स्वर भी प्रयोग कर लिये जाते हैं। चंचल प्रकृति होने के कारण इसमें मसीतखानी गत तो बजाई का राग जाती है, किन्तु बड़ा ख्याल नहीं गाया जाता। - ShareChat
#PstudioOrai #melody Rag Bageshwari
PstudioOrai - बागेश्वरी राग .[ಾಗ स्वर : ग,नि कोमल काफी IC आरोह में रे, प॰जाति ओढव=्संपूर्ण ५/७  ॰वर्ज्य स्वर 8 ०संवादी ०वादी षड्ज (सा) मध्यम (म) ॰समप्रकृति राग  भीमपलासी -समय : रात्रि का प्रथम प्रहर . a सा ग_ म ध नि_ सां। आरोह- नि সাঁ,নি_,৭ अवरोह- ध, म,प,ध,ग_,s म॰ग_ , सा ೪ पकड़- ध नि_ सा म॰ धरड नि_ ध म॰ म प ध ग_ $ म ग_ रे सा रे विशेषता पंचम आरोह में तो वर्ज्य है, किन्तु अवरोह में वक्र प्रयोग किया जाता है, जैसे- सां नि ध, म प ध ग। इसकी जाति के विषय में मतभेद है। औडव - संपूर्ण जाति की बागेश्वरी प्रचार में अधिक है। ध म की संगति बार बार दिखाते हैं। का राग नहीं है। ठुमरी यह 3101 बागेश्वरी राग .[ಾಗ स्वर : ग,नि कोमल काफी IC आरोह में रे, प॰जाति ओढव=्संपूर्ण ५/७  ॰वर्ज्य स्वर 8 ०संवादी ०वादी षड्ज (सा) मध्यम (म) ॰समप्रकृति राग  भीमपलासी -समय : रात्रि का प्रथम प्रहर . a सा ग_ म ध नि_ सां। आरोह- नि সাঁ,নি_,৭ अवरोह- ध, म,प,ध,ग_,s म॰ग_ , सा ೪ पकड़- ध नि_ सा म॰ धरड नि_ ध म॰ म प ध ग_ $ म ग_ रे सा रे विशेषता पंचम आरोह में तो वर्ज्य है, किन्तु अवरोह में वक्र प्रयोग किया जाता है, जैसे- सां नि ध, म प ध ग। इसकी जाति के विषय में मतभेद है। औडव - संपूर्ण जाति की बागेश्वरी प्रचार में अधिक है। ध म की संगति बार बार दिखाते हैं। का राग नहीं है। ठुमरी यह 3101 - ShareChat
#melody #PstudioOrai Rag kafi
melody - राग काफी ०विकृत  स्वर : ग,नि कोमल काफी IC ॰जाति : संपूर्ण=्संपूर्ण ७७ कोई नहीं ॰वर्ज्य स्वर संवादी ॰वादी पंचम (प) ऋषभ समप्रकृति राग : कोई नहीं ०समय : मध्य रात्रि a आरोहनसा रे ग_ म प ध नि_ सां। अवरोह- सां नि_ ध प म ग_ रे सा। p_studio_orai पकड़़- रे प म प ग_ रे, म म प। विशेषता इसमें अधिकतर गाई- बजाई जाती है। ठुमरी की ठुमरी के लिये कभी-कभी आरोह में शुद्ध ग नि बढ़ाने శగౌ प्रयोग करते हैं। आसावरी, खमाज आदि के समान यह भी आश्रय राग है। n राग काफी ०विकृत  स्वर : ग,नि कोमल काफी IC ॰जाति : संपूर्ण=्संपूर्ण ७७ कोई नहीं ॰वर्ज्य स्वर संवादी ॰वादी पंचम (प) ऋषभ समप्रकृति राग : कोई नहीं ०समय : मध्य रात्रि a आरोहनसा रे ग_ म प ध नि_ सां। अवरोह- सां नि_ ध प म ग_ रे सा। p_studio_orai पकड़़- रे प म प ग_ रे, म म प। विशेषता इसमें अधिकतर गाई- बजाई जाती है। ठुमरी की ठुमरी के लिये कभी-कभी आरोह में शुद्ध ग नि बढ़ाने శగౌ प्रयोग करते हैं। आसावरी, खमाज आदि के समान यह भी आश्रय राग है। n - ShareChat
#PstudioOrai #melody Rag BHIMPLASI
