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समुद्रमन्थन — विष से अमृत तक 🌊🐍: पौराणिक आख्यान जिसमें देव-दानवों ने कस्तूरी-सर्प व मंदराचल से समुद्र मंथन कर 14 रत्न, लक्ष्मी का उदय और दैवीय अमृत का आविर्भाव देखा गया — यह प्रसंग विष्णु पुराण, भागवत तथा महाभारत में स्पष्ट रूप से वर्णित है (विकिपीडिया स्रोत)। हला-हलाहल विष के निकलने और शिव द्वारा उसे पीकर तीन लोकों की रक्षा करने के अद्भुत कृत्य से यह कथा न केवल देवी-देवताओं की कथा है बल्कि संकट-सहने और परोपकार की प्रेरणा भी देती है। दन्तवातीरी (Dhanvantari) के हाथ अमृत और मोहिनी के चतुर वितरण ने राहु-केतु की व्याख्या तक गढ़ दी — इतिहास, धर्म और खगोलकथा का अनूठा संगम। एक नयी और चुभती सच्चाई: आज यह मिथक नामपूर्वक ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय “Samudra Manthan” यानी नेशनल डीप-वाटर एक्सप्लोरेशन मिशन जैसे विज्ञान-प्रोजेक्ट के रूप में भी चर्चा में है — पुरातन कल्पना और आधुनिक विज्ञान का संवाद बनता दिख रहा है। तर्क/साइंस: प्रतीकात्मक मंथन को हम system-dynamics या ecological mixing के रूप में पढ़ सकते हैं — जिस तरह महासागर का “upwelling” गहरे पोषक तत्व सतह पर लाता है और जीवन को समृद्ध करता है, वैसे ही संघर्ष से ही विष निकलते हुए भी अमृत (ज्ञान/संसाधन) उजागर होते हैं; इसलिए मंथन में जो कष्ट दिखता है वह परिवर्तन का आवश्यक चरण है। “वाक्यांश: ‘जो विष सह कर भी संसार बचा दे, वही अमृत बाँटने का अधिकारी बनता है’ ” — पढ़ो, सोचो और बताओ: क्या आपका आज का मंथन किस चीज़ का चक्र चला रहा है? 💭✨ #समुद्रमन्थन #SamudraManthan #MythToMission #Neelakantha #अमृतविष #BlueEconomy #ScienceAndMyth 🌊🔱
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