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हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
*🌞~ आज का हिन्दू #पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 07 दिसम्बर 2025*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2082*
*⛅अयन - दक्षिणायण*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - तृतीया शाम 06:24 तक तत्पश्चात् चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु प्रातः 04:11 दिसम्बर 08 तक तत्पश्चात् पुष्य*
*⛅योग - शुक्ल रात्रि 08:07 तक तत्पश्चात् ब्रह्म*
*⛅राहुकाल - शाम 04:21 से शाम 05:41 तक ( उज्जैन मानक समयानुसार)*
*⛅सूर्योदय - 06:55*
*⛅सूर्यास्त - 05:41 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त उज्जैन मानक समयानुसार)*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 05:10 से प्रातः 06:03 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:57 से दोपहर 12:40*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:52 से रात्रि 12:45 दिसम्बर 08 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)*
*🌥️व्रत पर्व विवरण - अखुरथ संकष्टी चतुर्थी*
*🌥️विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
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*🔹पढ़ने में रूचि न हो या सफलता न मिलती हो तो ....*
*जिन बच्चों का पढ़ाई की और रुझान नहीं होता अथवा कम होता है या काफी परिश्रम करके भी जिन्हें अध्ययन में पर्याप्त सफलता नहीं मिलती उनके लिए लाभदायी प्रयोग :*
*१ ग्राम कपूर और मौलसिरी (बकुल) का एक बीज पीसकर देशी गाय के २०० ग्राम घी में मिला दें । नित्य किसी भी समय ५ से १० मिनट तक संबंधित बच्चे के शयनकक्ष में इस मिश्रण से दीपक जलायें ।*
*🔹बुखार दूर करने हेतु🔹*
*चरक संहिता के चित्किसा स्थान में ज्वर ( बुखार) की चित्किसा का विस्तृत वर्णन करने के बाद अंत में आचार्य श्री चरकजी ने कहा है :*
*विष्णुं सहस्रमूर्धानं चराचरपतिं विभुम ।*
*स्तुवन्नामह्स्त्रेण ज्वरान सर्वानपोहति ।*
*👉🏻 ‘हजार मस्तकवाले, चर-अचर के स्वामी, व्यापक भगवान की सहस्त्रनाम से स्तुति करने से अर्थात विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से सब प्रकार के ज्वर छूट जाते हैं ।’*
*(पाठ रुग्ण स्वयं अथवा उसके कुटुम्बी करें )*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु*
*एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।* #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 #🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय #🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स #🔯ज्योतिष
एकादशी व्रत 2026 कैलेंडर | सभी एकादशी तिथि और दिन सूची | Ekadashi 2026 Dates
यहाँ देखें 2026 में सभी एकादशी व्रत की पूरी सूची दिन, तिथि, महत्व और नाम सहित। निर्जला, देवउठनी, मोक्षदा, पापमोचनी, जया, कामिका एकादशी कब है – सम्पूर्ण जानकारी। #🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स #🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय #🔯ज्योतिष #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 #Ekadashi2026 #HinduCalendar2026 #Vrat2026
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#🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🙏 राधा रानी #🌺राधा कृष्ण💞 #📒 मेरी डायरी #☝ मेरे विचार
#🪔पौष माह🌺 जानें पौष मास का महत्व और पौष नाम क्यों पड़ा
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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 06 दिसम्बर 2025*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2082*
*⛅अयन - दक्षिणायण*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वितीया रात्रि 09:25 तक तत्पश्चात् तृतिया*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा सुबह 08:48 तक, तत्पश्चात् आद्रा प्रातः 06:13 दिसम्बर 07 तक, तत्पश्चात् पुनर्वसु*
*⛅योग - शुभ रात्रि 11:46 तक तत्पश्चात् शुक्ल*
*⛅राहुकाल - सुबह 09:36 से सुबह 10:57 तक ( उज्जैन मानक समयानुसार)*
*⛅सूर्योदय - 06:55*
*⛅सूर्यास्त - 05:41 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त उज्जैन मानक समयानुसार)*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 05:09 से प्रातः 06:02 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:56 से दोपहर 12:40*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:52 से रात्रि 12:45 दिसम्बर 07 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)*