PstudioOrai - राग भीमपलासी ॰विकृत स्वर काफी য,নি ব্রূীমল IC ॰वर्ज्य स्वर : आरोह रे ध ०जाति : ओढव=्संपूर्ण ५/७  संवादी षड्ज (सा) ०वादी माध्यम (म) ०समप्रकृति राग : बागेश्वरी  ०समय : दिन चौथा प्रहर 009 आरोह-सा ग_ म प नि_ सां। अवरोह- सां नि_ ध प, म प ग_ म॰ ग_ रे सा। p_studio_orai ٠ TTT,TTT_Ts T? TTl पकड़- विशेषता महत्वपूर्ण है। राग बागेश्वरी में मध्यम स्वर बड़ा इस राग इसके समीप का राग है। बागेश्वरी में ध नि साम और भीमपलासी में नि सा म प्रयोग किया जाता है। बागेश्वरी के आरोह में पंचम वर्ज्य है और अवरोह में वक्र प्रयोग किया भीमपलासी के आरोह अवरोह दोनों में f जाता है, पंचम अच्छी तरह सीधा प्रयोग किया जाता है। इसका वादी स्वर सप्तक के उत्तरांग में होने पर भी इस दिन के में गाया-बजाया जाता है पूर्वांग  राग भीमपलासी ॰विकृत स्वर काफी য,নি ব্রূীমল IC ॰वर्ज्य स्वर : आरोह रे ध ०जाति : ओढव=्संपूर्ण ५/७  संवादी षड्ज (सा) ०वादी माध्यम (म) ०समप्रकृति राग : बागेश्वरी  ०समय : दिन चौथा प्रहर 009 आरोह-सा ग_ म प नि_ सां। अवरोह- सां नि_ ध प, म प ग_ म॰ ग_ रे सा। p_studio_orai ٠ TTT,TTT_Ts T? TTl पकड़- विशेषता महत्वपूर्ण है। राग बागेश्वरी में मध्यम स्वर बड़ा इस राग इसके समीप का राग है। बागेश्वरी में ध नि साम और भीमपलासी में नि सा म प्रयोग किया जाता है। बागेश्वरी के आरोह में पंचम वर्ज्य है और अवरोह में वक्र प्रयोग किया भीमपलासी के आरोह अवरोह दोनों में f जाता है, पंचम अच्छी तरह सीधा प्रयोग किया जाता है। इसका वादी स्वर सप्तक के उत्तरांग में होने पर भी इस दिन के में गाया-बजाया जाता है पूर्वांग - ShareChat
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PstudioOrai - गुरुर्ब्रम्हा  महेश्वरः गुरुर्देवो  ग्रुरुर्विष्णुः गुरू पुर्णिम L आप सभी यमे गर पर्णिमा  ಔ೯ 305 #ಕ್ಾ೫ಕಗಶಣಾನೋ =-மர=- ஈய- . कथा व्यास प्रिया किशोरी जी काशी बनारस ) @@s 8९२२8 १३५६२ गुरुर्ब्रम्हा  महेश्वरः गुरुर्देवो  ग्रुरुर्विष्णुः गुरू पुर्णिम L आप सभी यमे गर पर्णिमा  ಔ೯ 305 #ಕ್ಾ೫ಕಗಶಣಾನೋ =-மர=- ஈய- . कथा व्यास प्रिया किशोरी जी काशी बनारस ) @@s 8९२२8 १३५६२ - ShareChat
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editing - তুঁত এ্ন্তের জগুন্তঞড্ুল ঔজিন] श्री हरिवश राधे राधे Fರೆ ತ8ತಖಹೊ ಿಳ [ HAPPY GURU PURNIMA 1 எே 8 शुभकामनाएं @vaishnav_kishori] DSo 0ी कथाव्यस वैष्णवी किशोरी जी (श्री धाम वृंदावन ) ছ सपर्क सूत्ि8-96968888 তুঁত এ্ন্তের জগুন্তঞড্ুল ঔজিন] श्री हरिवश राधे राधे Fರೆ ತ8ತಖಹೊ ಿಳ [ HAPPY GURU PURNIMA 1 எே 8 शुभकामनाएं @vaishnav_kishori] DSo 0ी कथाव्यस वैष्णवी किशोरी जी (श्री धाम वृंदावन ) ছ सपर्क सूत्ि8-96968888 - ShareChat