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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞* *⛅दिनांक - 21 अक्टूबर 2025* *⛅दिन - मंगलवार* *⛅विक्रम संवत् - 2082* *⛅अयन - दक्षिणायण* *⛅ऋतु - शरद* *⛅मास - कार्तिक* *⛅पक्ष - कृष्ण* *⛅ तिथि - अमावस्या शाम 05:54 तक तत्पश्चात् प्रतिपदा* *⛅नक्षत्र - चित्रा रात्रि 10:59 तक तत्पश्चात् स्वाती* *⛅योग - विष्कम्भ रात्रि 03:17 अक्टूबर 22 तक तत्पश्चात् प्रीति* *⛅राहुकाल - दोपहर 03:04 से शाम 04:30 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅सूर्योदय - 06:26* *⛅सूर्यास्त - 05:56 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में* *⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से प्रातः 05:36 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:48 से दोपहर 12:34 (उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:47 से रात्रि 12:37 अक्टूबर 22 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅️व्रत पर्व विवरण - दीपावली, कार्तिक अमावस्या, दर्श अमावस्या, स्वामी रामतीर्थ जयंती एवं पुण्यतिथि* *🌥️विशेष - अमावस्या को स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)* *🔹प्रकृति अनुसार विहार🔹* *🔹वात प्रकृति🔹* *🔹त्याज्य : अति परिश्रम, अति व्यायाम, सतत अध्ययन, अधिक बोलना, अधिक पैदल चलना अथवा वाहनों में घूमना, तैरना, अति उपवास, रात्रि जागरण, भय, शोक, चिंता, मल-मूत्र आदि वेगों को रोकना, पश्चिम दिशा से आनेवाली हवा का सेवन ।* *🔹हितकर : सर्वांग मालिश (विशेषतः सिर व पैर की), कान-नाक में तेल डालना, आराम, सुखशीलता, निश्चिंतता व शांत निद्रा ।* *🔹पित्त प्रकृति 🔹* *🔹त्याज्यः तेज धूप में घूमना, अग्नि के निकट रहना, रात्रि जागरण, अति परिश्रम, अति उपवास, क्रोध, शोक, भय ।* *🔹हितकर : शीत, सुगंधित द्रव्यों (जैसे चंदन, अगरु) का लेप, शीत तेलों से मालिश ।* *🔹सुख-शांतिप्रदायक ईशान-स्थल🔹* *🔹सुख-शांति और कल्याण चाहनेवाले बुद्धिमानों को अपने घर, दुकान या कार्यालय में ईशान-स्थल पर अपने इष्टदेव, सदगुरु का श्रीचित्र लगा के वहाँ धूप-दीप, मंत्रोच्चार तथा साधना-ध्यान पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए । यह विशेष सुख-शांतिदायक है ।* *🔹ज्ञानार्जन में सहायता व सत्प्रेरणा हेतु🔹* *🔹विद्यार्थियों के लिए भी ईशान कोण बड़े महत्त्व का है । पूर्व एवं उत्तर दिशाएँ ज्ञानवर्धक दिशाएँ तथा ईशान-स्थल ज्ञानवर्धक स्थल है । जो विद्यार्थी ईशान-स्थल पर बैठ के पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पढ़ता है, उसे ज्ञानार्जन में विशेष सहायता मिलती है । पूर्व की ओर मुख करने से विशेष लाभ होता है । अध्ययन-कक्ष में सदगुरु या ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के श्रीचित्र लगाने चाहिए, इससे सत्प्रेरणा मिलती है ।* #🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 #🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय
🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स - 3பபண் २१ अक्टूबर २०२५ कार्तिक, HI- पक्ष- कृष्ण fT- TFಾR iச 21-10-2025 तिथि- अमावस्या (१७:५४ से प्रतिपदा ) नक्षत्र चित्रा सूर्य नक्षत्र- चित्रा चंद्र नक्षत्र- चित्रा ল্লীান- বুিলহক্কম্স বুলো नाग करण से तुला ) శ్లా; राशि- कन्या (0९:३५ राशि- तुला चोघडिया दिन शुभ मुहूर्त रोग 06:२8 0७:५४ अशुभ যচু কাল 15:03 16:29 31991 उद्वेग 0७:५4 09:19 31991 uec 09.19 10:45 319]91 = 09:19 - 10:45 ೩೫ गुली काल १२:११ 13:37 ল্ঙ 10:45 १२:११ शुभ अभिजित ११:४८  १२:३४ शुभ अमृत १२:११ 13:37 ೩91 दूर मुहूर्त 08:४५ ' 09:31 31991 दूर मुहूर्त २२:५६ १५:०३ अशुभ MH 13*37 २३:४२ अशुभ शुभ १५:०३ 16:29 ೩91 474 29:13* 31:01* अशुभ रोग १६:२९ १७:५५ अशुभ प्रदोष १७:५५ २०:२६ शुभ आपका दिन शुभ और मंगलमय ह्ये www radheradhejecom Radhekadliefe 3பபண் २१ अक्टूबर २०२५ कार्तिक, HI- पक्ष- कृष्ण fT- TFಾR iச 21-10-2025 तिथि- अमावस्या (१७:५४ से प्रतिपदा ) नक्षत्र चित्रा सूर्य नक्षत्र- चित्रा चंद्र नक्षत्र- चित्रा ল্লীান- বুিলহক্কম্স বুলো नाग करण से तुला ) శ్లా; राशि- कन्या (0९:३५ राशि- तुला चोघडिया दिन शुभ मुहूर्त रोग 06:२8 0७:५४ अशुभ যচু কাল 15:03 16:29 31991 उद्वेग 0७:५4 09:19 31991 uec 09.19 10:45 319]91 = 09:19 - 10:45 ೩೫ गुली काल १२:११ 13:37 ল্ঙ 10:45 १२:११ शुभ अभिजित ११:४८  १२:३४ शुभ अमृत १२:११ 13:37 ೩91 दूर मुहूर्त 08:४५ ' 09:31 31991 दूर मुहूर्त २२:५६ १५:०३ अशुभ MH 13*37 २३:४२ अशुभ शुभ १५:०३ 16:29 ೩91 474 29:13* 31:01* अशुभ रोग १६:२९ १७:५५ अशुभ प्रदोष १७:५५ २०:२६ शुभ आपका दिन शुभ और मंगलमय ह्ये www radheradhejecom Radhekadliefe - ShareChat
==== दीनबन्धु ==== उड़ीसा जिले के याजपुर गाँव में बन्धु महान्ति रहते थे, उनके परिवार में पति परायण पत्नी, एक बालक और दो बालिकाएँ थीं। . बन्धु बड़ा ही गरीब था, भीख ही उसकी आजीविका थी, पर भीख माँग कर धन जोड़ना उसका काम नहीं था, . भिक्षा में आज भर के खाने योग्य अन्न ले आता। उसी अन्न से अतिथि सेवा होती, . यदि कुछ नहीं मिलता तो सारा परिवार ‘‘हरि का नाम” लेकर उपवास रख लेता। . बाहर से देखने पर बन्धु-परिवार की स्थिति बड़ी कष्टप्रद प्रतीत होती थी, परन्तु उनके हृदय में लेशमात्र भी क्लेश नहीं था। . भगवान में अटल प्रेम और विश्वास ने उनके अन्तःस्थल को बड़ा ही मधुरमय बना रखा था। . उनको किसी भी वस्तु की चाह नहीं थी, वे विषयी मनुष्यों की दृष्टि में दरिद्र भिखारी होने पर भी महान धनी थे। . एक बार उड़ीसा राज्य में भयंकर अकाल पड़ा। चारों ओर हाहाकार मच गया। तीन दिन हो गये, बन्धु परिवार उपवास कर रहा था। बच्चों की बिलबिलाहट से माता का हृदय द्रवित हो रहा था। . स्त्री ने पति से कहा- स्वामी ! मेरे पिता के घर में तो कोई भी नहीं है जिससे सहायता मिल सके, परन्तु क्या आपके भी कोई बन्धु बान्धव नहीं है ? . बन्धु ने उत्तर दिया- प्रिये ! मेरा इस जगत् में तो कोई भी आत्मीय स्वजन नहीं है। हाँ, एक हृदय के मित्र हैं। उनका नाम भी इतना मीठा है। . मेरे उन बन्धु का नाम है ‘दीनबन्धु‘, वे हम-सरीखे दीनों के प्रति बड़ा ही प्रेम रखते हैं। लेकिन वे बहुत दूर रहते हैं 'पुरी' में और हमें पाँच दिन लगेंगे उन तक पहुँचने में। . पति की बात सुनकर पत्नी को बड़ा ही सुख मिला, उसने कहा- ‘‘नाथ ! पाँच दिनों का ही तो पथ है, चलिये वहाँ दीन बन्धु के दरबार में जाकर अपना सारा दुःख दूर कर लें !" . बन्धु ने मुस्कुराकर इशारे से सम्मति दे दी, पत्नी घर के अन्दर गयी। . बन्धु मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगे- प्रभो ! आपका प्रेम मुझे खींचे लिये जा रहा है। बहुत दिनों से आपके चरण दर्शन की अभिलाषा थी। . 'आज इस अकाल रूपी मित्र की सहायता से यह मनोरथ पूर्ण होगा। नाथ ! आर्शीवाद दीजिए कि वन्दित चरणों के दर्शन कर सकूँ।’ . बन्धु, परिवार सहित अपने परम प्रिय मित्र से मिलने के लिए चल दिये, रास्ते में कहीं अन्न नहीं मिला। साग-पात खाकर ही काम चलाया गया। . बन्धु को तो भूख-प्यास की खबर ही नहीं है, वह तो हरि दर्शन के लिये दौड़ जाना चाहता है . पाँचवें दिन सन्ध्या होते-होते बन्धु परिवार सहित श्री पुरुषोत्तम क्षेत्र पुरी में पहुँचा। मन्दिर के दूर से ही दर्शन कर वह गद्गद हो गया, . बोला- वह देखो ! मेरे प्यारे दीनबन्धु का मन्दिर दिखायी पड़ता है। सब के शरीरों में जान आ गयी। देखते ही देखते सब सिंहद्वार के सामने आ पहुँचे। . सिंहद्वार पर बड़ी भीड़ है, इस समय भूखे स्त्री-बच्चों के साथ भीतर जाना सम्भव नहीं, यह विचारकर बन्धु ने दूर से ही भगवान् जगत-बन्धु के दर्शन किये और दक्षिण की ओर पेयनाले (फेन बाहर निकलने के नाले) के पास लाकर सबको बिठा दिया। . पत्नी ने कहा- स्वामी ! बन्धु के घर आकर भी इस नाले पर क्यों बैठे हैं ? देखिए, संध्या हो गयी है, रात के अन्धकार में बच्चों को लेकर कहाँ जायेंगे ? एक बार अपने दीनबन्धुु से मिल तो लीजिए। . दृढ़निश्चयी बन्धु ने मन-ही-मन सोचा-तुच्छ आहार की कामना से दीनबन्धु के पास जाना ठीक नहीं सवेरे मन्दिर खुलने पर दर्शनार्थ जाऊँगा। . अतः उसने पत्नी से कहा, हम लोग बड़े कुअवसर पर आये हैं, आज यदि फेन नाले का पानी पीकर रात गुजार लें, तो सबेरे मन्दिर खुलने पर एकान्त में मिल कर बन्धु से सारी बातें कहूँगा। . बन्धु की बात पत्नी के मन में जँच गयी, उसने कहा- अच्छी बात है, अभी इसी फेन से काम चला लेते हैं। . बन्धु ने फूटी हंडिया से फेन भर भर कर पत्नी और बच्चों को दे दिया। स्त्री ने तीनों बच्चों को पिलाया और खुद भी पेट भर पिया। . "आहा ! अन्न की कद्र भूखे ही जानते हैं। जिनको अधिक खाने के कारण मन्दाग्नि हुई रहती है उन्हें भूख की व्याकुलता का पता ही नहीं’’। स्त्री-बच्चों का पेट भर गया, वे सो गये। . इधर बन्धु महान्ति भगवान से प्रार्थना करने लगे- "मेरे नाथ ! तुम सारे चराचर में व्याप्त हो, जीवों पर कृपा करना ही तुम्हारा कार्य है। मेरे मन में कोई कामना हो तो उसे दूर कर दो। ऐसी कृपा करो जिससे आपकी कृपा का दर्शन प्रतिपल कर सकूँ’’। . इधर जगन्नाथ जी की सेवा समाप्त हुई, सेज सजाकर उन्हें सुलाया गया, मशालें जल गईं, . मन्दिर के दरवाजों पर ताले लग गये, सारे सेवकगण अपने-अपने घर जाकर सो गये। . सब सो गये, परन्तु भक्तवत्सल भगवान् को नींद नहीं आई। वे उठे और तुरन्त भण्डार गृह में गये, . भण्डारे में रखा हुआ छप्पन भोग सजाया और स्वयं एक ब्राह्मण के रूप में सोए हुए बन्धु महान्ति के पास जाकर पुकारने लगे- बन्धु ! ओ बन्धु ! . स्त्री ने पति को जगाकर कहा- सुनिये, कोई पुकार रहा है ! . बन्धु बोले- हो सकता है, पुरी में किसी और का नाम बन्धु हो, तुम सो जाओ। . भक्तवत्सल भगवान भक्त के हृदय की बात जान गये और फिर ऊँचे स्वर से पुकारा- "ओ याजपुरिया बन्धु ! ओ फेननाले पर सपरिवार भूखे पड़े हुए बन्धु !" . "उठो। भाई यहाँ आओ। मैं तुम्हारे लिये प्रसाद लेकर खड़ा हूँ’’। . यह आवाज सुनकर बन्धु का हृदय पुलकित हो गया उसने सोचा- क्या सचमुच दीनबन्धु पुकार रहे हैं ? मैं स्वप्न तो नहीं देख रहा, . हड़बड़ाता हुआ बन्धु उठा, देखता है, तो एक ब्राह्मण रत्नजड़ित प्रसाद.