*🌥️व्रत पर्व विवरण - द्विपुष्कर योग (प्रातः 06:55 से प्रातः 08:48 तक)*
*🌥️विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
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*🔹औषधीय गुणों से परिपूर्ण : पारिजात🔹*
*🔸पारिजात या हरसिंगार को देवलोक का वृक्ष कहा जाता है । कहते हैं कि समुद्र – मंथन के समय विभिन्न रत्नों के साथ – साथ यह वृक्ष भी प्रकट हुआ था । इसकी छाया में विश्राम करनेवाले का बुद्धिबल बढ़ता है । यह वृक्ष नकारात्मक ऊर्जा को भी हटाता है । इसके फूल अत्यंत सुकुमार व सुगंधित होते हैं जो दिमाग को शीतलता व शक्ति प्रदान करते हैं । हो सकते तो अपने घर के आसपास इस उपयोगी वृक्ष को लगाना चाहिए ।*
*🔸पारिजात ज्वर व कृमि नाशक, खाँसी – कफ को दूर करनेवाला, यकृत की कार्यशीलता को बढ़ानेवाला, पेट साफ़ करनेवाला तथा संधिवात, गठिया व चर्मरोगों में लाभदायक है ।*
*🔹औषधीय प्रयोग🔹*
*🔸पुराना बुखार : इसके ७ - ८ कोमल पत्तों के रस में ५ – १० मि. ली. अदरक का रस व शहद मिलाकर सुबह – शाम लेने से पुराने बुखार में फायदा होता है ।*
*🔸बच्चों के पेट में कृमि : इसके ७ – ८ पत्तों के रस में थोडा – सा गुड़ मिला के पिलाने से कृमि मल के साथ बाहर आ जाते हैं या मर जाते हैं ।*
*🔸जलन व सुखी खाँसी : इसके पत्तों के रस में मिश्री मिला के पिलाने से पित्त के कारण होनेवाली जलन आदि विकार तथा शहद मिला के पिलाने से सुखी खाँसी मिटती हैं ।*
*🔸बुखार का अनुभूत प्रयोग : ३० – ३५ पत्तों के रस में शहद मिलाकर ३ दिन तक लेने से बुखार में लाभ होता है ।*
*🔸सायटिका व स्लिप्ड डिस्क : पारिजात के ६० – ७० ग्राम पत्ते साफ़ करके ३०० मि. ली. पानी में उबालें । २०० मि.ली. पानी शेष रहने पर छान के रख लें । २५ – ५० मि.ग्रा. केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें । १०० मि.ली. सुबह – शाम पियें । १५ दिन तक पीने से सायटिका जड़ से चला जाता है | स्लिप्ड डिस्क में भी यह प्रयोग रामबाण उपाय है । वसंत ऋतू में ये पत्ते गुणहीन होते हैं अत: यह प्रयोग वसंत ऋतू में लाभ नहीं करता ।*
*🔸संधिवात, जोड़ों का दर्द, गठिया : पारिजात की ५ से ११ पत्तियाँ पीस के एक गिलास पानी में उबालें, आधा पानी शेष रहने पर सुबह खाली पेट ३ महीने तक लगातार लें । पुराने संधिवात, जोड़ों के दर्द, गठिया में यह प्रयोग अमृत की तरह लाभकारी है । अगर पूरी तरह ठीक नहीं हुआ तो १० – १५ दिन छोडकर पुन: ३ महीने तक करें इस प्रयोग से अन्य कारणों से शरीर में होनेवाली पीड़ा में भी राहत मिलती है । पत्थकर आहार लें ।*
#🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स #🔯ज्योतिष #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 #🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय
*🔸चिकनगुनिया का बुखार होने पर बुखार ठीक होने के बाद भी दर्द नहीं जाता । ऐसे में १० – १५ दिन तक पारिजात के पत्तों का यह काढ़ा बहुत उपयोगी है ।*
#🙏 राधा रानी #🌺राधा कृष्ण💞 #🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स #🌸 जय श्री कृष्ण😇
भगवान कृष्ण ने की कटहल चोरी
जगन्नाथ पुरी में वास करते हुए संत माधव दास जी नित्य शाम को सागर किनारे भ्रमण पर जाते थे।
माधव दास जी भगवान श्री कृष्ण के प्रति सखा रूप का भाव रखते थे। प्रभु भी नित्य शाम को माधव जी के साथ बैठकर खूब बात किया करते थे।
एक दिन प्रभु आये, माधव दास ने देखा प्रभु बहुत उदास हैं..
माधव दास ने पूछा प्रभु आप उदास क्यों हैं?
प्रभु ने कहा माधव दास बहुत दिन हो गए चोरी नहीं करी।
माधव दास जी ने कहा अरे अभी यह आदत छोड़ो बचपन की बात और थी।
प्रभु बोले हाँ वह तो ठीक है पर जिसकी जो आदत पड़ी है वह वही करेगा...
माधव दास जी ने प्रभु को बहुत समझाया पर प्रभु नहीं माने। अंततः माधव दास जी ने कहा इतनी पड़ी है तो चोरी कर ही लो।
प्रभु बोले कर तो ले पर सखा नहीं है।वृंदावन में तो बहुत सखा थे यहाँ कोई नहीं है। एक तुम ही हो माधव दास। तुम ही चलो।
माधव दास जी ने कहा.. कहाँ ? प्रभु बोले चोरी करने।
माधव दास जी बोले अरे प्रभु हमें चोरी करना नहीं आता। हमने जिंदगी भर भजन किया है।
प्रभु बोले मन बनाओ चोरी करना हम सिखा देंगे। और चोरी में थोड़ी फुर्ती रखनी चाहिए और क्या। प्रभु ने जैसे तैसे माधव दास जी को चोरी के लिए तैयार किया।
माधव दास जी ने कहा प्रभु चलो चलते हैं चोरी करने। लेकिन जाना कहाँ है?
