*नरेंद्र मोदी उस शख्सियत का नाम है जिसने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी, साधारण परिवार का बालक आज देश के सबसे बड़े ओहदे पर है*
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*मोदी का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक है, आइये जानते हैं कैसा रहा उनका चाय बेचने से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर !*
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*✍🏼⭕तिलक माथुर*
*केकड़ी_राजस्थान* (17.9.2019)
नरेंद्र मोदी एक ऐसी शख्सियत का नाम जिसने देश ही नहीं पूरे विश्व में लोगों का दिल जीत लिया है, आज पूरा देश उनका जन्मदिन धूमधाम से मना रहा है, देश ही नहीं विश्व के कई देशों में भी उनका जन्मदिन बड़ी शिद्दत के साथ मनाया जा रहा है। नरेंद्र मोदी हमारे देश के 15 वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। सन 2014 और फिर 2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। आज उनके कुशल नेतृत्व को लेकर देश ही नहीं पूरा विश्व नतमस्तक है। भारत वासियों को मोदी से उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि वो उन्हें उज्जवल भविष्य देंगें। स्वतंत्रता के बाद ऐसी जीत हासिल करने वाले ये भारत के पहले प्रधानमंत्री बने हैं। वे लगातार देश को मजबूत तरीके से बुलन्दियों तक पहुंचाने में दिन-रात जुटे हुए हैं। लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने 100 दिन के कार्यकाल में ही वो करिश्मा कर दिखाया जो कोई और बरसों के शासन में भी नहीं कर पाया। प्रधानमंत्री मोदी की कई जनकल्याणकारी नीतियां देश के उत्थान में कारगर साबित हुई हैं व कुछ कठोर नीतियों को भी देश की जनता ने स्वीकार किया है। देश विदेश में चारों ओर आज मोदी के कुशल नेतृत्व की प्रशंसा है। नरेंद्र मोदी ने अपने जीवन में क्या-क्या महत्वपूर्ण कार्य किये हैं एवं उनका अब तक का जीवन कैसा रहा उनमें से कुछ बातों पर रोशनी डालता हूं। उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी जी का जन्म गुजरात राज्य के मेहसाना जिले के एक छोटे से गांव वडनगर में हुआ। नरेंद्र मोदी के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इनके पिता एक छोटे व्यापारी थे जिन्होंने अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए काफी संघर्ष किया। मोदी ने बचपन में अपने परिवार की मदद करने के लिए अपने भाइयों के साथ रेलवे स्टेशन में और फिर बस टर्मिनल में चाय भी बेची। मोदी ने अपने बचपन के दिनों में ही कई कठिनाइयों और बाधाओं का सामना किया लेकिन अपने चरित्र और साहस की ताकत से उन्होंने सभी चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया। इस तरह से इनका शुरूआती जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा। मोदी के बारे में बताया जाता है कि उनका विवाह घांची समुदाय की परम्पराओं के अनुसार 18 साल की उम्र में सन 1968 में जशोदा बेन चिमनलाल के साथ हुआ। बताया गया है कि मोदी का अपनी पत्नी से तलाक़ नहीं हुआ लेकिन फिर भी वे दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए। नरेंद्र मोदी की शुरूआती शिक्षा वडनगर के स्थानीय स्कूल से पूरी हुई उन्होंने वहां सन 1967 तक अपनी हायर सेकेंडरी तक की पढ़ाई पूरी की उसके बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था और फिर उन्होंने पूरे भारत में भ्रमण कर विविध संस्कृतियों की खोज की। इसके लिए मोदी ने उत्तर भारत में स्थित ऋषिकेश एवं हिमालय जैसे स्थानों का दौरा किया। उत्तर पूर्व के हिस्सों में दौरा करने के 2 साल बाद वे भारत लौटे। मोदी ने सन 1978 में अपनी उच्च शिक्षा के लिए भारत के दिल्ली यूनिवर्सिटी में एवं उसके बाद अहमदाबाद में गुजरात यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। वहां उन्होंने राजनीति विज्ञान में क्रमशः स्नातक एवं स्नातकोत्तर किया। अपनी कॉलेज की पढ़ाई के बाद मोदी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हो