shiv Prakash soni
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@shivsoni78
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#थोड़ा टाइम पास नेपाल के एक कसीनो में एक आदमी जुआ खेल रहा था। बदकिस्मती से, वह सब कुछ, अपनी पाई-पाई हार गया। निराशा की स्थिति में उसे शौच की इच्छा हुई और वह शौचालय की ओर गया। वहाँ देखा कि शौचालय का दरवाजा एक रुपये का सिक्का डालने पर खुलता है। वह परेशान दरवाजे के सामने खड़ा रहा। तभी एक दूसरे आदमी ने उसकी परेशानी देखी और उसे एक रुपये का सिक्का दिया। पराजित जुआरी कृतज्ञ था। उसने अपने उपकारकर्ता का नाम और पता नोट करने पर जोर दिया और उससे वादा किया कि, चाहे कुछ भी हो जाए, वह किसी न किसी दिन उसका कर्ज चुका देगा। दानकर्ता के जाने के बाद, जब उसने सिक्का दरवाजे के छेद में डालने की कोशिश की तो पाया कि, दरवाजा तो पहले से ही खुला हुआ था। संयोग से, उससे पहले जब कोई और वहाँ से निकला था, तो उसने पीछे दरवाजा पूरी तरह बंद नहीं किया था और वह खुला रह गया था। खैर, जब जुआरी शौचालय से बाहर निकला और लॉबी में पहुँचा, तो उसके पास उधार लिया हुआ एक रुपया अभी भी था। आदतन, जुआरी ने वह रुपया दाव पर लगा दिया और चालीस रुपये जीत गया। उसकी किस्मत ने करवट बदली और उसी रात उसने न सिर्फ अपने हारे हुए एक लाख रुपये जीत लिए, बल्कि साढ़े पाँच लाख रुपये ऊपर से और भी जीत लिए। फिर वह जुआरी प्लेन से मुम्बई आ गया और उन पैसों से एक छोटा सा फास्ट फूड ठेला खोल लिया। किस्मत से उसकी छोटी सी दुकान खूब चली और कुछ ही दिनों में वह एक बड़े रेस्टोरेंट का मालिक बन गया। रेस्टोरेंट इतना सफल हुआ कि, कुछ ही सालों में उसने भारत के अन्य 15 बड़े शहरों वैसे ही रेस्टोरेंट खोल लिए और अगले कुछ और सालों में एक पाँच सितारा डीलक्स होटल भी खरीद लिया। फिर दो होटल, फिर तीन होटल, फिर विदेश में होटल खोल लिए। वृद्धावस्था में, एक बार उसने अपने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में अपनी सफलता की कहानी सुनाते हुए अत्यंत भावुक स्वर में कहा, " मेरे साथ जो चमत्कार हुआ, वह एक आदमी की वजह से हुआ, सिर्फ एक आदमी की वजह से। अगर आज मैं उस आदमी से मिलूँ, तो मैं उसे सोने, हीरे-जवाहरातों से तौल दूँगा। " " उस आदमी को," ---एक डायरेक्टर ने कहा--- " जिसने आपको नेपाल के उस कसीनो में शौचालय में डालने के लिए एक रुपया दिया था ? " 🤔🤔🤔🤔🤔 " नहीं, वह नहीं। मेरे पास तो उसका नाम-पता सब है। मैं तो उस आदमी को ढूँढ रहा हूँ जिसने शौचालय का दरवाजा खुला छोड़ दिया था। " 🤓🤣🤣🤣🤣🤣🤣
#हे भगवान ये साईबर ठगी 😚 रियल साइबर फ्रॉड.. पत्नी को लेकर बाजार गया था ।रास्ते में कुछ काम से वह गाड़ी से उतरी और मैं अंदर ही बैठा रहा । उसी वक्त मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया । मैसेज खोलकर देखा तो पचास हजार रुपये किसी ने भेजे थे ।मैं अचंभित था! कौन इतना दरिया दिल है भाई जो इस कड़की में मुझे पैसे भेज रहा है ? अचानक मुझे महसूस हुआ , कहीं ये जामताड़ा वाला फ्रॉड तो नहीं ?? मैने बिना समय गवाए वो पैसे दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर दिये । इतने में पत्नी भी आ गई .....तो मैने सारा किस्सा उसे बताया । सुनते ही वह तुरंत बोली , " बैंक जाकर मैनेजर को बताना और जिसका भी पैसा है बैंक के द्वारा वापस कर देना । पता नहीं किस गरीब का पैसा गलती से हमारे अकाउंट में आ गया । अभी वह कितना विचलित हो रहा होगा ।" मैने भी हाँ किया और घर के लिए निकल पड़ा। घर आकर बच्चों को बताया और साथ ही कहा कि देखना किसके अकाउंट से पैसे आए हैं । बेटे ने तुरंत ऑनलाइन देखा तो पता चला कोई हिना प्रजापति के अकाउंट से पैसे आए थे जो अहमदाबाद में रहती हैं । मेरा वहाँ कोई जानकर नहीं था अगले दिन बैंक जाकर बताने में ही भलाई समझा और बाकी कार्यो में लग गया । अगले दिन बैंक जाने की तैयारी कर ही रहा था ,तभी एक फोन आया । ट्रूकॉलर में प्रकाश प्रजापति का नाम आ रहा था ।