का थाल लिये खड़ा है। . बन्धु के सामने आते ही उसने कहा- "आने में क्या इतनी देर की जाती है ? पुकारते-पुकारते मेरा गला छिल गया, देखो न थाल के बोझ से मेरे हाथ थर-थर काँप रहे हैं। . यह थाल लो, कल से तुम्हारे रहने-खाने का सारा प्रबन्ध हो जायेगा, अच्छे से खाकर सो जाओ।" बन्धु महान्ति मन्त्र मुग्ध हो गया, साहस करके उसने कुछ कहना चाहा था, इतने में ही ब्राह्मण वेषधारी भगवान् अन्तर्धान हो गये। . बन्धु परिवार ने परमानन्द से महाप्रसाद ग्रहण किया। प्रसाद खाते ही उनकी सारी भूख मिट गयी। . बन्धु महान्ति की अवस्था कुछ विलक्षण ही हो गई, कभी थाल को हृदय से लगाता, कभी मस्तक से। आनन्द में डूब कर वह थाल पर ही सिर रखकर सो गया। . प्रातःकाल जब मन्दिर का दरवाजा खुला तो रत्नजड़ित प्रसाद थाल के न दिखने पर चारों ओर हल्ला मच गया। ढूँढते-ढूँढते कुछ लोग फेननाले के पास आये, तो देखा बन्धु थाल पर सिर रखकर सो रहा है। . पकड़ो ! पकड़ो ! की पुकार मच गयी। बताने का भी अवसर नहीं मिला और बन्धु पर गलियों और थप्पड़ों की बौछार होने लगी, . पर बन्धु अटलरूप से गोविन्द ! गोविन्द ! पुकारते रहे। . कोतवाल के सम्मुख जाने पर जब उसने पूछा तब बन्धु ने रात की सारी घटना सच-सच बता दी पर उसे विश्वास न हुआ। उसने बन्धु को परिवार के साथ कैद खाने में डाल दिया गया। . बन्धु मन-ही-मन सोचने लगा यह मेरे पाप कर्मों का फल है। नाथ ! चाहे कुछ भी हो, मेरे मन में बस तुम्हारा स्मरण बना रहे- . गिरते गिराओ, काले नाग तें डसाओ, हा, हा। प्रीति न छुड़ाओ गिरधारी नन्दलाल सो।। . जो कुछ हो सो केवल एक तुम्हीं हो, मैं केवल एक तुम्हें ही जानता हूँ। . जगन्नाथ जी को भक्त की चिन्ता हुई, उन्हें आज ही सारी व्यवस्था करनी है। . राजा प्रतापरूद्र खुरदा में अपने महल में सोये हैं। भगवान् के भक्त हैं। भगवान् ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर कहा- राजन्! मेरी आज्ञा सुनो। . मेरा भक्त पाँच दिन की यात्रा कर भूख से तड़पता हुआ तेरे नगर में आया, उसका सत्कार होना चाहिये था, पर किसी ने उसे पूछा तक नहीं। . वह भूखा पड़ा रहा- तब मैं स्वयं अपने रत्नथाल में प्रसाद रखकर उसे दे आया। रत्नथाल तो मेरा था, उसमें तेरा या तेरे पिताजी का क्या था ? . अब तू यदि अपना भला चाहता है, तो अभी जाकर उसे मुक्त कर और पूरे सम्मान के साथ, उसके रहने-खाने का सारा प्रबन्ध कर, . मन्दिर के हिसाब-रक्षक के पद पर उसकी नियुक्ति कर दे ! इतना कहकर भगवान अन्तर्धान हो गये। . राजा हड़बड़ाकर उठा, उसी समय घोड़ा मंगवाया और सीधे पुरी के कारागार में पहुँचा। वहाँ जाकर उसने देखा कि स्वप्न की बात रत्ती-रत्ती सच है। . उसने स्वयं अपने हाथ से बन्धु की बेड़ियाँ खोली और पैर पड़ कर बन्धु से क्षमा माँगी। . भक्त सच्चे विनयी होते हैं, दूसरों का दुःख देख नहीं पाते। . राजा को क्षमा माँगते देख बन्धु को बड़ा कष्ट हुआ, उसने कहा महाराज-आप मेरे चरण मत पकड़िये मैं तो महापापी हूँ। . पर राजा ने उनके चरणों को नहीं छोड़ा। बन्धु ने स्वयं राजा को उठाया। . भगवान की आज्ञानुसार राजा बन्धु महान्ति और पूरे परिवार को बहुत सम्मान के साथ अपने साथ महल में ले गया और जैसी प्रभु की आज्ञा थी, वैसी ही सारी व्यवस्था उनके लिए कर दी। . भक्त का प्रभाव सब तरफ छा गया, जो लोग उसको गालियाँ दे गये थे, वो सब क्षमा माँगने लगे। . अब दीनबन्धु दीनानाथ की कृपा से बन्धु महापुरुष हो गये। जगद्बन्धु जिसके बन्धु हैं, उसके लिये सब कुछ सम्भव है। . आज भी जगन्नाथ जी के मन्दिर के आय-व्यय का हिसाब श्री बन्धु महान्ति के वंशज ही कर रहे हैं। जय जय श्री हरि.... #☝आज का ज्ञान
