🥰धीरे-धीरे, उनकी मुलाकातें बढ़ने लगीं। वो घंटों साथ बैठते।
रवि : "अनोखी, तुम्हारे चेहरे की यह चमक... क्या यह इन जुगनूओं की रोशनी है, या मेरे दिल में जलता हुआ प्रेम का दीपक?"
अनोखी: "रवि , जब तुम मुझे देखते हो, तो मुझे लगता है जैसे मैंने बादलों के पार का सफर कर लिया हो। तुम्हारा साथ शांत झील जैसा है, जिसमें मेरा मन डुबकी लगाना चाहता है।"
रवि : "तुम्हारा प्रेम मेरे लिए उस पहाड़ी झरने की तरह है, जो हर रुकावट को पार करके मुझ तक पहुँचता है, और मुझे अमृत जैसा मीठा सुकून देता है।"
एक रात, दोनों गाँव से दूर, तारों की चादर के नीचे बैठे थे।
अनोखी: "देखो रवि! यह आसमान कितना गहरा है, पर मुझे इसमें सिर्फ तुम्हारी आँखें दिखाई देती हैं, जिनमें मेरे लिए एक नया संसार बसा है।"
रवि: (उसका हाथ थामकर) "मेरी प्यारी अनोखी, मेरा प्रेम इन पहाड़ों से भी ऊँचा है और इस घाटी से भी गहरा। तुम मेरे जीवन का वो सबसे खूबसूरत अध्याय हो, जिसे मैं हर पल पढ़ना चाहता हूँ। तुम्हारे बिना, यह सारा सौंदर्य, यह चाँदनी, यह हवा... सब बेमानी है।"
उनके होंठों पर एक मीठी, मदहोश कर देने वाली चुप्पी छा गई, जिसमें हजारों अनकहे वादे थे। उस रात, प्रकृति ने उनकी प्रेम कहानी को हमेशा के लिए अमर कर दिया।
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