मैने फोन जैसे ही रिसीव किया उधर से आवाज आई , " मेरा पचास हजार रुपया आपके अकाउंट में गलती से चला गया है ,मैं अपनी बहन को गूगल से पैसे भेज रहा था .. आप उसे फौरन वापस कर दीजिए ।मैने देखा है आपने मेरे पैसे को अपने किसी और अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया है ।" यह सुनकर मैनें तुरंत कहा .... , "अरे भाई साहब मैं आपका पैसा वापस करने बैंक ही जा रहा हूँ । आप अपना अकाउंट नम्बर भेज दीजिएगा तो मैं एन. ई .एफ. टी. कर दूँगा ।" उसने मेरा वाट्सएप नम्बर ले मुझे अपना अकाउंट नम्बर भेजा । बैंक जाने पर मैने सारा वाक्या वहाँ के मैनेजर साहब को बताया । उन्होंने तुरंत उसका भेजा हुआ अकाउंट नम्बर देखा और सब माजरा समझ गयें ।मुझसे बोले रमेश जी आज आप अपनी होशियारी से बच गये ..नहीं तो पचास के बदले लाख रुपया देना पड़ता आपको । ये देखिए हिना प्रजापति के अकाउंट से जो पैसा आया था उसे वह आदमी "प्रकाश हिना प्रजापति" के अकाउंट में मंगवा रहा है । अभी आप उसके भेजे अकाउंट मे पचास हजार एन.ई.एफ.टी. कर भी देते तो वह बैंक के माध्यम से हिना प्रजापति के अकाउंट में भी पचास हजार मँगवा लेता और हमें आपके अकाउंट से डेविट करके मजबूरी में फिर से पैसा भेजना पड़ता । मैं अचम्भित था ! मैने पचपन साल के अपने इस जीवन में इस तरह का साइबर फ्रॉड खुद के साथ होते और बैंक मैनेजर और अपनी चतुराई से बचते हुए भी पहली बार देखा था । मैने तुरंत उस व्यक्ति को फोन लगाया ...फोन बिना रिंग के कट जा रहा था ।मैने दो तीन बार ट्राई किया ...फिर बैंक मैनेजर ने बैंक के लैंडलाइन से फोन लगाया तो फोन जाने लगा और उधर से किसी ने हैलो किया ...मैं अब भी सकते में था । मैं समझ गया था उसने मेरा नम्बर ब्लॉक कर दिया है । बैंक मैनेजर उससे कह रहे थे मैं बैंक मैनेजर बोल रहा हूँ , "आप अपने पैसो के क्लेम के लिए अपने बैंक के सिस्टम में क्लेम कीजिए । हमलोग आपके पैसे भेज देंगे । यहाँ से कोई भी आपको दूसरे अकाउंट में गूगल या पेटियम नहीं करेगा । " उसने फौरन पुलिस की धमकी दी तो मैनेजर साहब ने कहा मैं भी साइबर फ्रॉड का केस आपके इस नम्बर पर कर दूँगा अगर दुबारा हमारे ग्राहक को आपने फोन करके तंग किया ।इस घटना के बाद मैं घर आ गया ।शाम में फिर उसने नये नम्बर से फोन कर पैसे माँगे । मैने वही दुहराया जो मैनेजर साहब ने सिखाया था । पिछले पंद्रह दिन से वह अब भी मुझे उन पैसो के लिए दबाव डाल रहा है ...कि मैं उसके भेजे अकाउंट में पैसे डाल दूँ । आज अचानक मैने मोबाइल में एक मैसेज देखा जो मेरे बैंक से आया था ।मेरे अकाउंट से पचास हजार हिना प्रजापति के अकाउंट में खुद ब खुद ट्रांसफर हो गये थे । मैने बैंक फोन किया तो पता चला उसने बैंक में क्लेम उसी दिन कर दिया था ,जिस दिन मुझे पैसे भेजा था । बैंक के सिस्टम से पैसे वापस जाने में पंद्रह से बीस दिन लगते हैं ।इस बीच में वे साइबर क्राइम वाले फोन पर प्रेशर दे देकर पिड़ित व्यक्ति से और पचास हजार भी ले लेते हैं । पता नहीं कितने हजारो लोगो के साथ ये ठगी उसने कर ली होगी । नोट - मैने यह रचना आपसभी को इस तरह के फ्रॉड से आगाह करने के लिए लिखी है cpd
#बुजुर्ग एक 81 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने बिस्तर पर लेटते हुए अपने 83 वर्षीय बुजुर्ग पति से कहा : "सुनो .. मैंने अभी खिड़की से बाहर देखा और मुझे लगा कि गैरेज की लाइट जल रही है। क्या आप जाकर गैरेज की लाइट बंद कर देंगे?"😁 बुज़ुर्ग बड़ी मुश्किल से बिस्तर से उठे, दरवाज़ा खोला और बाहर आए तो देखा कि पाँच-छह चोर उनके गैरेज का दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।