“NET-JRF से IAS तक: परी बिश्नोई ने सोशल मीडिया छोड़ा, तीसरे प्रयास में UPSC AIR-30 के साथ रचा कमाल”
परी बिश्नोई की कहानी अनुशासन, फोकस और त्याग की मिसाल है—अजमेर की पढ़ाई से दिल्ली विश्वविद्यालय तक का सफर तय करते हुए उन्होंने किशोर उम्र में ही IAS बनने का लक्ष्य तय कर लिया था। तैयारी के दौरान उन्होंने सबसे पहले सभी तरह के डिस्टैक्शंस को काटा—सोशल मीडिया अकाउंट्स डिलीट किए, स्मार्टफोन से दूरी बनाई और एक “मोंक-लाइफ” रूटीन अपनाया ताकि पढ़ाई में निर्विघ्न एकाग्रता बनी रहे। पोस्टग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में गहरी पकड़ बनाई और NET-JRF भी क्वालिफाई किया, लेकिन अंतिम लक्ष्य सिविल सर्विस ही रहा; इसलिए रणनीति को UPSC के अनुरूप ढाला, बेसिक बुक्स, PYQs, और करंट अफेयर्स पर लगातार काम किया। शुरुआती दो प्रयासों में असफल रहने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी—गलतियों की डायरी बनाकर विषयवार कमजोरियों पर काम किया, आंसर राइटिंग को रोज़ की आदत बनाया और एथिक्स-पेपर के लिए वास्तविक उदाहरणों के साथ स्ट्रक्चर्ड फ्रेमवर्क विकसित किया। तीसरे प्रयास में 2019 की परीक्षा में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 30 हासिल की, जो उनकी निरंतरता और आत्म-अनुशासन का प्रतिफल था। परिवार का योगदान भी अहम रहा—मां के पुलिस सेवा में अनुभव और फील्ड-ओरिएंटेड काम ने उन्हें पब्लिक सर्विस की वास्तविकता और सामाजिक प्रभाव का दृष्टिकोण दिया; पिता के विधिक बैकग्राउंड ने नीति और नियमों की समझ मजबूत की। चयन के बाद उनकी पहली पोस्टिंग सिक्किम में रही, जहाँ उन्होंने फील्ड एडमिनिस्ट्रेशन, चुनावी दायित्व और सार्वजनिक सेवाओं के क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाई। व्यक्तिगत जीवन में उन्होंने बाद में हरियाणा के विधायक भव्य बिश्नोई से विवाह किया और कैडर परिवर्तन के बाद हरियाणा में सेवाएँ देने लगीं, जिससे ग्रासरूट स्तर पर नीति-क्रियान्वयन और स्थानीय प्रशासनिक चुनौतियों का व्यावहारिक अनुभव विस्तृत हुआ। उनकी यात्रा का केंद्रीय संदेश स्पष्ट है—कंटेंट-केंद्रित पढ़ाई, निरंतर रिवीज़न, माइक्रो-टार्गेटिंग ऑफ वीक एरियाज़ और डिजिटल डिटॉक्स जैसे कदम लंबी तैयारी में ऊर्जा बचाते हैं और आउटपुट को शार्प रखते हैं। वह इस बात की जीवंत मिसाल हैं कि सीमित संसाधनों में भी स्पष्ट लक्ष्य, समय-सारिणी के प्रति वफादारी और आत्म-अनुशासन के दम पर UPSC जैसे कठिन एग्ज़ाम में शीर्ष रैंक पाना संभव है। अंत में, परी की सीख यही कहती है—सफलता सिर्फ मेहनत से नहीं, सही दिशा, ईमानदार रिव्यू और मन के शोर को शांत रखने की कला से मिलती है; लक्ष्य बड़ा हो, तो जीवनशैली भी उसी स्तर की चाहिए।
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