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#jagatguru santrampal ji mahraj #santrampal ji maharaj #santrampal mahraj ji
jagatguru santrampal ji mahraj - ~ al मरीहा दिसम्बर २०२५ को ] परम संत रामपालजी महाराज जी को धीरणवास र्मे मिलेगा किसान मसीहा सम्मान ' ~ al मरीहा दिसम्बर २०२५ को ] परम संत रामपालजी महाराज जी को धीरणवास र्मे मिलेगा किसान मसीहा सम्मान ' - ShareChat
#🙏गीता ज्ञान🛕 #jagatguru santrampal ji mahraj #santrampal ji maharaj
🙏गीता ज्ञान🛕 - गीता ज्ञान दाता ने भवित ? स्त गीता अध्याय 2 श्लोक १२ अध्याय 4 श्लोक 5 अध्याय १० श्लोक 2 में अपने को नाशवान यानि जन्म- मरण के चक में सदा रहने वाला बताया है। कहा है कि हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत हो चुके है। तू नही Gன जानता , मै जानता हूँ! जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज SPIRITUAL LEADER SanT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD ORG [{ SAINT RAMPALI MAHARA J गीता ज्ञान दाता ने भवित ? स्त गीता अध्याय 2 श्लोक १२ अध्याय 4 श्लोक 5 अध्याय १० श्लोक 2 में अपने को नाशवान यानि जन्म- मरण के चक में सदा रहने वाला बताया है। कहा है कि हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत हो चुके है। तू नही Gன जानता , मै जानता हूँ! जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज SPIRITUAL LEADER SanT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD ORG [{ SAINT RAMPALI MAHARA J - ShareChat
#santrampalji mahrajji ##santrampalji maharaj #santrampalji #sadhsangativideo #santrampalji
santrampalji mahrajji - ٥ ٦ ٦٩ মe?া शास्त्रों (वेदों ) में वर्णित साधना छोड़ मनमानी पूजा किसी व्यक्ति या ऋषि व सन्त विशेष के कहने से करने वाले R de साधक की साधना व्यर्थ होती है | a 0ப77777 इसलिए गीता अध्याय १६ श्लोक २४ { में कहा है कि कौन सी साधना करने योग्य (कर्तव्य कर्म ) है तथा कौन सी छोडने योग्य (अकर्तव्य कर्म ) है | इसके 0 शास्त्र (वेद) ही प्रमाण है | किसी अन्य द्वारा लोकवेद अर्थात् दन्त कथाओं के आधार से बताया गया भक्ति मार्ग स्वीकार चाहिए नहीं करना ( जगतगुरु तत्वदर्शी aaemHuங ளிகR SPIRITUAL LEADER SANT RAMPALJI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD ORG SAINT RAMPAL JI MAHARA] ٥ ٦ ٦٩ মe?া शास्त्रों (वेदों ) में वर्णित साधना छोड़ मनमानी पूजा किसी व्यक्ति या ऋषि व सन्त विशेष के कहने से करने वाले R de साधक की साधना व्यर्थ होती है | a 0ப77777 इसलिए गीता अध्याय १६ श्लोक २४ { में कहा है कि कौन सी साधना करने योग्य (कर्तव्य कर्म ) है तथा कौन सी छोडने योग्य (अकर्तव्य कर्म ) है | इसके 0 शास्त्र (वेद) ही प्रमाण है | किसी अन्य द्वारा लोकवेद अर्थात् दन्त कथाओं के आधार से बताया गया भक्ति मार्ग स्वीकार चाहिए नहीं करना ( जगतगुरु तत्वदर्शी aaemHuங ளிகR SPIRITUAL LEADER SANT RAMPALJI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD ORG SAINT RAMPAL JI MAHARA] - ShareChat
#santram pal ji Maharaj 🙏#kabirisgod
