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#गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार #SantRampalJiMaharajYouTubeChannel #bhagavadgita #gita #krishna #arjuna #bhagawadgita #consciousness #vedanta #reincarnation #meditation #lordkrishna #kaal #brahm #om #dailygita #sanatandharma #सतभक्ति 🙏🙏🙏 ##santrampalji maharaj
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#santrampalji maharaj - खार अध्याय 7 का श्लोक ११ बहूनाम जन्मनाम् अन्ते ज्ञानवान माम quur' वासुदेवः सर्वम् इति सः महात्मा  :|1191| सुदुर्लभः।  সনুনাৎ: (নচুনাম) নচুন (নন্সনাম) অন্সীক্ (গলী)  अन्तके जन्ममें ( ज्ञानवान ) तत्वज्ञानको प्राप्त (माम्) गीता अध्याय 7 श्लोक १९ में (प्रपद्यते ) भजता है (वासुदेवः ) वासुदेव अर्थात् मुझको कहा गया है कि यह बताने वाला सर्वव्यापक पूर्ण ब्रह्म ही (सर्वम्) सब कुछ है (इति) इस  प्रकार जो यह जानता हे (सः) वह (महात्मा ) महात्मा है कि केवल महात्मा तो बहुत दुर्लभ (सुदुर्लभः ) अत्यन्त दुर्लभ है। (१९) श्री मदभागवत् के " वासुदेव अर्थात् सर्वगतम् ब्रह्म (पूर्ण श्री कृष्ण  दशवें स्कंद के ५१ वें अध्याय में स्वय ने कहा है कि श्री वासुदेव का पुत्र होने के कारण मुझे वासुदेव  ब्रह्म) ही सब कुछ है। उस दुर्लभ कहते हें॰ न की सर्व का मालिक या सर्व व्यापक होने के महात्मा यानि पूर्णगुरु के विषय में कारण अर्थात् वासुदेव पूर्ण परमात्मा है। जानने के लिए देखिए Sant Rampal Ji Maharaj यूट्यूब चैनल संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क  Ct (e +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Google Play खार अध्याय 7 का श्लोक ११ बहूनाम जन्मनाम् अन्ते ज्ञानवान माम quur' वासुदेवः सर्वम् इति सः महात्मा  :|1191| सुदुर्लभः।  সনুনাৎ: (নচুনাম) নচুন (নন্সনাম) অন্সীক্ (গলী)  अन्तके जन्ममें ( ज्ञानवान ) तत्वज्ञानको प्राप्त (माम्) गीता अध्याय 7 श्लोक १९ में (प्रपद्यते ) भजता है (वासुदेवः ) वासुदेव अर्थात् मुझको कहा गया है कि यह बताने वाला सर्वव्यापक पूर्ण ब्रह्म ही (सर्वम्) सब कुछ है (इति) इस  प्रकार जो यह जानता हे (सः) वह (महात्मा ) महात्मा है कि केवल महात्मा तो बहुत दुर्लभ (सुदुर्लभः ) अत्यन्त दुर्लभ है। (१९) श्री मदभागवत् के " वासुदेव अर्थात् सर्वगतम् ब्रह्म (पूर्ण श्री कृष्ण  दशवें स्कंद के ५१ वें अध्याय में स्वय ने कहा है कि श्री वासुदेव का पुत्र होने के कारण मुझे वासुदेव  ब्रह्म) ही सब कुछ है। उस दुर्लभ कहते हें॰ न की सर्व का मालिक या सर्व व्यापक होने के महात्मा यानि पूर्णगुरु के विषय में कारण अर्थात् वासुदेव पूर्ण परमात्मा है। जानने के लिए देखिए Sant Rampal Ji Maharaj यूट्यूब चैनल संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क  Ct (e +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Google Play - ShareChat
पवित्र गीता जी अध्याय 9 श्लोक 25 में साफ लिखा है कि भूतों को पूजोगे तो भूतों की योनियों में जाओगे और पितर पूजोगे तो पितर योनि में जाओगे। फिर क्यों आप श्राद्ध कर्म, पिंड दान आदि करते हो? ये मोक्ष मार्ग के विपरीत क्रियाएं हैं। #गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार #SantRampalJiMaharajYouTubeChannel #bhagavadgita #gita #krishna #arjuna #bhagawadgita #consciousness #vedanta #reincarnation #meditation #lordkrishna #kaal #brahm #om #dailygita #sanatandharma #santram pal ji Maharaj 🙏#kabirisgod #सतभक्ति 🙏🙏🙏 ##santrampalji maharaj #satbhakti #🙏🏻गुरबानी
