missyou
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Sahiba
411 views 10 days ago
▪️प्रेम और दुःख विवाहिता महिलाएं जब प्रेम में पड़ती हैं, तो वे बिल्कुल उसी तरह प्रेममयी होती हैं, जैसे कुंवारी लड़कियाँ होती हैं। प्रेम तो विवाह या कुंवारीपन से नहीं जुड़ा होता, वह केवल दिल के आईने को देखता है, वह सुनता है हृदय की राग-रागिनियाँ। विवाहिता महिलाएं भी, समाज की निगाहों से बचते हुए, प्रेम करती हैं— यह एक अमर बेल की तरह होता है। क्योंकि प्रेम का बीज कोई नहीं बोता, वह खुद ही अचानक दिल की गीली मिट्टी में अंकुरित हो जाता है। प्रेम में पड़कर, वे फिर से सत्रह-आठारह साल की युवा हो जाती हैं। मन में उत्तेजना भर जाती है, प्रेमी के एक झलक के लिए। शरीर की इच्छाओं को पार कर, उनका प्रेम आत्मा की सुख खोजता है। प्रेमी के एक आलिंगन में वे एक अलौकिक आनंद में डूब जाती हैं। वे अपने सभी दुःख भूल जाती हैं, प्रेमी की आँखों की गहराई में डूब कर। उसके हर शब्द, हर मुस्कान, उन्हें एक मीराबाई बना देती है। मन के तारों पर एक राग बजता है, जो उन्हें ऊँचे आकाश की ओर ले जाता है। प्रेमी के एक पुकार में, सत्रह बहारें जैसे उनके दिल में फैल जाती हैं। वे पलाश के फूलों की तरह खिलती हैं, आबीर के लाल रंग में। उनका आनंद खेलता है बसंत के पीले सरसों के फूलों की तरह। फिर भी, वे समाज के किसी कलंक को नहीं चाहतीं। वे नहीं चाहतीं कि कोई उन्हें 'कुलटा' कहे, उनके प्रेम को अपमानित करे। वे सर्वोत्तम माँ बनना चाहती हैं, सदैव आदर्श पत्नी बनी रहना चाहती हैं। वे गृहस्थ जीवन की जिम्मेदारियों में कभी भी पीछे नहीं हटतीं। फिर भी, मन में वे वही रहती हैं, जो एक कुंवारी लड़की होती है, जो प्रेम देना जानती है, जो अपने पिता की बेटी, भाई की प्यारी बहन होती है। वे चाहती हैं कि प्रेमी के हर दुख को अपने आँचल में छिपा लें। प्रार्थना के हर पल में वे उसकी खुशी के आशीर्वाद की कामना करती हैं। लेकिन कुंवारी लड़कियों की तरह उनके प्रेम का सपना कभी पूरा नहीं होता। वे जीवन जीती हैं एक अजीब संतुलन में— एक पहिया गृहस्थ जीवन का, और दूसरा पहिया प्रेम का। निरंतर रातों में, अकेलेपन की छाया में, वे अपने पति की पीठ पर प्रेमी का चेहरा देखती हैं। वे चाहती हैं प्रेमी के साथ, जीवन की हर कठिनाई में एक शांतिपूर्ण छाया ढूँढना। कुंवारी लड़कियाँ प्रेमी के साथ जीवन बिताना चाहती हैं, और विवाहिता महिलाएं, प्रेमी को खोना नहीं चाहतीं। वे विश्वास के धागे में बंधना चाहती हैं, ग्लानि की आग में प्रेम को न जलाकर, वे निस्वार्थ प्रेम करती हैं— दुनिया की सभी प्रेमिकाओं की तरह। यह कविता प्रेम की गहराई और समाज के द्वारा लगाए गए बंधनों के बीच के संघर्ष को दर्शाती है। #you+me=forever #missyou #💓 मोहब्बत दिल से ##😘बस तुम और मैं #तुम्हारे लिए
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Sahiba
539 views 12 days ago
प्रेम और अपनापन का संबंध 💞 प्रेम और अपनापन का संबंध बहुत गहरा होता है। प्रेम में अपनापन एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो रिश्तों को मजबूत और स्थायी बनाता है। जब हम किसी से सच्चा प्रेम करते हैं, तो हम उनके लिए अपनापन महसूस करते हैं और उनकी खुशी में अपनी खुशी मानते हैं। अपनापन देने से रिश्तों में विश्वास और सुरक्षा की भावना बढ़ती है, जो प्रेम को और भी मजबूत बनाती है। यह एक दूसरे के साथ जुड़ने और एक दूसरे की जरूरतों को समझने का भावना है. #missyou #तुम्हारे लिए #you+me=forever #💓 मोहब्बत दिल से ##😘बस तुम और मैं
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Sahiba
497 views 12 days ago
प्यार सुकून और अपनापन.... मुझे सब तुम मे मिल जाता है.... तुम बिन अधूरा सा है मन... तुम्हारा होना.... मुझे पूरा बनाता है... #you+me=forever #💓 मोहब्बत दिल से #missyou #तुम्हारे लिए ##😘बस तुम और मैं
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