प्रभु ने कहा जगन्नाथ पुरी के राजा के बगीचे में, बड़े सुंदर कटहल के फल लगे हैं पर यह भेजते नहीं हैं।
माधव दास जी बोले चोरी करने की क्या जरूरत है राजा साहब हमारे शिष्य हैं हम कल जाकर उनसे कहेंगे और आपके लिए कटहल ले आएंगे।
भगवान बोले ऐसे नहीं, चोरी करके पाने का आनंद अलग होता है।
प्रभु और माधव दास जी चोरी करने के लिए राजा के बगीचे में चल दिए प्रभु ने माधव दास जी से कहा धीरे-धीरे बोलना।
माधव दास जी को चोरी का कोई अभ्यास नहीं था, जैसे ही दोनों एक कटहल के बगीचे के पास पहुंचे। प्रभु ने माधव दास जी से कहा कटहल के पेड़ के ऊपर चढ़ जाओ। तुम ऊपर से कटहल गिराना, नीचे हम ले लेंगे।
अब माधव दास जी जोर से बोले.. कन्हैया इस पेड़ पर चढ़े या उसे पेड़ पर।
इतने में बगीचे का माली जग गया,उसने सुना और उसने कहा मैं बताता हूं किस पेड़ पर चढ़ना है अभी आता हूँ रुको जरा।
भगवान ने कहा मैंने कहा था धीरे-धीरे बोलना जोर से नहीं बोलना माधवदास बोले अच्छा ठीक है प्रभु।
बगीचे का माली आया। तब तक माधव दास जी और प्रभु जी एक पेड़ के पीछे छुप गए और माली पुनः सो गया।
पुनः प्रभु ने माधव दास जी से कहा इस पेड़ पर चढ़ो और धीरे बोलना। माधव दास जी पेड़ के ऊपर चढ़ गए।
भगवान ने कहा ऊपर से कटहल तोड़कर गिराना नीचे हम पकड़ लेंगे..
माधव दास जी ने जोर से पूछा प्रभु यह वाला की यह वाला।
आवाज सुनकर बगीचे का माली पुनः जाग गया और डंडा लेकर आया इतने में भगवान अंतर ध्यान हो गए।
माधव दास जी पेड़ से उतरने लगे माली ने उन्हें पकड़ लिया और अंधेरे में दो डंडे लगा दिए और रात भर बांध कर रखा। और कहा सुबह राजा जी के पास ले चलेंगे।
अब माधव दास जी इधर-उधर देखने लगे.. माली ने पूछा.. क्या देख रहे हो..
माधव दास जी ने कहा कुछ नहीं। मन ही मन माधव दास जी ने सोचा कि वह कहाँ है जो हमें इधर ले आए थे।
सुबह हुई। माली माधव दास जी को राजा जी के पास ले जाने लगे। रास्ते में ही राजा जी मिल गए, राजा जी ने देखा कि हमारे गुरु को माली क्यों बांधे ले जा रहा है।
राजाजी क्रोध में माली को मारने पहुँचे। माधव दास जी ने कहा इससे कुछ मत बोलो।
हम जब ऐसे बंधने के काम करेंगे तो बंधेगे ही।
राजा जी बोले आपने ऐसा क्या काम किया है?
माधव दास जी बोले चोरी।
राजा बोले आपने चोरी क्यों की?
माधव दास जी बोले कुसंग में पड़कर सब कुछ करना पड़ता है।
राजा साहब बोले किसका कुसंग?
माधव दास जी बोले यह हम आपके घर में बताएंगे।
राजा जी माधव दास जी को अपने महल ले गए माधव दास जी ने सारा वृत्तांत राजा साहब को बताया।
सारी बात जानकर राजा साहब जी के नयन सजल हो गए हृदय रोमांचित तो उठा एवं तुरंत ही राजा साहब ने पूरा का पूरा बगीचा श्री जगन्नाथ जी के नाम कर दिया।
शाम को पुनः संत माधव दास जी सागर किनारे पहुँचे। वहाँ भगवान प्रकट हुए भगवान ने माधव दास जी से पूछा और संत जी रात कैसी कटी।
संत माधवदास जी बोले हम तो पिटे, रातभर बांधे रहे और आप तो अंतर्ध्यान हो गए लेकिन एक भी कटहल नही ला पाए।
हमे देखिए हम तो पूरा का पूरा बगीचा ही आपके नाम करा लाए है।
आज भी वह बगीचा श्री जगन्नाथ जी के नाम पर है.. #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🙏 राधा रानी #🌺राधा कृष्ण💞 #🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स



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