santram pal ji Maharaj 🙏#kabirisgod - गीता शा२ মালি; নম্বনা:; বনান; পিনুন; যালি; পিনল্না:; गीता अध्याय 9 श्लोक २५ में श्राद्ध যানি  भतानि  यान्ति   मद्याजिनः अपि॰ माम।। २५ পূনত্মা:  कारण यह नियम ह॰कि॰ व पिंड आदि कर्मकांड को गलत दवताओंको  प्राप्त होते ह यान्ति टववता:  (3111  पूबनेवाले  मार्कण्डेय पुराण में भी कहा है ননাসসাকা नेरा पूजन  दवान मद्याजिनः  प्रमाण है कि वेदों में पितर पूजा भूत प्राप्त हात ह करनवाल ्यान्त पितरांको  5#7 माम पितृवताः  पूजा यानि श्राद्ध कर्म को अविद्या यानि पजनेवाले সণি चितून  পিনযক্কী प्राप्त होते हॅ। का कार्य बताया है। मूर्खों ٢ সাদ চাঁন ৪ ( इसीलिय मेर यान्ति মূনানা  भक्तका पूजनेवाले पनजन्म भतज्याः ப মূনানা 71 संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये नामदीक्षा व निःशुल्क  Fajci संपर्क सूत्र  Getmo +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये  Ploy Google| गीता शा२ মালি; নম্বনা:; বনান; পিনুন; যালি; পিনল্না:; गीता अध्याय 9 श्लोक २५ में श्राद्ध যানি  भतानि  यान्ति   मद्याजिनः अपि॰ माम।। २५ পূনত্মা:  कारण यह नियम ह॰कि॰ व पिंड आदि कर्मकांड को गलत दवताओंको  प्राप्त होते ह यान्ति टववता:  (3111  पूबनेवाले  मार्कण्डेय पुराण में भी कहा है ননাসসাকা नेरा पूजन  दवान मद्याजिनः  प्रमाण है कि वेदों में पितर पूजा भूत प्राप्त हात ह करनवाल ्यान्त पितरांको  5#7 माम पितृवताः  पूजा यानि श्राद्ध कर्म को अविद्या यानि पजनेवाले সণি चितून  পিনযক্কী प्राप्त होते हॅ। का कार्य बताया है। मूर्खों ٢ সাদ চাঁন ৪ ( इसीलिय मेर यान्ति মূনানা  भक्तका पूजनेवाले पनजन्म भतज्याः ப মূনানা 71 संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये नामदीक्षा व निःशुल्क  Fajci संपर्क सूत्र  Getmo +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये  Ploy Google| - ShareChat
गीता अध्याय 18, श्लोक 62 “हे अर्जुन! तू सब प्रकार से उस परम ईश्वर की ही शरण में जा। उस परमपिता परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति और शाश्वत स्थान- सतलोक (स्थान-धाम) को प्राप्त होगा”। ’सब प्रकार से’ का अर्थ कोई अन्य पूजा नहीं करना बल्कि मन-कर्म-वचन से केवल एक भगवान में विश्वास रखना है। #गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार #SantRampalJiMaharajYouTubeChannel #bhagavadgita #gita #krishna #arjuna #bhagawadgita #consciousness #vedanta #reincarnation #meditation #lordkrishna #kaal #brahm #om #dailygita #sanatandharma ##santrampalji maharaj #सतभक्ति 🙏🙏🙏 #🙏🏻गुरबानी #satbhakti #santram pal ji Maharaj 🙏#kabirisgod
#santrampalji maharaj - गीता शाव गीता अध्याय १८ श्लोक ६२ अध्याय १८ का श्लोक ६२ हे भारत! तूसब प्रकार से उस परमेश्वर की की ही शरण में जा तम् एव शरणम् गच्छ सर्वभावेन भारत उस परमात्मा की कृपा शान्तिम् स्थानम् प्राप्स्यसि से ही तूपरम शान्ति को तथा सदा रहने तत्प्रसादात् पराम 377877//62// वाले सतलोक को प्राप्त होगा| अनुवादः ( भारत) हे भारत! तू ( सर्वभावेन) सब प्रकारसे (तम्) उस परमेश्वरकी (एव) ही (शरणम् ) शरणमें संत रामपाल जी महाराज जी से (गच्छ) जा। (तत्प्रसादात्) उस परमात्माकी कृपा से ही निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क तू (पराम्) परम (शान्तिम्) शान्तिको तथा (शाश्वतम्) संपर्क सूत्र : +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये सदा रहने वाला सत (स्थानम्) स्थान।