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💖 दिल अच्छा कर्म अच्छा बाक़ी सब भोले की इच्छा 🕉️
🙏#☘️हर हर महादेव🙏🏼 #🕉 शिव भजन #🕉 शिव भजन #🌷शुभ सोमवार
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00:14
#👌हटके व्हिडीओज🎥 #📱 Reels व्हिडिओ #📱 Reels व्हिडिओ #👌प्रेरणादायी स्टेट्स #👌प्रेरणादायी स्टेट्स
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00:07
#🙏खंडोबा स्टेट्स व्हिडिओ ✨ #🚩जोतिबाच्या नावानं चांगभलं🚩 #🎥भक्ती Video
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#🙏संत बाळूमामा ✨ #🎥भक्ती Video #📹Reels भक्ती व्हिडिओ🙏 #✨सोमवार स्पेशल✨ #✨रविवार स्पेशल✨
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#🚩जोतिबाच्या नावानं चांगभलं🚩 #🙏खंडोबा स्टेट्स व्हिडिओ ✨ #🎥भक्ती Video #🎥भक्ती Video #📹Reels भक्ती व्हिडिओ🙏
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00:14
#🌞 Good Morning🌞 #🌞सुप्रभात सन्देश #🙏प्रातः वंदन
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00:19
#🗣कबीर अमृतवाणी📢
🗣कबीर अमृतवाणी📢 - संत कबीर : जीवन परिचिय भक्तिकालीन कवियों में कबीरदास, हिन्दू और मुस्लिमों में बराबर से श्रद्धा  के पात्र हैं | इनके पदों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे सरल और सामान्य बोल-चाल की भाषा में लिखे गये हैं। उनकी भाषा सधुक्कड़ी' कहलाती हैः जिसका आशय यह है कि देश के विविध भागों के साधु सन्तों के बीच विचरण  करते रहने के कारण उन साधु ्संतों की भाषा का प्रभाव कबीर के पदों की भाषा  # 3TT TT గ | हमारे देश के साधु-संतों का जन्म चाहे जिस जाति, धर्म अयवा युग में हुआ हो, उनका एकमात्र लक्ष्य, संसार के सभी लोगों में आपसी भाईन्चारे तथा प्रेम को बढ़ावा देना रहा है, जिससे वे अधर्म के मार्ग को त्यागकर सच्चाई तथा धर्म के मार्ग पर चलें | संतों की इसी चिचार परम्परा में हम कबीरदास को भी अग्रणी श्रेणी में खड़ा पाते हैं। में हुआ, ] संत कबीर का जन्म भारत की धरती पर ऐसे समय 477# हिन्दू मुसलमानों के बीच आपसी कटुता और भेद-भाव चरमोत्कर्ष पर था। मुगल  मुस्लिम संस्कृति यहां विकसित हो रही थी, जिसके साम्राज्य की स्यापना के बाद बीच सामंजस्य बैठाना हिन्दुओं के लिए कठिन हो रहा था। ऐसे समय में कबीर  ने अपने पदों से जनन्जागरण किया| लोगों तक यह संदेश पहुंचाया - कस्तूरी कुण्डल बसै॰ मृग ढूंढे बन माहि। ऐसे घट ्घट राम हैं दुनिया देखै नाहि।। राम , खुदा, ईश्वर को उन्होंने व्यक्तिगत आस्था बताते हुए, आपसी भाईचारे पर बल दिया | ईश्वर ्भक्ति की ओर लोगों को उन्मुख किया बाह्य आडम्बर उनके इस क्रांतिकारी संदेश और विचारधारा का लोगों पर का खण्डन किया ऐसा प्रभाव पडा कि हिन्दू और मुस्लिम दोनों सम्प्रदाय के लोग उनकी निकटता में आने लगे | उनकी निकटता में आने वालों की अपनी जीवनन्शैली की पहचान कुछ इस ढंग से बनी कि॰वे कबीर पंथो' कहलाने लगे। ऐसे क्रांतिकारी संत कबीर का जन्म संवत् 1४५५ ज्येष्ठ शुक्ल १५ को माना जाता है | इनके जन्म और मृत्यु के विषय