santram pal ji Maharaj 🙏#kabirisgod - SAILOK ASHRAN WUNDNA ٢٢٩ गरोब , सट्यनाम पालडै खंग हेरि हो, संत गरीब दास जी महाराज चौदह भवन चढावै राम रंग हेरि ह्ये I तान लोक पासंग धरै खं्ग हेरि हये॰तो न तुलाया राम रंग हेरि हयो I सतनाम  मंत्र पूर्ण संत से जिस भव्त आात्मा ठो भिल गवा उसठे एठ ठीमत   डतनी है कि ७ठ स्वांस उस्वांस से सतनाम मंत्र ल @Iq 3 जाप तराजू ठे एठ पलडे मे, पलडे ्ें चौदह भुवर्नों ठो ख মী థే @GI  எ ச என 83 %} $ fie & % al ठी ভক ৫০ন৬} মপ্প ঐ ঝ৫া ভব্র & ! संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download কীসিম व निःशुल्क  निःशुल्क नामदीक्षा पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 Googeflay SATLOK ASHRAM MUNDKA OFFICIAL  SAMUNDKADELH FOLLOW US ON: SADELHIMUNDKA SAILOK ASHRAN WUNDNA ٢٢٩ गरोब , सट्यनाम पालडै खंग हेरि हो, संत गरीब दास जी महाराज चौदह भवन चढावै राम रंग हेरि ह्ये I तान लोक पासंग धरै खं्ग हेरि हये॰तो न तुलाया राम रंग हेरि हयो I सतनाम  मंत्र पूर्ण संत से जिस भव्त आात्मा ठो भिल गवा उसठे एठ ठीमत   डतनी है कि ७ठ स्वांस उस्वांस से सतनाम मंत्र ल @Iq 3 जाप तराजू ठे एठ पलडे मे, पलडे ्ें चौदह भुवर्नों ठो ख মী థే @GI  எ ச என 83 %} $ fie & % al ठी ভক ৫০ন৬} মপ্প ঐ ঝ৫া ভব্র & ! संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download কীসিম व निःशुल्क  निःशुल्क नामदीक्षा पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 Googeflay SATLOK ASHRAM MUNDKA OFFICIAL  SAMUNDKADELH FOLLOW US ON: SADELHIMUNDKA - ShareChat
#jagatguru santrampal ji mahraj #santrampal ji maharaj #santrampal mahraj ji
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#🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🙏कर्म क्या है❓ #🙏गुरु महिमा😇 #🙏गीता ज्ञान🛕
🙏🏻आध्यात्मिकता😇 - संत रामपाल जी महाराज द्वारा गीता के रहस्यों का खुलासा गीता अध्याय 7 श्लोक २९ मे कहा है कि जो साधक केवल जरा (वृद्धावस्था ) , मरण ( मृत्यु) , दुख से लिए प्रयत्न करते हैं। वे तत् ब्रह्य़ को जानते हैं। छूटने के "aa गीता अध्याय 8 श्लोक 1 में अर्जुन ने पूछ कि ब्रह्म" क्या है? अध्याय 8 श्लोक 3 में कहा कि वह परम अक्षर ब्रह्म है। fag] उस परम अक्षर ब्रह्म की जानकारी के पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा। # निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक अपना नॉम , पूरा पता भेजें 577 77( +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ संत रामपाल जी महाराज द्वारा गीता के रहस्यों का खुलासा गीता अध्याय 7 श्लोक २९ मे कहा है कि जो साधक केवल जरा (वृद्धावस्था ) , मरण ( मृत्यु) , दुख से लिए प्रयत्न करते हैं। वे तत् ब्रह्य़ को जानते हैं। छूटने के "aa गीता अध्याय 8 श्लोक 1 में अर्जुन ने पूछ कि ब्रह्म" क्या है? अध्याय 8 श्लोक 3 में कहा कि वह परम अक्षर ब्रह्म है। fag] उस परम अक्षर ब्रह्म की जानकारी के पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा। # निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक अपना नॉम , पूरा पता भेजें 577 77( +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
#🙏गीता ज्ञान🛕