धाम / लोक को अर्थात् सत्लोक को (प्राप्स्यसि) प्राप्त होगा। (६२) गीता शाव गीता अध्याय १८ श्लोक ६२ अध्याय १८ का श्लोक ६२ हे भारत! तूसब प्रकार से उस परमेश्वर की की ही शरण में जा तम् एव शरणम् गच्छ सर्वभावेन भारत उस परमात्मा की कृपा शान्तिम् स्थानम् प्राप्स्यसि से ही तूपरम शान्ति को तथा सदा रहने तत्प्रसादात् पराम 377877//62// वाले सतलोक को प्राप्त होगा| अनुवादः ( भारत) हे भारत! तू ( सर्वभावेन) सब प्रकारसे (तम्) उस परमेश्वरकी (एव) ही (शरणम् ) शरणमें संत रामपाल जी महाराज जी से (गच्छ) जा। (तत्प्रसादात्) उस परमात्माकी कृपा से ही निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क तू (पराम्) परम (शान्तिम्) शान्तिको तथा (शाश्वतम्) संपर्क सूत्र : +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये सदा रहने वाला सत (स्थानम्) स्थान।धाम / लोक को अर्थात् सत्लोक को (प्राप्स्यसि) प्राप्त होगा। (६२) - ShareChat
#santram pal ji Maharaj 🙏#kabirisgod ##santrampalji maharaj #satbhakti #सतभक्ति 🙏🙏🙏 #🙏🏻गुरबानी
santram pal ji Maharaj 🙏#kabirisgod - गीता अध्याय १८ श्लोक ६४ में देखिए अत्यंत गोपनीय रहस्य अध्याय १८ का श्लोक ६४ सर्वगुह्यतमम् भूयः, श्रृणु मे॰ परमम् वचः इष्टः, असि, मे, दृढम् इति ततः, वक्ष्यामि ते {<711641/ अनुवादः (सर्वगुह्यतमम् ) गोपनीयोंसे सम्पूर्ण  अति गोपनीय (मे) मेरे (परमम्) परम रहस्ययुक्त (हितम्) हितकारक (वचः ) वचन (ते) तुझे (भूयः ) फिर ( वक्ष्यामि) कहूँगा (ततः ) इसे (श्रृणु) सुन (इति) यह पूर्ण ब्रह्म (मे) मेरा (दृढम् ) पक्का निश्चित (इष्टः ) इष्टदेव अर्थात् पूज्यदेव (असि) है। (६४) गोपनीयोंसे अति गोपनीय मेरे हिन्दीः सम्पूर्ण वचन तुझे फिर परम रहस्ययुक्त हितकारक कहूँगा इसे सुन यह पूर्ण ब्रह्म मेरा पक्का निश्चित इष्टदेव अर्थात प्रज्यदेव है। ಸ್ಲ निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें नाम अपना নান যযা +91 7496801823 गीता अध्याय १८ श्लोक ६४ में देखिए अत्यंत गोपनीय रहस्य अध्याय १८ का श्लोक ६४ सर्वगुह्यतमम् भूयः, श्रृणु मे॰ परमम् वचः इष्टः, असि, मे, दृढम् इति ततः, वक्ष्यामि ते {<711641/ अनुवादः (सर्वगुह्यतमम् ) गोपनीयोंसे सम्पूर्ण  अति गोपनीय (मे) मेरे (परमम्) परम रहस्ययुक्त (हितम्) हितकारक (वचः ) वचन (ते) तुझे (भूयः ) फिर ( वक्ष्यामि) कहूँगा (ततः ) इसे (श्रृणु) सुन (इति) यह पूर्ण ब्रह्म (मे) मेरा (दृढम् ) पक्का निश्चित (इष्टः ) इष्टदेव अर्थात् पूज्यदेव (असि) है। (६४) गोपनीयोंसे अति गोपनीय मेरे हिन्दीः सम्पूर्ण वचन तुझे फिर परम रहस्ययुक्त हितकारक कहूँगा इसे सुन यह पूर्ण ब्रह्म मेरा पक्का निश्चित इष्टदेव अर्थात प्रज्यदेव है। ಸ್ಲ निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें नाम अपना নান যযা +91 7496801823 - ShareChat