गए। बाद में वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जो कि एक हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन है में शामिल होने के लिए अहमदाबाद गये तथा वहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। सन 1975-77 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गये राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया जिसके कारण मोदी को उस समय अंडरग्राउंड होने के लिए मजबूर होना पड़ा एवं गिरफ़्तारी से बचने के लिए भेस बदल कर यात्रा किया करते थे। आपातकाल के विरोध में मोदी काफी सक्रीय रहते थे। उन्होंने उस समय सरकार का विरोध करने के लिए पर्चे के वितरण सहित कई तरह के कार्य अपनाये। इससे उनका प्रबंधकीय, संगठनात्मक और लीडरशिप कौशल सामने आया। इसके बाद नरेन्द्र मोदी राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में शामिल हो गये। इन्हें आरएसएस में लेखन का काम सौंपा गया। सन 1987 में नरेंद्र मोदी पूरी तरह से भाजपा में शामिल हो गए और पहली बार उन्होंने अहमदाबाद नगरपालिका चुनाव में भाजपा के अभियान को व्यवस्थित करने में मदद की इसमें भाजपा की शानदार जीत हुई। सन 1987 में नरेंद्र मोदी का भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद रैंक के माध्यम से तेजी से उदय हुआ क्योंकि वे एक बहुत ही बुद्धिमान व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने व्यवसायों छोटे सरकारी एवं हिन्दू मूल्यों के निजीकरण को बढ़ावा दिया। इसी साल उन्हें पार्टी ने गुजरात के महासचिव के रूप में चुना। सन 1990 में लालकृष्ण आडवानी की अयोध्या रथ यात्रा के संचालन में मदद करने के बाद पार्टी के भीतर मोदी की क्षमताओं को मान्यता मिली जो उनका पहला राष्ट्रीय स्तर का राजनीतिक कार्य बन गया। उसके बाद सन 1991-92 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा हुई जिसमें भी उनकी अहम भूमिका रही। मोदी ने सन 1990 में गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद गुजरात में भाजपा की उपस्थिति को मजबूत करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। सन 1995 के चुनावों में पार्टी ने 121 सीटें जीतीं जिससे गुजरात में पहली बार भाजपा की सरकार बनी। पार्टी थोड़े समय के लिए सत्ता में रही जो सितंबर 1996 में समाप्त हो गई। सन 1995 में मोदी जी को हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में गतिविधियों को संभालने के लिए भाजपा का राष्ट्रीय सचिव चुना गया और वे नई दिल्ली में स्थानांतरित हो गए। सन 1998 में जब भाजपा में आंतरिक लीडरशिप विवाद चल रहा था तब मोदी ने उस दौरान भाजपा की चुनाव जीत का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे विवादों को सुलझाने में सफलतापूर्वक मदद मिली। इसके बाद इसी साल मोदी महासचिव नियुक्त किये गये। इस पद में वे सन 2001 तक कार्यरत रहे। उस दौरान मोदी को विभिन्न राज्यों में पार्टी संगठन को फिर से लाने की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभाने का श्रेय दिया गया था। नरेंद्र मोदी ने पहली बार सन 2001 में विधान सभा चुनाव लड़ा जिसके बाद उनकी काबिलियत के चलते वे गुजरात के मुख्यमंत्री बन गए। दरअसल उस समय केशुभाई पटेल का स्वास्थ्य ख़राब हो गया था और दूसरी तरफ उपचुनाव में भाजपा राज्य की कुछ विधानसभा सीटें हार गई थी जिसके बाद बीजेपी की राष्ट्रीय लीडरशिप केशुभाई पटेल के हाथ से लेकर मोदी जी को थमा दी गई थी और उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया। 7 अक्टूबर सन 2001 को मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। इसके बाद उनकी एक के बाद एक जीत निश्चित होती चली गई और वे गुजरात के चार बार मुख्यमंत्री रहे इस दौरान उन्होंने कई बार विदेशों के दौरा किया और विदेशी नीतियों को बारीकी से समझा। दिन प्रतिदिन उनका राजनीतिक सफर ऊंचाइयों को छूने लगा और आज वे स्टार से सुपर स्टार बन गए।
*संकलन : तिलक