😐 . बुजुर्ग ने वहीं से करीबी थाने को फोन किया। "देखो ... मेरा पता लिखो। हम घर पर केवल दो बुजुर्ग पति-पत्नी हैं। अभी पांच या छह चोरों ने मेरे गैरेज पर हमला किया है और गैरेज का दरवाज़ा तोड़ रहे हैं। जल्दी से एक पुलिस टीम भेजें"🥲 . दूसरी तरफ से डिस्पैचर की आवाज आई: "हमने आपका पता लिख लिया है। चिंता न करें। अभी हमारी कोई टीम फ़्री नहीं है। जैसे ही किसी टीम से हमारा संपर्क हो जाता है मैं उन्हें आप के घर भेज दूंगा।"😀 . ये सुन कर वो बुजुर्ग मानो खून का घूंट पी कर रह गए। उधर चोर अभी भी उनके गैरेज का ताला तोड़ने में लगे हुए थे। दो मिनट बाद, उन बुजुर्ग काका ने फिर से पुलिस स्टेशन फोन किया: "सुनो ... अब किसी को भेजने की जरूरत नहीं है। मैंने उन सभी पांचों चोरों को गोली मार दी है..."😎😎 . दुबारा थाने में बुजुर्ग का फ़ोन आते ही अफरातफरी मच गई। पांच मिनट के भीतर पुलिस की एक टीम, एक हेलीकॉप्टर, दो पैरामेडिकल स्टाफ, दो डॉक्टर और दो एंबुलेंस के साथ उन बुजुर्ग के घर पर पहुँच गई। उन चोरों पर जल्द ही काबू पा कर पाँचों चोरों को गिरफ़्तार कर लिया गया। बाद में पुलिस टीम का प्रभारी बुजुर्ग काका के पास पहुँचा और बोला: "आपने तो कहा था कि आपने उन पाँचों चोरों को गोली मार दी है, लेकिन हम ने तो उन्हें ज़िंदा गिरफ़्तार किया है?"😳😳 . बुजुर्ग ने जवाब दिया : "और आपने भी तो कहा कि अभी आपकी कोई भी टीम फ्री नहीं है।"😂😂 Dont underestimate senior citizens......... 👌👍 ✌️🥰🥰🥰🥰🥰
#हास्य जत्रा एक बार एक गांव में एक बुजुर्ग काका बहुत बीमार हो गए और उन्हें शहर के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा । कुछ दिन बीत जाने के बाद गांव के लोगों ने आपस में ये तय किया कि सब मिलकर शहर चलते हैं औऱ काका का हाल चाल लेते हैं। फ़िर सबके सामने समस्या ये उठ खड़ी हुई कि आखिर शहर चला कैसे जाए ??? बाद में सामुहिक रूप से ये तय किया गया कि सब मिलकर एक बड़ा टेंपू भाड़े पर लेते हैं और उसका किराया आपस में बांट लेंगें । भाड़े पर एक टेंपू ठीक किया गया जिसका चालक लालची किस्म का आदमी था और टेंम्पु पंद्रह लोगों के बैठने भर की जगह थी । साथ ही उसका किराया एक सौ रुपए प्रति व्यक्ति तय हुआ लेकिन अंत में कुल मिलाकर चौदह लोग ही शहर जाने के लिए तैयार हुए। टेंपू चालक ने सब लोगों से से आग्रह किया औऱ कहा कि टेंपू में कुल पंद्रह सीट है , एक और व्यक्ति को जोड़ लो ताकि मेरी एक सीट खाली न हो , पर काफी प्रयास के बावजूद एक औऱ आदमी का इंतज़ाम न हो सका। अब चौदह लोगों के साथ गाड़ी चलने ही वाली थी कि ऊपर पहाड़ी पर गांव का ऐक व्यक्ति गुड्डू पागलो कि तरह दौड़ता और आवाज़ देता और हाथ देता देखा गया। गाड़ी के सभी यात्री चीख़ पड़े....चलो गाड़ी चलावो, इसे हरगिज़ साथ मत ले जाना, ये साला पनौती तुम्हारा भी कुछ नुक़सान करेगा। हमारा तो करेगा ही लेकिन चालक ने जवाब दिया, पनौती वो क्या होता है , मेरे लिए तो सवारी ही भगवान है। हम लोग ऐसा सोचने लगे तो हमारा धंधा चल पड़ा ये सौ रुपये की सवारी है,मैं हर कीमत पर उसे लूँगा। और ये पनौती वनौती कुछ नहीं होता है। नाहक ही किसी को बदनाम कर रखा होगा। मुझे तो लगता है आप लोग ईसे न जाने क्यो जानबूझकर नहीं ले जाना चाहते। लोग चालक को समझाने लगे। यह गांव का सबसे फालतू आदमी है कुछ काम धंधा भी नहीं करता तुम्हे कहा से सौ रूपये देगा। और उसे बताया कि ईसकी शुक्ल देखने से रोटी भी नसीब नही होती हे हम मजाक नहीं कर रहे हैं तुम गाडी़ आगे बढावो । उसके चक्कर में मत कुछ तो हाथ जोड़ कर विनती करने लगे कि अभी समय निकल लो । सभी के मन में सिर्फ़ यही भय था कि यदि गुड्डू उनके साथ गया तो जरुर कुछ न कुछ अनर्थ हो जाएगा। लेकिन चालक अपनी ज़िद पर अड़ा रहा । लोग जानबूझ कर उसे डरा रहे हैं और सौ रुपए का नुक़सान वह फालतू में करने को तैयार न था। मैं ऐसे ऐक नहीं सौ पनौतीयो को भी ले जाने को तैयार हूं वह चिढ़ कर बोला। आप लोग खामखां कहानीया गढ़ रहे हैं। वह बेचारा दोढ़ता हुवा आ रहा है और आप उसे छोढ़ कर जाना चाहते हैं ऐसा भी क्या किसी से जलना आप सब बडे़ अनोखे लोग हैं। चाहते हैं उसे छोढ़ दे ...