☝आज का ज्ञान - সাত ক্ূা ওমূন तिहुं लोक मे IH7I सकल रहा भरपूर जो जाने तिही निकट है, अनजाने तिही दूर। तीनों लोक में राम नाम व्याप्त है। ईश्वर पूर्णाता है-प्रभु में सर्वत्र वत्र्तमान हैं। जो जानता उसके निकट हैं परंतु अनजानअज्ञानी के लिये बहुत दूर हैं। সাত ক্ূা ওমূন तिहुं लोक मे IH7I सकल रहा भरपूर जो जाने तिही निकट है, अनजाने तिही दूर। तीनों लोक में राम नाम व्याप्त है। ईश्वर पूर्णाता है-प्रभु में सर्वत्र वत्र्तमान हैं। जो जानता उसके निकट हैं परंतु अनजानअज्ञानी के लिये बहुत दूर हैं। - ShareChat
#☝ मेरे विचार
☝ मेरे विचार - थोड़ा भटक गए थे, पर शुक्र है, ख़ुद को खोया नहीं. थोड़ा भटक गए थे, पर शुक्र है, ख़ुद को खोया नहीं. - ShareChat
#🪔दिवाली पूजा-मुहूर्त का समय ⏲️ #🪔दिवाली Status⌛ #🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 जानें दीपावली की रात्रि में जपने के लिये प्रभावशाली मन्त्र https://www.radheradheje.com/diwali-mantra-effective-mantras-to-chant-on-diwali-night/
🪔दिवाली पूजा-मुहूर्त का समय ⏲️ - ShareChat
दीपावली मंत्र: जानें दीपावली की रात्रि में जपने के लिये प्रभावशाली मन्त्र
इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती है और जो भी भक्त रात में जागरण करके सच्चे मन से माता कि आराधना करते है। उनका जीवन खुशियों से भर कर अपने भक्तो के यहाँ स्थाई रूप से निवास करने लगती है। इस महानिशा कि रात्रि में कोई भी पूजा, जाप, प्रयोग अति शीघ्र फलदायी होता है। वस्तुत: यह रात्रि हमारे सपनो को पूर्ण करने वाली, जीवन में सुख समृद्धि भरने वाली, सभी संकटों से रक्षा करने वाली हर प्रकार से रिद्धि सिद्धि प्रदान करने वाली है। अत: जो भी भक्त अपने जीवन में सुखद, स्थाई परिवर्तन लाना चाहते है उन्हें इस रात को जागकर इसका पूर्ण लाभ अवश्य ही उठाए।
जानें दीपावली पर आर्थिक समस्या से मुक्ति के लिये श्री लक्ष्मी कवच उपाय #🪔दिवाली Status⌛ #🪔दिवाली पूजा-मुहूर्त का समय ⏲️ https://www.radheradheje.com/diwali-remedy-shri-lakshmi-kavach-remedy-to-get-rid-of-financial-problems-on-diwali/
🪔दिवाली Status⌛ - ShareChat
दीपावली उपाय: जानें दीपावली पर आर्थिक समस्या से मुक्ति के लिये श्री लक्ष्मी कवच उपाय
इस यंत्र कवच का पूर्ण उपाय करने के लिये आपको एक ऐसे कक्ष की आवश्यकता होगी जिसमें 9 दिन तक आपके अलावा कोई प्रवेश न कर सके। अब आप मन्दिर से वापिस आने पर निवास के पूजास्थल में माँ लक्ष्मी को रोली से तिलक कर शुद्ध घी का दीपक लगायें। तीव्र सुगंध की अगरबत्ती, धूपबत्ती के साथ कोई भी मिष्ठानरूपी भोग अर्पित करें और प्रणाम कर पूजास्थल से बाहर आ जाये। आपने उपाय करने के लिये जिस कक्ष का चयन किया है उस कक्ष के ईशान कोण की भूमि को गोबर से लीप कर अथवा गंगाजल से शुद्ध कर एक बाजोट बिछायें। बाजोट पर सवा मीटर लाल रेशमी वस्त्र बिछा कर तैयार रखें। 
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞* *⛅दिनांक - 20 अक्टूबर 2025* *⛅दिन - सोमवार* *⛅विक्रम संवत् - 2082* *⛅अयन - दक्षिणायण* *⛅ऋतु - शरद* *⛅मास - कार्तिक* *⛅पक्ष - कृष्ण* *⛅ तिथि - चतुर्दशी दोपहर 03:44 तत्पश्चात् अमावस्या* *⛅नक्षत्र - हस्त रात्रि 08:17 तक तत्पश्चात् चित्रा* *⛅योग - वैधृति रात्रि 02:35 अक्टूबर 21 तक तत्पश्चात् विष्कम्भ* *⛅राहुकाल - सुबह 07:52 से सुबह 09:19 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅सूर्योदय - 06:26* *⛅सूर्यास्त - 05:57 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में* *⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से प्रातः 05:36 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:48 से दोपहर 12:34 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:47 से