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krishna❤ #geeta #bhagwatgeeta #gyan - गता अध्याय 4 का श्लोक ३४ तत् विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानम् ज्ञानिनः तत्त्वदर्शिनः। ३४१| 33 अनुवादः पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि॰ उपरोक्त नाना प्रकार की साधना तो मनमाना आचरण  है। मेरे तक की साधना की अटकल लगाया ज्ञान है परन्तु पूर्ण परमात्मा के पूर्ण मोक्ष मार्ग का मुझे भी ज्ञान नहीं है। उसके लिए इस मंत्र ३४ में कहा है कि उस  (तत्) तत्वज्ञान को (विद्धि) समझ उन पूर्ण परमात्मा के वास्तविक ज्ञान व समाधान को जानने वाले संर्तों को गीता अध्याय श्लोक ३४ में गीता 4 (प्रणिपातेन) भलीभाति दण्डवत् प्रणाम करनेसे उनकी ज्ञानदाता ने कहा है कि तत्वज्ञान (सेवया ) सेवा करनेसे और कपट छोड़कर ( परिप्रश्नेन) सरलतापूर्वक प्रश्न करनेसे (त) वे (तत्वदर्शिनः ) पूर्ण ब्रह्म की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी संत की को तत्व से जानने वाले अर्थात् तत्वदर्शी (ज्ञानिनः) ज्ञानी यानि बिना गुरु के शरण में जाओ महात्मा तुझे उस ( ज्ञानम्) तत्वज्ञानका (उपदेक्ष्यन्ति) उपदेश करेंगे। (३४) का प्रमाण गीता अध्याय 2 इसी ज्ञान और भक्ति अधूरी है। श्लोक १५ १६ में भी है। तत्वदर्शी संत , सतगुक रामपाल जी मठानाज Sant Rampal Ji Maharaj Sant Rampal Ji Maharaj संत रामपाल जी महाराज जी से App Download #గగ য নিঃথুল্ক  নিঃথুল্ক নাসনীঃা  n @Sain RampalJiMahara +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Coocefsy 227M subscrlbers T7r videos गता अध्याय 4 का श्लोक ३४ तत् विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानम् ज्ञानिनः तत्त्वदर्शिनः। ३४१| 33 अनुवादः पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि॰ उपरोक्त नाना प्रकार की साधना तो मनमाना आचरण  है। मेरे तक की साधना की अटकल लगाया ज्ञान है परन्तु पूर्ण परमात्मा के पूर्ण मोक्ष मार्ग का मुझे भी ज्ञान नहीं है। उसके लिए इस मंत्र ३४ में कहा है कि उस  (तत्) तत्वज्ञान को (विद्धि) समझ उन पूर्ण परमात्मा के वास्तविक ज्ञान व समाधान को जानने वाले संर्तों को गीता अध्याय श्लोक ३४ में गीता 4 (प्रणिपातेन) भलीभाति दण्डवत् प्रणाम करनेसे उनकी ज्ञानदाता ने कहा है कि तत्वज्ञान (सेवया ) सेवा करनेसे और कपट छोड़कर ( परिप्रश्नेन) सरलतापूर्वक प्रश्न करनेसे (त) वे (तत्वदर्शिनः ) पूर्ण ब्रह्म की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी संत की को तत्व से जानने वाले अर्थात् तत्वदर्शी (ज्ञानिनः) ज्ञानी यानि बिना गुरु के शरण में जाओ महात्मा तुझे उस ( ज्ञानम्) तत्वज्ञानका (उपदेक्ष्यन्ति) उपदेश करेंगे। (३४) का प्रमाण गीता अध्याय 2 इसी ज्ञान और भक्ति अधूरी है। श्लोक १५ १६ में भी है। तत्वदर्शी संत , सतगुक रामपाल जी मठानाज Sant Rampal Ji Maharaj Sant Rampal Ji Maharaj संत रामपाल जी महाराज जी से App Download #గగ য নিঃথুল্ক  নিঃথুল্ক নাসনীঃা  n @Sain RampalJiMahara +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Coocefsy 227M subscrlbers T7r videos - ShareChat
##🙏🌞bhagwatgeeta#devotional#Srikrisna#positive morning🙏🌞🌅 #santram pal ji Maharaj 🙏#kabirisgod ##santrampalji maharaj