हो सकता है वे बुजुर्गवार उसके बेहद करीबी हो उनके आखरी समय पास रहना चाहता हो। यार तुम खामखां उसके हमदर्द मत बनो जब हम सब कह रहे हैं यहा से चलो तुम अपना ही राग अलाप रहे हो ...यह भंयकर किस्म का मनहूस आदमी है। अब मैं ईसे ले कर ही जाऊगा और ये बात साबित कर दुगा कि आप सब लोग गल्त है। आपने फिजूल में ही किसी शरीफ आदमी को बदनाम कर रखा है। ईसके लिए आप सभी को शर्म आनी चाहिए क्या किसी आदमी के साथ ईस तरह का व्यवहार करना उचित है। आप सब मुझे पढे़ लिखे नजर आते हैं। फिर भी केसे जाहिलो जेसी बाते करते हो। लो भयी ये तो हमें ही लेक्कचर ही देने लग गया। यह कह लोग खामोश हो गये । अब अन्य सवारों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं था और सभी अपने गांव के गुड्डू जैसे किसी अनचाहे व्यक्ति के आने के पहुंचने का इंतज़ार करने लगे। तभी गुड्डू हांपते कांपते हुए पहुंच गया, सभी लोग सांस रोक कर भयभीत बैठे थे , अब ईसकी काली जुबान सै न जाने केसे शब्द भेदी बाण निकलेगे, दूसरी तरफ चालक ने दरवाज़ा खोला.... आईये सर आपके गांव के लोग भी अजीब है पता नहीं कयो आप जेसे अच्छे इंसान से जलते हैं। आप केसे दोढ़ भाग कर पहुचे है ये लोग तो आपको ले जाना ही नहीं चाहते थे। जी बहुत धन्यवाद आपका गुड्डू हाफते हुवे बोला आईये जनाब बाहर क्यो खडे़ है आप सबसे आगे बेठीये अरे नहीं नहीं उसकी जरूरत नहीं है। गुड्डू ने बाहर खड़े खड़े ही टूटी सांसों के साथ फिर उन चौदह लोगों से कहा " अरे आप लोगो को ऐक बात कहनी है ... गुडू चुप हो जा खबरदार जो ऐक शब्द भी निकाला मैं तेरी जुबान खिंच लु़गा गांव के प्रधान जी घबरा कर बोले हमें पता है तेरी ऐक बात क्या होती है। अरे मेरी बात तो सुनीये गुड्डू बोला खबरदार चुप हो जा और चुपचाप गाडी़ में बैठ जा जब आ ही गया है। ऐक शब्द न बोलियो शहर आने तक। में तुझे चेतावनी देता हूं वरना वही पर निचे उतार देगे। अरे कमाल के लोग हैं आप ईन्हे अपनी बात कहने तो दीजिए ... ड्राइवर बीच में बोला। बोलीये आप अपनी बात बोलिये ये लोग तो आपको दबा कर रखे हैं। गुडू तुम पहले गाडी़ में बैठ जावो हम बाद मे आराम से तुम्हारी बात सुन लेगे प्रधान ने फिर कहा। अरे बोलने दीजिए न उसे खामखां किसी शरीफ आदमी को डरा कर रखा है चालक ने लोगो की बात फिर काटते हुवे कहा। चालक का प्रोत्साहन पा कर गुडू कू चेहरे पर निश्चल मुस्कान आ गई वह जोर से बोला काका रात को ही अस्पताल से घर आ गए हैं। सब गाडी से उतर जाओ, ख्वामखाह अस्पताल मत जाओ "। आप लोगो का टैम खराब हो जायेगा और पैसे भी । बाद में स्टेयरिंग से सर जोर से धुनने के कारण चालक के सर में गुमण हो गया है। ऐसा पनौती आदमी उसने जिंदगी में न देखा था।
#ek achhi sikh मैं दुकान पर कपड़े धोने का साबुन लेने गया तो एक भाई साहब आये और दुकान वाले से बोले- भैया 50 पैकेट कुरकुरे , 50 पैकेट चिप्स और 50 पैकेट जीरा पापड़ के मांगे.... और पेमेंट करने के लिए अपना आईफोन निकाल रहे थे कि तभी मैंने आईफोन की तरफ देखते हुए पूछा भाई साहब कोई दुकान चलाते हो क्या आप? उन्होंने बड़े ताज्जुब से मेरी तरफ देखा और थोड़ा बेरुखे अंदाज में बोले, तुम्हें मैं दुकान चलाने वाला लगता हूँ क्या ? मैंने कहा भाई साहब आप इतने सारे पैकेट्स खरीद रहे हो न इसलिए पूछा.... तो वो थोड़े सामान्य लहजे में बोले, अरे ये तो अपने बच्चे के लिये लेकर जा रहा हूँ, उसे बहुत पसन्द है। अब सरकारी नौकरी में होकर भी अपने बच्चों को खाने की चीज के लिए मोहताज रखें तो फिर क्या फायदा नौकरी का.....? मैंने मुस्कुराते हुए पूछा, कितने बच्चे हैं आपके? तो भाई साहब ने बड़ी खुशी के साथ जवाब दिया बस एक ही लड़का है 3 साल का.... मैंने उनसे कुछ न कहा और दुकान वाले से बोला, भैया एक काम किया करो, आप एक जहर की गोली भी रखा करो। अगर किसी का औलाद से मन भर जाए तो कम से कम इस तरह का कचरा खिलाकर तो न मारे....सीधा एक गोली में काम खत्म। उन भाई साहब को मेरी बात जहर जैसी लगी... गुस्से में।