रात्रि 12:37 अक्टूबर 21 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅️व्रत पर्व विवरण - नरक चतुर्दशी (तैलाभ्यंग स्नान), दीपावली, सोमवती अमावस्या (दोपहर 03:44 से 21 अक्टूबर सूर्योदय), लक्ष्मी पूजा, काली पूजा, शारदा पूजा, चोपड़ा पूजा, केदार गौरी व्रत, कमला जयंती* *🌥️विशेष - अमावस्या को स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)* *🔹जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या🔹* *(Biological Clock Based on Routine)* *🔹प्रातः ३ से ५ - (जीवनी शक्ति विशेषरूप से फेफडों में होती है)🔹* *🔹थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है । ब्राह्ममुहूर्त में उठनेवाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते हैं और सोते रहनेवालों का जीवन निस्तेज हो जाता है ।* *🔹प्रातः ५ से ७ - (बड़ी आँत में)🔹* *प्रातः जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान कर लेना चाहिए । सुबह ७ बजे के बाद जो मल-त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ होती हैं ।* *🔹सुबह ७ से ९ - (अमाशय यानी जठर में)🔹* *इस समय (भोजन के २ घंटे पूर्व) दूध अथवा फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते हैं ।* *🔹९ से ११ - (अग्न्याशय व प्लीहा में)🔹* *यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है । भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार) घूँट-घूँट पियें ।* *🔹दोपहर ११ से १ - (हृदय में)🔹* *दोपहर १२ बजे के आसपास मध्याङ्घ-संध्या करने का हमारी संस्कृति में विधान है । भोजन वर्जित ।* *🔹दोपहर १ से ३ - (छोटी आँत में)🔹* *भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास-अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है ।* *🔹दोप. ३ से ५ - (मूत्राशय में)🔹* *२-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृत्ति होगी ।* *🔹शाम ५ से ७ - (गुर्दे में)🔹* *इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें । शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते हैं ।* *🔹रात्रि ७ से ९ - (मस्तिष्क में)🔹* *इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।* *🔹रात्रि ९ से ११ - (रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जू में)🔹* *इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है ।* *🔹रात्रि ११ से १ - (पित्ताशय में)🔹* *इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा, नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएँ बनती हैं ।* *🔹१ से ३ - (यकृत में)🔹* *इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन तंत्र को बिगाड़ देता है ।* *🌹ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है । अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें, जिससे ऊपर बताये समय में खुलकर भूख लगे ।* #🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय #🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स #✡️ज्योतिष समाधान 🌟
🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय - 3னப்பண் २० अक्टूबर २०२५ कार्तिक, HI- पक्ष- कृष्ण दिन- सोमवार fಪ- 20-10-2025 तिथि- चतुर्दशी (१५:४४ से अमावस्या ) नक्षत्र हस्त सूर्य नक्षत्र- चित्रा 45785- 6r7 लोग- বুলো वैधृति (15:44 7 शकुनी करण- चतुष्पद ) মূব ; राशि- कन्या राशि- तुला चोघडिया दिन शुभ मुहूर्त 3; 06:27 07*53 ೩91 राहू काल 0७:५३ - ०९:१९ अशुभ काल 0७:५३ ०९:१९ अशुभ यम घंटा १०:४५ १२:११ अशुभ शुभ 09:19-10:45 शुभ ক 13:38 - 15:04 பள : 10:45-12*11 3199T अभिजित ११:४९ १२:३४ शुभ उद्वेग १२:११ १३:३८ अशुभ मुहूर्त ' १३:२० अशुभ 12:34 జ్ चर १३:३८ १५:०४ शुभ मुहूर्त 15:38 31991 14:52 दूर লাঞ 15:04 16:30 থুণ্ 4747 29:08* 30:55* 31991 अमृत १६:३0-१७:५६ शुभ प्रदोष १७:५६ २०:२७ शुभ आपका दिन शुभ और मंगलमय ह्ये Badleltadlieje 3னப்பண் २० अक्टूबर २०२५ कार्तिक, HI- पक्ष- कृष्ण दिन- सोमवार fಪ- 20-10-2025 तिथि- चतुर्दशी (१५:४४ से अमावस्या ) नक्षत्र हस्त सूर्य नक्षत्र- चित्रा 45785- 6r7 लोग- বুলো वैधृति (15:44 7 शकुनी करण- चतुष्पद ) মূব ; राशि- कन्या राशि- तुला चोघडिया दिन शुभ मुहूर्त 3; 06:27 07*53 ೩91 राहू काल 0७:५३ - ०९:१९ अशुभ काल 0७:५३ ०९:१९ अशुभ यम घंटा १०:४५ १२:११ अशुभ शुभ 09:19-10:45 शुभ ক 13:38 - 15:04 பள : 10:45-12*11 3199T अभिजित ११:४९ १२:३४ शुभ उद्वेग १२:११ १३:३८ अशुभ मुहूर्त ' १३:२० अशुभ 12:34 జ్ चर १३:३८ १५:०४ शुभ मुहूर्त 15:38 31991 14:52 दूर লাঞ 15:04 16:30 থুণ্ 4747 29:08* 30:55* 31991 अमृत १६:३0-१७:५६ शुभ प्रदोष १७:५६ २०:२७ शुभ आपका दिन शुभ और मंगलमय ह्ये Badleltadlieje - ShareChat
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞* *⛅दिनांक - 19 अक्टूबर 2025* *⛅दिन - रविवार* *⛅विक्रम संवत् - 2082* *⛅अयन - दक्षिणायण* *⛅ऋतु - शरद* *⛅मास - कार्तिक* *⛅पक्ष - कृष्ण* *⛅ तिथि - त्रयोदशी दोपहर 01:51 तत्पश्चात् चतुर्दशी* *⛅नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी शाम 05:49 तक तत्पश्चात् हस्त* *⛅योग - इंद्र रात्रि 02:05 अक्टूबर 20 तक तत्पश्चात् वैधृति* *⛅राहुकाल - शाम 04:31 से शाम 05:58 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅सूर्योदय - 06:25* *⛅सूर्यास्त - 05:58 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में* *⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से प्रातः 05:36 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)* *⛅अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:49 से दोपहर 12:35* *⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:47 से रात्रि 12:37 अक्टूबर 20 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)* *🌥️सर्वार्थ सिद्धि योग - अहो रात्रि* *⛅️व्रत पर्व विवरण - नरक चतुर्दशी (रात्रि में मंत्रजप), काली चौदस, हनुमान पूजा, मासिक शिवरात्रि, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धियोग (शाम 05:49 से प्रातः 06:26 अक्टूबर 20 तक)* *🌥️विशेष - चतुर्दशी को स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)* *🔹घर में सुख-शांति के लिए🔹* *🔹वास्तुशास्त्र के नियमों के उचित पालन से शरीर की जैव-रासायनिक क्रिया को संतुलित रखने में सहायता मिलती है ।* *🔹घर या वास्तु के मुख्य दरवाजे में देहरी (दहलीज) लगाने से अनेक अनिष्टकारी शक्तियाँ प्रवेश नहीं कर पातीं व दूर रहती हैं । प्रतिदिन सुबह मुख्य द्वार के सामने हल्दी, कुमकुम व गोमूत्र मिश्रित गोबर से स्वस्तिक, कलश आदि आकारों में रंगोली बनाकर देहरी (दहलीज) एवं रंगोली की पूजा कर परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि 'हे ईश्वर ! आप मेरे घर व स्वास्थ्य की अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करें ।'* *🔹प्रवेश-द्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते का तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है ।