🙏गीता ज्ञान🛕 - गता अध्याय 4 का श्लोक ३४ तत् विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया বপঃএলি; ন নানমূ নানিন: ননেনথিনি:113411 33 अनुवादः पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि॰ उपरोक्त नाना प्रकार की साधना तो मनमाना आचरण है। मेरे तक की साधना की अटकल लगाया ज्ञान है परन्तु पूर्ण परमात्मा के पूर्ण मोक्ष मार्ग का मुझे भी ज्ञान नहीं है। उसके लिए इस मंत्र ३४ में कहा है कि उस  (तत्) तत्वज्ञान को (विद्धि) समझ उन पूर्ण परमात्मा के वास्तविक ज्ञान व समाधान को जानने वाले संर्तों को गीता अध्याय श्लोक ३४ में गीता 4 (प्रणिपातेन) भलीभाति दण्डवत् प्रणाम करनेसे उनकी ज्ञानदाता ने कहा है कि तत्वज्ञान (सेवया ) सेवा करनेसे और कपट छोड़कर ( परिप्रश्नेन) सरलतापूर्वक प्रश्न करनेसे (त) वे (तत्वदर्शिनः ) पूर्ण ब्रह्म तत्वदर्शी संत की fa की प्राप्ति के को तत्व से जानने वाले अर्थात् तत्वदर्शी ( ज्ञानिनः ) ज्ञानी यानि बिना गुरु के शरण में जाओ महात्मा तुझे उस ( ज्ञानम्) तत्वज्ञानका (उपदेक्ष्यन्ति  उपदेश करेंगे। (३४) इसी का प्रमाण गीता अध्याय 2 ज्ञान और भक्ति अधूरी है। श्लोक १५ १६ में भी है। तत्वदर्शी संत , सतगुक रामपाल जी मठानाज Sant Rampal Ji Maharaj Sant Rampal Ji Maharaj संत रामपाल जी महाराज जी से App Download #గగా য নিঃথুল্ক  निःशुल्क नामदीक्षा " ನ @Sain RampalJiMahara 5=70 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823  227M subscribers T7K videos गता अध्याय 4 का श्लोक ३४ तत् विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया বপঃএলি; ন নানমূ নানিন: ননেনথিনি:113411 33 अनुवादः पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि॰ उपरोक्त नाना प्रकार की साधना तो मनमाना आचरण है। मेरे तक की साधना की अटकल लगाया ज्ञान है परन्तु पूर्ण परमात्मा के पूर्ण मोक्ष मार्ग का मुझे भी ज्ञान नहीं है। उसके लिए इस मंत्र ३४ में कहा है कि उस  (तत्) तत्वज्ञान को (विद्धि) समझ उन पूर्ण परमात्मा के वास्तविक ज्ञान व समाधान को जानने वाले संर्तों को गीता अध्याय श्लोक ३४ में गीता 4 (प्रणिपातेन) भलीभाति दण्डवत् प्रणाम करनेसे उनकी ज्ञानदाता ने कहा है कि तत्वज्ञान (सेवया ) सेवा करनेसे और कपट छोड़कर ( परिप्रश्नेन) सरलतापूर्वक प्रश्न करनेसे (त) वे (तत्वदर्शिनः ) पूर्ण ब्रह्म तत्वदर्शी संत की fa की प्राप्ति के को तत्व से जानने वाले अर्थात् तत्वदर्शी ( ज्ञानिनः ) ज्ञानी यानि बिना गुरु के शरण में जाओ महात्मा तुझे उस ( ज्ञानम्) तत्वज्ञानका (उपदेक्ष्यन्ति  उपदेश करेंगे। (३४) इसी का प्रमाण गीता अध्याय 2 ज्ञान और भक्ति अधूरी है। श्लोक १५ १६ में भी है। तत्वदर्शी संत , सतगुक रामपाल जी मठानाज Sant Rampal Ji Maharaj Sant Rampal Ji Maharaj संत रामपाल जी महाराज जी से App Download #గగా য নিঃথুল্ক  निःशुल्क नामदीक्षा " ನ @Sain RampalJiMahara 5=70 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823  227M subscribers T7K videos - ShareChat
#🙏गुरु महिमा😇
🙏गुरु महिमा😇 - गीता ೫ गीता अध्याय १८ श्लोक ६२ अध्याय १८ का श्लोक ६२ हे भारत! तूसब प्रकार से उस परमेश्वर की की ही शरण में जा तम् एव शरणम् गच्छ सर्वभावेन भारत उस परमात्मा की कृपा शान्तिम् स्थानम् प्राप्स्यसि से ही तूपरम शान्ति को तथा सदा रहने तत्प्रसादात् पराम शाश्वतम्। ।६२।