बोले, ये क्या बकवास कर रहे हो आप, मैं अपने बच्चे से बहुत प्यार करता हूँ.... मैंने उनकी तरफ देखते हुए जवाब दिया, मैंने कब कहा कि आप नही करते, मैंने तो जो देखा उस हिसाब से कह रहा हूँ, आप एक 3 साल के बच्चे को ये सब गंदगी खिला रहे हो तो आपका प्यार दिख रहा है.... आप खिलाना ही चाहते हो तो अच्छी चीजें खिलाओ, फ्रूट्स खिलाओ.... तभी दुकान वाले ने भी मेरी हां में हाँ मिलाते हुए कहा बिल्कुल सही कह रहे हो सर... मैं खुद का नुकसान नही करता लेकिन एक 3 साल के बच्चे को ये सब इतनी मात्रा में खिलाना सही नहीं। वो भाई साहब बिना कुछ बोले नीची गर्दन किये चुपचाप सामने लगे हुए सेब के ठेले पर चले गए। तभी दुकानदार ने ये सब चीजें समेटते हुए मुझसे पूछा क्या लोगे सर? मैंने कहा कपड़े धोने का साबुन... पास ही खड़े एक आदमी ने कहा अरे पंडित जी आपने तो बिना साबुन धो दिया🤣🤣
#दशहरा *दशहरा बीत चुका था, दीपावली समीप थी, तभी एक दिन कुछ युवक-युवतियों की NGO टाइप टोली एक कॉलेज में आई!* *उन्होंने छात्रों से कुछ प्रश्न पूछे; किन्तु एक प्रश्न पर कॉलेज में सन्नाटा छा गया!* *उन्होंने पूछा, "जब दीपावली भगवान राम के १४ वर्षो के वनवास से अयोध्या लौटने के उतसाह में मनाई जाती है, तो दीपावली पर "लक्ष्मी पूजन" क्यों होता है ? श्री राम की पूजा क्यों नही?"* *प्रश्न पर सन्नाटा छा गया, क्यों कि उस समय कोई सोशियल मीडिया तो था नहीं, स्मार्ट फोन भी नहीं थे! किसी को कुछ नहीं पता! तब, सन्नाटा चीरते हुए, एक हाथ, प्रश्न का उत्तर देने हेतु ऊपर उठा!* *उसने बताया कि "दीपावली उत्सव दो युग "सतयुग" और "त्रेता युग" से जुड़ा हुआ है!"* *"सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी! इसलिए "लक्ष्मी पूजन" होता है!* *भगवान श्री राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे! तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था! इसलिए इसका नाम दीपावली है!* *इसलिए इस पर्व के दो नाम हैं, "लक्ष्मी पूजन" जो सतयुग से जुड़ा है, और दूजा "दीपावली" जो त्रेता युग, प्रभु श्री राम और दीपो से जुड़ा है!* *हमारे उत्तर के बाद थोड़ी देर तक सन्नाटा छाया रहा, क्यों कि किसी को भी उत्तर नहीं पता था! यहां तक कि प्रश्न पूछ रही टोली को भी नहीं!* *खैर कुछ देर बाद सभी ने खूब तालियां बजाई!* *उसके बाद, एक समाचारपत्र ने उस उत्तर देने वाले विद्यार्थी का साक्षात्कार (इंटरव्यू) भी किया!* *उस समय समाचारपत्र का साक्षात्कार होना बहुत बड़ी बात हुआ करती थी!* *बाद में पता चला, कि वो टोली आज की शब्दावली अनुसार "लिबरर्ल्स" (वामपंथियों) की थी, जो हर कॉलेज में जाकर युवाओं के मस्तिष्क में यह बात डाल रही थी, कि "लक्ष्मी पूजन" का औचित्य क्या है, जब दीपावली श्री राम से जुड़ी है?" कुल मिलाकर वह छात्रों का ब्रेनवॉश कर रही थी!* *लेकिन उस उत्तर के बाद, वह टोली गायब हो गई!* *एक और प्रश्न भी था, कि लक्ष्मी और। श्री गणेश का आपस में क्या रिश्ता है?* *और दीपावली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है?* *सही उत्तर है 😗 *लक्ष्मी जी जब सागर मन्थन में मिलीं, और भगवान विष्णु से विवाह किया, तो उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया! तो उन्होंने धन को बाँटने के लिए मैनेजर कुबेर को बनाया!* *कुबेर कुछ कंजूस वृति के थे! वे धन बाँटते नहीं थे, सवयं धन के भंडारी बन कर बैठ गए!* *माता लक्ष्मी परेशान हो गई! उनकी सन्तान को कृपा नहीं मिल रही थी!* *उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई! भगवान विष्णु ने उन्हें कहा, कि "तुम मैनेजर बदल लो!"* *माँ लक्ष्मी बोली, "यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं! उन्हें बुरा लगेगा!"* *तब भगवान विष्णु ने उन्हें श्री गणेश जी की दीर्घ और विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी!* *माँ लक्ष्मी ने श्री गणेश जी को "धन का डिस्ट्रीब्यूटर" बनने को कहा!