* *🔹वास्तु कि मुख्य द्वार के सामने भोजन-कक्ष, रसोईघर या खाने की मेज नहीं होनी चाहिए ।* *🔹मुख्य द्वार के अलावा पूजाघर, भोजन-कक्ष एवं तिजोरी के कमरे के दरवाजे पर भी देहरी (दहलीज) अवश्य लगवानी चाहिए ।* *🔹भूमि-पूजन, वास्तु-शांति, गृह-प्रवेश आदि सामान्यतः शनिवार एवं मंगलवार को नहीं करने चाहिए ।* *🔹गृहस्थियों को शयन-कक्ष में सफेद संगमरमर नहीं लगावाना चाहिए । इसे मन्दिर मे लगाना उचित है क्योंकि यह पवित्रता का द्योतक है ।* *🔹कार्यालय के कामकाज, अध्ययन आदि के लिए बैठने का स्थान छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक दबाव रहता है ।* *🔹बीम के नीचे वाले स्थान में भोजन बनाना व करना नहीं चाहिए । इससे आर्थिक हानि हो सकती है । बीम के नीचे सोने से स्वास्थ्य में गड़बड़ होती है तथा नींद ठीक से नहीं आती ।* #🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 #🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय
🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स - आज का पंचांग १९ अक्टूबर २०२५ मास- कार्तिक, पक्ष- कृष्ण दिन- रविवार iச- 19-10-2025 तिथि- त्रयोदशी (१३:५१ से चतुर्दशी ) फाल्गुनी নঃস জৎ नक्षत्र- चित्रा శా: फाल्गुनी नक्षतर उतर लोग- तुल्र करण- वणिज (१३५१ सेविष्टि भद्र ) چ4٦ राशि- कन्या राशि- तुला चोघडिया दिन @AnS 34706:27 0७:५३ अशुभ मुहूर्त शुभ 7 07:53 09:19 शुभ राहू काल १६:३० १७:५७ अशुभ लाभ 09:१९ १०:४५ शुभ यम घंटा १२:१२ १३:३8 अशुभ गुली काल १५:०४ - १६:३० 3;7 10:45 12:12 থুণ अभिजित ११:४९ १२:३५ शुभ 612:12 13:38 3/% दूर मुहूर्त १६:२५ १७:११ अशुभ 3?13:38 15:04 3? H27:02* रोग १५:०४ 28*48* 31991 १६:३० अशुभ प्रदोष १७:५७ ' 20:27 থণ ತ೫T 16:30 १७:५७ अशुभ आपका दिन शुभ और मंगलमय ह्यो RadheRadliefe आज का पंचांग १९ अक्टूबर २०२५ मास- कार्तिक, पक्ष- कृष्ण दिन- रविवार iச- 19-10-2025 तिथि- त्रयोदशी (१३:५१ से चतुर्दशी ) फाल्गुनी নঃস জৎ नक्षत्र- चित्रा శా: फाल्गुनी नक्षतर उतर लोग- तुल्र करण- वणिज (१३५१ सेविष्टि भद्र ) چ4٦ राशि- कन्या राशि- तुला चोघडिया दिन @AnS 34706:27 0७:५३ अशुभ मुहूर्त शुभ 7 07:53 09:19 शुभ राहू काल १६:३० १७:५७ अशुभ लाभ 09:१९ १०:४५ शुभ यम घंटा १२:१२ १३:३8 अशुभ गुली काल १५:०४ - १६:३० 3;7 10:45 12:12 থুণ अभिजित ११:४९ १२:३५ शुभ 612:12 13:38 3/% दूर मुहूर्त १६:२५ १७:११ अशुभ 3?13:38 15:04 3? H27:02* रोग १५:०४ 28*48* 31991 १६:३० अशुभ प्रदोष १७:५७ ' 20:27 থণ ತ೫T 16:30 १७:५७ अशुभ आपका दिन शुभ और मंगलमय ह्यो RadheRadliefe - ShareChat
#🪙हैप्पी धनतेरस🛍️ #🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स
🪙हैप्पी धनतेरस🛍️ - धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं। त्यौहारों का यह आगमन आप के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाये। धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं। त्यौहारों का यह आगमन आप के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाये। - ShareChat
#🪙हैप्पी धनतेरस🛍️
🪙हैप्पी धनतेरस🛍️ - माता लक्ष्मी की कृपा से आप सभी के और समृद्धि बनी रहे। में सुख  जीवन 96|(|2?| के पावन पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई व शुभकानना 9 9 5 . माता लक्ष्मी की कृपा से आप सभी के और समृद्धि बनी रहे। में सुख  जीवन 96|(|2?| के पावन पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई व शुभकानना 9 9 5 . - ShareChat