#🙏🌞bhagwatgeeta#devotional#Srikrisna#positive morning🙏🌞🌅 - गीता के रहस्यों का महाखुलासा अन्थ गीता अनुवाद कर्ताओं ने शब्द का अर्थ आना किथा है व्रज वन शब्द का अर्थ जाना, जो ೯ সস अनुचित चला जाना आदि होता है। अध्याय १८ का श्लोक ६६ सर्वधर्मान् , परित्यज्य , माम् , एकम् , RUA व्रज, अहम् , त्वा , सर्वपापेभ्यः , मोक्षयिष्यामि , मा, शुचः|l६६११ मेरी ( सर्वधर्मान् ) सम्पूर्ण पूजाओंको ( माम् ) मुझ में (परित्यज्य ) त्यागकर तू केवल ( एकम् ) एक उस अद्वितीय अर्थात् पूर्ण परमात्मा की (शरणम् ) शरणमें (व्रज ) जा। ((अहम् ) मैं (त्वा ) तुझे ( सर्वपापेभ्यः ) सम्पूर्ण पापोंसे (मोक्षयिष्यामि ) छुड़वा दूँगा तू (मा,शुचः ) शोक मत कर। 8 ಗಃ೯' पायें पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें  ٦٢ ، अपना ज्ञान गगा +91 7496801823 1 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAIVT RAMPAL JI MAHARAJ गीता के रहस्यों का महाखुलासा अन्थ गीता अनुवाद कर्ताओं ने शब्द का अर्थ आना किथा है व्रज वन शब्द का अर्थ जाना, जो ೯ সস अनुचित चला जाना आदि होता है। अध्याय १८ का श्लोक ६६ सर्वधर्मान् , परित्यज्य , माम् , एकम् , RUA व्रज, अहम् , त्वा , सर्वपापेभ्यः , मोक्षयिष्यामि , मा, शुचः|l६६११ मेरी ( सर्वधर्मान् ) सम्पूर्ण पूजाओंको ( माम् ) मुझ में (परित्यज्य ) त्यागकर तू केवल ( एकम् ) एक उस अद्वितीय अर्थात् पूर्ण परमात्मा की (शरणम् ) शरणमें (व्रज ) जा। ((अहम् ) मैं (त्वा ) तुझे ( सर्वपापेभ्यः ) सम्पूर्ण पापोंसे (मोक्षयिष्यामि ) छुड़वा दूँगा तू (मा,शुचः ) शोक मत कर। 8 ಗಃ೯' पायें पवित्र पुस्तक पूरा पता भेजें  ٦٢ ، अपना ज्ञान गगा +91 7496801823 1 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji SUPREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAIVT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
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#santrampalji maharaj - गीता शाव गीता अध्याय १८ श्लोक ६२ अध्याय १८ का श्लोक ६२ हे भारत! तूसब प्रकार से उस परमेश्वर की की ही शरण में जा तम् एव शरणम् गच्छ सर्वभावेन भारत उस परमात्मा की कृपा शान्तिम् स्थानम् प्राप्स्यसि से ही तूपरम शान्ति को तथा सदा रहने तत्प्रसादात् पराम 377877//62// वाले सतलोक को प्राप्त होगा| अनुवादः ( भारत) हे भारत! तू ( सर्वभावेन) सब प्रकारसे (तम्) उस परमेश्वरकी (एव) ही (शरणम् ) शरणमें संत रामपाल जी महाराज जी से (गच्छ) जा। (तत्प्रसादात्) उस परमात्माकी कृपा से ही निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क तू (पराम्) परम (शान्तिम्) शान्तिको तथा (शाश्वतम्) संपर्क सूत्र : +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये सदा रहने वाला सत (स्थानम्) स्थान।धाम / लोक को अर्थात् सत्लोक को (प्राप्स्यसि) प्राप्त होगा। (६२) गीता शाव गीता अध्याय १८ श्लोक ६२ अध्याय १८ का श्लोक ६२ हे भारत! तूसब प्रकार से उस परमेश्वर की की ही शरण में जा तम् एव शरणम् गच्छ सर्वभावेन भारत उस परमात्मा की कृपा शान्तिम् स्थानम् प्राप्स्यसि से ही तूपरम शान्ति को तथा सदा रहने तत्प्रसादात् पराम 377877//62// वाले सतलोक को प्राप्त होगा| अनुवादः ( भारत) हे भारत! तू ( सर्वभावेन) सब प्रकारसे (तम्) उस परमेश्वरकी (एव) ही (शरणम् ) शरणमें संत रामपाल जी महाराज जी से (गच्छ) जा। (तत्प्रसादात्) उस परमात्माकी कृपा से ही निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क तू (पराम्) परम (शान्तिम्) शान्तिको तथा (शाश्वतम्) संपर्क सूत्र : +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये सदा रहने वाला सत (स्थानम्) स्थान।धाम / लोक को अर्थात् सत्लोक को (प्राप्स्यसि) प्राप्त होगा। (६२) - ShareChat
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