* *श्री गणेश जी ठहरे महा बुद्धिमान! वे बोले, "माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा, उस पर आप कृपा कर देना! कोई किंतु, परन्तु नहीं! माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी!* *अब श्री गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न/रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे!* *कुबेर भंडारी ही बनकर रह गए! श्री गणेश जी पैसा वितरण करवाने वाले बन गए!* *गणेश जी की दरियादिली देख, माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्री गणेश को आशीर्वाद दिया, कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें!* *दीपावली आती है कार्तिक अमावस्या को! भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं! वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद, देव उठावनी एकादशी को!* *माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में, तो वे सँग ले आती हैं श्री गणेश जी को! इसलिए दीपावली को लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है!* 🙏🌹🙏 (यह कैसी विडंबना है, कि देश और हिंदुओ के सबसे बड़े त्यौहार का पाठ्यक्रम में कोई विस्तृत वर्णन नहीं है? औऱ जो वर्णन है, वह अधूरा है!) *इस लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों, अपनी अगली पीढी को बतायें और दूसरों के साथ साझा करना ना भूलें !*
#bahu *कर्ज वाली लक्ष्मी* एक 15 साल का भाई अपने पापा से कहा पापा पापा दीदी के होने वाले ससुर और सास कल आ रहे है अभी जीजा जी ने फोन पर बताया। दीदी मतलब उसकी बड़ी बहन की सगाई कुछ दिन पहले एक अच्छे घर में तय हुई थी। दीनदयाल जी पहले से ही उदास बैठे थे धीरे से बोले... हां बेटा.. उनका कल ही फोन आया था कि वो एक दो दिन में दहेज की बात करने आ रहे हैं.. बोले... दहेज के बारे में आप से ज़रूरी बात करनी है.. बड़ी मुश्किल से यह अच्छा लड़का मिला था.. कल को उनकी दहेज की मांग इतनी ज़्यादा हो कि मैं पूरी नही कर पाया तो ?” कहते कहते उनकी आँखें भर आयीं.. घर के प्रत्येक सदस्य के मन व चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी...लड़की भी उदास हो गयी। खैर.. अगले दिन समधी समधिन आए.. उनकी खूब आवभगत की गयी.. कुछ देर बैठने के बाद लड़के के पिता ने लड़की के पिता से कहा" दीनदयाल जी अब काम की बात हो जाए.. दीनदयाल जी की धड़कन बढ़ गयी.. बोले.. हां हां.. समधी जी.. जो आप हुकुम करें.. लड़के के पिताजी ने धीरे से अपनी कुर्सी दीनदयाल जी और खिसकाई ओर धीरे से उनके कान में बोले. दीनदयाल जी मुझे दहेज के बारे बात करनी है!...दीनदयाल जी हाथ जोड़ते हुये आँखों में पानी लिए हुए बोले बताईए समधी जी....जो आप को उचित लगे.. मैं पूरी कोशिश करूंगा.. समधी जी ने धीरे से दीनदयाल जी का हाथ अपने हाथों से दबाते हुये बस इतना ही कहा..... आप कन्यादान में कुछ भी देगें या ना भी देंगे... थोड़ा देंगे या ज़्यादा देंगे.. मुझे सब स्वीकार है... पर कर्ज लेकर आप एक रुपया भी दहेज मत देना.. वो मुझे स्वीकार नहीं.. क्योकि जो बेटी अपने बाप को कर्ज में डुबो दे वैसी "कर्ज वाली लक्ष्मी" मुझे स्वीकार नही...मुझे बिना कर्ज वाली बहू ही चाहिए.. जो मेरे यहाँ आकर मेरी सम्पति को दो गुना कर देगी.. दीनदयाल जी हैरान हो गए.. उनसे गले मिलकर बोले.. समधी जी बिल्कुल ऐसा ही होगा.. *शिक्षा- कर्ज वाली लक्ष्मी ना कोई विदा करें न ही कोई स्वीकार करें।* *सभी वैवाहिक बायोडेटा देख रहे परिवारों को समर्पित*