में मतभेद है । एक मत के अनुसार काशी में नीरू और नीमा नामक एक जुलाहा दम्पत्ति रहते थे। उनके कोई सन्तान # 33` न थी। दोनों प्रतिदिन औलाद के लिए ईश्वर  करते थे पीरों फकीरों के कबोर वाणी संत कबीर : जीवन परिचिय भक्तिकालीन कवियों में कबीरदास, हिन्दू और मुस्लिमों में बराबर से श्रद्धा  के पात्र हैं | इनके पदों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे सरल और सामान्य बोल-चाल की भाषा में लिखे गये हैं। उनकी भाषा सधुक्कड़ी' कहलाती हैः जिसका आशय यह है कि देश के विविध भागों के साधु सन्तों के बीच विचरण  करते रहने के कारण उन साधु ्संतों की भाषा का प्रभाव कबीर के पदों की भाषा  # 3TT TT గ | हमारे देश के साधु-संतों का जन्म चाहे जिस जाति, धर्म अयवा युग में हुआ हो, उनका एकमात्र लक्ष्य, संसार के सभी लोगों में आपसी भाईन्चारे तथा प्रेम को बढ़ावा देना रहा है, जिससे वे अधर्म के मार्ग को त्यागकर सच्चाई तथा धर्म के मार्ग पर चलें | संतों की इसी चिचार परम्परा में हम कबीरदास को भी अग्रणी श्रेणी में खड़ा पाते हैं। में हुआ, ] संत कबीर का जन्म भारत की धरती पर ऐसे समय 477# हिन्दू मुसलमानों के बीच आपसी कटुता और भेद-भाव चरमोत्कर्ष पर था। मुगल  मुस्लिम संस्कृति यहां विकसित हो रही थी, जिसके साम्राज्य की स्यापना के बाद बीच सामंजस्य बैठाना हिन्दुओं के लिए कठिन हो रहा था। ऐसे समय में कबीर  ने अपने पदों से जनन्जागरण किया| लोगों तक यह संदेश पहुंचाया - कस्तूरी कुण्डल बसै॰ मृग ढूंढे बन माहि। ऐसे घट ्घट राम हैं दुनिया देखै नाहि।। राम , खुदा, ईश्वर को उन्होंने व्यक्तिगत आस्था बताते हुए, आपसी भाईचारे पर बल दिया | ईश्वर ्भक्ति की ओर लोगों को उन्मुख किया बाह्य आडम्बर उनके इस क्रांतिकारी संदेश और विचारधारा का लोगों पर का खण्डन किया ऐसा प्रभाव पडा कि हिन्दू और मुस्लिम दोनों सम्प्रदाय के लोग उनकी निकटता में आने लगे | उनकी निकटता में आने वालों की अपनी जीवनन्शैली की पहचान कुछ इस ढंग से बनी कि॰वे कबीर पंथो' कहलाने लगे। ऐसे क्रांतिकारी संत कबीर का जन्म संवत् 1४५५ ज्येष्ठ शुक्ल १५ को माना जाता है | इनके जन्म और मृत्यु के विषय में मतभेद है । एक मत के अनुसार काशी में नीरू और नीमा नामक एक जुलाहा दम्पत्ति रहते थे। उनके कोई सन्तान # 33` न थी। दोनों प्रतिदिन औलाद के लिए ईश्वर  करते थे पीरों फकीरों के कबोर वाणी - ShareChat
दुनिया की सबसे बड़ी प्रेम कथा 🌺🦚 . #🌺राधा कृष्ण💞 #🎵 राधा-कृष्ण भजन 🙏 #🎵 राधा-कृष्ण भजन 🙏 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🙏 राधा रानी #🙏🏻 मेरे भगवान 🙏🏻
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00:34
अंधार फार झाला आता दिवा पाहिजे, अफजल खान फार झाले आता एक जिजाऊंचा शिवा पाहिजे. #🚩छत्रपति शिवाजी महाराज #🚩शिवराय #😇आमचे प्रेरणास्थान: छत्रपती🙏 #⚔शिवाजी महाराज स्टेटस😍 #🚩मी शिवबा भक्त
🚩छत्रपति शिवाजी महाराज - ShareChat
00:13
मिलो न तुम तो हम घबराए 🌺🦚#🌺राधा कृष्ण💞 #📜 Whatsapp स्टेटस
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00:22