| वाले सतलोक को प्राप्त होगा| अनुवादः ( भारत) हे भारत! तू ( सर्वभावेन) सब प्रकारसे (तम् ) उस परमेश्वरकी (एव) ही (शरणम् ) शरणमें संत रामपाल जी महाराज जी से (गच्छ) जा। (तत्प्रसादात्) उस परमात्माकी कृपा से ही निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क तू (पराम्) परम (शान्तिम्) शान्तिको तथा (शाश्वतम्) पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 सदा रहने वाला सत (स्थानम्) स्थान।धाम/ लोक को अर्थात् सत्लोक को (प्राप्स्यसि) प्राप्त होगा। (६२) गीता ೫ गीता अध्याय १८ श्लोक ६२ अध्याय १८ का श्लोक ६२ हे भारत! तूसब प्रकार से उस परमेश्वर की की ही शरण में जा तम् एव शरणम् गच्छ सर्वभावेन भारत उस परमात्मा की कृपा शान्तिम् स्थानम् प्राप्स्यसि से ही तूपरम शान्ति को तथा सदा रहने तत्प्रसादात् पराम शाश्वतम्। ।६२।| वाले सतलोक को प्राप्त होगा| अनुवादः ( भारत) हे भारत! तू ( सर्वभावेन) सब प्रकारसे (तम् ) उस परमेश्वरकी (एव) ही (शरणम् ) शरणमें संत रामपाल जी महाराज जी से (गच्छ) जा। (तत्प्रसादात्) उस परमात्माकी कृपा से ही निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क तू (पराम्) परम (शान्तिम्) शान्तिको तथा (शाश्वतम्) पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 सदा रहने वाला सत (स्थानम्) स्थान।धाम/ लोक को अर्थात् सत्लोक को (प्राप्स्यसि) प्राप्त होगा। (६२) - ShareChat
#🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🙏गीता ज्ञान🛕
🙏🏻आध्यात्मिकता😇 - ४गीता 7 5எ कृष्ण ने नहीं कहा" :- कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते q समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व  कह रहा है कि लिए प्रकट हुआ हूँ। ९ लोकों को खाने के जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। जगतगुरु तत्वदर्शी सुंत रा्मपाल जी महाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करे के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 GoegeP ४गीता 7 5எ कृष्ण ने नहीं कहा" :- कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते q समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व  कह रहा है कि लिए प्रकट हुआ हूँ। ९ लोकों को खाने के जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। जगतगुरु तत्वदर्शी सुंत रा्मपाल जी महाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करे के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 GoegeP - ShareChat
#🙏कर्म क्या है❓
🙏कर्म क्या है❓ - ४गीता 7 5எ कृष्ण ने नहीं कहा" :- कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते q समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व  कह रहा है कि लिए प्रकट हुआ हूँ। ९ लोकों को खाने के जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। जगतगुरु तत्वदर्शी सुंत रा्मपाल जी महाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करे के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 GoegeP ४गीता 7 5எ कृष्ण ने नहीं कहा" :- कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते q समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व  कह रहा है कि लिए प्रकट हुआ हूँ। ९ लोकों को खाने के जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। जगतगुरु तत्वदर्शी सुंत रा्मपाल जी महाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करे के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 GoegeP - ShareChat