*शुभ सोमवार -शुभ नवरात्र सप्तमी/अष्टमी* 🕉️ *एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।* *लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥* *वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।* *वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥* 🕉️ *करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।* *कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम्॥* *दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।* *अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम्॥* *महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।* *घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥* *सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।* *एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥* 🕉️ *ह्रीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।* *कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥* *कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।* *कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥* *क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।* *कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥* 🕉️ *ऊँ क्लीं मे हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि।* *ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥* *रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।* *कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी॥* *वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।* *तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥* 🕉️ *।ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।।* 🕉 *एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः ।* *स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्वमानवाः ।।"* अर्थात -इस देश में उत्पन्न हुए विद्वानों (अग्रजन्मनः बस) के पास से पृथ्वी के सभी मनुष्य अपने-अपने चरित्र और आचरण की शिक्षा ग्रहण करें, अर्थात् भारत के ज्ञान-विज्ञान और चरित्र का प्रभाव विश्व के अन्य देशों पर भी पड़ना चाहिए। 🕉️ *आपको और समस्त स्वजनों को आश्विन शुक्ल सप्तमी/अष्टमी विक्रम संवत २०८२ तद्नुसार दिनांक 29 सितंबर 2025 ईस्वी - सोमवार नवरात्रि सप्तमी महापर्व की अनन्त शुभकामनाएं और कोटि-कोटि अभिनन्दन* #navratri *आपके दिवस वर्ष मंगलमय हों!* *सादर सुप्रभात वन्दनम्* 🙏🏻🕉️🌺🌅🚩🌹🛕🌺🕉️🙏🏻
#Navratri 2025 chaitra navratri 🙏🥀🌺🌹 *🌹कन्या पूजन क्यों है व्रत समापन का सबसे खास हिस्सा? जानिए इसके अद्भुत लाभ🌹* *⭕नवरात्री कन्या पूजन २०२५: हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व माना जाता है। नौ दिनों तक देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करने के बाद कन्या पूजन के साथ व्रत का समापन किया जाता है।* *इसे कन्या भोज भी कहा जाता है। नवरात्रि व्रत का समापन कन्या पूजन के साथ होता है, जिसका गहरा धार्मिक, आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व है। कई लगो अष्टमी को भी कन्या पूजन करते हैं। आइए इस दौरान कन्या पूजन के महत्व और इसे क्यों किया जाता है, इसे समझते हैं।* *🪔कन्या पूजन का धार्मिक महत्व* * शास्त्रों में कहा गया है कि कन्याएं देवी का साक्षात स्वरूप हैं। * देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए, २ से १० वर्ष की कन्याओं को देवी मानकर उनकी पूजा करना और उन्हें भोजन कराना शुभ माना जाता है। * कन्या पूजन देवी सिद्धिदात्री की पूजा से जुड़ा है, जिनकी पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन की जाती है। *🪔कन्या पूजन की पौराणिक मान्यता* देवी भागवत पुराण के अनुसार, जब देवताओं ने देवी दुर्गा से राक्षसों का नाश करने का अनुरोध किया, तो देवी ने कहा कि कन्याओं के रूप में उनकी पूजा करने से ही शक्ति प्राप्त होती है। महिषासुर के वध के बाद, देवताओं ने कन्याओं की पूजा करके देवी दुर्गा का आभार व्यक्त किया। तब से, कन्या पूजन के साथ नवरात्रि व्रत के समापन की परंपरा चली आ रही है। *🪔आध्यात्मिक दृष्टिकोण* * कन्या पूजन नारी शक्ति का सम्मान है। * कन्याओं को भोजन, वस्त्र और उपहार देकर यह संदेश दिया जाता है कि महिलाएं ब्रह्मांड की माता और पालनहार हैं। * यह कार्य बच्चों के लिए सुख-समृद्धि, परिवार में शांति और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। *🪔कन्या पूजन विधि* * अपने घर में ७, ९ या ११ आमंत्रित कन्याओं को स्नान कराएं और उन्हें आसन पर बैठाएं। * उनके पैर धोएं, आचमन करें और तिलक लगाएं। * उन्हें पूरी, चना और हलवा खिलाएं। * कन्याओं को दक्षिणा, उपहार और लाल चुनरी भेंट करें। * अंत में उनके चरण स्पर्श करें और उनका आशीर्वाद लें। *🪔कन्या पूजन के लाभ* * घर में लक्ष्मी और सरस्वती का वास होता है। * सभी प्रकार के कष्ट और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। * परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है। * नवरात्रि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। *🚩#जय_माता_की🚩* 🙏🚩🙏
#bhagawan मंदिर में दर्शन का महत्त्व ओर प्रयोजन हम लोग हवेली में या मंदिर में दर्शन करने जाते हैं,। दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पैड़ी पर या ओटले पर थोड़ी देर बैठते हैं। इस परंपरा का कारण क्या है ? अभी तो लोग वहां बैठकर अपने घर की, व्यापार की, राजनीति की चर्चा करते हैं। परंतु यह परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई है। वास्तव में वहां मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के और एक श्लोक बोलना चाहिए ।यह श्लोक हम भूल गए हैं। इस श्लोक को सुने और याद करें ।और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बता कर जाएं । श्लोक इस प्रकार है अनायासेन मरणम ,बिना दैन्येन जीवनम । देहान्ते तव सानिध्यम ,देहिमे परमेश्वरम।। जब हम मंदिर में दर्शन करने जाएं तो खुली आंखों से ठाकुर जी का दर्शन करें । कुछ लोग वहां नेत्र बंद करके खड़े रहते हैं ।आंखें बंद क्यों करना ।हम तो दर्शन करने आए हैं ।ठाकुर जी के स्वरूप का ,श्री चरणों, का मुखारविंद का ,श्रंगार का संपूर्ण आनंद लें । आंखों में भर लें इस स्वरूप को । दर्शन करें और दर्शन करने के बाद जब बाहर आकर बैठें तब नेत्र बंद करके ,जो दर्शन किए हैं, उस स्वरूप का ध्यान करें ।मंदिर में नैत्र नहीं बंद करना, बाहर आने के बाद पैड़ी पर बैठकर जब ठाकुर जी का ध्यान करें तब नेत्र बंद करें, और अगर ठाकुर जी का स्वरूप ध्यान में नहीं आए तो दोबारा मंदिर में जाएं । यह प्रार्थना है याचना नहीं है। याचना सांसारिक पदार्थों के लिए होती है, घर ,व्यापार ,नौकरी ,पुत्र पुत्री, दुकान ,सांसारिक सुख या अन्य बातों के लिए जो मांग की जाती है, वह याचना है ।वह भीख है । हम प्रार्थना करते हैं। प्रार्थना का विशेष अर्थ है । प्र अर्थात विशिष्ट, श्रेष्ठ ।अर्थना अर्थात निवेदन ।ठाकुर जी से प्रार्थना करें ,और प्रार्थना क्या करना है ,यह श्लोक बोलना है । श्लोक का अर्थ है "अनायासेना मरणम" अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो, बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े ,कष्ट उठाकर मृत्यु नहीं चाहिए ।चलते चलते ही श्री जी शरण हो जाएं। " बिना दैन्येन जीवनम " अर्थात परवशता का जीवन न हो। किसी के सहारे न रहना पड़े ,।जैसे लकवा हो जाता है ,और व्यक्ति पर आश्रित हो जाता है ।वैसे परवश, बेबस न हों। ठाकुर जी की कृपा से बिना भीख मांगे जीवन बसर हो सके। " देहान्ते तव सानिध्यम " अर्थात जब मृत्यु हो तब ठाकुर जी सन्मुख खड़े हो। जब प्राण तन से निकले , आप सामने खड़े हों। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं ठाकुर जी उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए । उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले। यह प्रार्थना करें । गाड़ी ,लाड़ी ,लड़का, लड़की पति, पत्नी ,घर ,धन यह मांगना नहीं ।यह तो ठाकुर जी आपकी पात्रता के हिसाब से खुद आपको दे देते हैं ।तो दर्शन करने के बाद बाहर बैठकर यह प्रार्थना अवश्य पढ़ें ।